रानी का न्याय

राजा शूरसेन और उसकी पत्नी बूढ़े हो चुके थे उनका एक बेटा था वह बहुत ही दुराचारी था उन्होंने अपने बेटे को राजगद्दी सौंप दी थी। उन्होंने जैसे ही अपने बेटे को राजा बनाया उसकी दुराचारियां दिन प्रतिदिन बढ़ती गई। वह अपनी प्रजा के साथ बहुत ही अत्याचार करता था। उसके बूढ़े माता-पिता ने सोचा कि राजा की शादी हम ऐसी लड़की से करेंगे जो सुशील और सुलक्षणा होगी। उनको एक लड़की मिल ही गई। दूर के एक राजा की बेटी थी। वह बहुत ही प्रतिभाशाली और सर्वगुणसंपन्न थी उन्हें वह लड़की चित्रा बहुत ही पसंद आई। उस लड़की को अपनी बहू के रूप में उन्होंने चुन लिया।

उन्होंने अपने बेटे राजा प्रतापराय की शादी चित्रा से कर दी। शादी के कुछ दिन तक उसने अपनी पत्नी के साथ अच्छे ढंग से व्यवहार किया मगर थोड़े दिनों के पश्चात वह उससे लड़ाई करने लग गया। वह बात बात पर उसे नीचा दिखाने की कोशिश करता। चित्रा बहुत ही समझदार थी। उसने मन से उसे अपना पति स्वीकार किया था। वह सोचती कि मेरा पति जैसा भी है मैं उसे सुधार कर ही दम लूंगी।

धीरे-धीरे समय बीतने लगा उसके एक बेटा भी हो चुका था। बेटा भी आठ साल का हो चुका था। एकदिन राजा प्रताप राय के दरबार में एक ब्राह्मण फरियाद लेकर आया। वह अपने साथ अपने चचेरे भाई को पकड़ कर लाया बोला इसने मेरे सोने के आभूषण चुरा लिए हैं। सत्यार्थ बोला मैंने इसके सोने के गहने नहीं चुराए। एक झुमका पता नहीं मेरी कमीज में फंसा हुआ था। कहां से आ गया? राजा बोला अपने आप से तो सोना नहीं आ सकता तुम ने ही अपने भाई के गहने चुराए हैं। जल्दी से सच-सच बताओ वर्ना तुम्हें कोड़े लगाए जाएंगे। वेदार्थ बोला नहीं राजा जी इसनें ही मेरे गहने चुराए हैं। आप न्याय करें। राजा ने सत्यार्थ को कोड़े लगाने का आदेश दिया। रानी चित्रा से यह सहन नहीं हुआ। वह आगे आ गई बोली आप इसको नहीं मारेंगे। अगर आप इसको मारेंगे तो मैं इस घर को छोड़कर चली जाऊंगी।

राजा चुप हो गया रानी ने राजा को कहा कि हो सकता है इसने झूमके के न चुराए हो। इसको अपनी बात रखने के लिए एक सप्ताह का समय दे दो। राजा ने सत्यार्थ को छोड़ दिया। सत्यार्थ ने रानी के पैर पकड़ लिए बोला रानी जी आप तो देवी स्वरूप है। मेरे भाई ने मुझे चोरी के इल्जाम में फंसा दिया मैं सच कहता हूं मैंने चोरी नहीं की। मेरा भाई झूठ कहता है रानी ने सत्यार्थ को कहा कि जब वह तुम्हें लेकर आ रहा था तो कोई तुम्हें रास्ते में तो नहीं मिला था जरा याद करो। वह बोला हां हां मुझे एक बनिया मिला था। वह मुझ से टकराया था। क्या तुम उस बनिए को पहचानते हो।? सत्यार्थ बोलता हां रानी जी रानी बोली जाओ तुम उस बनिए को बुलाकर लाओ। मैं उससे मिलना चाहती हूं सत्यार्थ उस बनिए को बुलाकर ले आया। रानी ने बनिए को अकेले में बुलाया। देखो आज जो मैं तुम्हें कहने जा रही हूं उसे ध्यान से सुनो। तुम्हारे घर में तुम्हारी पत्नी है। वह बोला हां मेरी पत्नी है। मेरे एक बेटा भी है। रानी बोली अगर तुम्हारे बेटे पर या तुम्हारी पत्नी पर कोई झूठा मूठा इल्जाम लगा कर फंसा दे और तुमसे कहे कि इसके बदले में आप अपने बेटे को कोडे लगानें दो तो क्या तुम अपने बेटे को कोडे लगने दोगे? वह बोला मैं नहीं लगानें दूंगा। क्योंकि मैं इन दोनों से प्यार करता हूं? तुम अपनी पत्नी और बच्चे से बहुत प्यार करते हो। वह बोला इसमें कोई शक नहीं है। रानी चित्रा बोली आप दरिया दिल है। मैं जानती हूं। आप बहुत ही बुद्धिमान भी है। आपको अपनी पत्नी और बेटे की कसम। . आप सच सच, बताओ कि वह गहने तुमने क्यों चुराए।? मुझे पता चल गया है क्योंकि जब तुम सत्यार्थ से टकराए तो एक झुमका सत्यार्थ की कमीज़ में फंस गया था। बनिए नें वह झूमका वेदार्थ की जेब में चुपके से डाल दिया था। उसनें सोचा क्यों न मैं चोरी का इल्जाम सत्यार्थ पर लगा दूं? सत्यार्थ नें ही गहने चुराए हैं। बनिया बोला रानी जी आप राजा को मत बताना। मैं सारे गहने लौटाना चाहता हूं। यह सब मैं सच बोल रहा है इसने गहने नहीं चुराये। गहनों की गठरी को देख कर मुझे लालच आ गया था। उसी वक्त सत्यार्थ वंहा से जा रहा था मैं जानबूझ कर सत्यार्थ से टकराया और उसकी कमीज में एक झुमका डाल दिया ताकि ऐसा लगे वह चोरी करके ही भाग रहा है।
बनिए नें गहने रानी को दे दिए। रानी ने गहने वेदार्थ को दिए और कहा चोरी का इल्जाम लगाने से पहले सोच लेना चाहिए क्या कभी तुम्हारा भाई चोरी कर सकता है? तुमने तो इसे कोड़े लगवा दिए थे। राजा ने सत्यार्थ को छोड़ दिया। राजा प्रताप राय का दुराचार फिर भी कम नहीं हुआ।

एक दिन राजा दरबार के एक कर्मचारी को बिना किसी अपराध के कोड़े लगाने लगा। राजा बिना सोचे समझे उसे कोडे लगा रहा था। रानी ने अपने बेटे को कहा कि इस आदमी को बचाने के लिए बेटा उदय तुम इस आदमी को बचानें के लिए उस व्यक्ति के आगे खड़े हो जाओ। जैसे ही राजा कोड़े लगाने लगा राजा का बेटा उदय आकर आकर बोला पहले मुझे मारो मैं उसको कोड़े मारने नहीं दूंगा। राजा अपने बेटे को बहुत प्यार करता था उसने कोड़े लगाना छोड़ दिया। राजा का बेटा अपने पिता के पास आकर बोला जब आप बूढ़े हो जाएंगे मैं भी आपको ऐसे ही कोढे लगाऊंगा। अपने बेटे की बात सुनकर राजा हैरान हो गया।

उसने सपने में भी कभी नहीं सोचा था कि उसका बेटा यह सब कहेगा और उसे तब कंही जा कर अपनी गलती का एहसास हुआ। उस दिन के बाद राजा ने अन्याय करना छोड़ दिया। बेटे ने अपने पिता को सीख देकर सुधार दिया था। रानी चित्रा से भी राजा प्रताप राय ने माफी मांगी। रानी ने अपने बेटे को गले से लगा लिया।

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