पूजा आज बहुत खुश थी क्योंकि उसने आज अपने मनपसंद लड़के के साथ शादी कर ली थी। उसे अंदर से कहीं ना कहीं दुख भी था। पूजा के मां बाप ने पूजा से कहा कि तुमने हमसे बिना पूछे लड़के को पसंद किया है। आज के बाद तुम यहां पर हम से कुछ लेने मत आना। हम समझेंगे कि हमारी बेटी मर गई है। एक दिन जब तुम पछताओगी तब तुम्हें उसका अंजाम मालूम होगा। पूजा ने अपने माता-पिता की कोई बात नहीं सुनी और चुपचाप सौरभ के साथ चली गई। जाते जाते उसने अपने माता पिता के पैर छुए और चली गई। उसके मां-बाप खून के घूंट पीकर रह गए।
आज तो शादी के बाद वह अपने ससुराल जा रही थी। इसलिए सौरभ को पाकर खुश थी उसने सौरभ से सच्चा प्यार किया था। दोनों एक दूसरे के साथ प्यार करते थे। पूजा को लेकर अपने घर पहुंचा कहीं ना कहीं पूजा की सास भी इस रिश्ते से खुश नहीं थी। उसने अपने मन में जो सपने संजोए थे वह जिस लड़की को अपनी बहू बनाएगी उससे खूब सारा दहेज लेगी। उसका बेटा तो बिना दहेज लिए एक ऐसी लड़की को ले आया था जिसकी उसने आशा भी नहीं की थी। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि सौरभ किसी लड़की से शादी करके इतनी जल्दी आ जाएगा। उसके सारे सपने मानो मिट्टी में मिल गए। वह अंदर ही अंदर अपने गुस्से पर काबू किए थी परंतु अपने बेटे की खुशी के कारण वह कुछ ना कह सकी। सौरभ जैसे ही घर में बहू को लाया उसकी मां ने उन दोनों का स्वागत किया। वह खुश हो रही थी कि उसकी सासू मां ने उसे अपना लिया है धीरे-धीरे शाम आई। उसकी सासू मां कहनें लगी अब तो जल्दी इस घर में बच्चे की किलकारियां गूंजनी चाहिए। अपनी सास के शब्दों को सुनकर वह हैरान हो गई । अभी तो उसने अपनी सुहागरात भी नहीं मनाई है। उसने सौरभ को लेकर ना जाने क्या क्या सपने संजोए थे? हम दोनों शादी के बंधन में बंध तो जाएंगे मगर एक 2 साल तक बच्चों के बारे में सोचेंगे भी नहीं। क्योंकि एक दो साल तो स्वच्छन्द वातावरण व खुले माहौल में जीवन गुजारेंगें फिर अपनी गृहस्थी को आगे बढ़ाएंगे। पूजा सोचने लगी मैंनें शादी करके कोई गलत फैसला तो नहीं किया। कहीं मैंने सौरभ का चुनाव करके कोई गलती तो नहीं कर दी। मेरे माता पिता के शब्द कहीं सच्चे हो गए तब क्या होगा?। वह सोचनें लगी कि जो भी हो वह अपने सास-ससुर का सम्मान करेगी बड़ों की इज्जत करेगी। उन्हें अपने माता पिता की तरह ही प्यार करेगी और उनको कोई ठेस नहीं पहुंचाएगी। मैंने अब तो सौरभ साथ शादी कर ली है। चाहे ठीक हो या गलत अब तो इनके अलावा मेरा कोई नहीं है। मेरे माता-पिता ने भी मुझे कहा कि अभी हमारे पास कभी मत आना। यह सोचते सोचते वह कमरे के अंदर चले गई।
शादी के बाद 6 महीने बीत गए। उसकी सासू मां यही बात दोहराती रही कि घर में जल्दी बच्चा चाहिए। उनकी सोच के आगे झुक कर सौरभऔर पूजा ने गृहस्थी बसाने की सोच ली। सासू मां करनें लगी की कि हमें लड़का ही चाहिए। बिल्कुल सौरभ की तरह।पूजा सोचने लगी की कि उसकी सासू मां की सोच नकारात्मक है। परंतु वह चुप हो गई। जल्द ही वह समय आ गया जिसका बहुत दिनों से उसकी सासू मां इन्तजार कर रही थी। अन्दर से डॉक्टर ने आते ही कहा तुम्हारे घर में बेटी हुई है। सौरभ की मां गुस्से के मारे बेटी को बिना गोद लिए वहां से पैर पटक कर चली गई। उसने एक बार भी उस नन्ही सी परी को गोद में नही लिया। पूजा की आंखों से आंसू छलकने लगे। छोटी सी गुड़िया को प्यार किया। और गले से लगा लिया। उसकी सासू मां अब तो उससे बात करना भी पसंद नहीं करती थी। पूजा नें अपनें पति सौरभ को कहा क्या आप भी गुड़िया को पाकर खुश नहीं हो? सौरभ ने कहा नहीं मैं तो खुश हूं। उसकी मां ने उसे बहुत जल्द ही कहा कि अबकी बार तो बेटा ही होना चाहिए। करते-करते पूजा ने जब पांच बच्चियो को जन्म दिया तो उसकी सास ने अपने बेटे से कहा कि इसे तलाक दे दे। मैं तेरी शादी कहीं और कर दूंगी। पूजा को कहा कि कलमूंही हमारे घर से निकल जा। तू हमारे खानदान को वारिस नहीं दे सकती तो तेरा इस घर में क्या काम? पूजा के सब्र का बांध टूट चुका था। वह पढ़ी-लिखी होने के बावजूद अपने संस्कारों को नहीं भूली थी। इस बार जब उसकी सास ने उस पर तीक्ष्ण बांणों का प्रहार किया तो पूजा से नहीं रहा गया। उसनें अपना सामान उठायाऔर वहां से अपने बच्चों को लेकर चली गई।
उसने सोचा कि मेरे माता-पिता ने मुझे ठीक ही कहा था। मैंने उनके शब्दों का सम्मान नहीं किया। मैंने उन का निरादर किया। और बिना सोचे समझे शादी कर ली। उनका साथ नहीं दिया था। सौरभ भी अपनी मां की कही बातों में आ गया था।
पूजा अपनी बच्चियों को लेकर अपनी प्रिय सहेली के घर आ गई। उसके घर कुछ दिन रही। पूजा पढ़ी लिखी थी उसने एक ऑफिस में नौकरी कर ली। उसने अपनी बेटियों को क्रैच में डाल दिया।
सौरभ की मां नें अपनें बेटे की दूसरी शादी कर दी। दुल्हनिया घर में आ चुकी थी। आज सौरभ की मां अपनी मनपसंद बहू को घर ले आई थी। इसके बदले में उसे ढेर सारा दहेज मिला था। सौरभ ने अपनी दूसरी पत्नी को नहीं बताया था कि वह शादीशुदा है। उसकी मम्मी ने धोखे से उसकी शादी एक उच्च घराने में कर दी थी। धीरे-धीरे समय बीतने लगा। सौरभ की मां ने उसे भी आते ही एक ही बात कहीं मेरे घर में जल्दी ही घर में बच्चे कि किलकारियां गूंजनीं चाहिए। उनकी पत्नी ने कुछ नहीं कहा। जब सौरभ की मां ने कहा कि मुझे बेटा ही चाहिए तो छवि भड़क उठी और मां को तपाक से बोली क्यों बेटा चाहिए? मुझे तो बेटा भी पसंद है और बेटी भी। मैं उन दोनों में फर्क नहीं करती। अचानक सासू मां बोली नहीं हमें बेटा ही चाहिए। पूजा ने कहा आप भी तो किसी की बेटी हैं। अगर आपको भी किसी ने यह शब्द कहे होते? क्या आपके घर में बेटी नहीं? आजकल तो बेटियां बेटों से भी बढ़कर होती हैं। मां जी मुझे आप पर गुस्सा नहीं आता आपकी सोच पर गुस्सा आता है। उसनेंं अपनी मां को समझाने की कोशिश कि।
आखिरकार वह दिन आ गया जब छवि ने भी एक बच्ची को जन्म दिया। वह बच्चे को लेकर प्यार कर रही थी तभी उसकी सास ने उस से कहा दूसरी बार भी लडकी। छवि ने कहा कि इस बार तो क्या।?उसको भी मालूम पड़ चुका था कि उसकी सास ने सौरभ की देवी तुल्य पत्नी पूजा को घर से बाहर निकाल दिया था। उसका इतना कसूर था कि उसने पांच बेटियों को पैदा किया था। और इसी कारण सौरभ की मां ने दहेज के लालच में अपने बेटे की दूसरी शादी कर दी थी। छवि को सौरभ की सच्चाई मालूम हो गई थी। उसे अगर पहले मालूम हो गया होता तो वह सौरभ के साथ कभी शादी नंही करती। अपने मन में सोचने लगी सौरभ को पाकर गलत चुनाव कर लिया था। वह पढ़ा लिखा होने के बावजूद इतनी नकारात्मक सोच वाला इंसान होगा उसे इसका पता शादी के बाद चला। वह हार मानने वालों में से नहीं थी।
उसके मां-बाप ने उसे अच्छे संस्कार दिए थे। उसने सासू मां को फटकार कर कहा आपने इस तरह मुझे उलहाना दिया तो आप इस घर से चली जाओ। उसनें अपनी सास को घर से निकाल दिया। उसने कहा कि जिस दिन आप बेटे बेटी में अंतर नहीं करेंगी उस दिन आप घर लौट कर आना नहीं तो मैं भूल जाऊंगी कि मैं आपकी बहू हूं। मां जी मैं आप की बहुत इज्जत करती हूं। इतना कह कर छवि नें घर का दरवाजा बन्द कर दिया।
छवि की सासू मां दर दर की ठोकरे खाने पर मजबूर हो गई। आपने अपनी मां का साथ नहीं दिया होता तो आज आपकी पत्नी अपने घर मैं होती। उस मासूम पर तुम लोंगों नें क्या क्या अत्याचार किए? मैं उसकी तरह चुप रहने वालों में से नहीं हूं। मैं आजकल की पढ़ी-लिखी लड़की हूं। कभी-कभी चुप रहना भी बहुत दुखदाई होता है। इसे अपना जीवन भी नर्क बन जाता है। मैं बड़ों का सम्मान करती हूं। मगर मैं किसी का भी राॅब बर्दाश्त नहीं करूंगी। तुमने अगर मुझे कुछ कहा तो मैं तुम सबको पुलिस के हवाले कर दूंगी।
सौरभ की आंखें खुल चुकी थी। छवि ने अपने पति को कहा कि अपनी पत्नी को ढूंढ कर लाओ और उसे भी स्वीकार करो। मैं उसे भी स्वीकार करूंगी। वह अपनी पांच बच्चियों को ले जा कर जाकर पता नंही जानें कहां-कहां दर-दर भटक रही होगी।
सौरभ की मां दर दर ठोकरें खाते हुए भीख मांग रही थी तो एक दिन पूजा ने उसे देखा। पूजा उसे वहां से अपने घर ले गई और कहा। मांजी आपने अपनी क्या हालत बना रखी है।? आप यहां कैसे? उसकी सास नें पूजा के पैर पकड़ लिए। रोते हुए कहा मुझे अपने पापों की सजा मिल चुकी है। मेरी आंखे खुल गई हैं। जिस बहु को मैंने इतना भला बुरा वहीं आज मुझे अपना रही है। मैं अपनें बर्ताव के लिए तुम से माफी मांगती हूं। यह कह कर वह जोर जोर से रोने लगी। पूजा नें उसे माफ कर दिया। उसकी सासू मां नें अपनी दूसरी बहू की सारी बातें उसे बताई कि उसनें मुझे घर से निकाल दिया है। मुझे अपनी गलती पर आज पछतावा हो रहा है। मैं कभी भी बेटे और बेटी में फर्क नहीं करूंगी। आते ही उसने छोटी सी गुड़िया को गोद में लिया और प्यार करनें लगी।
छवि नें सौरभ को कहा कि तुम पूजा को ढूंढ कर लाओ। उसे भी अपनी पत्नी का दर्जा दो। मैं उसे भी अपना लूंगी।। तुम ऐसा नहीं करोगे तो मैं तुम्हें भी पुलिस में भिजवा दूंगी। तुम अगर ऐसा करते हो तो मैं समझूंगी कि तुमने पर्याश्चित कर लिया। नहीं तो मैं अपनी बेटी को लेकर सदा के लिए यहां से चली जाऊंगी।
सौरभ ने अपनी पत्नी को ढूंढने की बहुत कोशिश की। उस की कोशिश नाकाम नहीं रही। एक दिन उस को पूजा के घर का पता मिल गया। उसने दरवाजा खोला तो अपनी मां को देख कर चौक गया। मां नें उसे सारी बातें कही कि पूजा नें ही उसे अपने यहां आश्रय दिया है। पूजा के पास जा कर उसने माफी मांगी और अपनी बच्चियों को घर ले आया। छवि नें पूजा को भी अपना लिया था। सब सुख पूर्वक रहने लगे।