किसी नदी के किनारे एक मगरमच्छ अपनी पत्नी के साथ रहता था। मगरमच्छ अपनी पत्नी के साथ हंसी खुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहा था। नदी के किनारे सामने पेड़ पर एक बंदर रहता था। वह भी मगरमच्छ का दोस्त था। उसको मीठे मीठे फल खाने को दिया करता था। मीठे मीठे फलों को खा कर मगरमच्छ की पत्नी एक दिन अपने पति को बोली तुम्हारा दोस्त हर रोज इतने मीठे मीठे फल खाता है। उसका कलेजा भी मीठा होगा इसको अपना शिकार कैसे बनाया जाए? इसी धुन में वह हर वक्त रहती थी कि कब मौका मिले और बांकू बन्दर को अपना शिकार बना ले। एक दिन मगरमच्छ की पत्नी नें सोचा कि बंदर को अपने घर पर बुलाएगी। एक दिन वह अपने पति के साथ उस वृक्ष के पास जाकर बंदर से बोली बंदर भाई बंदर भाई आप कितने अच्छे हो?
आप मेरे पति को हर रोज मीठे मीठे बेर खाने को देते हो। कभी आप भी तो हमें अपनी आव- भक्त करने का मौका दो। वह बोला नहीं बहन मैं तो पेड़ पर ही ठीक हूं। वह बोली एक तो मुझे बहन मानते हो और मुझसे डरते हो। कही,मैं तुम्हें खा ही ना लूं। आपको भाई कहा है क्या कभी भाई को भी मैं खा सकती हूं? हरगिज़ नहीं। आप यदि सचमुच में ही मुझे अपनी बहन मानते हो तो इस बार मेरी सालगिरह पर आपको मेरे घर आना ही होगा। बंदर असमंजस में पड़ गया अगर यह सचमुच में ही मुझे खा गई तो। आसपास पेड़ पर रहने वाले सभी बंदर उसके दोस्त थे। उसने एक दिन अपनी समस्या आसपास रहने वाले दोस्तों को बताई। भाई मेरे मगरमच्छ की पत्नी मुझे हर रोज अपने घर बुलाती है। मैं डर के मारे वहां नहीं जाता। कहीं उसने मुझ पर प्रहार कर दिया मुझे मार दिया तब सारे के सारे जानवर बोले हम तेरे आसपास ही रहेंगे। तू चिल्ला कर हमें बुला लेना। वह तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। हम सब जानवर एक ही हैं। वह अकेली तुम्हारा कुछ नहीं कर पाएगी। वह बोला ठीक है तब तो उसके घर जाऊंगा।
वह मगरमच्छ के घर जाने के लिए तैयार हो गया। एक दिन वह मगरमच्छ के घर पर पहुंच गया मगरमच्छ की पत्नी ने उसकी खुब आवभक्त की और बहुत सारा खाने का सामान उसे घर के लिए दे दिया। इस तरह वह बांकू बंदर को अपने घर बुलाने लगी। वह बंदर भी इस बात से बेखबर की वह मगरमच्छ की पत्नी उसे नुकसान पहुंचाएगी उसके घर पर दिन प्रतिदिन जाने लगा।
मगरमच्छ की पत्नी ने तो एक योजना बनाई थी कि पहले इस बंदर का विश्वास जीत लो क्योंकि कहा गया है कि धीरे-धीरे ही योजना को अंजाम देना चाहिए। एक ना एक दिन तो यह बंदर भाई मेरे काबू में आ ही जाएगा। एक दिन जैसे ही बंदर वापस आ रहा था तो उसका दोस्त कालू भेड़िया उसके पास आकर बोला। भाई मेरे मैं तुम्हें एक सलाह देता हूं। ऐसे किसी भी जीव पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए। उस पर कड़ी नजर रखा कर देखना चाहिए कहीं वह तुम पर बैठे पीठ पीछे वार ना कर दे। शत्रु पीठ में छुरा घोंघा कर ही वार करते हैं। उसके घर पर जाते वक्त अपने आंख कान सब खुले रखने चाहिए। और ऐसे चलना चाहिए ताकि सुई की भी आवाज ना आए। बंदर सोचने लगा यह ठीक ही तो कह रहा है। कालू भेड़िया उसका सब से पक्का दोस्त था। जंगल में रहते रहते उनकी बहुत ही पक्की दोस्ती हो गई थी। वह भी कालू को अपनी सारी बातें खुल कर बता दिया करता था। कालू भेड़िया मेरा सचमुच ही पक्का दोस्त है। उसनें आज मुझे सोलह आने सच्ची बात बताई है। हो सकता है किसी दिन अगर मगरमच्छ की पत्नी ने मुझ पर आक्रमण कर दिया तो मैं क्या करूंगा? कालू भाई तुमने मुझे अच्छी सलाह दी है वह सब दोस्तों कुछ ना कुछ बांटा करता था। वह जो कुछ भी मगरमच्छ के घर से लाता था सभी जानवरों को बांट दिया करता था। सभी जंगल के जानवर उस सेे प्रेम करते थे।
एक दिन जब वह बंदर मगरमच्छ के घर गया तो चुपके से कान लगाकर मगरमच्छ की पत्नी की बातें सुनने लगा। मगरमच्छ की पत्नी मगरमच्छ से कह रही थी कि हमारी योजना अच्छी तरह से काम कर रही है। हमने उस बंदर का विश्वास जीत लिया है। हम अगर उसका अभी उसका काम तमाम कर देते तो वह ठीक नहीं था। किसी दिन चुपके से धोखे से उसे मारकर उसका कलेजा खा लेंगे। बंदर की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। वह डर के मारे थर थर कांपनें लगा। वह भाग कर वापस भी नहीं जा सकता था। जल्दी से अंदर आकर बोला बहन आज मुझे जल्दी काम है। मेरे सारे के सारे दोस्त आसपास हैं। वह मुझे बुलाने आए हैं। मगरमच्छ की पत्नी यह बात सुन कर उदास हो गई। आज भी उसकी योजना काम नहीं कर पाएगी क्योंकि वह अपने सारे दोस्तों को अपनी मदद के लिए बुलाएगा।
मगरमच्छ की पत्नी को डरते देखकर बंदर बोला सारे जंगल के दोस्त मेरे आस-पास ही रहते हैं क्योंकि क्या पता कोई जंगल का जानवर मुझ पर हमला कर दे तो मैंने पहले ही उन्हें सतर्क कर दिया है।। मगरमच्छ की पत्नी बोली भला तुम्हें कोई क्यों मारनें लगा। तुम तो बहुत ही प्यारे हो। अपनी प्रशंसा सुन कर खुशी से फूला नहीं समाया लेकिन अचानक वह बात बदल कर बोला मैं चलता हूं।
जल्दी से वहां से चलने लगा। मगरमच्छ की पत्नी ने कहा ठीक है अभी तुम जाओ, जैसे ही बंदर जानें लगा उसने मन में सोचा अब इसके घर नहीं आऊंगा। आज तो किसी ना किसी तरह जान बची। उसने कालू को सारा माजरा कह सुनाया। कालू बोला मैं मगरमच्छ की पत्नी पर नजर रखा करूंगा। उस दिन कालू मगरमच्छ की पत्नी पर नजर रखने लगा।
एक दिन मगरमच्छ की पत्नी अपने पति से बोली अगर हम सभी जंगल के सभी जानवरों को बंदर के खिलाफ कर दे तो वह अकेला रह जाएगा। उसकी मदद को कोई भी आगे नहीं आएगा। वह हमारे द्वारा मारा जाएगा मगरमच्छ खुश होकर बोला तुम तो बहुत ही शातिर हो। मगरमच्छ की पत्नी यह सारी बातें अपने पति मगरमच्छ को कह रही थी कि हम सभी जानवरो के पास जाकर कहेंगे कि बंदर तुम सब को मारना चाहता है। जानवर उस पर यकीन कर लेंगे। उसके हाथ से जरीले अमरुद कभी नहीं खाएंगे। मैं उन्हें कह दूंगी की मैंने बंदर को अमरुद में जहरीला पदार्थ मिलाते देखा है। वह मेरी बात पर यकीन कर लेंगे और उसके हाथ से कभी भी अमरुद नहीं खाएंगे। मगरमच्छ की पत्नी सभी जानवरों के पास आकर बोली बंदर तुम सब जानवरों को मारना चाहता है। तुम इस इस बंदर से नाता तोड़ लो। तुम यहाँ बात बंदर को मत बताना। सभी जानवर आग बबूला होकर बोले इतना घमन्डी और बातें बडी़ बडी़। हमारे सामने शेखी बघारता है। इतना घमंड बांकू बंदर को।
कालू भेडिये ने आकर सभी जानवरों को मगरमच्छ की पत्नी की बातें अपने सभी दोस्तों को बताई। वह झूठ बोल रही है वह तो केवल बंदर को खाना चाहती है। इसलिए वह तुम्हें बंदर के खिलाफ भड़का रही है ताकि तुम सब उस बंदर को अकेला छोड़ दो। वहअकेला हो जाएगा तो हम उसको मार कर खा जाएंगे। वह मीठे मीठे फल खाता है। उसका कलेजा भी इतना मीठा होगा। मैंने उन दोनों की बातें सुनी थी। सभी जानवर बंदर के पास जाकर बोले हमें पता चल गया है वह मगरमच्छ की पत्नी हमें तुम्हारे खिलाफ करके तुम्हें खाना चाहती है। तुम डरो मत। हम सब तुम्हारे साथ है।
बांकू बंदर बोला आप सभी को मेरा धन्यवाद। आप नें मुझ पर विश्वास किया मेरे लिए इतना ही बहुत है।
मेरी समझ में आज यह बात आई है। सारे के सारे जानवर बंदर को बोले। हमें उसे कुछ भी जाहिर नहीं होने देंगे। मगरमच्छ की पत्नी एक दिन सभी जानवरों के पास आकर बोली कि तुम सब जानवर बंदर को अपना हितैषी समझते हो। वह कल तुम्हें जहरीले फल खिलाने वाला है। सभी जानवर मगरमच्छ की पत्नी की बातों को सुनकर बोले ठीक है हम उसके दिए हुए फल नहीं खाएंगे। तुम कितनी अच्छी हो।
मगरमच्छ की पत्नी मन ही मन बहुत ही खुश हुई।। मैंने सारे के सारे जानवरों को बंदर के खिलाफ कर दिया है। उसकी मदद को अब कोई भी आगे नहीं आएगा।
एक दिन मगरमच्छ की पत्नी ने बंदर को अपने घर दावत पर बुलाया और कहा बंदर भाई मेरे घर पर दावत पर चलो। बाकू बंदर बोला। मेरी प्यारी बहन मैं तुम्हारी चिकनी चुपड़ी बातों में नहीं आने वाला। मैंने तुम्हारी सारी असलियत पता लगा ली है। तुम मुझे मार कर खाना चाहती थी। जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है वह एक दिन उसी गड्ढे में जा गिरता है। यह देखो मेरे दोस्तों ने तुम्हारे पति की क्या हालत बना दी है। आज से मैं इस वृक्ष को छोड़ कर सदा सदा के लिए जा रहा हूं। जंगल के सभी जानवरों ने भी उन दोनों से किनारा कर लिया। मगरमच्छ और उसकी पत्नी पछताने लगे। बंदर उस पेड़ को छोड़कर सदा सदा के लिए किसी दूसरे पेड़ पर रहने के लिए चला गया। खुशी खुशी दूसरी जगह सुखपूर्वक रहने लगा।