टुन्नू के माता-पिता ने अपना तबादला शहर के दूसरे स्थान पर करवा दिया था ताकि उनका बच्चा अपनी पढ़ाई अच्छे ढंग से कर पाए। वह अपने बेटे को एक अच्छा अफसर बनते हुए देखना चाहते थे। इसके लिए वह भरपूर कोशिश कर रहे थे। कहीं ना कहीं वह भूल गए थे कि जिस प्यार को वह अपने बेटे को देना चाहते थे वह प्यार उन्होंने कभी भी अपने बेटे को किया ही नहीं। टून्नू एक अंग्रेजी स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहा था। उसकी बहन पल्लवी वह तो छोटी उम्र में ही होस्टल चली ग्ई थी।
उसका एक दोस्त था चुन्नू वह एक मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का था। वह भी अपने माता-पिता के साथ पास में ही रहता था। उस अजनबी शहर में टून्नू का अपने दोस्त चुन्नू के इलावा कोई दोस्त ना था। वह ज्यादा से ज्यादा वक्त अपने दोस्त चून्नू के साथ बिताता था। टून्नू के माता-पिता दोनों नौकरी करते थे। मम्मी भी एक ऑफिस में काम करती थी। शाम को अपने दोस्तों के साथ वंहा उनसे मिलने चली जाती थी। पापा तो सुबह जाते इसके बाद वह रात के 10:00 बजे घर आते छुट्टी वाले दिन माता पिता दोनों अपने दोस्तों के यहां से मिलने चले जाते।
टून्नू को कभी भी साथ नहीं ले जाते। उसे आया के भरोसे छोड़ जाते। उसे अकेला कमरे में रख जाते। उसके साथ खेलने के लिए ढेरों खिलौने छोड़ जाते। खिलौनों से कब तक खेले। खेलने के लिए कोई ना कोई साथी तो चाहिए था। परंतु क्या करें।? अपने मम्मी पापा के सामने कुछ नहीं कहता था। अपने दोस्त को देखता। उसके मम्मी पापा उस से कितना प्यार करती थे। उसकी मम्मी उसे होमवर्क करवाती। उसे कहती बेटा आज इकट्ठे फिल्म देखते हैं। उसकी मम्मी उसके साथ खुलकर बातें करती थी। एक दोस्त की तरह अपनी मम्मी से कुछ भी बात नहीं छुपाता था। वह हर एक बात अपनी मम्मी से कहता था। मम्मी आज मैंने यह खाया। सारी बातें कहता था। वह भी चाहता था कि उसकी मम्मी उसके साथ उसी तरह प्यार करें। एक दिन उसने अपनी मम्मी को कहा मम्मी बहुत ही अच्छी फिल्म लगी है। देखने चलेंगे। उसकी मम्मी बोली बेटा मेरे पास समय ही नहीं है। एक दिन तो वह अपनी मां से गुस्सा ही हो गया वह बोला मम्मी मेरी आज तबियत ठीक नहीं है मैं आज स्कूल नहीं जाऊंगा। उसकी मम्मी ने आया को फोन करके कहा आज तुम सारे दिन मेरे बेटे के पास बैठना। उसे अकेला मत छोड़ना।
टून्नू तो अपनी मम्मी के पास रहना चाहता था। परंतु उसकी मम्मी उसे छोड़कर ऑफिस चली गई। पापा के पास तो बातें करने के लिए भी वक़्त नहीं होता था। नन्हा सा टून्नूअपने दोस्त के घर प्यार की तलाश करता रहा। उसके दोस्त की मम्मी उस से बहुत प्यार करती थी। उसके एक बेटा और एक बेटी नताशा थी। वह दोनों ही बच्चे थे। वह दोनों बच्चे उसकी जान थे। जब भी बीमार पड़ते उनके मम्मी पापा रात रात को जाग जाग कर उसकी देखभाल करते थे। यह सब वह देखा करता। इस नन्हे से मासूम चून्नू के दिल में यह बात घर कर गई कि मेरे मम्मी पापा के पास मेरे लिए कोई वक्त नहीं है। उन्हें तो बस रुपया कमाना है। इस तरह से समय का पता ही नही चला कब पंख लगा कर उड़ गया।
वह एक औफिसर बन चुका था। उसका दोस्त भी एक बडा़ ओफिसर बन गया था नताशा स्कूल में लेक्चरर बन चुकी थी।
कुछ दिनों से टून्नू की मां बीमार रहने लगी थी मम्मी को घर में कोई पानी पिलाने वाला भी नहीं था। टून्नू तो अपने दोस्त चुन्नू के घर पर था। वही सारा दिन उसके साथ रहता था।बचपन के प्यार को कैसे भूल सकता था। वह कैसे उन को भूलसकता था जिन्होंने उसे भरपूर प्यार दिया था। ऑफिस से भी सीधा उन्हीं के घर पर आ जाता था। आंटी को कहता आंटी आज मैं आप सब को डिनर पर ले चलता हूं।
आंटी ने कहा बेटा तुम्हारे घर से अभी फोन आया था। तुम्हारी मां बीमार है। उनकी तबीयत ठीक नहीं। वह बोला आंटी मां की तबीयत को कुछ नहीं हुआ। छोटी मोटी बीमारी तो सबको लगी ही रहती है। शाम को जब देर से घर पहुंचा तो उसकी मम्मी बोली बेटा आजकल तुम बहुत ही ज्यादा देर तक चुन्नू के घर रहने लगे हो। मैंने फोन भी किया था कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है तब भी तुम नहीं आए तो बोला मम्मी आपको कुछ नहीं हुआ है। छोटी मोटी बीमारी की परवाह नहीं करनी चाहिए।
उसकी मम्मी को गुस्सा आ गया। क्या यही मेरा बेटा है? उसने कुछ नहीं कहा। शाम को जब टून्नू के पापा आए तो सोनाली नें सौरभ को कहा आजकल तुम्हारा बेटा घर पर बहुत ही कम रहता है। अपने दोस्तों के साथ सारा दिन समय गुजारा करता है। सौरभ बोला बेटा तुम्हारी मां क्या कर रही है? वह बोला पापा क्या आपने आज तक मुझे पूछा कि तुम कहां रहते हो? आज अचानक आप कैसे पूछ बैठे? सौरभ के पास अपने बेटे को बताने के लिए उनके पास कोई जवाब नहीं था।
एक दिन सोनाली ने अपने बेटे की अलमारी से नताशा की फोटो देख ली। उसे बड़ा ही गुस्सा आया। वह तो अपने बेटे की शादी एक उच्च घराने में अपनी सहेली की बेटी से कराना चाहती थी। टून्नू के मम्मी पापा ने दोनों को अपने पास बुलाया बेटा हमने तुम्हारे लिए एक लड़की पसंद की है। वह आज शाम तुम्हें देखने आ रहे हैं। वह बोला नहीं पापा मैं उस लड़की से शादी नहीं करूंगा। मैंनें तो अपने लिए एक लड़की देख रखी है। मैं तो उसी से ही अपनी शादी करूंगा। उसके पापा बोले क्या हमने यही दिन देखने के लिए तुम्हें पढ़ाया लिखाया था। हम चाहते थे कि तुम पढ़ लिखकर हमारे पसंद की लड़की से शादी करो। उसके मम्मी पापा बोले आज शाम को वह तुम्हें देखने हमारे घर पर आ रहे हैं। वह बोला मैंने तुम दोनों को अपनी पसंद बता दी।
शाम के वक्त उन्होंने देखा उसके घर के बाहर एक बहुत ही चमचमाती गाड़ी में एक अंकल आंटी को देखा। उनके साथ एक लड़की भी थी उसे समझते देर नहीं लगी शायद यह वही लड़की है जिसके साथ मेरे माता पिता मेरी शादी करना चाहते हैं। वे अंदर आ चुके थे। सब ने एक दूसरे का परिचय किया। सब के सब हाल में बैठ गए। अचानक टून्नू के पापा बोले देखो तुम इस लड़की को देख लो। यह है मेरे दोस्त की बेटी टीना। यह भी एक डॉक्टर है टून्नू ने कुछ नहीं कहा। बातों ही बातों में उन दोनों परिवारों ने कहा कि लड़का लड़की अकेले में एक दूसरे से बात कर सकते हैं। ं
टीना अंदर वाले कमरे में चली गई। वहां पर टून्नू पहले से ही बैठा था। दोनों ने एक दूसरे को हेलो कहा। उसने टीना को कहा देखो आज जो मैं तुमसे कहने जा रहा हूं वह ध्यान से सुनो मैं तुमसे शादी करना नहीं चाहता। मैं तो किसी और लड़की से प्यार करता हूं। हमारे मां-बाप को कौन समझाए।? आजकल के जमाने में लड़का लड़की की अपनी पसन्द होती है। टीना भी चौक करबोली मेरी भी शादी के बारे में मुझसे कोई राय नहीं ली गई। हमारे मां बाप अभी भी पुरानी सोच के दायरे में बंधे हुए हैं। मुझे भी जोर जबरदस्ती से शादी के लिए मजबूर किया गया। कहा गया कि मेरे दोस्त का बेटा है। सोचने का भी वक्त नहीं दिया। वह बोला ठीक है। हम दोनों एक दूसरे के गहरे दोस्त बनकर रहेंगे मगर हम शादी अपने अपने मनपसंद के साथ के साथ ही करेंगे। टीना के मन से भी कड़वाहट हट गई थी। बातें करके जब दोनों वापिस आए तो दोनों हंस हंस कर बातें कर रहे थे। उनके माता पिता उन्हें देखकर बड़े खुश हुए कि दोनों शादी के लिए सहमत है। दोनों ने अपने माता पिता को कुछ नहीं बताया।
टून्नू की एक बहन थी पल्लवी। पल्लवी को उन्होंने हॉस्टल में पढ़ाया था। वह तो छोटी ही उम्र में ही हॉस्टल में चली गई थी। घर में शादी की तैयारियां चल रही थी। ं उनके माता-पिता ने उसकी शादी की तारीख भी पक्की कर दी थी। पल्वी भी घर पर आई थी। अपने भाई से बोली चुपके चुपके से शादी करने जा रहे हो। बोला मैं कहां शादी करने जा रहा हूं।? हमारे मां-बाप जबरदस्ती हमारी शादी करना चाहते हैं
भाई ने अपनी बहन पल्लवी से कहा मैं जिस लड़की से प्यार करता हूं उसका नाम नताशा है। पावली बोली तुम उसी से शादी करना जिससे तुम प्यार करते हो।
पल्लवी और उसके माता-पिता जब शगुन लेकर के टीना के घर गए तो पल्लवी ने बातों ही बातों में पूछ लिया तुम मेरे भाई को पसंद करती हो क्या? टीना बोली मैं तुम्हारे भाई को पसंद नहीं करती। उन्होंने मुझसे कहा है कि मैं तुम्हारी शादी उसी लड़के से करवा दूंगा जिससे तुम प्यार करती हो। मैं तुम्हारे भाई के दोस्त पुनित से शादी करना चाहती हूं। टून्नू नें अपने दोस्त पुनीत को भी बुलवा लिया था।
उन सब ने मिलकर एक ही मंडप में फेरे लिए पुनीत ने अपनी मनपसंद लड़की टीना से शादी कर ली थी। और टून्नू ने अपनें माता पिता के खिलाफ जा कर नताशा के साथ शादी कर ली थी। टून्नू ने अपने मम्मी पापा को कहा कि अपनी बहू को आशीर्वाद दे दो। उन्होंने जब घूंघट उठाया तो देखा कि वह तो वह लड़की थी जिसके साथ टून्नू शादी करना चाहता था। उनके माता-पिता यह देखकर हैरान रह गए पुनीत ने भी टीना को अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार कर लिया था। वह दोंनो भी एक दूसरे के साथ शादी के बंधन में बंध कर खुश थे। उन्होंने अपने मनपसंद जीवनसाथी के साथ शादी करके अपने माता-पिता को भी शादी के लिए मनवा लिया था। अपने बच्चों के प्यार के आगे उन सभी को झुकना पड़ा।
टून्नू के माता पिता शादी को लेकर खुश नहीं थे। वह तो टीना को ही अपनी बहू के रूप में देखना चाहते थे। उन दोनों के साथ उनकी बोलचाल भी बंद हो गई थी। वह उनसे अलग रहने लग गया था।
टून्नू के पिता एक बार बहुत बीमार पड़े। टून्नूं ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया। वह उन्हें देखने अस्पताल में भी नहीं गया। टून्नूू को नताशा ने कहा कि हमने अपने सास-ससुर को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। वह बोला मुझे भी पता है। लेकिन मैं अपने मम्मी पापा को यह एहसास दिलाना चाहता हूं कि आप लोगों ने भी मेरे साथ ऐसा ही किया था। जब मैं बीमार होता था मेरे मम्मी पापा के पास मुझे देखने का समय भी नहीं होता था। वह आया के भरोसे मुझे छोड़ कर चले जाते थे। कहीं ना कहीं उनकी परवरिश में कमी थी।
नताशा अपने सास-ससुर को देखने अकेले अस्पताल चली गई। उसने अपनी सास के पैर छुए। बोली आपका बेटा आपको बहुत प्यार करता है। लेकिन आप दोनों को एहसास दिलाना चाहता था कि जब वह छोटा था तो आप दोनों ने उसे आया के भरोसे छोड़ दिया था। पापा को तो उन्हें देखने के लिए भी समय नहीं था। सौरभ और सविता को अपनी भूल का पछतावा हुआ। उन्हें याद आ गया जब उसके पापा अस्पताल से छुट्टी कर के आए तो वे दोनों के गले लग कर बोले। बेटा हम बहुत ही गलत थे। हमने भी तुम्हें कभी प्यार नहीं किया। धन कमाने के चक्कर में इतने मशरूफ हो गए कि बेटे के प्यार को भी अनदेखा कर दिया। जो प्यार तुम्हें बचपन में मिलना चाहिए था उससे तुम वंचित रह गए। अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है जो प्यार हम अपने बेटे को नहीं कर पाये अब हम तुम्हारी आने वाली संतान को इतना प्यार देंगे कि तुम अपने गिले-शिकवे भूलकर हमारी तरफ प्यार का हाथ बढ़ाओगे। बेटा यही हमारे प्यार की जीत होगी। यही हमारी वापसी होगी। टून्नू बेटा चलो बेटा दोनों आशीर्वाद लो। अपने घर चलो। तुम्हारे बूढ़े मां बाप तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं। हम तुम्हारा अपनी बहू ही नहीं अपनी बेटी के रूप में घर पर स्वागत करेंगे।