हर रोज की तरह पायल स्कूल जाने के लिए तैयार हो रही थी ।पायल की मम्मी ने कहा बेटा नाश्ता तो कर ले ।परंतु पायल ने मम्मी की बात अनसुनी कर दी और कहा मुझ नाश्ता नहीं करना है। पायल बहुत ही जिद्दी लड़की थी ।उसकी इस जिद के कारण मम्मी- पापा हमेशा उस से दुःखी रहतेथे । वह उसे समझाने का यत्न करते परंतु वह अपने मम्मी पापा का कहना नहीं मानती थी वह अपनें मन में यह सोचा करते थे कि हमारी परवरिश मैं ना जाने क्या कमी रह गई कि वह लड़की हमें इतना तंग करती है। इस बात को किसी से कह भी नहीं पाते थे ।वह अंदर ही अंदर खून के घूंट पीकर रह जाते थे गर्मियों के अवकाश के पश्चात बरसात की छुट्टियां होने वाली थी इसलिए उन्होंने सोचा कि कुछ दिन उसे गांव में उसकी दादी के पास भेज दिया जाए जिससे शायद वह सुधर जाए। पायल भी खुश हो रही थी कि इन छुट्टियों में वह अपनी दादी के पास गांव जाएगी। खुशी के मारे उसके पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। मम्मी-पापा उसे खुश देखकर प्रसन्न थे। उसने अपनी मम्मी से कहा कि मम्मी जी मैं इन छुट्टियों मे अपनी दादी के पास गांव जाना चाहती हूं। उसकी मम्मी ने कहा इसके लिए पहले तुम्हें अपना सारा होमवर्क पूरा करना होगा होमवर्क का नाम सुनते ही उसने अपना बस्ता पटका और वहां से खेलने चली गई। छुट्टियों में वह अपनी दादी के पास पहुंच गई।
वह छुट्टियों में अपनी दादी अम्मा के पास गांव पहुंच गईं। दादी ने उसे गले से लगाया और पायल को कहा तुम तो बहुत ही अच्छी लड़की हो। आज मैं तुम्हें गांव के खेतों में ले चलती हूं वह अपनी दादी के पास खेतो में तुम तुरंत चली गई। वहां खेतो में तरह तरह की सब्जियां गेहूं की और मक्की की फसलें लहलहा रही थी। , अमरूद पपीता अमरुद के पेड़ और चारों तरफ देख और चारों ओर हरियाली ही हरियाली थी।
गांव में कच्ची कच्ची सड़कें थी। चारों तरफ लोगों ने एक खलिहान में गोबर के उपले बना कर सुखाने के लिए चारों तरफ रखे हुए थे। सफेद रंगो की लकड़ी जिस को सेलेक्ट भी कहते हैं वह जानें के लिए रखी थी। जिस को जलाने से आग जल जाती है
पायल की दादी नें उसे बताया।
उसकी दादी ने बताया कि उन्हें सुखा कर जलाने के काम में लाया जाता है।
यह उपले गाय के गोबर से बनते हैं। उन्हें थे कर गोला सा बना कर सुखाया जाता है। इन को जलाने से मक्खियां मच्छर भाग जाते हैं। गोबर को रसोई की लिपाई पुताई के लिए भी काम में लाया जाता है।
एक और हैंड पंप लगा था। दादी ने उसे बताया उसमें से पानी को निकालने के लिए हाथों से जोर लगाया जाता है। यह पानी जमीन के अन्दर से निकाला जाता है। यह साफ पानी होगा। वहां बेर के पेड़ देख कर उसके मुंह में पानी आ गया। उसकी दादी ने उसे खूब सारे बेर तोड़कर खिलाएं। चारों तरफ खुला खुला वातावरण देखकर पायल चारों तरफ दौड़ने लगी। उसकी दादी ने एक बिल्ली पाल रखी थी। बिल्ली को गोद में लेकर वह प्यार करने लगी। वहां पर इतनी मस्त हो गई कि उसे सुध-बुध ही नहीं रही कि उसकी दादी उससे थोड़ा आगे निकल गई और वह अपनी सहेलियों के साथ बातें करने में व्यस्त हो गई। जब उसने इधर उधर देखा और सामने अपनी दादी को वहां पर नहीं देखा और अपने आप को अकेला पाया तो वह जोर जोर से रोने लगी।
उसी समय गांव की एक छोटी सी लड़की उसके पास आई और बोली अरे तुम रो क्यों रही हो? पायल नें कहा मुझे पता नहीं है कि मेरा घर कहां है? मेरी दादी अभी यहीं पर थी परंतु अब ना जाने वह कहां चली गई? लड़की ने उसे मुस्कुराते हुए कहा की कोई बात नहीं हम दोनों तुम्हारी दादी को ढूंढते हैं। बातों ही बातों में वह उस लड़की से इतनी घुल मिल गई कि उसे पता ही नहीं चला कि अंधेरा होने वाला था।
खेत में उस लड़की ने अपनी मम्मी को कहा कि यहां पर छोटी सी लड़की अपनी दादी को ढूंढ रही है। उस लड़की की मां ने कहा कि क्या यह वही लडकी है जो कल शहर से आई है? उस लड़की की दादी मेरे साथ है। पायल की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। वह दौड़ते दौड़ते अपनी दादी के पास आई और दादी के गले में बाहें डाल कर बोली दादी दादी तुम मुझे वहां क्यों छोड़ आई थी उसकी दादी ने कहा बेटा गांव में कोई भी व्यक्ति घूम नहीं होता है अगर हो भी जाए तो गांव वालों से उसके घर छोड़ देते हैं अब तो शालू उसकी दोस्त बन गई थी उसके साथ खेल खेल में वह पढ़ाई भी करने लगी थी वह दादी का कहना कभी नहीं डालती थी दादी ने उसे गांव में दिखाया की गन्ने से गुड़ किस प्रकार बनाया जाता है उसने गांव में गन्ने का रस भी पिया उसकी नई दोस्त के आ जाने से उसके व्यवहार में परिवर्तन आ गया था। वह खेलने के बाद होमवर्क भी करती उसकी छुट्टियां समाप्त होने वाली थी अपनी सहेली से विदा होते हुए उसकी आंखों से झरझर खुशी के आंसू बहने लगे क्योंकि वह अपनी इतनी प्यारी सखी को छोड़कर वापस जाना नहीं चाहती थी। शहर में तो उसके साथ खेलने वाला कोई भी साथ नहीं था। उसकी मम्मी उसे कंही भी खेलने नहीं भेजती थी। घर में अकेले चुपचाप बैठी रहती थी उसने शालू से वादा किया कि सर्दियों की छुट्टियों में वह जरुर अपने गांव वापस आएगी और हम मिलजुल कर खूब मौज मस्ती कियाकरेंगे। उसके स्कूल भी खुलने वाले थे। वह अपने शहर वापिस पहुंच चुकी थी।
उसके मम्मी पापा उस में आए हुए बदलाव को देखकर प्रसन्न हो गए थे। उन्होंने एक ऐसी जगह घर ले लिया जहां बच्चों के लिए रौनक हो। नए घर में आने से वहां पर पायल के बहुत सारे दोस्त बन गए थे। पायल की मम्मी भी समझ चुकी थी कि बच्चों के लिए खेलना भी जरुरी होता है, जैसे समय पर भोजन लेना जरुरी है वैसे ही उसी तरह बच्चे का खेलना भी जरूरी होता है। बच्चों की भावनाओ को एक बच्चे से ज्यादा कौन जान सकता है? बच्चे को खेलने के साथ उसकी मनों भावनाओं का ख्याल रखना भी जरूरी होता है। बच्चे अपनी हमउम्र दोस्त को पाकर फूला नहीं समाते। हम अगर अपने बच्चों की मनों भावनाओं को नहीं समझेंगे तो बच्चों के कोमल मन को ठेस लग सकती है। बच्चों की मनोवृत्ति को समझकर ही सभी बच्चों में सुधार आ सकता है।
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