कौन कहता है कि मां आपका लाल युद्ध भूमि में मारा गया।
वह तो आपके दूध का कर्ज चुकाता शहीद हुआ।।
वह रण बांकुरा आपका गुदड़ी का लाल था। वह रण बांकुरा आप की आन बान और शान था।
अपने देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाता शहीद हुआ।
अपना खून बहा कर वीरगति को प्राप्त हुआ।। आपकी तरह ही और भी माताएं धन्य हुईं।
जिनके अपनों नें देश के प्रति अपना फर्ज चुका कर जान गवांई।
जिन के बेटे, भाई, सुहाग अपनी जान हथेली पर लेकर दुनिया से रुखसत हो गए।
चिता की राख ठंडी होने से पहले ही उनके मां-बाप के चेहरे मुरझा गए।।
यह वक्त ना जाने कब तक चलता रहेगा।
ना जाने कब तक यह दर्दनाक मंजर होता रहेगा।
यूं ही आदमी के लहू का कतरा कतरा कतरा बहता रहेगा।
इस दुनिया में इंसानियत का निशान रहे ना रहे। मगर इन शहीदों की कुर्बानी का हिसाब यूं ही जाया नहीं जाएगा।।
उनके लहू के कतरे कतरे का हिसाब चुकाया जाएगा।।
वीर सैनिकों के प्रति शतशत नमन।
उनके जज्बे को कोटि कोटि वंदन।।