एक स्वस्थ दिमाग में स्वस्थ शरीर है रहता।
यह हमारे मस्तिष्क को सेहतमंद है करता।।
मनुष्य को जो पाठ शिक्षा नहीं दे पाती।
वह शिक्षा बच्चों को खेल का मैदान है सिखलाती।।
खेल शारीरिक विकास की है धुरी।।
शिक्षा चिंतन मनन से है होती पूरी।।
पढ़ने के साथ जो छात्र खेलों में हैं भाग लेते।
वह चुस्त और आलस्य रहित होकर खुशियां है पाते।।
व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास के लिए तन और मन रथ शरीर रुपी ये हैं दो धूरे।
इन दोनों को सार्थक किए बिना ये हैं अधूरे।।
जो बच्चे शारीरिक गतिविधियों से हैं कतराते। वे कभी भी जीवन में उन्नति नहीं कर पाते।।
खेल खेलने से दोस्ती, दूसरे देशों के रीति-रिवाजों का भी पता है चलता।
पढ़ाई के साथ साथ बच्चे का सर्वांगीण विकास भी है करता।।
खेलने से बच्चों की शारीरिक क्रियाओं में वृद्धि है होती।
बच्चों के हौसले को बढ़ाकर बच्चों के चेहरे पर खुशी है झलकाती।।
हार को मुस्कुरा कर खेलना है सिखाती।
जीत के बाद भी अंतर का पता चलने पर पुनः प्रयास करना है सिखाती।।
खेलने के समय में खेलना और पढ़ाई करना यह दोनों है जरूरी।
इस पर अमल करके बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है जरूरी।।
बच्चों के पाठ्यक्रम में शिक्षा के साथ साथ खेलों को भी शामिल करना है जरुरी।
खेलें व्यक्ति के चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करना है सिखाती।
ये अनुशासन और जीतने की ललक भी है दिखलाती।।