भगवान का चमत्कार

एक छोटे से कस्बे में एक रिक्शा चालक रहता था। उसका नाम था नथु और उसकी पत्नी का नाम था माया। यह कहानी राजस्थान की है। यह कहानी सच्ची घटना पर आधारित है।यह कहानी भगवान के चमत्कार की है।

लेकिन नाम काल्पनिक है। इसके सभी पात्र काल्पनिक है। इस कहानी को मैंने अपने ढंग से लिखने का प्रयत्न किया है।

नत्थू बहुत ही नेक दिल इंसान था। वह रोज ऑटो रिक्शा लेकर जाता और लोगों को उनके घर पहुंचा आता। उसका व्यवहार एक छोटे बच्चे से लेकर बड़े बुजुर्गों सभी व्यक्तियों से बहुत ही अच्छा था। अपने मधुर व्यवहार के कारण लोग उसे पहचानने लग गए थे। रात के 1:00 बजे भी किसी ने अगर आवश्यक कार्य से बाहर जाना होता तो वह बेचारा 1:00 बजे भी उठ जाता। किसी भी लोगों को मना करने की उसकी आदत नहीं थी। महिलाएं रात के समय भी उस ऑटो रिक्शा चालक की ऑटो में बिना संकोच बैठ जाती थी। वह था इतना नेक दिल इंसान सभी गांव के लोग उसको बहुत ही प्यार करते थे। उसकी 3 बेटियां थी। चांदनी, अंकिता, और तनु। वह सभी पढ़ाई कर रही थी। एक बड़ी बेटी तो पढ़ाई कर चुकी थी। उसने अपनी बेटी को 12वीं कक्षा तक पढ़ा दिया था। बाकी दोनों बेटियां शिक्षा ग्रहण कर रही थी। उसने अपनी बड़ी बेटी की शादी तय कर दी थी। भगवान का दिया उसके पास गुजारे लायक काफी था। ऑटो रिक्शा चालक ने अपनी बेटी का विवाह एक अच्छे परिवार में तय कर दिया था। उसके ससुराल वालों ने शादी की तारीख निश्चित कर दी थी। ऑटो रिक्शा चालक ने रात दिन मेहनत करके अपनी बेटी की शादी के रुपए जुटाए थे। उसने अपनी बेटी के गहने कपड़े और शादी का सारा सामान खरीद लिया था। वह अपनी बेटी की शादी का इंतजार कर रहा था।

वह एक दिन भगवान के मंदिर में पूजा करने चला गया था। वह मंदिर में पूजा कर कहने लगा कि  हे भगवान!  मेरी बेटी की शादी   जल्दी ही होने जा रही है।  अपनी बेटी की शादी का सामान खरीदने में मुझे कभी कोई कमी नहीं आई। आपकी दया से सब कुछ ठीक चल रहा है। सारा सामान भी आ गया है। खाने पीने  का सारा सामान भी आ चुका है। शादी के दो-तीन दिन रह गए थे। अपनी बेटी के पास जा कर बोला मेरे पास देने के लिए  ज्यादा तो कुछ नहीं मैंने तुम्हारे लिए थोड़े से गहनों भी बनवा दिए हैं। तुम्हारी  दोनों बहनों के हाथ भी पीले करने हैं। तुम्हारा हाथ एक अच्छे परिवार में  दे रहा हूं। लड़का अच्छी नौकरी करता है। तुम्हें वहां पर कोई भी कमी नहीं रहेगी।

बेटा लड़की तो पराया धन होती है। उसे तो एक न एक दिन ससुराल जाना ही पड़ता है। बेटा निराश ना हो।  आज मैं तुम्हें एक शिक्षा दे रहा हूं।  अपने ससुराल में बड़ों का सम्मान करना। अपने सास ससुर की खूब सेवा करना। मैं तुझे यह सीख दे रहा हूं। बड़ों की आज्ञा का पालन करना। अपनें सास ससुर को ही अपने माता-पिता समझना। तुम्हें मैंने 12वीं तक की शिक्षा दी है। और  सिलाई भी सिखा दी है। तुम्हारे ससुराल वाले अगर तुम्हें नौकरी करने देंगे तो करना-वर्ना नहीं। हमारी मान मर्यादा का ख्याल रखना बेटा। लड़की ससुराल में अपने सद्गुणों से सभी को अपना बना लेती है। सास-ससुर तुझे डांट डपट  करे तो सोच लेना तुम्हें तुम्हारे अपने माता-पिता डांट रहें हैं। मेरी इज्जत का सम्मान करना। अपनी बेटी को समझाने लग गया था।  समझाते समझाते उसकी आंखों में आंसू आ गए थे। घर में शादी का माहौल था। घर में रिश्तेदारों का तांता लग गया था। दिन को सभी लोग आ जाते थे।

किसी को क्या पता था कि होनी तो कोई और ही खेल खेल रही थी। शायद वह उसकी परीक्षा ले रही थी। शादी के केवल 3  दिन बचे थे। रात को ऑटो रिक्शा चालक के घर में भयंकर आग लग गई। सभी लोग सो रहे थे।  रात को उनका सारा घर आग की लपटों की चपेट में था। उनकी घर की छोटी बेटी अंकिता  पानी पीने के लिए उठी। उसने देखा चारों ओर धुआं ही धुआं था। उसने दौड़ कर अपने माता पिता को जगाया। तीनों बेटियां चिल्लाने लगी आग आग। कोई हमें बचाओ। बड़ी मुश्किल से रिक्शा चालक ने पिछली बाल्कनी से जाकर एक डंडे के सहारे बाल्कनी से निकलने की कोशिश की। घर के सभी सदस्य बाल बाल बचे। लेकिन घर का सारा का सारा सामान आग की लपटों में खाक हो गया था। शादी का सारा सामान जलकर नष्ट हो गया था। चांदनी भी बेहोश हो गई थी। दोनों बहने भी चक्कर खाकर गिर पड़ी थी। चांदनी को थोड़ा थोड़ा होश था। लोगों ने  उन सब को बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला। थोड़ी देर पहले जहां खुशियाँ छा रही थी। वहां का दृश्य देखा भी नहीं जा सकता था। जो भी देखता उसकी आंखों से आंसू निकलते। बेचारा अब क्या करेगा? बिना शादी के ही बेटी रहेगी। दुल्हा तो अब उसे ब्याहनें से रहा। कुछ लोग तरह-तरह की बातें करते। जितने मुंह उतनी बातें।

चांदनी दौड़ी-दौड़ी अपने पिता के पास जाकर बोली पापा आप निराश न हो। आपने इतनी मेहनत से मेरी शादी के लिए रुपया जोड़ा था पापा आप जरा भी चिंता मत करो। मेरी किस्मत में यही लिखा था। आप निराश न हो। मुश्किल की इस घड़ी में हमें कमजोर नहीं पड़ना  है। मैं आपका बेटा नहीं  हूं तो क्या हुआ? आपने बेटों की तरह हमारी परवरिश में कोई कमी नहीं रखी। हम तीनों बहनों को वह सब कुछ दिया जो आप से बन पड़ा। तब तक दोनों बहने  अंकिता और तनु भी उठ गई थी। वह भी अपने पापा के पास जाकर खड़ी हो गईं। पापा हम सब आपकी ताकत हैं। हम तीनों आपकी बेटियां नहीं बेटे हैं। आज से हम भी आपके साथ कमाएंगे। चांदनी बोली पापा अगर वह लड़का जिसे आपने मुझे शादी के लिए चुना  है मुझ से सच्ची मोहब्बत करता होगा तो यह सब देख कर भी शादी के लिए इन्कार नहीं करेगा। मैं भी उस से खुशी-खुशी स्वीकार करूंगी। आप जरा भी चिंता मत करो। उन तीनों नें मिल कर अपने पापा को उठाया। मोहल्ले के सारे लोग इकट्ठा हो गए थे। सब  आपस में कह रहे थे कि  ससुराल वालों को  वह क्या कहेगा? जो भी आता शोक व्यक्त करके चला जाता।  नथु के घर के  पास लोगों का तांता लग गया था। सभी कहने लगे कि  तुम तो नेकी करके कमाते थे। नथु बोला शायद भगवान की भी  यही मर्जी होगी। उसकी पत्नी माया  आ कर बोली की बड़े भगवान का नाम लेते फिरते  हो  यह सब कुछ दिया आपके भगवान ने? भगवान का नाम  ले कर भी आपके भगवान ने आपको यह  सीला दिया।

इस घर में भगवान का नाम  कभी मत लेना।  वह बोला भाग्यवान यह तो नियती का खेल है। भगवान को क्यों कोसती हो?। तीनों बेटियों ने बड़ी मुश्किल से अपनी मां को संभाला। किसी ने प्रैस में खबर कर दी। अगले दिन समाचार पत्र में आ गया कि नथू राम का घर जलकर स्वाहा हो गया। दूसरे दिन जब लोगों ने देखा ऑटो रिक्शा चालक नथु का घर आग की लपटों में जलकर पल भर में नष्ट हो गया था। उसकी बेटी की शादी को कुछ ही दिन रह गए थे। बेचारा अपनी बेटी की शादी कैसे करेगा? जिस किसी ने  भी सुना वह आए बिना ना रह सके। जितनें भी लोग उसको जानते थे सब के सब  आकर ना जाने क्या-क्या लाए? उस का घर उपहारों से भर गया। कोई जेवर लाया कोई कपड़े कोई राशन कोई रुपए। जिन सभी नेताओं ने सुना सभी ने नथुराम की सहायता की। वह था  ही इतना नेक  इन्सान। उसकी बेटी की शादी को को भला कोई क्यों नहीं आता?

शाम तक उसके घर में ना जाने कितने रुपए इकट्ठे हो चुके थे। जब तीनो  बेटियों ने अपने पापा को सारे रुपए  थमाए उन सब को तो  अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जहां पर पर में सब कुछ नष्ट हो गया था वहां पर उनके पास इतना रुपया इकट्ठा हो गया था कि वह बैठे बिठाए तीनों बेटियों की शादी  आसानी से कर सकता था। भगवान  जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। उसने बड़ी धूमधाम से मंदिर में अपनी बेटी की शादी की। लोग आपस में कह रहे थे कि इस नेक दिल इंसान की सहायता भगवान क्यों नहीं करते? आज तो भगवान के  चमत्कार पर सभी  को   विश्वास हो गया था। भगवान जो करता है अच्छा ही करता है।  नथु राम की पत्नी आ कर बोली मुझे माफ कर देना। गुस्से में भगवान के लिए ना जाने क्या-क्या अपशब्द कह गई। तीनों बेटियां मुस्कुरा कर अपनी मां को देख रही थीं।थोड़ी देर पहले जहां पर  रुदन था वहीं पर सभी के चेहरों पर  खुशी झलक रही थी।

भगवान की माया प्रबल है। वह इन्सान की कडी से कड़ी परीक्षा लेनें में कोई कसर नहीं छोड़ता। नथुराम और उसकी बेटियों नें मुसीबत की घड़ी में मिल कर एक दूसरे का साथ दिया। अपनें हौसले को डगमगाने नहीं दिया। उसकी बेटियों नें एक बेटे की तरह अपने पिता के विश्वासको  ठेस नहीं पहुंचने दी। भगवान नें रातोंरात  छप्पर फाड़ कर उसकी सहायता की। वह बोला इतने रुपये इकट्ठे हो गए हैं जिस से मैं तुम तीनों की शादी भी आसानी से कर सकता हूं।

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