आपसी सूझ-बूझ

एक छोटा सा गांव था।गांव के लोग ईमानदार थे।उस गांव में रामानन्द नया नया आया था।उसकी बिजली विभाग में नई नई नौकरी लगी थी।उसने अपनी पत्नी और बेटे को भी गांव में बुला लिया था।उसका बेटा छटी कक्षा में शिक्षा ग्रहण कर रहा था।वह जब अपनें बेटे के साथ गांव पहुंचा टिंकू नें बहुत से लोंगों को खेतों में काम करते देखा।उन सब को काम करते देखा वह बड़ा खुश हुआ।उसने गांव पहली बार ही देखा था।शहरों में तो हर रोज गाड़ियों की आवाजाही से तंग आ गया था।गांव में पहुंच कर उसे वहां का वातावरण बहुत ही अच्छा लगा।उसकी मां तो घर पर ही रह कर सिलाई किया करती थी टिंकू को गांव का माहौल अच्छा लगनें लगा।
जहां पर उन्होंने किराए पर मकान भी ले लिया था ,,उनके घर से स्कूल का रास्ता तीन किलोमीटर था।वहां एक ही हाई स्कूल था जिसमें दसवीं तक के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते थे। स्कूल छोटा सा था। बच्चों कि संख्या भी कम थी। अध्यापक बहुत ही प्यार से बच्चों को पढ़ाया करते थे।पहले दिन जब वह स्कूल गया तो वह बहुत डरा डरा सहमा सा था।
कुछ दिनों के पश्चात ही वह गांव के बच्चों से हिलमिल गया।उसे स्कूल जाना अच्छा लगनें लगा।वह नटखट और बहुत ही शरारती था ।पढ़ाई करना उसे जरा भी नहीं सुहाता था। अध्यापिका जब कक्षा में कहती की किताब लाए हो तो वह चुपचाप कक्षा में अपने साथियों को देखने लगता वह अपनी किताब तो कभी स्कूल नहीं ले जाता था ।एक दिन अध्यापिका नें उसे खड़ा किया और कहा कि तुम्हारी किताब कहां है? उसके दोस्त ने चुपके से उसे किताब दे दी ।उस दिन तो वह बच गया लेकिन वह अपने स्कूल के बैग में अपनी किताबें ले जाना भूल जाता था वह खेल कर आता तो उसकी मां उस से कहती बेटा सारा दिन खेलते रहते हो ।पढ़ाई भी किया करो ।उसके पिता आते और उस से कहते कि कोई बात नहीं बच्चा ही है खेलेगा नहीं तो और क्या करेगा?मैं जब इसकी उम्र का था तो खेलकूद में सबसे आगे होता था। उसकी मां अपनें पति से बोली जब भी उसे पढ़ने को कहती हूं आप मेरी बात को काट देते हो? क्या मैं इसकी कुछ भी नहीं लगती? यह मेरा भी तो बेटा है। मैं इसका भला बुरा समझती हूं ,तभी तो यह बात कह रही हूं ।बेटा बोला मां, पापा ने कहा है कि जा खेल कर आओ। मैं चुपचाप खेलने भाग जाता हूं। इस बात को लेकर पति-पत्नी में हर रोज अनबन हो जाया करती थी ।जब किसी बात को लेकर उसकी मां अपने बेटे को डांटती तो पापा उसे मना लेते।

उसकी मां एक नेक महिला थी। वह हमेशा सबका ख्याल रखती थी मगर वह अपने बच्चे को लेकर हर दम परेशान रहती थी ।बहुत देर बाद जब टिंकू खेल कर लौटता तो वह गुस्से से कहती देखो आ गया तुम्हारा लाडला। टिंकू के पिता बात बात बात में उसे सुना देते कि हां लाडला तो है ,ज्यादा ही तुम्हें ऐसा लगता है कि वह सारा दिन मटरगस्ती करता रहता है तो अपने बेटे को क्यों खेलने जाने देती हो ?जिस काम के लिए उसके पिता मना करते ,उस बात के लिए मां कहती नहीं बेटा तू इस काम को अवश्य कर। दोनों की इस बात को ले कर कलह हो जाया करती थी। दोनों को कलह करता देख कर वह नन्हा-सा सहम जाता था।इस बात का असर यह हुआ कि बच्चा बिल्कुल ही गुमसुम सा रहने लगा और चुप चाप स्कूल से आनें के बाद दबे पांव घर आता और दोस्तों के साथ खेलने भाग जाता। वह किसी भी बात को कभी गंभीरता से नहीं लेता था। यह बात नहीं थी कि वह मंदबुद्धि बालक था। घर के मौहौल के कारण वह घर आने से कतरानें लगा था। पढ़ाई से तो वह कोसों दूर भागता था। दोस्तों के साथ लड़ाई झगड़ा करना उसका सबसे बड़ा मंत्र था । वह हर रोज पीटकर आता था उसके जख्म देखकर उसकी मां को बहुत ही गुस्सा आता था अपने पति को कहती कि आप अपने बच्चों को क्यों नहीं समझाते? उसके पति कहते कोई बात नहीं बच्चों को थोड़ा सा लड़ाई झगड़ा अवश्य करना चाहिए

एक दिन तो मां पिता में कलह इतनी बढ़ गई कि छोटा सा टिंकू घर से भागकर दोस्तों के संग खेलने भाग गया। घर से एक थैले में अपना खाना भी लेकर चला था। घर में खाना खाने का उसका मन नहीं था थोड़ी दूर ही चला था उसे एक आदमी सामने से आता दिखाई दिया। वह बहुत ही भुखा था।वह खाना मांग रहा था ।उसको देखकर टिंकू का दिल पिघल गया ।उसने अपना खाना उस आदमी को दे दिया । उस आदमी ने दो दिन से खाना नहीं खाया था ।खाना खा कर वह तृप्त हो गया। उस बच्चे को देखकर उसके दिमाग में अपनी पत्नी और बच्चे का चेहरा घूम गया। उस बच्चे से बोला धन्यवाद बेटा। भगवान! तुम्हारा भला करे। दो-चार दिन बाद जब वह खेल कर वापिस आ रहा था, एक कोनें में गुमसुम बैठ गया था।उसका घर जानें को दिल नहीं कर रहा था, तो उसे फिर वही आदमी दिखाई दिया जिस को उसनें खाना खिलाया था । उस आदमी ने उससे प्यार से पूछा कि क्या घर से लड़ झगड़ कर आए हो? वह बोला बाबा मेरे माता-पिता हरदम बात बात पर लड़ते रहते हैं ।घर जाने को मन ही नहीं करता ।उस आदमी को याद आया कि वह अपनी पत्नी के साथ ही इसी प्रकार लड़ाई करता था। उसकी पत्नी अपने बच्चे को लेकर सदा सदा के लिए उसे अकेला छोड़ कर चली गई थी। वह अजनबी बच्चे से बोला बेटा मुझे प्यास लगी है क्या तुम मुझे पानी पिला सकते ? बच्चा बोला वहां थोड़ी दूर पर ही है मेरा घर। टिंकू उसे अपनें घर पानी पिलाने के लिए दे आया। उस बच्चे के साथ साथ चलता हुआ उन के घर के पास आकर खड़ा हो गया। बाहर भी उसके माता-पिता की लड़ने कि जोर जोर से आवाजें आ रही थी ।

किसी औरत कि आवाज आ रही थी जो कह रही थी आपका लाडला अभी तक खेल कर नहीं लौटा है ?क्या तुम्हें अपने बच्चे की खबर है? क्या बजा है? उस आदमी को सारा माजरा समझ आ गया यह तो उस बच्चे के ही माता-पिता है, जो लड़ाई झगड़ा कर रहें हैं।अपनी मम्मी पापा कि आवाज सुन कर सहम कर बोला कि मम्मी पापा की तो हमेशा ही लड़ने की आदत है ।अपनें बेटे को जोर जोर से किसी से बात करता देख कर उसके पिता बाहर आ गए ।साथ में पीछे पीछे उसकी मां भी बाहर आ गई। आते ही अपने बेटे को बोली सारे कपड़े गंदे कर आ गया है ,जल्दी से हाथ पैर धो ले। वह बोला कि मैं इन अजनबी अंकल को पानी पिला दूं तब कपड़े बदल लूंगा ।मां बोली कि पहले हाथ धो फिर उसके बाद पानी पिलाना।उसके पिता आकर बोले बेटा कपड़े से हाथ पौंछ ले फिर उसको पानी पिला दे ।

अतिथि बोले कि आप दोनों को एक दूसरे के साथ लड़ता देखकर वह सहम गया है ।आप दोनों प्यार से इसके साथ पेश क्यों नहीं आते हो ?आप में से एक कह रहा है कि पहले हाथ धो ले। इस पर आप दोनों में से दूसरा कह रहा है कि नहीं तू ऐसे ही पानी दे। बेटा अजनबी को पानी देकर अंदर चला गया तो, अजनबी बोला कि आप दोनों की कलह काआपके बच्चे पर बहुत ही बुरा असर होता है जब आप दोनों का आपस में ही तालमेल नहीं है तो आप अपने बच्चे से क्या अपेक्षा रखते हो ? क्या वह आपकी बात गौर से सुनेगा।वह कभी नहीं सुनेगा।

अजनबी बोला बहन हूं तो मैं छोटा सा आदमी पर आपको अपनी बहन समझकर सीख दे रहा हूं। जब भी अपने बच्चे को कोई बात समझाओ, बेटा कोई गलत काम करके आए तो दोनों को एक जैसा तर्क़ देना चाहिए वर्ना एक दिन आपका बच्चा आपके हाथों से सदा के लिए चला जाएगा। वह उपद्रवी या उदंड कुछ भी बन सकता है। जब अजनबी चला गया तो रामप्रसाद बोला बड़ा आया हमें पाठ पढ़ाने। हमें अपनें बच्चे कि आदतों का पता ही नहीं है क्या? नीरु बोली ठीक ही तो कह रहा है ।आप कभी समझते ही नहीं आप नें यह बात गांठ बांध ली होती तो आज हमारा बेटा आज हमारा कहा मानता। आप उल्टी बात कह कर हमेशा सब का दिल दुखाते हो ।

टिंकू को स्कूल जाते जाते दो महीने से भी ज्यादा हो गए थे ।वह दोस्तों के साथ रहकर उदंड बन गया था। मैडम को पता चल चुका था कि वह बच्चा अपनी किताब कभी नहीं लाता है। दूसरों की किताबों को देखकर पढाई करता है एक दिन टिंकू नें एक बच्चे के बस्ते से कॉपी चुरा ली मैडम ने उसे चोरी करते देख लिया। मैडम ने उससे पूछा कि कौपी तुमने चुराई है तो वह बोला नहीं मैंने नहीं चुराई अध्यापिका को बहुत बुरा लगा। उसने सोचा सब बच्चों के सामने इसे टोकूंगी तो उसे बुरा लगेगा। उसने प्यार से टिंकू को अपने पास बुलाया और कहा क्या तुमने राम के बस्ते से उसकी कॉपी चुराई थी ?वह बोला नहीं ।मैडम बोली चोरी करना बुरी बात है। उसनें टिंकू की शिकायत उसके माता-पिता से कर दी। घर में शिकायत पत्र आते देखकर उसके माता-पिता के होश उड़ गए टिंकू के पिता बोले कि मेरा बेटा कभी चोरी नहीं कर सकता। उसकी मां बोली कि आपको क्या पता ?शायद उसने चोरी की हो। आप अपने बच्चों पर कभी नजर नहीं रखते हो। वह सारा दिन क्या करता है? वह सारा दिन बाहर रहता है।जब तक बच्चा अनुशासन नहीं सीखता तब तक मैं तो उस पर विश्वास नहीं कर सकती। आप अगर मेरी बात मानते होते हम दोनों के विचार एक होते तो शायद हमारा बच्चा कभी भी बिगड़ नहीं पाता। आप अपने बच्चों को प्यार से पूछते तो शायद वह बता देता लेकिन हम दोनों का उसे डर ही नहीं रहा।

उस अजनबी ने हमें ठीक ही कहा था कि घर में आपसी तालमेल होना जरूरी है जिस बात के लिए मैं मना करती हूं आप उस बात के लिए आप हामी भरतें हैं। हम आपस में सलाह मशवरा करके एक राय कायम कर सकते हैं इस से शायद हमारा बेटा सही राह पर आ जाए।

मैडम ने टिंकू के माथे से पसीना पौंछा और कहा बेटा चोरी करना बुरी बात है ,जिस बात के लिए आपके माता-पिता आपको मना करेगें आप को उसे कभी नहीं करना चाहिए टिंकू बोला कि अध्यापिका जी मेरे माता-पिता कभी एक राय नहीं देते। मेरे पिता कहते हैं कि जाओ खेलने जाओ। मां कहती है कि नहीं जाओ। मैं किस कि बात मानूं। अध्यापिका को सही कारण पता चल चुका था कि घर में इसी बात को लेकर खटपट रहती थी। इसी कारण घर का माहौल बिगड़ने के कारण बच्चा भटक गया। उसने अपने माता कि बात नहीं मानी और ना पिता की बात मानी। उसने अपने मन की करने की ठानी ।।
कविता मैडम एक दिन जब राम प्रसाद जी के घर आई तो उस दिन भी दोनों किसी बात को लेकर बहस कर रहे थे ।कविता बोली कि आप दोनों ही अपने बेटे की असली गुनाहगार हो। आप दोनों ने अपने बच्चे की परवरिश में कमी रखी। अपने बच्चे को भटका दिया। आपके बच्चे ने आज एक बच्चे की कौपी चोरी की । रामानंद जी को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनका बच्चा चोरी भी कर सकता है।
कविता बोली कि आप दोनों में से कोई भी एक बच्चे को डांट रहा हो तो एक को चुप रहना चाहिए बच्चे को शय नहीं मिलनी चाहिए।बच्चे को उसी समय डांटनां चाहिए जब वह कुछ ग़लत कर रहा हो ताकि उसे अपनी ग्लती का एहसास हो सके। अपने बच्चे पर आप दोनों का हक है ।आप दोनों आपस में विचार-विमर्श करके उस पर अपनी राय कायम कर सकतें हैं।आप दोनों के विचार विमर्श और आपसी सहमति से आप अपनें बच्चे को सही राह पर ला सकतें हैं। शाम को जब टिंकू घर आया तो उसके पिता बोले कि तू ने चोरी की। टिंकू बोला आप को किस नें बताया। “नहीं पापा” उसकी मां बोली कि तू चोरी करके आया है तो सच सच बता दें हम तुझे कुछ नहीं कहेंगे। उसके पापा बोले बेटा तुम्हारी मां बिल्कुल ठीक कह रही है। तुम नें अगर किसी बच्चे कि नोटबुक चुराई है तो बता दें।हम दोनों तुम्हें नहीं डांटेंगे।उसकी कौपी उसे दिला देंगें ।कह देगें कि गलती से कौपी आ गई है।आज रामप्रसाद को अपनी गलती का एहसास हो रहा था नीरु ठीक ही कहती हैं।
किट्टू बोला पापा-मम्मी आप दोनों ठीक ही कहते हो हर रोज मैं जब खेल कर आता था तो आप कहते थे कि ठीक है बेटा खेल कर आ। मां कहती थी कि पढ़ाई करने बैठ। पढ़ाई करुं या खेलूं। मैं असमंजस में पड़ जाता था कि क्या ठीक है और क्या गलत? आज सचमुच में ही जाना कि आप दोनों ठीक कहते हो । माता पिता को कहीं आज जा कर अपनी गलती का एहसास हुआ ।उस दिन के बाद दोनों ने बहस करना छोड़ दिया था। दोनों पति-पत्नी अपने बेटे में सुधार देख कर मुस्कुराए दिए। आज अगर हम दोनों अपने में सुधार नहीं लाते तो अपने बच्चे को कैसे समझा पाते?हमें अपनें बच्चे पर निगरानी अवश्य रखनी चाहिए मगर उस पर प्यार से समझ बूझ और तर्क के जरिए अपनें बच्चे कि गल्तियों को सुधारना चाहिए।डांट-डपट करनें से वह आप के हाथ से निकल सकता है।

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