लालच बुरी बला

एक बहुत ही भोला भाला इंसान था। एक बार उसने बहुत ही तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर एक साधु बाबा जो बहुत बड़े प्रख्यात विद्वान थे उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया और उन्होंने कहा बोलो क्या मांगते हो? वह बोला मुझे अमीर होने का वरदान दो। बाबा जी बोले मैं तुम्हें अमीर होने का वरदान अवश्य दूंगा। इसके लिए तुम्हें पहले मुझसे एक वादा करना होगा वह बोला बोल कर देखिए तो मैं आपके वादे को अवश्य पूरा करूंगा। साधु बाबा बोले तुम्हें धनी अमीर आदमी तो मैं बना दूंगा मगर तुमने इस रुपए का सदुपयोग ठीक ढंग से नहीं किया तो तुमसे सारा धन छीन लिया जाएगा। दूसरे तुम्हें चोरी नहीं करनी होगी। संघर्ष करके मेहनत के दम पर ही सब कुछ हासिल करना होगा। वह व्यक्ति मान गया। जो कोई भी रोगी और जरूरतमंद होगा उसकी सहायता करनी होगी। वह बोला वह वरदान पाकर बहुत ही खुश हुआ।

उसे अचानक रास्ते में एक दिन रुपयों से भरा घड़ा मिला। धन प्राप्त कर थोड़े दिन तो उसे यह वायदा याद रहा मगर थोड़े दिनों के बाद साधु बाबा जी के वरदान को भूल गया। उसने एक बहुत बड़ा बंगला खरीद लिया। शादी कर ली। घर में ठाठ-बाट से रहने लगा। इतनी शोहरत हासिल करने के बाद उसने ऐश की जिंदगी बिताने शुरू कर दी। वह आलसी और बेकार हो गया। सारा समय बर्बाद करने लगा। एक बार रास्ते में उसे हीरे का हार मिला। वह हार देखकर उसको और भी लालच आ गया। वह अब करोड़ों रुपए का स्वपन देखने लगा। उसने अपना सारा रूपया चोरी कर और जुए में बर्बाद कर दिया। एक दिन जब उसे खाने के लिए कुछ भी नही मिला जब उसे दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी तो उसे साधु बाबा ने जो उससे कहा था वह याद आ गया। साधु बाबा ने उसे कहा था कृपया मेहनत से तुम्हें सब कुछ हासिल होगा। संघर्ष करके ही सदुपयोग किया जा सकता है। एक दिन जब वह जा रहा था रास्ते में एक दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी को देखकर उसके रोंगटे खड़े हो गए। उसने देखा कोई व्यक्ति गाड़ी की चपेट में आ गया था। उसनें देख कर भी अनजान बनने का दिखावा किया।कोई उसे देख तो नहीं रहा है। वहां पर लोग उस घायल आदमी को देख रहे थे। मगर कोई भी उसकी सहायता नहीं कर रहा था। उसने सोचा मैं क्यों उसकी सहायता करूं? घर आकर उसको आदमी को देखकर यूं भागकर खड़ा हो गया अपने किसी भी वायदे में सच्चाई की कसौटी पर खरा नहीं उतरा। वह पछताने के सिवा कुछ नहीं कर सकता था। एक दिन नियति ने उसे पहले से भी दर्दनाक स्थिति में उसे लाकर खड़ा कर दिया। उसके पास जो भी रुपया-पैसा बैंक बैलेंस जो भी था वह उस से छीन लिया। वह रोते-रोते सोचने लगा उन साधु बाबा नें उसे ठीक हीकहा था कि संघर्ष की जिंदगी से ही सफलता हासिल की जा सकती है। दूसरे उसनें धन को गलत कामों में प्रयोग में लाया। उसनें किसी घायल बीमार आदमी को मरने के लिए रास्ते में छोड़ दिया। मैं तो अपने किसी भी वायदे को पूरा नंही कर पाया। उसने अपनी जिंदगी को नर्क बना दिया। इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि इंसान को संघर्ष के दम पर ही आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। मुफ्त में मिला हुआ धन किसी काम का नहीं। लालच इन्सान को नर्क के गड्ढे में डाल देता है। संतोष ही सच्चा सुख है। जरूरतमंद इंसान की मदद करने से इंसान का कल्याण हो सकता है।

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