सच्चा साथी चंपू

चिंटू बहुत ही प्यारा बच्चा था ।वह हर काम को बड़ी होशियारी से करता था। वह रोज अपने साथियों के साथ स्कूल जाता । शाम को स्कूल से आते वक्त वह अपने दोस्त के साथ खूब बातें करता। उसके साथ खूब मौज मस्ती करता ।उसको खाने को भी ले जाता कभी बिस्कुट, कभी मूंगफली कभी चने ,वहां उसके साथ खेलता दौड़ता और खूब मनमानी करता था ।शाम को आते समय उसे हर रोज देर हो जाती थी ।उसकी मम्मी उससे पूछती कि तुम्हारे साथी तो ना जाने कितनी जल्दी घर पहुंच जाते हैं चीन्टू कहता मां मेरा एक दोस्त है। उसके साथ में काफी देर तक खेलता हूं। वह अपनी मां को हमेशा कहता की मां एक रोटी ज्यादा बना दे ।मैं अपने दोस्त को दूंगा इस तरह जो कोई भी चीज खाता वह अपने दोस्त को ले जाना नहीं .भूलता। वह अपने दोस्त से काफी घुल मिल गया था ।वह तो उसका सच्चा दोस्त था। उसके साथ बैठकर वह अपने साथी दोस्त को पा कर बहुत ही खुशी अनुभव करता था ।चिंटू की मम्मी उससे पूछती कि बेटा तुम अपने दोस्त को तो तुम कभी घर नहीं लाते हो । मैं तुम्हारे सारे दोस्तों को अच्छी प्रकार से जानती हूं मगर यह तुम्हारा कैसा दोस्त है जो तुमसे मिलने कभी नहीं आता ।चिंटू हर रोज अपनी मां की बात काट जाता और बोलता मैं जल्दी ही तुम्हें अपने दोस्त से मिलाने ले जाउंगा। इस प्रकार बहुत दिन व्यतीत हो गए। चिंटू ने अपनी मां को बताया कि मेरे दोस्त का नाम चंपू है ।मां चंपू बहुत ही होशियार है ।एक दिन जब काफी देर तक चिंटू घर नहीं लौटा तो चिंटू की मां को चिंता होने लगी चीन्टू अपने दोस्त के घर परीक्षा की तैयारी करने के लिए उसके घर कॉपी लेने चला गया था ।चिन्टू की मां ने उसके सभी दोस्तों को फोन किया परंतु सब ने कहा वह हमारे घर नहीं आया ।वह पड़ोस वाली आंटी से चंपू का पता पूछने लगी ।पड़ोस वाली आंटी ने बताया कि चंपू लड़का नहीं जिसके साथ वह घंटों खेलता है।वह तो प्यारा सा बंदर है ।चंपू की मां का डर के मारे बुरा हाल हो रहा था ।वह उसे लेने के लिए घर से बाहर निकली थी वह आधे रास्ते तक ही गई थी की वहां पर पेड़ के नीचे चिंटू अपने चंपू के साथ खूब मस्ती कर रहा था ।उसकी मम्मी ने वहां पहुंच-कर कहा बेटा घड़ी तो देखो क्या बजा है ?तुम अपने दोस्त के साथ ही खेलते रहोगे या घर भी चलोगे ।उसकी मम्मी को पता चल चुका था कि उसका दोस्त चंपू एक बंदर था। चिंटू ने अपनी मम्मी से पूछा आपको मेरा दोस्त कैसा लगा ।चंपू की मां बोली तुम्हारा दोस्त बहुत ही अच्छा है ।एक दिन जब चंपू स्कूल से वापस आया तो उसे बुखार था बीमार होने के कारण वह काफी दिन तक स्कूल नहीं जा सका। उसके पापा उसे डॉक्टर के पास ले गए डॉक्टर ने चिंटू की मम्मी पापा को बताया कि चिंटू एक बहुत ही भयानक बीमारी का शिकार है अगर उसका ईलाज जल्दी से जल्दी नहीं किया गया तो उसके बचने की आशा कम है। । यह सुनकर चिंटू के माता पिता परेशान हो गए। वह हर हफ्ते चिंटू को अस्पताल ले जाते काफी दिन तक जब चंपू से चिंटू नहीं मिला तो चिंटू से मिलने के लिए उसके घर के पास वाले पेड़ के पास रहने को आ गया ।उसे अपने दोस्त को देखे बिना बहुत ही दिन हो गए थे।।वह भी बहुत मायूस हो गया था ।चंपू ने चिंटू को जब अस्पताल ले जाते देखा तो चंपू भी चुपचाप उसकी गाड़ी में बैठ गया चिंटू अपने दोस्त को पाकर बहुत खुश हुआ ।वह उसके साथ खेलना चाहता था ।चिंटू की मम्मी ने चंपू से कहा कि तुम्हारा दोस्त तुम्हारे साथ ही बैठा रहेगा ।तुम कहीं नहीं जाओगे अब तो चंपू भी चुपचाप अपने दोस्त के साथ बैठ गया ।डॉक्टर आए उन्होंने चिंटू के पापा को बताया कि चिंटू की दवाईयां लेनी है उन्होंने एक पर्ची पर दवाइयां लिख कर दे दी ।चंपू चिंटू के पापा को हर रोज उस केमिस्ट की दुकान पर जाते हुए देखा करता था ।चंपू ने जल्दी से वह पर्ची चिंटू के पापा की जेब से निकाली उन्हें पता भी नहीं चला चंपू दौड़कर केमिस्ट की दुकान पर पहुंच गया और उसने वह पर्ची कैमिस्ट कोे दिखाई पर्ची देखकर केमिस्ट पहचान गया कि किसकी पर्ची है ।केमिस्ट्री नें जल्दी से दवाईयां निकालकर एक और रख दी । चंपू ने जल्दी से दवाइयों का पैकेट लिया और अस्पताल पहुंच गया ।अस्पताल पहुंचकर उसने वह दवाइयां चिंटू के पापा को दे दी। चिंटू की सही दवाइयां देखकर चिंटू के पापा आश्चर्यचकित रह गए । चंपू ने ं यह काम इतनी जल्दी किया था कि उसके जाने की भनक किसी को भी नहीं लगी चीन्टू के माता पिता चंपू की प्रशंसा करने लगे ।डॉक्टरों ने चिंटू के पापा को कहा कि आपके बेटे के ईलाज के लिए विदेश जाना पड़ सकता है क्योंकि जो दवाई हम चिंटू को देना चाहते हैं वह यहां पर उपलब्ध नहीं है ।चिंटू के पापा को कंप्यूटर पर दिखाया गया कि इन जड़ी-बूटियों से भी हम चंपू का इलाज कर सकते हैं परंतु यह जड़ी-बूटियां यहां बहुत ही कम मिलती है। उन्होंने सारा वीडियो कंप्यूटर पर चिंटू के पापा को दिखाया । ऑपरेशन के पश्चात इन जड़ी बूटियों के अर्क से औषधि बनाई जाती है । उस सेे मरीज जल्दी ठीक हो जाता है ।इन जड़ी बूटियों से हम ईलाज कर सकते हैं परंतु यह जड़ी बूटियां यंहा बहुत ही कम मिलती है अगर यह दवाई यहां उपलब्ध हो गई तो हम आपके बच्चे को बचा सकते हैं । नहीं तो आपके बेटे को बचाना मुश्किल हो जाएगा। यह सब बातें चंपू सुन रहा था । डॉक्टरों ने कहा कि आज से तीन महीने बाद हम चिंटू का ऑपरेशन करेंगे । हमें यहां पर दवाईयां उपलब्ध हो गई तो ठीक है नहीं तो आपके बच्चे को विदेश ले जाना होगा। चिंटू के माता पिता के पास इतने रुपए नहीं थे जिससे वह अपने बच्चे को विदेश ले कर जाते चिंटू के माता-पिता सोचने लगे कि भगवान के भरोसे ही अब हम अपने बच्चे को छोड़ते हैं ।चिंटू के माता-पिता को रोता देखकर चंपू भी उदास हो गया ।शाम को वह सब घर आ गए काफी दिनों तक चंपू नजर नहीं आया सभी ने सोचा चंपू इस वृक्ष को छोड़कर कहीं चला गया है। एक दिन जब चिंटू के पापा चिंटू को अस्पताल ले जा रहे थे तो चंपू आकर चुपचाप उनके साथ गाड़ी में बैठ गया। गाड़ी जल्दी अस्पताल में खड़ी थी ।चिंटू के पापा ने देखा कि चंपू के मुंह में एक थैला था ।वह थैला उसने इतनी जोर से पकड़ कर रखा था कि कहीं वह गिर ना जाए ।उसने जल्दी से लाकर थैला डॉक्टर के पास रख दिया और अपने हाथ से डॉक्टर को वह पकड़ा दिया। डॉक्टर ने जब उस थैले को खोला और सूंघा तो डॉक्टर हैरान थे कि वह तौ वही जड़ी-बूटी थी जिसकी डॉक्टर बात कर रहे थे। उन्होंने जल्दी से एक विशेषज्ञ डॉक्टर के साथ मिलकर उस जड़ी बूटी की छानबीन की और पाया कि वह तो वही संजीवनी बूटी थी जिसकी बात डॉक्टर कर रहे थे।चिंटू के पापा को डॉक्टर ने कहा कि यह पहला चमत्कार हमने देखा कि आपकी बेट को विदेश जाने की जरूरत नहीं पड़ी।जड़ी बूटी का मिलना असंभव था इस जड़ी-बूटी को इस चंपू नें लाकर हमारा इतना बड़ा काम हल कर दिया है ।यह चमत्कार किसी भगवान से कम नहीं है ।यह तो वास्तव में तुम्हारे बेटे का सच्चा साथी है ।जो अपने दोस्त की मदद के लिए हरदम तत्पर है।हम ऐसे दोस्त को सलाम करते हैं ।चिंटू के पापा मम्मी ने चंपू को गले से लगा लिया और रो पड़े ।उन जड़ी बूटियों के चमत्कार से चिंटू की जान बच गई थी ।डॉक्टर द्वारा किया गया ऑपरेशन कामयाब हो गया था ।चिंटू को अब अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। चिंटू अपने दोस्त के साथ हंसी-खुशी घर लौट आया।

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