जंगल के सारे जानवरों ने मिलकर सभा बुलाई उन्होंने मिलकर मशवरा लिया कि हम सब जानवर मिलकर एक टूर्नामेंट का आयोजन करेंगे। टूर्नामेंट में जो भी जीतेगा उसको हम ₹5000 देंगे। सब के सब जानवरों के नामों की लिस्ट इतवार से बहुत पहले पहुंच जानी चाहिए। शेर को राजा बनाया गया। शेरनी को रानी। भालू को मंत्री। चीते को उपमंत्री। हाथी को मुख्यमंत्री। और हाथी को एक और कर्तव्य पूरा करने के लिए कहा गया।
तुम्हें बाहर से आने वाले जानवरों को लाना होगा। इस काम के लिए तुम अपने दोस्तों घोड़े और ऊंट की मदद भी ले सकते हो। इतवार का दिन आ चुका था। पांडाल सजाया हुआ था। शेर अपनें सिहासन पर बैठा हुआ था। पास में शेरनी भी बैठी हुई थी। भालू मंत्री आने जाने वालों पर नजर रखे जा रहा था ताकि बाहर से कोई शत्रु आकर हमला कर दे तो उस से बचाव किया जा सके। चीते को भी काम सौंप दिया गया था। हाथी सभी जानवरों को ला रहा था। उसके साथ घोड़ा और ऊंट भी उसकी मदद कर रहे थे।
टूर्नामेंट में दौड़ का आयोजन किया गया था जो कोई भी 400 मीटर की दौड़ में जीतेगा वह आज का विजेता घोषित किया जाएगा। सभी दूर-दूर से इस दौड़ में भाग लेने के लिए जानवर आए हुए थे। खरगोश हिरण लोमड़ी कछुआ। सभी जानवरों में कछुआ और खरगोश भी चले आ रहे थे। उन दोनों को साथ आते देख कर सारे के सारे जानवर हंसने लगे। यह देखो दोनों की दोस्ती। एक तेज भागने वाला और एक सुस्त प्राणी कछुआ। इन दोनों को हम साथ-साथ देखते हैं। हरदम दोनों जहां जाते हैं साथ जाते हैं। भालू बोला तुम दोनों दौड़ में अपना नाम क्यों नहीं लिखवा देते।? तुम दोनों में कौन जीतेगा? तेजु खरगोश बोला क्यों नहीं?। मैं तो बहुत तेज दौड़ता हूं। बेचारा मेरा दोस्त बांकू कछुआ यह तो मेरा मुकाबला नहीं कर पाएगा। इतना सुस्त चलने वाला मैं तो अगर दिन भर सोता भी रहूं फिर भी मैं अपने दोस्त बांकू कछुए से बाजी मार ही जाऊंगा। कछुए को तो मेरे सामने इस प्रतियोगिता में नाम नहीं लिखना चाहिए था। तेजू खरगोश कछुए के पास आकर बोला अभी भी समय है अपना नाम इस टूर्नामेंट से कटवा दो तुम्हें सारे जानवरों के सामने शर्मिंदा होना पड़ेगा। बांकू कछुआ बोला भाई मेरे कोई बात नहीं हार जीत तो दोस्ती में लगी ही रहती है। कभी कोई जीतता है कभी कोई हारता है। हो सकता है मैं ही तुमसे जीत जाऊं। टूर्नामेंट शुरू होने में अभी समय था हाल खचाखच भरा था। सभी जानवर अकड़ कर बैठे हुए टूर्नामेंट शुरू होने का इंतजार कर रहे थे। आज तो कुछ अनोखा होने वाला है। एक तरफ तेजू कछुआ और दूसरी तरफ बांकू खरगोश। दोनों बैठ गए वे दोनों आपस में मित्र थे। उन दोनों में हमेशा खरगोश ही जीतता था। दौड़ने के लिए नाम पुकारे गए। सब के सब जानवर अपना नाम लिखवाने के लिए चले गए। दौड़ने से पहले बांकू ने तेजू से हाथ मिलाया। सीटी जैसे ही बजी सबके साथ जानवर भागे। भागते-भागते वेे भी बहुत दूर आ गए। बांकू कछुआ आहिस्ता आहिस्ता चल रहा था। रास्ते में तेजू ने सोचा थोड़ी देर विश्राम ले लिया जाए। वह सुस्ताने लगा। इतने में बांकू कछुआ भी वहां पहुंच चुका था। बांकू को देखकर तेजू जग गया उसने अपने दोस्त को कहा भाई बांकू तुम आहिस्ता-आहिस्ता आओ। तुम मेरा मुकाबला नहीं कर सकते हो। अभी आधा ही रास्ता तय किया गया है। बांकू बोला तेजू भाई तेजू भाई यह तेज धार वाला नुकीला हथियार है। इसमें रस्सी बंधी हुई है। शायद यह हमारे काम आ जाए। तेजू बोला मुझे तो दौड़ की पड़ी है। तुम ही ले लो। बांकू बोला भाई मेरे मैं इसको कैसे लूं। अपने आप चलूं या इसे उठाऊं। तुम्हारी मर्जी उसने वह नुकीला तेज धार वाला रस्सी वाला नुकीला चाकू वंही रख दिया। तेजू जल्दी से भाग गया। भागते-भागते वह बहुत ही दूर आ गया। वह अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचने ही वाला था उसको एक तेज झटका लगा। उसका पैर फिसल गया और वह गहरी खाई में लटक गया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा बचाओ बचाओ बचाओ।
सारे के सारे जानवर उसको बचाने के बजाए अपने स्थान पर पहुंचने का प्रयास कर रहे थे। उन जानवरों में से किसी ने भी उसे नहीं बताया तभी उसे सामने से आता बांकू दिखाई दिया बांकू दौड़ लगा ही रहा था तभी तेजु चिल्लाया मेरे दोस्त मुझे बचाओ। बांकू ने उसे देखा और उसकी तरफ आकर बोला भाई मेरे तुम कहां फंस गए।? बांकू रुक गया। उसको खींचता तो वह भी खाई में गिर पड़ता। बहुत ही मोटी टहनी थी। बांकू ने कहा यार मेरे मैंने तुम्हें कहा था ना कि इस नुकीले धार वाले चाकू को ले चलो परंतु तुमने मेरी बात नहीं मानी। मैंने तुम्हें कहा था कि शायद यह हमारे काम आ जाए। उसकी सहायता से मैं तुम्हें ऊपर खैंच सकता था। अगर हम उस नुकीले चाकू को ले आते तो रस्सी को बांधकर तुम्हें ऊपर खैंच सकते थे। नुकीले चाकू से टहनी तो टूट ही जाती मैं उसे ऊपर खींच लेता। तुम्हारी टांग बुरी तरह उस में फंसी हुई है। उससे हम उस पेड़ की शाखा को तो काट ही सकते थे। तेजू भाई तुम तो दौड़ में भाग लेने वाले थे। तुम मुझे बचाने आ गए मगर वह तेज धार वाला नूकिला चाकू जिसमें रस्सी बंधी हुई थी। वह तो वहीं रह गया। बांकू बोला तो क्या हुआ? अपने दोस्त को बचाने के लिए मुझे फिर वापस भी जाना पड़े तो मैं उस वस्तु को लेने अवश्य जाऊंगा और किसी ना किसी तरह उस पेड़ की टहनियों को काटकर तुम्हें बचा लूंगा। बांकू वापिस जाकर तेज धार वाला चाकू ले आया था। उसने पेड़ की टहनियों में फंसे तेजी को बाहर निकाला और उसे सही सलामत बचा कर ले आया। तेजू पछता रहा था इसने आज फिर अपनी दोस्ती निभा दी। मैंने तो दो बार उसे धोखा दिया। एक बार तो मैं उसे बीच रास्ते में छोड़कर भाग गया था। फिर भी बांकू कछुए ने मेरा साथ नहीं छोड़ा अपनी दोस्ती निभाई और मैंने सब सभा जनों के सामने इसका अपमान किया फिर भी उसने हंस कर टाल दिया मेरा दोस्त कितना महान है
आज तो मुझे इसे दौड़ में जीताना ही होगा। सारे के सारे जानवर मुझे बीच रास्ते में छोड़ कर आगे बढ़ गए। बांकू ने रस्सी फेंक कर मुझे ऊपर खींच लिया। तेजू की टांग से खून बह रहा था। उसने अपने खून की परवाह नहीं की बांकू ने अपने दोस्त को कहा यार तुमने आज तक मेरी सहायता की आज मुझे अपना फर्ज निभाने दो। जैसा मैं कहूं तुम वैसा ही करो। अभी गंतव्य स्थान में पहुंचने में सिर्फ एक घंटा है। मैं तुम्हें अवश्य ही जीताऊंगा।
मेरे दोस्त तुम मेरी पीठ पर बैठ जाओ। उसने बांकू कछुए को अपनी पीठ पर बिठा लिया और बहुत तेज दौड़ लगाई। सब के सब जानवरों को पीछे छोड़ दिया। जब उस स्थान पर पहुंचने ही वाले थे तो तेजू नें उसे नीचे उतारा और कहा जाओ भाई मेरे और दौड़ कर अपना इनाम ले लो। मैं पीछे-पीछे आता हूं। बांकू बोला नहीं भाई मेरे।
तेजू बोला इससे पहले कि और जानवर बाजी मार जाए तुम जल्दी जा कर इनाम ले लो। तुम इनाम के असली हकदार हो। तुमने आज मेरी जान बचाकर हमारी दोस्ती को और भी गहरा कर दिया है। हमारी दोस्ती को किसी की नजर ना लगे। बांकू कछुए को विजेता घोषित किया गया। उसे ₹5000 दिए गए। सारे के सारे जानवर हैरान होकर कछुए को देख रहे थे। तभी तेजू आकर बोला मेरे दोस्त आओ दोस्त मेरे गले लग जाओ। आज मेरा दोस्त मुझे नहीं बचाता तो मैं मर ही गया होता। उसने अपनी सारी कहानी राजा को सुना दी। राजा ने कहा हमें इन दोस्तों की दोस्ती पर नाज है।