सारा चेहरा मेरा काला है।
दिल मेरा मतवाला है।
शिक्षकों को लुभाता हूं।
जल्दी जल्दी अपने ऊपर चौक चलाता हूं।।
काला रंग है मेरी शान।सब को देता हूं मैं विद्या का ज्ञान।
शिक्षक मुझ से लेते हैं काम।
चाक से लिख लिख कर बच्चों को देतें है शिक्षा का ज्ञान।।
बच्चों को अपनें पास बुलाता हूं।
रंग बिरंगी चित्र कारी करवा करनन्हें मुन्नों के मन को लुभाता हूं।
चार किनारे वाला हूं मैं कहलाता।
खेत कि तरह कि आकृति है बनाता।
चार भुजाओं वाला हूं।
आमने-सामने बराबर किनारे वाला हूं।
चारों तरफ समकोण बनाता हूं।
90डिगरी का कहलाता हूं।।
हिसाब में मैं आयत हूं कहलाता।
बच्चों कि समझ न आनें पर उन्हें है चिढ़ाता।।
मैं तो श्याम पट कहलाता हूं।
बच्चों पर रोब जमाता हूं।
नखरे खूब दिखाता हूं।