बहुत समय पहले की बात है किसी गांव में दो भाई रहते थे राम और रहीम। राम गरीब था। और रहीम अमीर। राम सोचा करता था कि हम दोनों एक ही मां-बाप का खून है हम दोनों में एक ही भिन्नता है दोनों किसी कारणवश अलग हो गए राम गरीब था परंतु सौभाग्यवश रहीम अमीर बन चुका था। रहीम के सारे ठाठ बाट देख कर कई बार तो राम को अपने भाई से ईर्ष्या होती थी। अंदर ही अंदर खामोश रहता था। वह सोचा करता था कि काश मेरे पास भी धन-दौलत होती तो मैं भी बहुत बड़ा बन जाता। वह हर रोज ही सपने देखा करता था कि मैं भी अपने भाई के समान बन जाऊं।
एक बार राम ने सोचा कि क्यों ना मैं अब कुछ दिनों के लिए अपने बेटे बहू के पास गुजार कर आता हूं। वह अपने बेटे और बहू से मिलने चला गया। कुछ दिन तो उसके बेटे और बहू ने उसका खूब आदर सम्मान किया परंतु थोड़े दिनों के पश्चात उसकी बहू को लगने लगा कि यह दोनों तो हमारी कमाई पर ऐश करने आ गए हैं। वह सोचने लगे कि कब जैसे यह हमारे घर से जाए। एक दिन उसने अपनी बहू को अपने बेटे से चोरी छुपे बातें करते सुन लिया था कि मैं तो इस रोज की खातिरदारी से तंग आ गई हूं। जल्दी से उनके घर जाने का इंतजाम कर दो। राम के बेटे ने अपने पिता को कह दिया पापा मैं आपको गांव छोड़ कर आ जाता हूं। राम ने सब सुन लिया था वह अपने बेटे के सामने कुछ नहीं कह पाया मन मसोसकर रह गया। राम की पत्नी भी अपने बेटी के पास कुछ दिन काटने के लिए आई थी। बेटी को भी कुछ दिनों के पश्चात लगने लगा कि यह तो अपने घर ही अच्छे थे। राम की बहू योजना बना रही थी कि मेरे ससुर के पास जो कुछ है वह हमारे नाम कर दे।
राम की पत्नी अपनी बेटी के पास से और राम अपने बेटे के पास से लौट आया था। दोनों को घर में आने पर उन्हें इतनी शांति और सुकून मिला। राम सोचने लगा जो सुख हमें रूखे सूखे कमाकर खाने में मिलता है इतना सुख महलों में रहने से प्राप्त नहीं हो सकता। भले ही मेरे भाई के पास बहुत सारे रुपए धन दौलत और ऐशो-आराम की जिंदगी है मगर इस वक़्त उसकी पत्नी बेटा और बहू सब किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त हैं। जो सुख और शांति मुझे अपने घर में नसीब होती है भले ही मेरे पास धन दौलत नहीं है मैं गरीब हूं मगर मेहनत करके कमाता हूं। अपने भाई से भी कभी भी ईर्ष्या नही करूंगा। उसने अपने भाई से ईर्ष्या करना छोड़ दिया। उसे समझ में आ गया था कि थोड़े में भी सकून से किया जा सकता है उसने अमीर बनने का ख्वाब छोड़ दिया।