मासूम रीया

रीया और प्रिया दो बहने थी ।दोनों ही चंचल प्रवृत्ति की थी। छोटी का नाम रीया और बड़ी का नाम प्रिया था। प्रिया पढ़ने में बहुत होशियार थी मगर ,रिया पढ़ने में इतनी तेज नहीं थी ।।प्रिया हमेशा अपनी कक्षा में प्रथम आती थी ।उसके अध्यापक और उसके माता पिता भी उसे बहुत प्यार करते थे ।ऐसे तो रीया भी होशियार थी मगर वह प्रिया के बिल्कुल विपरीत थी ।देर से उठना होमवर्क ना करना भाग भाग कर स्कूल जाना कहना ना मानना उसकी दिनचर्या में शामिल था ।उसकी नटखठ नादानियों कारण उसके माता-पिता उसे उतना प्यार ना नहीं करते थे जितना कि प्रिया को। उनकी इस बात से वह चिढ़ होती थी ।उसके माता-पिता हर वक्त प्रिया की ही तारीफ करते रहते थ। जब भी कोई चीज घर में आती तो उसके पापा मम्मी कहते कि नहीं पहले प्रिया को मिलेगी ।एक दिन तो हद ही हो गई प्रिया दौड़-कर घर आई और अपनी मम्मी को कहीं लगी मां आज तो मेरे सौ में से सौ अंक आए हैं। उसकी मां ने अपनी बेटी को पुकारा और आते ही उसे गले से लगा लिया।रीया अभी अपनी मम्मी को. बताना चाहती थी कि इस बार तो उसके भी कुछ अच्छे अंक आए हैं । उसकी मम्मी ने उसकी बात को नज़रअंदाज़ कर दिया ।जब शाम को उसके पापा घर आए तो वह अपने पापा को बताना चाहती थी कि इस बार उसने भी मेहनत की है परंतु उसके पिता ने उसके अंक देख कर कहा कि यह भी कोई अच्छे अंक है ।अंक अच्छे लेने है तो अपनी बहन को देख ।वह अपने पापा के गले लग कर प्यार करना चाहती थी । उसके पापा ने उसे प्यार के बदले में उसे भगा दिया। मासूम सी बेटी बेहद उदास हो गई ।वह सोचने लगी कि इस बार मेहनत के बावजूद भी मुझे प्यार नहीं किया। पापा मम्मी को तो हर वक्त प्रिया ,वह ही उनकी चहेती बेटी है ।उनके दिलों में तो मैं एक अच्छी लड़की नहीं हूं ,और ना कभी बन सकूंगी उसने अपना स्कूल का सामान रखा और खेलने चली गई ।उसको अपनी मम्मी पापा से यह आशा नहीं थी इस बार उसे यह आशा थी कि इस बार तो उसकी मम्मी पापा उस उसे अवश्य प्यार करेंगे । उसे कहेंगे शाबाश बेटा,! परंतु हुआ उसके बिल्कुल विपरीत इसी गुस्से में वह अपना सा मुंह ले कर बगीचे में चली गई । उसके स्कूल में इस बार एक नई अध्यापिका आई थी ।सभी बच्चे नई अध्यापिका को घेरे हुए उसके इर्द-गिर्द खड़े थे । अध्यापिका ने देखा रीया बिल्कुल भीड़ से अलग शान्त सी अकेली खड़ी थी । उसका स्कूल में जरा सा भी मन नहीं लग रहा था। उसकी नई अध्यापिका शिखा ने उस को अपने पास बुलाया और बड़े ही प्यार से उसके सिर को सहलाया और उसकी तरफ देख कर मुस्कुराई उस को देख कर कहने लगी तुम एक कोने में अलग से क्यों खड़ी हो ?क्या तुम्हें किसी ने कुछ कहा है? जरा भी संकोच मत करो घबराने की कोई जरूरत नहीं । रीया तो प्यार से वंचित थी । वह अध्यापिका जब भी उसे बुलाती वह दौड़ी जाती-और प्यार से उसकी और देखा करती थी ।मानो कह रही हो कि मुझे गले से लगा लो। एक दिन वह शिक्षिका बच्चों को कहानी सुना रही थी ,बीच बीच में वह बच्चों से प्रश्न पूछ रही थी । शिक्षिका ने कहा कि प्यारे बच्चों जो बच्चा मेरी कहानी को ध्यान से ग्रहण करेगा और मैं जों प्रश्न पूछूँ गी उसके जवाब सही देगा उस बच्चे को मैं चौकलेट्स दूंगीं । रीया ध्यान से कहानी सुनने लगी ।उसने शिक्षिका की कहानी के प्रश्नों के उत्तर सबसे पहले दिए उसने रीया को खड़ा करके सब बच्चों के सामने उसकी प्रशंसा की और उसे चौकलेट्स भी दी। रिया ने घर आकर अपने मम्मी पापा को कहा कि आज तो मेरी अध्यापिकाने सब बच्चों के सामने मेरी प्रशंसा की और मुझे टॉफी भी दी।उसकी मम्मी पापा ने कहा कि कहानी सुनने से क्या होता है ?अपनी किताबों का पढ़ा याद होना चाहिए । प्यारी सी रीया उदास हो गई। उसका पढ़ाई में जरा भी मन नहीं लग रहा था ।एक दिन कक्षा में सभी अध्यापिकाओं की मीटिंग हो रही थी ।कक्षा की प्रध्यानाचार्य ने सब अध्यापिकाओं से कहा कि जिन बच्चों के कम अंक आए हैं उन बच्चों के नाम लिखकर मुझे दे दो ।उसका लिस्ट में सबसे पहला नाम आया था ।उस की अध्यापिका ने विचारविमर्श के उपरान्त सभी अध्यापकों को कहा कि यह लड़की तो अच्छी है फिर किस कारण से उसके कम अंक आए ।हो सकता है कि इसका कोई और कारण हो। उसने रिया को अपने पास अकेले में बुलाया और कहा बेटा तुम इतनी होशियार लड़की हो तुम्हारे इतने कम अंक कैसे आए हैं ?यह सुन कर रीया जोर जोर से रोने लगी। और उसने अपने अध्यापक से कहा कि मैं जितनी भी मेहनत कर लूं मेरे मम्मी पापा मुझे प्यार नहीं करते हैं ।वह तो सारा प्यार प्रिया को ही करते हैं । अध्यापिका उस मासूम दिया की बात सुनकर दंग रह गई। एक दिन अध्यापिका ने रिया की मम्मी पापा को स्कूल में बुलाया उन्होंने सारी बात रिया के माता-पिता से कही ।उसी अध्यापिका की बातें सुनकर रीया के माता-पिता हैरान रह गए। उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। उन्हें अंदर से अपने आप पर बहुत गुस्सा आया कि हमने एक छोटी सी बच्ची के मासूम दिल को ठेस पहुंचाई है। सुबह के समय जब रीया उठी तो उसने अपने मम्मी पापा को कहा कि पापा मैंने अभी नहीं पढ़ना है ।उसके पापा ने अपनी बिटिया को गोद में लिया और उसे प्यार करते हुए कहा कोई बात नहीं बेटा जब तुम्हारा मन करे तब तुम पढ़ लेना ।यह सुनकर बच्चे को बहुत अच्छा लगा ।वह सोच रही थी कि मेरे पापा मुझे डांट डपट कर भगा देंगे ।वह जल्दी से खेल कर घर वापस आ गई थी स्कूल से आने के पश्चात पढ़ाई में मन लगाने लगी थी। आज तो उसे अपना पाठ बड़ी अच्छी तरह से याद हो गया। उसके मम्मी पापा को अपनी भूल पर पछतावा हो रहा था । उन दोनों की समझ में आ चुका था कि बच्चों को प्यार से समझाना चाहिए ।एक परिवार में बच्चे एक जैसे पके नहीं होते उनकी आदतें, स्वभाव अलग अलग होता है। हमारी दोनों बेटियांंहमें बड़ी ही प्यारी हैं ।उसमें सुधार देखकर उसके मम्मी पापा चकित रह गये। उन्होंने फैसला कर लिया कि अब वह दोनों की तुलना एक दूसरे से कभी नहीं करेंगे। हम दोनों बच्चों को एक जैसा प्यार करेंगे।रीया भी आगे चलकर एक बहुत बड़ी डॉक्टर बनी। बच्चों को समान रुप से प्यार व दुलार दिया जाए तो बच्चे भी अपने माता-पिता के सपनों को साकार करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ेंगे ।वह अपने माता-पिता की आन-बान-शान को बरकरार रखेंगे ।दोनों बच्चों में से दोनों बच्चे एक जैसे गुणों के नहीं होते। उनके शौक आदतें भिन्न-भिन्न होती है। उनका भविष्य तभी उज्ज्वल होगा नहीं तो किसी न किसी मासूम का भविष्य उजागर होने से पहले ही धूल में मिल जाएगा.।

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