, अमन कार्तिक और साहिल तीन दोस्त थे। तीनों इतने पक्के दोस्त थे। वह बाजार में पिकनिक पर और जब कहीं भी बाहर घूमने का प्रोग्राम होता तीनों एक साथ इकट्ठे जाते थे। तीनों भी पढ़ाई में ठीक थे। अमन इंजीनियर बनना चाहता था। कहीं ना कहीं अमन के माता-पिता उसे कहते थे कि तुम्हें इंजीनियर की पढ़ाई करनी है। कार्तिक के माता-पिता उसे एक राजनैतिक नेता के रुप में देखना चाहते थे। ताकि बड़ा होकर वह इलेक्शन वगैरह में चुनाव लड़े और जीते। उसे एक राजनीतिक नेता के रुप में देखना चाहते थे। साहिल के माता-पिता उसे डॉक्टर बनाने का सपना देखते थे। साहिल के माता पिता के पास अपने बेटे के भविष्य संवारने के लिए इतने अधिक रुपए नहीं थे। तीनों दोस्त अपनी अपनी दोस्ती में खुश थे वह कार्तिक का भी खूब साथ देते थे उनके पास कोई चीज उपलब्ध नहीं होती थी तो भी उसे दिलवा देते थे। दोनों दोस्त अपने दोस्त कार्तिक की मदद कर दिया करते थे।
अमन का एक चचेरा भाई था आयुष। उसका भी उनके घर में आना जाना बहुत था। वह भी इंजीनियर बनना चाहता था। तीनो दोस्त बड़े हो चुके थे। अमन तो इंजीनियर बन चुका था परंतु उसे कोई अच्छी सी कंपनी कंपनी से कोई भी ऑफर नहीं मिल रही थी। उसे बड़ी मुश्किल से ₹25000 मिल रहे थे। कार्तिक ने भी अपनी पढ़ाई जारी रखी वह एक डॉक्टर बन चुका था। साहिल एक राजनीतिक नेता बन चुका था। तीनों को एक ही ऑफिस में नौकरी मिल गली। तीनों दोस्त मिले तो एक दूसरे को देख कर हैरान रह गए। कार्तिक उन दोनों का बॉस बन चुका था। कार्तिक को तो काफी अच्छा वेतन मिलता था साहिल तो डॉक्टर बन चुका था। साहिल तो अपने काम से खुश था। कहीं ना कहीं अमन अपने दोस्त को देख कर मन में कहीं ना कहीं उदास हो जाता था। मुझे तो बड़ी मुश्किल से ले देकर ₹25000 ही मिलते हैं। मेरा दोस्त साहिल वह तो हम दोनों को भी मात दे चुका है। उसे तो काफी अच्छा वेतन मिलता था। वह अपनी भड़ास कभी घर पर कभी अपने ऑफिस में अपने साथ काम करने वाले कर्मचारियों पर निकालता था। एक दिन बाजार में जब वह घूम रहा था तो उसका चचेरा भाई उसे मिला। अमर ने पूछा तुम क्या काम करते हो? वह बोला मैं तो कोई काम धंधा नहीं करता सड़क के किनारे भीख मांगता हूं। अमर उसकी तरफ देखकर चौका क्या बोल रहा है? अमन की ओर देखकर आयुष बोला मैं तुम्हें आज सच बता रहा हूं। मुझे इस काम के एक दिन के रु70,000 मिलते हैं। और एक जगह केवल कटोरा लेकर बैठना है। उसके लिए अपने कपड़े फटे हुए हो, बाल बिखरे हुए हुए हों। टांग में एक दो जगह चोट के निशान होना जरूरी है तभी वह संभव हो सकता है। शाम तक एक जगह बैठकर भीख मांगनी है। आयुष बोला। तुम कितना कमाते हो? वह बोला भाई सारा दिन सुबह से शाम इतनी मेहनत करता हूं तब भी मुझे केवल ₹25000 मिलते हैं। आयुष बोला मेहनत मेहनत छोड़ कर मेरे साथ शामिल हो जाओ। साहिल बोला भाई मैं यह काम करने के लिए तैयार हूं। आयुष बोला भाई मेरे सोच समझकर विचार करना इसके लिए तुम्हारे घर वाले तैयार हो जाएंगे क्या? वह बोला मेरे घरवाले क्यों तैयार नहीं होंगे? आयुष बोला हम गैंग वालों का भी एक मुखिया होता है। आयुष देखते हुए बोला जिस प्रकार ऑफिस में एक मुखिया होता है उसके पास सारे रुपए वगैरह का हिसाब-किताब होता है उसी प्रकार हमारे गैंग वालों का भी एक मुखिया होता है। सब गैंग वाले इकट्ठे रुपए करके उसके पास थमा देते हैं। हमारा शाम तक का जो लाभ उन्होंने हमें देने के लिए निश्चित किया होता है शाम को हमें थमा दिया जाता है। अमन बोला तो भाई मेरे मुझे भी मेहनत करने की कोई जरूरत नहीं है। मैं रात-दिन मेहनत करता हूं। मुझे केवल ₹25000 मिलते हैं। मेरे माता-पिता ना जाने मेरे कितने दोस्तों का मेरे सामने उदाहरण देते हैं। कहते हैं उनको देखो उसने ना जाने कितने रुपए कमाए तुम तो पढ़ लिख कर भी केवल ₹25000 तक ही सीमित रहोगे। मुझे बहुत ही शर्म आती है आज तो हद ही हो गई। मेरे सामने मेरा दोस्त साहिल मेरा बॉस बनकर आ गया। वह तो ना जाने मुझसे कितना अधिक रुपया कमाता है मेरी अंतर्आत्मा अंदर ही अंदर मुझे कचोटती रहती है। छोड़ दे यह सब। आज तक तो बस मैं तुम्हारे पास अपनी दरख्वास्त लेकर आया हूं। तू अपने गैंग के मुखिया से मिलकर मेरी नौकरी सुरक्षित कर दे। उसका दोस्त बोला कैसी बातें कर रहा है? तू तो मेरा पक्का दोस्त है। कल से काम पर आ जाना।
दूसरे दिन साहिल ने अपने काम पर से इस्तीफा दे दिया। उसके माता-पिता बड़े दुखी हुए। वह बोला मां बाबा आप दोनों ही तो कहते थे कि तुम्हारे पास बढ़िया नौकरी नहीं है। आज मुझे बढ़िया नौकरी मिल गई है। उसके माता-पिता बड़े खुश हुए कि हमारे बेटे को नौकरी मिल गई है। उसकी मम्मी ने अपनी सहेलियों को न्योता दे दिया उसके पापा ने भी अपने रिश्तेदार जितने भी उसके सभी संबंधित ही सबको पार्टी दे डाली और कहा। मेरे बेटे को ₹70000 की नौकरी मिल गई है। उसने अपने चचेरे भाई के पिता को भी अपने उत्सव पार्टी में बुला लिया सभी उत्सव का आनंद बना रहे थे। वह घोषणा भी करते जा रहे थे आज तो मैं गर्व से कह सकता हूं कि आज मेरे बेटे ने मेरी इच्छा पूरी कर दी है। अच्छा हुआ उसने ₹25000 की नौकरी को छोड़ दिया। कहीं ना कहीं मुझे उसके लिए बहुत ही दुख होता था। मेरा बेटा केवल ₹25000 ही कमा रहा है। लेकिन मैं अब खुश हूं।
उसने नई नौकरी में पदार्पण कर लिया है अमन की दोस्ती अनन्या ने जब देखा कि उसका दोस्त जिसको वह दिलों जान से चाहती है। जब उसने अपने दोस्त को बताया कि मैंने ₹25000 की नौकरी छोड़ दी है और अपने दोस्त की कंपनी में शामिल हो गया हूं। मुझे भी तो बताना तुम कहां नौकरी करते हो? अमन उस स्थान पर लेकर गया। उसनें फटे पुराने कपड़े पहने। अपने बाल गंदे किये और अपने अंगों पर तीन चार जगह चोट के निशान दिखाएं। इतने मोटे मोटे घाव देखकर अनन्या की आंखों में आंसू आ गए। यह उसके दोस्त ने ज्यादा रुपए कमाने के चक्कर में एक भिक्षा मांगने वाले का वेश धारण कर लिया है। उसे बड़ा बुरा लगा क्योंकि उसने तो अपने सच्चे मन से प्यार किया था चाहे वह ₹25000 ही कमाता था।
वह मेहनत करके ही कमाता था वह तो उसके खून पसीने की कमाई थी। आज तो उसके सामने एक दूसरे ही अमन का चेहरा था जो नकली था। वह उस नकली नकाब वाले अमन से प्यार नहीं करना चाहती थी। क्योंकि वह जो पैसा कमा रहा था दूसरे लोगों की जेब की कमाई थी। उसे बहुत ही धक्का लगा उत्सव वाले दिन वह पार्टी में पहुंच गई बोली आपने हम दोनों की सगाई करने का वादा किया था।
आपने हमारी शादी को पवित्र बंधन में बांधने का वादा किया था। आज मैं इस रिश्ते को यहीं खत्म कर देना चाहती हूं। अमन के पिता बोले ऐसा क्यों कह रही हो बेटी? वह बोली क्या आपके बेटे ने कभी आपको यह बताया कि वह कहां काम करने के लिए तैयार हो गया है? उस काम के बदले में उसे ₹70000 तो मिल जाएंगे क्या आप यह देख कर खुश रह पाओगे कि आपका बेटा जो काम करता है वह उसके लायक नहीं है? जब आपको मालूम होगा कि आपका बेटा इतना घिनौना काम कर रहा है तो आपकी अंतर्आत्मा आपको अंदर से कटौचती रहेगी। मुझे तो अपना पहले वाला अमन ही पसंद था। वह ₹25000 ही कमाता था उसकी अपनी मेहनत की कमाई थी। अमन बोला ठीक है अगर तुम मेरे साथ शादी करना नहीं चाहती तो मैं भी इस बंधन को यहीं समाप्त करता हूं।
वह अपने दोस्त के बहकावे में आ गया था अमन के माता-पिता ने कहा बेटी हमने अपने बेटे से नहीं पूछा कि तुम किस कंपनी में काम करते हो।? अनन्या बोली पापा मम्मी मैं आप दोनों की इज्जत करती हूं। इसी इज्जत को बरकरार रखना चाहती हूं। आप अगर दोनों भी मुझसे रिश्ता तोड़ना चाहते हैं तो ठीक है मैं आप तीनों की जिंदगी से सदा के लिए दूर चली जाऊंगी। कहीं ना कहीं मैं समझूंगी कि जिस दोस्त के साथ मैंने शादी का वादा किया था वह बिल्कुल ही बदल चुका है। अमन के माता-पिता बोले हमने भी अपने बेटे से यह नहीं पूछा कि वह कहां काम करता है? अनन्या बोली मैं यह घर छोड़ने से पहले आपको वह स्थान दिखाना चाहती हूं जहां आपका बेटा काम करना चाहता है।
अमन बोला अनन्या तुम मुझे छोड़कर मत जाओ। मेरे माता-पिता ने मुझे हर बार यही कहा था कि तुझे इतनी पढ़ाई करने के बाद केवल ₹25 ₹25000 ही मिलते हैं। अपने चचेरे भाई को देख वह तो तुझसे पढ़ाई में भी होशियार नहीं था वह भी ₹70000 कमा रहा है। मुझे अंदर ही अंदर उनकी यह बातें कष्ट पहुंचाती थी। आज तो मेरे बचपन के दोस्त ने जो मुझसे सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई जो कि सबसे बड़ा अफसर बनकर मेरा बॉस बनकर आ गया था। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं अभी इस्तीफा दे दूं मैंने अपना इस्तीफा दे दिया है। अमन के माता-पिता ने जब अपने बेटे को सड़क के चौराहे पर भीख का कटोरा लिए हुए भीख मांगते दिखता तो उन्हें बड़ी ही शर्म महसूस हुई। अमन के पिता को तो यह लगा कि कहीं कुएं में जाकर छलांग मार ले कहीं ना कहीं वह भी अपने बेटे के लिए इस नौकरी को अपनाने के लिए जिम्मेवार थे। इसीलिए तो उनके बेटे ने इतना बड़ा कदम उठाया था। वे दोनों अनन्या के पास आकर बोले बेटा तुम ही एक उसकी सच्ची दोस्त हो जो मेरे बेटे को वापिस उस काम को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हो। कहीं ना कहीं हम हमने अभी अपने बेटे के भविष्य को संवारने के बजाए उसे बिखेर कर रख दिया है। हमें माफ कर दे बेटी अनन्या ने अपना सामान उठाया और बोली अमन अलविदा अगर तुम सचमुच ही मुझको प्यार करते हो तो तुम उस बुराई की दलदल में नहीं फंसोगे। तुमने अपना एक भी कदम दूसरी ओर बढ़ाया तो मैं सदा सदा के लिए तुम्हें छोड़ कर चली जाऊंगी।
अमन ने रोते हुए कहा अनन्या मुझे माफ कर दो मैं भटक गया था तुमने मुझे फिर से रास्ता दिखाया मुझे भटकने से बचा लिया। मैं अपनी पुरानी नौकरी पर वापस चला जाता हूं। अभी मेरा त्याग पत्र स्वीकार नहीं हुआ होगा। मैंनें अभी थोड़े दिन पहले ही त्यागपत्र दिया है। अभी केवल सात दिन ही हुए हैं,। सात दिन तक त्यागपत्र नहीं समझा जाता। मैं अपने पुराने काम में वापस लौट कर चला जाता हूं। अमन के माता-पिता बोले बेटा हमें माफ कर दो हम भी तुम्हारे गुनहगार हैं। उसके दोस्त साहिल ने जब यह सुना तो वह बहुत ही परेशान हुआ और अपने दोस्त को गले लगाते हुए बोला अरे यार तुम ऐसा क्यों सोचते हो? मैं तुम्हारा कुछ नहीं हूं क्या। तुम तो मेरे वही पुराने जिगरी दोस्त हो। आओ गले लग जाओ। तुम कहो तो मैं तुम्हारी नौकरी में प्रमोशन करवा सकता हूं। तीनों दोस्तों एक हो गए थे। और गले लग कर बोले आपस में कभी जुदा नहीं होंगे। हमारी दोस्ती को किसी की नजर लग गई थी अब सब ठीक हो गया है अनन्या ने सचमुच अमन की जिंदगी को पवित्र बंधन में बंध कर उसकी जिंदगी को स्वर्ग बना दिया। और उसे बिखरने से बचा लिया