साहसी देवकी

माधवपुर गांव में देवकी अपने पति के साथ हंसी-खुशी जीवन यापन कर रही थी। उसके पति के व्यापार में दिन रात चौगुनी उन्नति हो रही थी। उसका पति एक मेहनती और ईमानदार व्यापारी था। बाहर के लोग भी उसकी बहुत ही प्रशंसा कर रहे थे। विदेशों में भी उसके सामान की प्रशंसा हो रही थी। एक दिन देवकी का चचेरा भाई अपनी बहन के गांव माधवपुर आया। अपने जीजा जी के ठाठ बाट देख कर जल भुन कर रह गया। उसको अपने जीजा जी से ईर्ष्या होने लगी उसकी बहन देवकी के चार बेटे थे और पांचवां उसके गर्भ में पल रहा था वह सोचने लगा कि अगर मैं अपने जीजा जी का कत्ल कर दूं तो सारी की सारी जमीन का मालिक मैं स्वयं हो जाऊंगा और उसका सारा रूपया पैसा में छीन लूंगा। अपनी बहन से लेना तो मेरे बाएं हाथ का खेल है इसके लिए पहले मुझे अपने जीजा जी का कत्ल करना होगा। मुझे कोई ना कोई साजिश करनी होगी तभी वह यहां से जाएगा। मैं अपने काम को जब तक अंजाम ना दे दूं तब तक मैं यहां से वापस नहीं जाऊंगा ।उसने अपने साथियों को बुलाया एक जहरीला सांप लेकर आओ। तुम इस सांप को मेरे जीजाजी के कमरे में छोड़ देना। जीजाजी जब अपने कमरे में आराम कर रहे होंगे तब तुम खिड़की में सांप छोड़ देना और बाहर से ताला लगा देना अंदर सांप उन्हें डस लेगा तब उस दुष्ट चचेरे भाई ने अपने जीजा जी के कमरे में जहरीला सांप छोड़ दिया। वह जैसे ही बिस्तर से उठा नीचे जहरीले सांप ने उन्हें डस लिया वह दरवाजा खोलनें ही लगा था परंतु वह नीचे गिर गया काफी देर हो चुकी थी किसी को भी इसका पता नहीं चल सका ।सारा काम समाप्त करके जब देवकी अपने पति के कमरे में गई तो उसने अपने पति को मरा हुआ देखा ।वह जोर जोर से रोने लगी। उसको रोता देखकर सारे के सारे इकट्ठे हो गए। जहर इतना फैल चुका था की उसके पति को बचाया नहीं जा सका। उसके चचेरे भाई ने उसे सांत्वना दी बहना तेरा इस दुनिया में कौन है ?चाहे मैं तेरा चचेरा भाई हूं। बहना मैं किसी चीज की तुझे तंगी नहीं होने दूंगा तू मेरे साथ मेरे घर पर चलेगी। वह अपनी बहन को अपने घर ले आया । धीरे-धीरे अपनी बहन की सारी संपत्ति को उसने हस्ताक्षर करवा कर के अपने नाम कर लिया था । उसकी बहन बहुत ही मासूम थी । धीरे-धीरे उसे सब कुछ समझ में आ गयाा कि उसके मुंहबोले भाई ने ही मेरे पति को मारा है। वह सारी की सारी संपत्ति हडपना चाहता था। बेचारी अकेली असहाय अबला क्या कर सकती थी क्योंकि उसके पेट में अपने पति की पांचवी संतान पल रही थी। वह सोचनें लगी कि आने वाला बच्चा अपने साथ ना जाने कैसी किस्मत लेकर कर आया है। उनके दरवाजे पर तभी एक महात्मा ने दस्तक दी उसके भाई ने दरवाजा खोला तब उसके भाई की तरफ देखकर महात्मा बोले भगवान के नाम पर कुछ दे दो। उसक चचेरा भाई बहुत ही धूर्त था। परंतु साधु-महात्माओं को वह कभी अपने दर से निराश नहीं जाने देता था। वह बोला साधु बाबा हम तुम्हारे लिए क्या कर सकते हैं? साधु बाबा की नजर उसकी बहन पर पड़ी वह उसको देख कर बोले घोर अनर्थ हो गया। बेचारी माई तुम अपना हाथ मुझे दिखाओ। उसका भाई बोला यह बेचारी अपना हाथ क्या दिखाएगी? बाबा बोले उसकी किस्मत में तो पांच बेटे हैं।

उसका भाई चौका और बोला आपको कैसे पता है? उसके भाई ने तब तक अपनी बहन का हाथ खींचकर साधु बाबा के आगे कर दिया। साधु बोला बेटा डरो मत। तुम्हारा पांचवा बेटा इतना बहादुर होगा कि वह सब को मात दे देगा। चिंता करने की कोई जरूरत नहीं। जैसे ही साधु महाराज चले गए तब उसने अपनी बहन को कहा अब तो तुम्हें डरने की आवश्यकता नहीं। आप का पांचवा बेटा बहुत ही बहादुर होगा। उसका बहुत ही अच्छे ढंग से ख्याल रखना होगा। उसकी बहन समझ चुकी थी कि मेरे भाई ने ही मेरे पति को मरवाया है पता नहीं यह मेरे बेटे को भी कहीं मार न दे इसलिए मैं अपनी बेटे को कहीं और भेजने का मन बना लेती हूं। उसकी बहन देवकी ने अपनी सहेली को फोन किया और कहा कि मेरी प्यारी सखी इस दुनिया में सबसे ज्यादा अपने पति के बाद मैं तुम पर ही सब से ज्यादा विश्वास करती हूं। आज तुम मुझे ग्रैंड होटल में मिलो। मैं तुम्हें कुछ कहना चाहती हूं। वह अपनी सहेली से मिलने ग्रैंड होटल में चली गई। उसने अपनी सहेली से मिलकर उसे सारी बात बता दी। उसने यह भी बताया कि उसके चचेरे भाई ने ही मेरे पति को मरवा दिया है। उसकी नजर अब मेरे बेटे पर है। जब मैं अपने बेटे को जन्म दूंगी तब तुम मेरे बेटे को यहां से ले कर चली जाओगी। कृपया करके उसे तुम पाल लोगी। जिस दिन भी यह बच्चा पैदा होने वाला होगा मैं तुम्हें सूचित कर दूंगी। रुपए की चिंता मत करो। मैं तुम्हें सब दे दूंगी। मेरे पति मेरे लिए काफी कृपया धन दौलत छोड़कर गए हैं। सबसे बड़ी धन-दौलत तो मेरा यह बेटा है। कृपया करके जैसे ही मैं तुम्हें सूचित करूंगी तब तुम मेरे बच्चे को यहां से लेकर चले जाना। इसके लिए मैं तुम्हारा उपकार कभी नहीं भूलूंगी। उसकी सहेली बोली देवकी बहन तुम्हें अपनी सहेली पर विश्वास करना होगा। मेरा एक बेटा बलराम है। एक तुम्हारा बेटा होगा। मैं दोनों बेटों की मां बन जाऊंगी। किसी को भी पता नहीं लगने दूंगी। मैं यशोदा बनकर उसे पाल लूंगी। देवकी बोली कि मुझे अपने भाई के इरादे ठीक नहीं लगते क्योंकि अभी मेरे गर्भ में मेरा बेटा पल रहा है। मैं अभी कोई दौड़-धूप नहीं करना चाहती। इसके जन्म देने के बाद मैं चुप नहीं बैठूंगी। मैं अपने भाई से किनारा कर लूंगी। कहीं वह मेरे चार बेटों को भी भी नुकसान ना पहुंचाएं। उसने अपनी सहेली जानकी को बताया कि आज एक साधु महात्मा हमारे घर आए थे। जब वह हाथ देखने लगे तो उन्होंने मुझे कहा कि बेटा उदास ना हो। तुम्हारा पांचवा बेटा सब को मात दे देगा। यह सुनकर मेरा भाई आग बबूला हो गया। मैंने अपने भाई की बात सुन ली। उसने अपने गार्ड्स को आदेश दे दिया था कि जैसे ही मेरी बहन इस बच्चे को जन्म देगी तुम उसके बच्चे को मार देना। चुपचाप रहना कहीं मेरी बहना न सुन ले। यह जब मैंने सुना तो मैं सुन रह गई थी। मुझे दुख करने से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि अब तो रो-रो कर मेरे आंसू भी सूख चुके हैं। मुझे हर हाल में अपने बेटे को बचाना है। यहां का एक अंगरक्षक मुझे अपनी बड़ी बहन से भी ज्यादा प्यार करता है। वह बोला देवकी बहन तुम चिंता मत करो। जहां तुम कहोगी हम तुम्हारे बच्चे को भेज देंगे। उसकी इस बात पर मुझे विश्वास है वह मेरे साथ धोखा नहीं करेगा। उसकी सहेली जानकी वहां से चली गई थी। वह भी जल्दी जल्दी घर वापस आ चुकी थी। उसके भाई ने उससे पूछा बहना तुम कहां गई थी। वह बोली सारा का सारा दिन मैं अंदर ही अंदर रह जाती हूं। मुझे टहलने से अच्छा लगता है। मुझे अंदर बहुत ही घुटन महसूस हो रही थी। उसका भाई बोला तुम्हें चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं।

उस के प्रसव का दिन नजदीक आ रहा था। वह अंदर ही अंदर डर से घुली जा रही थी कि क्या होगा।? आखिर वह दिन आ ही गया। रात के समय सब सोए हुए थे। रात को उसके बेटे ने जन्म लिया। उसने जल्दी ही अपने भाई अंगरक्षक को बुलाया और कहा मेरे भाई मेरे बेटे को बचा लो। मैं तुम्हारा यह एहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगी। उसका घर पास में ही था ।

उसकी पत्नी ने भी एक बेटे को पहली ही रात जन्म दिया था। उसने जल्दी में लाकर वह बच्चा वहां पर रख दिया और जल्दी ही देवकी ने अपनी सहेली को सूचित कर दिया कि मेरे बेटे या बेटी को लेने आ जाना। उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो चुकी थी। उसकी सहेली पहले ही गाड़ी लेकर पहुंच चुकी थी। उसने गाड़ी उनके बंगले के पीछे ही खड़ी कर दी। वह एक साधु बाबा के भेष में अंदर पहुंचे। वह साधु के भेष में ही अपनी सहेली से बोली देवकी डरो मत मैं भेष बदलकर तेरे बेटे को बचाने आ चुकी हूं। अंगरक्षक ने उसके भाई को सूचित कर दिया कि उसकी बहन ने सुंदर से बेटे को जन्म दिया। वह देखनें में बिल्कुल कन्हैया की तरह लगता है। उन्होंने उसे कान्हा का नाम भी दे दिया। देवकी ने कहा यहां कूड़ा डालने वाला डिब्बा पड़ा है। उसे रुई से लिपटा कर डाल दो। जब बाहर इस डब्बे को फेंकने जाएंगे तब यह साधु बाबा बाहर से इस बच्चे को अपने साथ अपने घर ले जाएंगे । वह अंगरक्षक बोला यहां कि तुम मत सोचो यहां पर मैं सब कुछ अच्छे ढंग से सुधार लूंगा। उसका भाई जैसे ही वहां पहुंचा वह बहुत खुश हो गया। उन्होंने देवकी के भाई को अंगरक्षक का बच्चा दिखा दिया था। देवकी ने अपने बेटे को थोड़ी सी दवाई अपने पैदा हुए बच्चे को सुबह सूंघा दी थी जिससे वह रो ना सके। उसके बच्चे को कचरे वाले डिब्बे में रूई के साथ लपेट लिया था। उस पर कचरा कागज डाले थे। उस पर ढक्कन लगा दिया था। अंगरक्षक ने अपने दूसरे साथी को कहा कि इस कूड़ेदान को बाहर फेंक देना। उसका दूसरा साथी कूड़े का डिब्बा बाहर ले कर चला गया था। उस साधु बाबा ने उस कचरे के डिब्बे में से देवकी के बच्चे को निकाला और कान्हा को लेकर अपने शहर वापिस आ गई। वहां पर वह उसे अपने बेटे के साथ रहनें लगी वह उसको बहुत अधिक प्यार करती थी। उसके दो बेटे थे। वे दोनों बहुत ही शरारती थे गाड़ी में अंगरक्षक ने अपने बेटे को डिक्की में डाल दिया था। उसने अपने बेटे को भी बेहोशी की दवा सुंधा दी थी। उसने जल्दी नकली पुतले को पहाड़ी से नीचे गिरा दिया था। उसकेभाई ने समझा कि उसने देवकी के बेटे को मार दिया है। वह खुश हो गया था क्योंकि उसे खतरा केवल उसके पांचवे बेटे से था। धीरे-धीरे समय बीतता गया देवकी को उसके भाई ने बताया कि तुम्हें मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ था। तुम बच्चे को जन्म देने के पश्चात बेहोश हो गई।

उसे अपने भाई के पास रहते रहते काफी दिन हो गए थे। वह बीच-बीच में अपनी अपनी सहेली को फोन कर देती थी। और अपने बेटे के बारे में पूछ लेती थी। उसकी सहेली जानकी बोली तुम्हारा बेटा तो बहुत ही शरारती है। बिल्कुल नटखट शरारती। मैंने तो उसका नाम कान्हा ही रखा है। कान्हा भी भी बड़ा हो रहा था। वह कॉलेज में पढ़ने लगा। उसकी सहेली जानकी ने उसे एक वीर सैनिक बनाया। उसने उसे एक बहादुर सिपाही बनाया जो कि सब को युद्ध में हरा देता था। उसका भाई भी उसी की तरह एक बहादुर सिपाही बना। दोनों कॉलेज में जब कभी कोई भी किसी को बेवजह मारता तो वह दोनों भाई आगे आ जाते और लड़ाई में उन्हें कोई मात नहीं दे सकता था। कॉलेज में कान्हा की भी एक लड़की राधा से दोस्ती हो गई थी। वह लड़की कान्हा को बहुत प्यार करती थी उसने कान्हा को बताया कि वह उससे शादी करना चाहती है। राधिका के ने कहा कि तुम्हें मेरे पापा के साथ युद्ध करना होगा जो मेरे पापा को पहली बारी में युद्ध में हरा देगा तब शायद मेरे पापा मेरी शादी तुमसे कर देंगें। कान्हा ने राधिका से कहा कि मैं कल तुम्हारे घर आऊंगा। दूसरे दिन कान्हा राधिका के घर पहुंचा। उसने राधिका के पापा को कहा कि वह राधिका से शादी करना चाहता है। राधिका के पापा ने कहा ठीक है मेरी भी एक शर्त है। अपनी बेटी के लिए ऐसा पति चाहता हूं जो दिमाग से ही नहीं बल्कि युद्ध क्षेत्र में भी माहिर हो। तुम अगर मुझे युद्ध में हरा दोगे तो मैं तुमसे अपनी बेटी की शादी करने के लिए तैयार हूं । कान्हा नें राधिका के पापा को युद्ध में हरा दिया। राधिका के पापा कान्हा के साथ अपनी बेटी की शादी करने के लिए तैयार हो गए।

जानकी ने उसकी मां की सारी कहानी कान्हा को बताई। तुम्हारी मां तुम्हारी राह देख रही है। उसने सारी कहानी कान्हा के मामा की कहानी कान्हा को सुनाई कि कैसे उसके पिता को उसके चचेरे भाई ने जहरीले सांप से मरवा दिया था। और उसकी सारी संपत्ति हथियाकर पूरी संपत्ति का मालिक बन गया था। इसलिए उसने अपने बेटे और देवकी के बेटे को सैनिक बनाया था। जिससे वह अपने मामा से अपनी मां के साथ किए गए अन्याय का बदला ले ले। कान्हा को जब पता चला कि उसकी माँ ने जन्म की रात उसे छुपाते हुए कूड़े की बाल्टी में छिपाकर मेरे पास भेज दिया। तुम वहां जाकर अपनी मां को तलाशना।

अपनी मां की इस प्रकार की दुर्दशा करने पर कान्हा को बहुत ही बुरा लगा। वह अपने मामा से बदला लेने के लिए तैयार हो गया उसके मन में क्रोध की ज्वाला भड़क रही थी। कंस नें किस तरह मां को इतनी यातनाएं दी। जानकी नें कान्हा को कहा तुम जा कर अपनी मां को उस कंस जैसे मामा से छुटकारा दिलवाओ। शायद यह दिन देखने के लिए ही वह आज तक जीवित है।

देवकी अपने भाई के पास से अपने घर वापस आ गई थी। उसने वहां पर औरतों की एक अलग संस्था बनाई थी। जंहा पर उन सभी लड़कियों को प्रशिक्षित किया जाता था जो अपने आप को असहाय समझती थी। उन्हें बंदूक चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता था। तलवार भाला सब चलाना सिखाया जाता था। वह भी एक शूरवीर योद्धा बन चुकी थी। वह अपने भाई से बदला लेने के लिए बिल्कुल तैयार थी। जब उसके चचेरे भाई ने सुना कि उसकी बहन एक योद्धा बन चुकी है तो उसने अपनी बहन को बुलाया और कहा बहन तुम यह क्या कर रही हो ? वह बोली मैं असहाय लड़कियों को युद्ध कौशल की ट्रेनिंग दे रही हूं ताकि वक्त पड़ने पर हमारे घर की बेटियां भी पीछे ना रह सके। उसके भाई को किसी दोस्त ने बताया कि तुम्हारी बहन जान चुकी है कि उसके पति को तुमने ही मारा है इसलिए वह युद्ध कॉशल में ट्रेन हो गई है। देवकी के भाई ने धोखे से अपनी बहन को कारागार में डाल दिया। देवकी जरा भी नहीं डरी। उसने कारागार में अपनी सहेलियों को फोन करके कहा कि अब समय आ गया है तुम सब को ही मेरा साथ देना होगा क्योंकि मैं अपने भाई से अपना बदला लेना चाहती हूं। उसने धोखे से मेरे पति को मारा था। मैं भी धोखे से ही उसके प्राण लूंगी। तुम सबको मेरा साथ देना होगा।

उसने अपनी सहेलियों को यह भी बताया कि मेरे भाई ने मुझे कारावास में बंद कर दिया है। कारावास मेरे भाई के घर के पास ही है। जब मैं तुम्हें सूचित करूंगी तब तुम सब को मेरा साथ देने आना होगा परंतु इसका पता किसी को भी नहीं चलना चाहिए। मेरे भाई को किसी ने बता दिया है कि हम युद्ध कौशल में पारंगत हो गई है। उसके पति को उसनें ही मारा है इसलिए उसने मुझे कारावास में डाल दिया।

कान्हा माधवपुर गांव पहुंचा तब उसको अपने पिछले जन्म का सारा याद आ गया। पिछले जन्म में जब उसकी शादी होने जा रही थी तब वह गणेश मंदिर में कार्ड डालना भूल गया था।
जब उसने रथ को हांकना चाहा तो उसके रथ में सैकड़ों चूहे लग गए थे। उन्होंने गणेश के मंदिर में जाकर माफी मांगी तब उनकी बारात खुशी-खुशी गई। उसे सब कुछ याद आ चुका था वह अपनी प्रेमिका राधिका के साथ माधोपुर गणेश मंदिर गया। वहां जाकर मत्था टेका। माधोपुर में जाकर उसने अपनी मां देवकी के बारे में जानना चाहा। वहां पर सारी की सारी कन्याओं को देखकर चौंके। वह बोली तुम देवकी मां से क्यों मिलना चाहते हो।? कृष्ण बोला मैं उनका बेटा हूं। मैं उनसे मिलना चाहता हूं। उस गांव की सभी स्त्रियों ने उसे बड़े सम्मान के साथ उसका अभिवादन किया और बताया कि तुम्हारी मां ने किस प्रकार हम सब को एक कुशल योद्धा ही नहीं बल्कि हमें हर शिक्षा प्रदान की है। हम उन्हें एक मां शक्ति के रूप में देखते हैं। जिन्होंने हम असहाय अबला नारियों को लड़ने की प्रेरणा दी है। हम किसी भी तरह से अनाथ नहीं है। शत्रु का मुकाबला हम हंसते-हंसते कर सकती हैं। तुम्हारी मां को तो तुम्हारे मामा ने धोखे से कारागार में बंद कर दिया था।

उसने वहां रह कर भी हम सब को सूचित कर दिया था। वह एक बहादुर महिला है। हम उन्हें वहां से छुड़वा कर ही दम लेगी। कान्हा बोले बहनों तुम अब डरो नहीं मैं और मेरा भाई हम दोनों ही काफी है मामा से बदला लेने के लिए।

वह दोनों उसके मामा के घर जाने के लिए तैयार हो गए । वह जैसे ही माधवपुर गांव पहुंचे तो अपने सामने दो नौजवान रणबांकुरों को देखकर उसका मामा सकपका गया और बोला कि तुम कौन हो।? तुम यहां क्यों आए हो ।? कृष्ण बोले कि जब हमें पता चला कि आपने एक स्त्री को कैद कर रखा है तो हमसे नहीं रहा गया क्योंकि मैं भी माधोपुर का हूं। मैं भी यही पला हूं। मुझे अपनी मातृभूमि पर गर्व है। मैं यंहा वहां की हर वृद्धों का सम्मान करता हूं। उनमें मुझे अपनी मां की छवि दिखाई देती है इसलिए मैं उन्हें छुड़वाने आया हूं। देवकी का भाई बोला कि मैं किसी भी हालत में देवकी को तुम्हारे साथ नहीं भेजूंगा। तुम्हें मुझ से युद्ध करना होगा। तुम अगर मुझे युद्ध में हरा दोगे तब मैं कुछ सोच सकता हूं। कान्हा तो उनके साथ युद्ध करनें के लिए तैयार हो गया। सारे के सारे लोग युद्ध देखने के लिए इकट्ठे हो गए थे। पंडाल पूरी तरह से खचाखच भरा हुआ था। चुपके से जाकर कान्हा कारावास में अपनी मां से जाकर मिले ।

अपने बेटे को देखकर देवकी फूट-फूट कर रो पड़ी। उसने सारी कहानी बता दी कैसे उसके कंस जैसे मामा ने उसके पिता को मार दिया था। उसनें सभी नारी शक्ति को फोन पर सूचित कर दिया दरबार में एक बड़े डांस का आयोजन होने जा रहा है। वह भी आज रात को। तुम भी आज रात को डांस देखने के लिए आ जाना।

दूर दूर से आए हुए लोग इन दोनों रणबांकुरों का युद्ध भी देखेंगे। आज रात को तुम सब सारी की सारी शक्तियां दरबार में उपस्थित हो जाना। यहां के दरबारियों के जूस में बेहोश करनें वाली दवाई मिला देना। और मुझे यहां से निकाल लेना।

मैं भी तुम लोगों के साथ युद्ध करूंगी। शाम को सभी मातृ शक्तियों ने सभी दरबारियों को बेहोश कर दिया और उन्होंने मिल कर देवकी को वहां से निकाल दिया। देवकी ने सैनिक के कपड़े पहने और अपने बेटे के साथ खड़ी हो कर बोली आज तुम्हारा यार खान तुम्हारे साथ युद्ध करना चाहता है बेटा। मैंने तुम्हारी सारी कहानी सुनी है। तुम अपनी मां को छुड़ाने ****** आए तो तुम उनकी चिंता मत करो। मेरे रहते तुम्हें उनकी चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तुम दोनों अभी आराम से सो जाओ। मैं अकेला ही उसके साथ लड़ने के लिए काफी हूं।

कान्हा और बलराम हैरान हो कर देख रहे थे कि एक खान हमारी सहायता करने कहां से देवदूत बनकर आ गया। खान उसके मामा रुपी कंस के कमरे में गया जहां वहां खर्राटे ले कर सो रहा था। उस ने तीन वार उस पर किए। चौथे वार में उसका मामा लहूलुहान होकर नीचे गिर गया। उसकी पगड़ी तभी नीचे गिर चुकी थी। चीख सुनकर सारे के सारे लोग इकट्ठे हो गए।

उन्होंने देवकी को पहचान लिया। जिसने अपने भाई का खून करके अपने पति का बदला ले लिया था। वह मरा नहीं था। अरे दुष्ट देख मेरा बेटा मेरे सामने खड़ा है। तुझे मैं एक ही बार में समाप्त कर सकता था। देवकी बोली मैं ही तुझे मारना चाहती थी। आज मैंने अपने पति के प्राणों का हिसाब चुका लिया है। उसनें सारी की सारी संपत्ति अपने बेटे के नाम करवा ली। उसकी संपत्ति उसे वापस मिल चुकी थी।

देवकी चुपचाप अपने बेटे की गोद में जाकर गिरी। कृष्ण अपनी मां को ले कर अस्पताल लेकर गया। वहां पर कृष्ण ने अपना खून देकर उसे बचा लिया। उसने अपनी मां को गले से लगा लिया। उसने अपनी मां को कहा कि तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकती। तुम्हें अभी तो अपनी बहू से मिलना है। उसने राधिका को भी अपने पास माधोपुर बुला लिया था। राधिका जल्दी ही वहां पहुंच चुकी थी। वहां पर आकर उसने अपनी सासु मां के पैर छुए और उनसे आशीर्वाद लिया। देवकी ने उन दोनों को आशीर्वाद देकर कहा खूब खुश रहो मेरे बच्चों। दोनो माधवपुर में खुशी खुशी रहने लगे।

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