पश्चाताप

चीनू बहुत ही शरारती लड़का था। वह एक दिन स्कूल से जब घर आया तो उसकी मां ने देखा कि तीन-चार दिनों से चीनु बहुत ही उदास था। वह कोई भी शरारत नहीं कर रहा था। एक दम शांत  गम्भीर अपने बेटे को बिल्कुल शांत और मौन देखकर चीनू की मम्मी से रहा नहीं गया वह बोली बेटा क्या बात है। वह कुछ भी नहीं बोला चुपचाप बैठा रहा अपने बेटे की इस गंभीर मुद्रा को देखकर चीनू की मम्मी श्वेता बहुत ही उदास हो गई ।वह सोचने लगी ना जाने किसने  मेरे बेटे को ऐसा क्या कह दिया जिससे मेरा बच्चा इतना उदास हो गया है मैंने इतना उदास आज से पहले उसे कभी नहीं देखा  ।आज तो उससे पूछ कर ही रहूंगी। दूसरे दिन चिनू ने अपनी मम्मी को कहा मां मैं आज स्कूल नहीं जाना चाहता ।उसके इस व्यवहार से चीनू की मम्मी चौंक गई, हो सकता है मैडम ने उसे कुछ कह दिया हो। या उसने होमवर्क ना किया हो ।उसकी मम्मी ने कहा बेटा कोई बात नहीं आज तुम घर में रहकर ही पढ़ाई करो ,जब उसके पापा औफीस चले गए तो उसने चुपचाप प्यार से अपने बेटे को पुचकारते   हुए कहा बेटा मुझे बताओ तुम्हें क्या हुआ है ।बेटा अगर तुम मुझ से नहीं कहोगे तो किस से कहोगे ।मैं तुम्हारी मां हूं मां के इस प्रकार कहने पर चीनु  जोर जोर से रोने लगा। उसको रोता देखकर उसकी मां बोली मां आज मैं आपको बताता हूं।।

हमारी स्कूल में मैडम ने एक दिन सभी बच्चों को कहा कि ,मैं तुम्हें आज एक कहानी सुनाती हूं मैडम कहानी सुनाती जा रही थी। मैडम ने जैसे ही कहानी समाप्त कि उन्होंने कहा कि बेटा हमें किसी से भी झूठ नहीं कहना चाहिए चाहे कोई भी हो हमें जो कुछ भी हम कहते हैं या सुनते हैं वह सारे के  सारे संस्कार हमें  अपने घर से ही मिलते हैं और हमें अपना दोष किसी दूसरे पर नहीं मढ़ना चाहिए

हमें चोरी नहीं करनी चाहिए। हमें कोई भी धर्म हो सभी धर्म एक जैसे होते हैं हमें ऊंच-नीच की भावना मन में नहीं लानी चाहिए। हमारे स्कूल में कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जो दलित जाति के हैं। तुम उनके हाथ का खाना नहीं खाते हो ऐसा बिल्कुल गलत है। मैडम ने यह भी कहा कि देखो बच्चों कोई भी इंसान जाति उसकी कोई भी हो इंसान तो एक जैसा होता है। तुम भी साफ कपड़े पहनते हो दलित जाति के लोग वह भी साफ सुथरे कपड़े पहनते हैं फिर खाना ना खाने का विचार तुम क्यों करते हो ।तुम उनके हाथ का छुआ हुआ भी नहीं खाते हो मम्मी आपने भी तो हमें कहा कि स्कूल में ं दलित जाति वाले व्यक्तियों से खाने को कुछ नहीं लेना चाहिए, बुद्धि नष्ट हो जाती है।। मैडम ने कहानी इसलिए सुनाई थी कि एक दिन एक बच्चे की पेंसिल चोरी हो गई । मैंने उस दिन चीँनू की पेंसिल चुरा ली थी। चीनू रोने लगी थी मैडम ने उससे पूछा तुम क्यों रो रही हो मैडम ने कहानी सुनाई और कहा जिस बच्चे ने इस चीनू की पेंसिल चुरा ली होगी उसकी पेंसिल बड़ी हो जाएगी। मैंने पेंसिल चुराई थी इसलिए मैं दूसरे दिन प्रार्थना में नहीं गया। मैंने सभी बच्चों के बस्ते पलट पलट कर देखें। मैंने पेंसिल काट दी थी ।जब मैंडम ने सब  बच्चों कि पैंसिलें चैक कि सब की पैंसिलें एक जैसी थी मेरी पेंसिल बड़ी थी। मैंने पेंसिल छोटी कर दी थी ताकि मैडम को पता ना चल सके ।मैं सोचने लगा मेरी पेंसिल हीै छोटी है ।मैंने वह पेंसिल सोनू के बैग में डाल दी।

सोनू बहुत ही गरीब परिवार का लड़का है दलित जाति का है मैडम ने सब बच्चों की पेंसिल चैक कि सोनू के बैग में ही एक ऐसी पेंसिल थी जो छोटी थी ।मैडम ने सोनू को कहा कि तुमने ही पैसिल चोरी की है ।सोनू रोने लगा मैडम सचमुच मैंने पेंसिल चोरी नहीं की। मैडम ने कहा कोई बात नहीं बेटा रोते नहीं पर चोरी करना बुरी बात है। सोनू तो मान ही नहीं रहा था उसने चोरी की है। वह बेचारा सचमुच निर्दोष था। चोरी तो मैंने की थी मैं खुश हो गया आज तो बाल बाल बच गया।

मैडम ऐसे ही कहती है पेंसिल भी कभी बड़ी हो सकती है।

एक दिन स्कूल में मैं कॉपी भूल गया था हमारे सामाजिक अध्ययन के अध्यापक इतने निष्ठुर हैं कि अगर उनके कालांश   में कोई बच्चा कॉपी नहीं लाता है तो उसे 5 घंटे मुर्गा बनाते हैं। मेरे आंसू आने ही वाले थे कि मैंने देखा सोनु मेरे पास आकर बोला चीनू मेरे पास दो कॉपी है एक कॉपी तुम ले लो ।मां वह   एक दलित जाति का है ।उसने ही मुझे आज स्कूल में सजा से बचाया। मैडम की बात में मुझे सच्चाई नजर आई ।हम उस का खाना क्यों नहीं खा सकतें।

मां मां जब एक दिन  पापा ने चीनी के डिब्बे से चीनी खाई और आपको कहा कि मैंने नहीं खाई है पापा ने ही चीनी खाई थी और नाम मेरा लग गया ।

एक दिन पापा के कुछ मित्र मिलने आए  तो आपने मुझे कहा  की उनसे ऐसे कह दे कि पापा घर पर नहीं है। यह बात भी मुझे मैडम जी की ठीक लगी। हम झूठ बोलते हैं और अपना दोष दूसरे के माथे मढ़ देते हैं । यह संस्कार ही है जो हमें घर से मिलते हैं। आपने मुझे कहा कि हमें दलित जाति वाले लोगों से ज्यादा संपर्क नहीं रखना चाहिए। उनके हाथ का नहीं खाना चाहिए। मां मां पापा के दोस्त प्रकाश अंकल को जो हमारे घर आते हैं पापा उनसे बात करना पसंद नहीं करते मगर मुसीबत पड़ने पर उन्होंनें ही तो पापा की सहायता की ।

मम्मी जब दीदी अमृतसर गई हुई थी तब वह रास्ता भटक गई थी। गुरु चरण अंकल ने उन्हें घर पहुंचाया था चाहे वह जाति से सिक्ख हैं।

मां मैडम सच कहती है ,सभी जातियां हिंदू मुस्लिम सिक्ख चाहे कोई भी हो मगर खून तो सभी में एक जैसा है ।हमें किसी को भी दलित नहीं समझना है ।आज मुझे सोनू पर बेहद प्यार आ रहा है मैंने उस पर पेंसिल चोरी का इल्जाम लगाकर उसे चोर साबित कर दिया। आज मैं समझ गया हूं कि यह सारी बातें मैडम ठीक ही कहती हैं ।हमें इन्हें अपने जीवन में अमल करना है ।आप भी और पापा भी इन सभी बातों का ख्याल रखेंगे। हमें अपने संस्कारों को नहीं भूलना है।

चीनू बोला मां मैंने चोरी की है यह बात आज मेरी समझ में आ गई है ।मैं मैडम से कैसे कहूं कि चोरी मैंने की है। चीनू की मम्मी बोली तू चिंता ना कर तेरी मैडम को मैं  समझा दूंगी दूसरे दिन श्वेता चीनू की मैडम को स्कूल में मिलने गई और मैडम को सारी बातें साफ साफ बताईं ।

मैडम हर्षा यह जानकर हैरान रह गई थी। चीनु सचमुच अपनी गलती मान चुका है ।चीनू की मम्मी ने कहा कि मेरे बेटे को अलग ले जाकर पूछना ताकि  उसे बुरा ना लगे। मैडम हर्षा समझ गई थी चलो मेरी बात का इस बच्चे पर असर तो हुआ उसने अपनी गलती तो स्वीकार कर ली  इतना ही बहुत है ।मैडम ने चीनू को अपने पास बुलाया और बोली बेटा आज मैं तुम्हें इनाम देना चाहती हूं ।सभी बच्चे चीनू की तरफ देख रहे थे चीनु को जैसे ही ईनाम दिया गया वह जोर जोर से रो पड़ा बोला। मैडम आज मैं सब आप सब से कुछ नहीं छुपाऊंगा मैंने हीं सोनू के बैग से पेंसिल काट कर डाली  ताकि सोनू पर ही चोरी का इल्जाम लग जाए।  मैडम मैं गलत था वह मेरा सचमुच में  मेरा बहुत ही पक्का दोस्त है ।मैंने अपना दोष उसके सिर मढ़ दिया था और आप से झूठ बोला मैडम ने कहा मैंने इसलिए ऐसा कहा था कि पेंसिल उस बच्चे की बड़ी हो जाएगी जो चोरी करेगा क्योंकि सभी बच्चों के पास एक जैसी पहले थी। जो बच्चा पेंसिल काटेगा वह असली चोर होगा ।बेटा आज तुमने दिल से अपनी गलती स्वीकारी है ।गलती स्वीकार कर लेना ही अपने आप में एक बहुत बड़ा ईनाम है।

चीनू अब बिल्कुल शान्त था।उस के मन से बोझ हट गया था।चीनू के मम्मी पापा ने कसम खाई  कि हम भी अनजाने में अपने बच्चों के साथ कहीं ना कहीं झूठ बोल ही जाते हैं। हम कभी भी झूठ नहीं बोलेंगे और चाहे कोई इंसान दलित जाति का हो हम सब एक साथ बैठकर खाना खाएंगे  ।इन सब बात हम इसे अपने जीवन में अमल करना है।

मां और पापा  आपभी इन सभी बातों का ख्याल रखें

चीनू की मम्मी ने प्रकाश अंकल और आंटी को  अपने घर खाने पर बुलाया  सभी ने एक साथ बैठकर खाना खाया सभी के मन से मैल साफ हो चुका था । हमें अपने संस्कारों को नहीं भूलना है ।चीनु बोला मां, मैंने चोरी की है यह बात आज मेरी समझ में आ गई है ।मैं मैडम से कैसे कहूं कि चोरी मेने की है।

चीनू की मम्मी बोली तू चिंता न कर तेरी मैडम को मैं समझा दूंगी दूसरे दिन श्वेता चीनू की मैडम को स्कूल में मिलने गई और मैडम को सारी बातें साफ-साफ कह। दी। मैडम जी मैडम हर्षा यह जानकर हैरान हो गई कि चीनू  सचमुच अपनी गलती मान चुका है। चीनू की मम्मी ने कहा कि मेरे बेटे को अलग ले जाकर पूछना ताकि उसे बुरा ना लगे मैडम हर्षा समझ गई थी चलो मेरी बात का इस बच्चे पर असर तो हुआ उसने अपनी गलती को स्वीकार कर ली है इतना ही बहुत है मैडम ने चिनू को अपने पास बुलाया और बोली बेटा आज मैं तुम्हें इनाम देना चाहती हूं सभी बच्चे चीनू की तरफ देख रहे थे चीनू को जैसे ही ईनाम दिया गया वह जोर जोर से रो पड़ा मैडम आज मैं आप सब से कुछ नहीं छुपाऊंगा

मैंने ही सोनू के बैग में पेंसिल काट कर डाली थी ताकि सोनू को ही चोर ठहराया जाए।  मैडम मैं गलत था सोनू मेरा सचमुच में बहुत ही पक्का दोस्त है ।फमैंने अपना दोष उसके  सिर मढ़ दिया और आप से झूठ बोला मैडम ने कहा मैंने इसलिए ऐसा कहा था कि पेंसिल उस बच्चे की बड़ी हो जाएगी जो चोरी करेगा क्योंकि सभी बच्चों के पास एक जैसी पैंसिलें थी जो बच्चा काट देगा वह असली चोर होगा। बेटा आज तुमने दिल से अपनी गलती स्वीकारी है गलती स्वीकार कर लेना ही अपने आप में एक बहुत बड़ा ईनाम है। चीनू अब बिल्कुल शांत था उसके मन से बोझ हट गया था चीनू के मम्मी पापा ने कसम खाई कि हम अब हम  अनजाने में बच्चों के साथ कहीं ना कहीं झूठ बोल ही जाते हैं। हम कभी भी झूठ नहीं बोलेंगे और चाहे हम पर कितनी भी मुश्किलें आ जाएं।हमे उन का मुकाबला डट कर करना होगा।

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