बिल्ली मौसी ,बिल्ली मौसी आई।
रीनु की रसोई में दबे पांव घुस आई।।
बौखला कर लगी ढूंढनें दूध मलाई।
कभी इधर, कभी उधर, चारों तरफ नजरें दौड़ाए।
कोई रसोई में आ कर न धमक जाए।
मुझे पर डंडा न बरसा जाए।।
फुदक फुदक कर सैल्फ पर चढ़ लगी चक्कर लगानें।
भूख के मारे निढाल बिल्ली लगी अपनी किस्मत आजमानें।।
अचानक रीनू पानी पीनें थी रसोई में आई।
रसोई कि कुंडी खोलनें पर चरा चराहट कि आवाज थी आई।।
बिल्ली चौकन्नी हो कर पर्दे के पीछे जा घुसी
डर के मारे कांपती हुई थी एक कोनें में थी जा छिपी।
एक मोटा चूहा भी था उधर उधर टहल रहा।
बिल्ली को देख सामने वह भी था कंपकंपा कर मूक बन दूबक रहा।।
एक कोनें में भिगी बिल्ली बन बैठा गया।
वह भी पर्दे के दूसरी ओर सट कर ठिठक गया।।
रीनू नें पानी पीनें के लिए गिलास के लिए हाथ बढ़ाया।
गिलास गिरा हाथ से चारों ओर पानी ही पानी था बिखराया।।
बिल्ली लगी सोचनें अब तो बच्चू मेरी खूब खबर ली जायेगी
यंहा से कैसै खिसका जाए,अब तो मुझे नानी याद आ जाएगी।।
बिल्ली यही सोच रही थी तभी उसकी नजरें चुहे पर थी जा टिकी।
अपनें सामने कांपते हुए चुहे को देख मुस्कुराई।
चुहे ने बिल्ली से दया कि गौहार लगाई।
बिल्ली नें चुहे से नजरें मिला उसे ढांढस दिलाई।।
बिल्ली बोली चुहे भाई चुहे भाई मुझे से अभी तुम मत घबराओ।
यहां से कैसे भागा जाए ,सोच विचार और सूझबूझ से कोई मार्ग सुझाओ।।
रीनू पंखा चला कर पानी को लगी सूखानें।
मधुर स्वर में कोई गीत लगी गुनगुनाने ।
एकाएक रीनू की मां नें उसे बाहर बुला कर समझाया।
सब्जी का थैला उसे थमा कर उस से पानी मंगवाया
वह किवाड़ बिना बन्द किए ही बाहर आई।।
मां कि तरफ देख धीरे से मुस्कुराई।।
चुहा बोला, बिल्ली मौसी बिल्ली मौसी ।
तुम तो हो मेरी मां जैसी हठीली।
सबसे सुन्दर ,आकर्षक और छबीली।।
बिल्ली बोली मस्का लगाना बन्द करो,
जल्दी से अपनी भाषण बाज़ी बन्द करो।।
चूहा बोला आज तुम मुझ से वैर न करना
शत्रुता छोड़ मित्रता का भाव अपनाना।।
बिल्ली बोली,चुहे भाई चुहे भाई,जल्दी आओ जल्दी आओ।
दूध मलाई खा कर अपनें पेट कि आग को बुझाओ।।
आओ चटकारे ले ले कर दूध मलाई खाएं।
मालिक के आनें से पहले यहां से रफूचक्कर हो जाएं।।