बोलते पत्थर

यह कहानी एक छोटे से बालक श्रेयान की है। श्रेयान की माता जब वह दो साल का था तब उसको सदा के लिए  छोड़ कर भगवान के पास जा चुकी थी। उसको संभालने वाला कोई नहीं था।

उसके पिता एक दुकान में काम करते थे। श्रेयान के लिए उन्हें शादी के सूत्र में बंधना ही पड़ा। उसने नई नवेली दुल्हन से पहले इस बात को मनवा  लिया था कि वहश्रेयान को उसकी असली मां जैसा प्यार देगी। जब तक उसके अपना बेटा या बेटी नहीं थी तब तक उसने श्रेयान को बहुत प्यार किया मगर जब  उस का छोटा भाई आ गया तो सारा का सारा प्यार उसने अपने बेटे को दे  डाला। वह अब उसके साथ अच्छे ढंग से पेश नहीं आती थी। श्रेयान के पिता ने कहा मेरे बेटे को कभी अपनी मां की कभी कमी महसूस नहीं होनी चाहिए। तुम्हें इसके साथ अच्छा बर्ताव करना होगा जब तक उसके  पिता घर पर होते थे तब तक वह श्रेयान को भरपूर प्यार करती थी परंतु जैसे ही श्रेयान के पापा दुकान पर चले जाते वह उसके साथ बुरा बर्ताव करती। छोटा बेटा भी स्कूल जाने लगा था। वह सोचती थी कि बड़ा होकर कहीं वह अपना हिस्सा  न मांग ले इसलिए वह उसके साथ बुरा सलूक करती थी। श्रेयान उसको कभी भी तंग नहीं करता था। उसकी मां जब कभी उसे   खाना नहीं देती तो वह चुपचाप  बिना खाना खाए ही  सो जाता। वह सोचता था कि पापा के सामने तो मां प्यार के मीठे बोल बोलती है उनके जाते ही वह उस पर बरस पड़ती थी। सारा काम उस से ही करवाती शाम का  बचा हुआ  बासी  खाना  वह उस बच्चे को देती थी।

 

श्रेयान सब समझता मगर वह कभी भी कुछ नहीं कहता था।  वह कहती जाओ जंगल से लकड़ियां काट कर ले आओ नहीं तो खाना नहीं मिलेगा। जब वह कहता कि छोटे को भी मेरे साथ भेज दो तब वह कहती कि वह तुम्हारे साथ नहीं जाएगा। वह बहुत ही छोटा है।, ऐसे तो  वह  दिल की अच्छी थी मगर गांव की औरतें उसे आकर  भड़का जाती थी। देखना यह बच्चा तुमसे सब कुछ मांगेगा। इसलिए उसे तुम कुछ भी मत दिया करो। उन औरतों की बातों में आकर वह श्रेयान से बुरा व्यवहार करती थी। एक दिन श्रेयान जंगल में गया था। साथ में वह अपनी किताबें भी लेकर गया था। क्योंकि उसको पढ़ने का समय ही नहीं मिल पा रहा था। एक पत्थर पर बैठ गया और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। उस को रोता हुआ देखकर उसके आंसू जब उस पत्थर पर पड़े जिस पर वह बैठा हुआ था  वह पत्थर जादू का था। उस  पत्थर में जादू की देवी थी। वह बोली बेटा तुम क्यों रो रहे हो।?  उसनें पत्थर की ओर देखा जिस तरफ से आवाज आ रही थी। उसनें कहा कौन बोल रहा है? उसने पत्थर में से आवाज आती देखी वह हैरान रह गया पत्थर की देवी बोली बेटा मुझसे मत डरो मैं इस पत्थर की देवी हूं । मुझे बताओ क्या बात है? यंहां पर आकर मैं महसूस कर रहा हूं कि मैं जैसे अपनी मां की गोद में बैठा हूं। मेरी मां नहीं है। मेरी सौतेली मां ने मुझे लकड़ियां लाने भेजा है। कल मेरी परीक्षा है। मुझे समय ही नहीं मिला पढ़ने का। वह बोली बेटा तुम पढ़ाई करो मैं एक  कन्या बनकर तुम्हारी लकड़ियां काट दूंगी तब तक तुम उन लकड़ियों को घर लेकर जाना। तुम अपनी पढ़ाई करो।

 

श्रेयान यह सुन कर बहुत खुश हुआ। उसने अपनी पढ़ाई कर ली।  उस दिन  पत्थर की देवी नें उस  की  सहायता कर दी। यह देख कर वह खुश हुआऔर बोला क्या मैं आपको मां बुला सकता हूं।? कोई बात नहीं तुम मुझे मां बुला सकते हो हर रोज उस पत्थर पर आकर पढ़ाई करता। वह लड़की लकड़ियां चुगने में उसकी मदद करती। इस तरह से उसने अपनी परीक्षा की तैयारी कर ली।

 

एक दिन उसकी सौतेली मां ने अपने बेटे को भी उसके साथ भेज दिया और उसे कहा कि बेटा तुम देखना वह पढ़ाई कब करता है।? दूसरे दिन उस की सौतेली मां ने अपने बेटे रेहान को उसके साथ जंगल में भेज दिया। जंगल में एक  पत्थर पर बैठ गया और उस पत्थर से बातें कर लगा। रेहान नेे देखा पत्थर में से एक सुंदर सी देवी जैसी लड़की निकली  उस पर बैठकर पढ़ाई करता रहा। छोटे से भाई को पता चल चुका था कि उसकी  मदद एक सुंदर सी लड़की  करती है। घर आ कर उसनें अपनी सौतेली मां को बताया कि एक पत्थर से देवी जैसी कन्या निकल कर भाई की मदद करती है। रिहाना छः साल का था।

 

श्रेयांन जब घर आया उसकी सौतेली मां बोली कल से तुम जंगल में नहीं जाओगे। उसकी सौतेली मां जंगल में गौंवों को लेकर चरानें के लिए चली गई। उसने जंगल में गौवों को चरानें के लिए छोड़ दिया। उस पत्थर को देखने लगी उसने दो आदमीयों को कहा कि इस पत्त्थर को यहां से हटा दें। उन्होंने बहुत जोर लगाया मगर वह पत्थर वहां से टस से मस नहीं हुआ। इस कशमकश में वह अपने बेटे को भूल ही गई कि उसका छोटा भी उसके साथ आया था। वह रिहान रिहान चिल्लाने लगी।  रेहान का  कुछ पता नहीं कहां चला गया। वह सारा दिन ढूँढते रही  रियान उसे नहीं मिला। जब रोते रोते घर आई तब श्रेयान बोला मां आप क्यों रो रही है?

मां बोली  रेहान    कहीं चला गया है पता नहीं कहां गया? जल्दी से उसे ढूंढ कर लाओ। श्रेयान  बोला मां  मैं रेहान को ढूंढ कर लाऊंगा। वह मेरा भी तो भाई है। उसके बिना मेरा जीना भी व्यर्थ है। मां मैं उसे ढूंढ कर ही लाऊंगा। आप निराश न हों।

श्रेयान के पिता भी घर आ चुके थे उनके पिता ने पूछा कि तुम उसे लेकर जंगल क्यों गई थी? लकड़ियां तो घर में बहुत सारी पड़ी थी। मुझे कहती मैं अपने आदमीयों  को भेजकर मंगवा देता। रेहान की मां पछता रही थी वह क्या बोलती? वह जंगल में क्यों गई थी?वह बोला अगर मैं रेहान को ढूंढकर नहीं ला सका तो मैं भी अपनी जान दे दूंगा। श्रेयान घर से दौड़ता दौड़ता जंगल में पहुंच गया।

 

पत्थर की देवी से बोला मां आपको प्रणाम मां मैंने आपको मां माना है। आज मेरा भाई पता नहीं कहां चला गया है?कृपया मेरे भाई को ढूंढने में मेरी मदद करो। देवी मां ने कहा कि रेहान मिल जाएगा। रेहान यहां से चलते  चलते रास्ता भटक गया है। वह पांच किलोमीटर की दूरी पर पहुंच गया है। तुम सीधे सीधे जाओ परंतु वह डर के मारे बेहोश हो गया है। तुम शीघ्र जाओ। वह तुम्हें मिल जाएगा। श्रेयान को एक घने पेड़ के नीचे रेहान मिल गया। वह बेहोश हो चुका था।

 

राहगीरों की मदद से उसको श्रेयान  ने घर पहुंचाया। रेहान की मां जब काफी समय तक रेहान घर नहीं आया तो वह बेहोश हो गई। डॉक्टरों ने श्रेयान के पिता को कहा कि  आज रेहान की मां को खून की बहुत जरूरत है। अगर उसे कोई खून देगा तो वह बच जाएगी। वह बहुत ही कमजोर है। रेहान के पिता जोर जोर से रोनें लगे। एक बच्चा तो पहले ही अनाथ हो गया था अब दूसरा बच्चा भी अनाथ हो जाएगा। श्रेयान बोला पिताजी आप घबराओ मत। मैं अपनी मां को खून दे दूंगा। श्रेयान के खून का टेस्ट लिया गया।श्रेयान का खून अपनी मां के खून के साथ मिल गया। उसनें अपनी मां की जान बचा ली। रेहान की मां को होश आ गया। वह अस्पताल के बिस्तर पर बैठी अभी भी कमजोरी  महसूस कर रही थी। वह जोर जोर से रोने लगी। रेहान ।  रेहान के पिता बोले तुम  कैसा महसूस कर रही हो। वह बोले हमारा  रेहान मिल गया है। उस का बड़ा भाई उसे ढूंढ कर लाया है। रेहान की मां को विश्वास ही नहीं हुआ। वह जाते-जाते उसे कह गया था अगर मैं रेहान को ढूंढ कर नहीं लाया तो मैं भी घर नहीं आऊंगा। वह बोली श्रेयान कहां है?उसके पिता बोले तुम्हारे श्रेयान ने रेहान को ही नहीं तुम्हें भी मौत के मुंह से निकाल लिया है। तुम्हें भी अपना खून देकर अपना बेटा होने का प्रमाण दिया है। उसने देखा श्रेयान के सामने उसके दोस्त उस से कह रहे थे तुमने अपने भाई की जान भी बचाई और अपनी मां की जान भी बचाई।

 

तुम्हारी सौतेली मां तो तुम से इतना बुरा बर्ताव करती है फिर भी तुमने उसकी जान बचाई। वह बोला तुम मेरे दोस्त हो या दुश्मन। मेरी मां मेरे साथ कभी बुरा बर्ताव नहीं करती है। वह तो मुझे समझाने के लिए मुझ से सख्ती से पेश आती थी। मेरी मां के बारे में तुमने अगर एक भी लव्स बोले तो मैं भूल जाऊंगा कि तुम सब मेरे दोस्त हो। निकल जाओ तुम सब यहां से मेरी मां जैसी भी है मेरी प्यारी मां है। यह बातें उसकी सौतेली मां भी सुन रही थी। यह सुनकर वह अवाक रह गई। वह तो उसे इतना अधिक प्यार करता है।

 

गांव की औरतों में मेरे ने मेरे मन में उसके प्रति नफरत की भावना भर दी थी। मैं अपने बेटे के साथ बहुत ही बुरा बर्ताव कर रही थी। उसने श्रेयान को आवाज लगाई बेटा इधर आओ उसने श्रेयान और रेहान को अपने पास बुलाया और उन दोनों को गले लगकर प्यार किया और बोली बेटा मुझे तुमने नई जिंदगी दी है। तुम्हें अपनी नई मां मुबारक हो बेटा। आओ जोर से मेरे गले लग जाओ। तुम दोनों तो मेरे सूरज और चंदा हो। मैं तो भूल ही गई थी एक दूसरे के बिना हमारी जिंदगी अधूरी है। आज से मैं तुम्हारा इतना ध्यान रखूंगी तुम अपनी मां को भूल ही जाओगे। आज मुझे समझ आ गया है कि बिछुड़ने का कैसा दर्द होता है। दूसरों के बहकावे में आ कर अपनें होनहार बेटे को खोनें चली थी। बेटा मुझे माफ कर दो। आज तुम दोनों का मनपसन्द  भोजन बनाती हूं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.