(सच्चा सुख) कविता

एक जंगल में काला हिरण और हिरणी थे  रहते।

दोनों पति-पत्नी खुशी से थे रहते।

काला हिरण अपनी हिरणी से था बहुत प्यार करता।

उसकी छोटी-छोटी इच्छा हरदम पूरी था किया करता।

एक दिन हिरण बोला हिरणी से   तुम क्यों इतना लगाव मुझसे हो  किया करती।

तुम मेरे बिना भी क्यों नहीं रह सकती।

हिरण हमेशा हिरणी को देर से आने पर ढूंडा करता था।

उसकी प्रतीक्षा में बिना खाए ही रहा करता था। हिरणि थी बहुत ही भोली।

अपने हिरण की थी वह हम जोली।

दोनों इकट्ठे भोजन की तलाश में थे जाते। इकट्ठे वापिस आ कर वन में धमाचौकडी मचाते।

एक दिन उस राजा की नजर काले हिरण पर पड़ी।

उसकी ललचाई आंखें   हरदम  पीछा किया करती।

काला हिरण राजा को देखकर भाग खड़ा हुआ।

अपनी हिरणी  के संग  जंगल में पहुंच गया। काले हिरण को पानें की  लालसा राजा को सतानें लगी।

उसे पा कर ही रहेगा एसी तमन्ना उसे आने लगी।

थक हारकर जब था वह घर आया।

आते ही बिस्तर पर था घुस आया।

उसे स्वपन में भी काला हिरण था दिखाई दिया।

उसकी छवि  मन में अंकित कर  राजा प्रसन्न दिखाई दिया।

काले हिरण की हुबहू तस्वीर बना डाली।

अपने मन में  हिरण की तस्वीर बनाकर उसे पाने की तमन्ना कर डाली।

अपने सैनिकों को आदेश दिया काले हिरण को पकड़ कर ले आओ।

इस हिरण को लाने वाले को मुंह मांगा इनाम दिलवाओ।

लोग दूर-दूर से काले हिरण को ढूंढने निकल पड़े।

मुंह मांगे  ईनाम के लालच में तरसने लगे।  कोई भी जब काले हिरण को नहीं ला पाया। सभी ने राजा की आशाओं का दीपक बुझाया।

काले हिरण की थी एक दोस्त रानी।

वह तो उसे  पिलाती थी  हर रोज पानी।

हर रोज जंगल में  आया करती थी।

काले हिरण के साथ खेल कर मन बहलाया करती थी।

वह थी एक गरीब घर की बच्ची।

मां उस  को शिक्षा देती थी सच्ची।

एक दिन एक शिकारी नें उसे पकड़ कर राजा के हवाले कर दिया।

 काले हिरण को  राजा  को दिला कर खुश कर दिया।।

राजा ने उस शिकारी को मुंह मांगा ईनाम दे दिया।

शिकारी ईनाम पर कर खुश  दिखाई दिया।

काला हिरण राजा के महल में  उदास-उदास सा रहता था।

काफी दिनों तक बिना खाए पिए ही रह जाता था।

राजा काले हिरण की एसी हालत देखकर उदास हुआ।

उसे खुश करने की कोशिश में था लगा हुआ। कोई भी   काले हिरण को खुश ना कर पाया।

काली हिरणी भी रहती थी मुर्झाई- मुरझाई। अपने हिरण की प्रतीक्षा में थी सुस्ताई।

रानी भी अपने हिरण को खोजने की बहुत कोशिश थी  किया करती।  

हर बार उसे  निराशा  ही लगा करती।।

एक दिन राजा ने काले हिरण को अपने एक सैनिक के साथ जंगल में  छोड़ दिया।

काला हिरण जंगल में आकर खुश हो गया। राजा भी  काले हिरण को  देखने के लिए जंगल में उसके पीछे पीछे था आया।

राजा यह दृश्य देखकर डगमगाया।

वहां काला हिरण अपनी हिरणी को था चाट रहा।

उसको अपनी विवशता जाहिर था कर रहा।  रानी भी अपने काले हिरण को देखकर थी मुस्काई।

काले हिरण को गले लगाकर उसकी आंखें  थी छलछलाई।।

राजा उन दंपति  परिवार का ऐसा प्यार देखकर  मौन हो गया।

परिवार से बिछड़ने के एहसास से अवगत हो गया।

राजा काले हिरण से बोला प्यारे! तुम तो  हो बहुत  ही दरिया दिल।

तुम्हारे प्यार को समझने के बाद मेरा मन  हुआ जिन्दा दिल।

तुम आज से इसी जंगल में रहोगे।

आज मुक्त होकर अपनें दोस्तों संग मस्ती करोगे।

राजा बोला अलविदा दोस्त! आज मैं तुम्हें मुक्त करता हूं।।

तुम्हारी सच्ची दोस्ती को सलाम करता हूं।

सच्ची दोस्ती के बिना जिंदगी नहीं।

ऐसीे खुशहाल जिंदगी के बिना कोई सच्चा सुख नहीं।।

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