कुणाल का तबादला चंडीगढ़ हो गया था। उनके घर में उनकी पत्नी कंचन और उसके दो बच्चे थे। उनकी बड़ी बेटी संपदा ग्यारहवीं कर चुकी थी और बेटा शेखू दसवीं में था। उसके माता-पिता अपने दोनों बच्चों को बहुत प्यार करते थे। कुणाल नें अपने दोनों बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं रखी। कुणाल की क्लर्क की नौकरी थी। उसकी पत्नी घर पर ही रह कर अपने बच्चों का पालन पोषण किया करती थी। उसके पति को जो वेतन मिलता था तो वह सब किराए में चले जाता। लेकिन वह अपने बच्चों को कभी किसी भी वस्तु की तंगी नहीं होने देती थी। उसने अपनी बेटी को गवर्नमेंट स्कूल में दाखिल दिलवाया था। उसकी बेटी रात दिन पढ़ाई में जुट जाती। वह अपने पिता को कहती पापा देखना जब मेरे अच्छे अंक आएंगे तो आप भी फुला नंहीं समाएंगें। संपदा और शेखू दोनों लड़ाई झगड़ा करने में कोई कमी नहीं रखते थे। संपदा अपने भाई को कहती थी तू तो कभी पढ़ता ही नहीं है देखना तू तो फेल होगा। सारा दिन मटरगश्ती करता रहता है। कभी पढ़ भी लिया कर। वह भी अपनी बहन को चिढा चिढा कर कहता मुझसे झगड़ा किया तो तेरी शादी जल्दी करा दूंगा। जो तू बड़ा रोआब दिखाती है इस बार मैं प्रथम आऊंगी। मेरा नाम अखबार में आएगा
मेरा नाम अखबार में आएगा देखना तू तो इस बार फेल होगी। तेरा नाम लिस्ट में सबसे पीछे होगा। वह कहती देखना तू तो बड़ा लड़ाकू है। जा तुझ से कभी बात नहीं करती। लड़ते-लड़ते दोनों एक दूसरे के बाल खींचने लगते। उनकी मां जब आ कर छुडाती थी तब कहीं जाकर लड़ाई झगड़ा शांत होता। वह अपनी बहना को कहता अच्छा है जितनी जल्दी ब्याह कर के तू अपने घर चली जाएगी तभी अच्छा होगा। तेरे हिस्से की सारी चीजें भी मैं ही खा जाया करूंगा। उसके पिता उनकी मीठी मीठी नोकझोंक को शांत कराते करते। लड़ाई झगड़ा मत किया करो। मेरे पास तुम दोनों को देने के लिए कुछ है। मैं चॉकलेट लाया हूं। चॉकलेट का नाम सुनकर दोनों दौड़ पड़ते और खुब मस्ती करते। सम्पदा झूठमूठ का बहाना बहाना करके कहती मुझे नहीं खानी है। मेरे हिस्से की भी शेखू को दे दो। शेखू कहता मुझे भी चॉकलेट नहीं खानी मेरे हिस्से की संपदा को दे दो फिर दोनों भाई बहन एक दूसरे को चॉकलेट खिलाते और खूब मस्ती करते।
संपदा की सहेली साक्षी भी उसकी कक्षा में पढ़ती थी। साक्षी के पिता का नाम भी कुणाल था। वह कहती मेरे पिता का नाम भी कुणाल है। साक्षी संपदा की पक्की सहेली थी। दोनों एक ही कक्षा में थी
साक्षी के माता-पिता बहुत धनी थे। उनके पास किसी भी वस्तु की कमी नहीं थी। वह पढ़ाई में बहुत ही ढीली थी। वह संपदा से मिलनें उसके घर आया करती थी। संपदा उसकी हमेशा पढ़ाई में उसकी मदद किया करती थी साक्षी की मां को संपदा से चिढ़ होती थी कि यह कितनी होशियार लड़की है। वह अपनी बेटी साक्षी को कहती कि तू क्यों नहीं इस की तरह बन जाती। यह भी तो तेरी तरह है तू क्यों नहीं याद करती इस के टैस्ट में कितने अच्छे अंक आते हैं? वह अपनी मां को समझाते हुए कहती हर व्यक्ति एक जैसा नहीं होता। साक्षी की मां के दिमाग में एक योजना आई कि साक्षी जब परीक्षा देने जाएगी उसकी उत्तर पुस्तिका अपनी बेटी की उत्तर पुस्तिका से बदला देगी। वह संपदा को हमेशा पढ़ते देखा करती थी। वह भी अपनी बेटी की पी एम टी की तैयारी करवा रही थी। उसकी मां सोचने लगी वह संपदा की उत्तर पुस्तिका को अपनी बेटी की उत्तर पुस्तिका बदलवा देगी तो बड़ा ही अच्छा रहेगा। मेरे पास रुपए की कमी नहीं है। इसके लिए मुझे किसी भी व्यक्ति को दस लाख देने भी पड़ जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। संपदा के माता-पिता कितने गरीब है? कोई फर्क नहीं पड़ेगा । वह उस के पेपरों की जांच भी नहीं करवाएंगे ।उसके पिता तो बहुत ही शरीफ है। वह कहीं भी जाने वाले नही उन्हें तो इतना ही काफी है कि उनकी बेटी पास हो जाए।
एक दिन अपनी बेटी के साथ संपदा को यह कहते सुना था कि इस बार तो मैं परीक्षा की इतनी अच्छी तैयारी कर रही हूं। स्कूल वाले भी मेरा परिणाम देख कर दंग रह जाएंगे। साक्षी बोली कि मुझ भी नकल करवा देना। मेरा तो जरा भी पढ़ाई में मन नहीं लगता है।
अपने दोनों बच्चों को अपने पास बिठा कर कुणाल बोले बेटा वादा करो तुम दोनों में से जिस किसी के भी अच्छे अंक आएंगें उस को कोई इनाम दिया जाएगा। संपदा बोली पापा मुझे ईनाम नहीं चाहिए। मुझे तो अपने आप ही इनाम मिल जाएगा। शेखु बोला तुझे क्या मिलेगा? इस बार इनाम तो मैं ही ले लूंगा। बताओ पापा इस बार में प्रथम आया तो मुझे कुछ तो अवश्य दोगे। मेरे दोस्त के पास गाड़ियां भी है लेकिन मुझे पता है कि शहर की इस भागदौड़ वाली जिंदगी में आना कितना मुश्किल होता है? हमारे दोनों के लिए आप रात दिन कितनी मेहनत करते हैं? मैं इस बार ईनाम ले कर बताऊंगा। मैं जब बड़ा अफसर बन जाऊंगा तब आपको नौकरी नहीं करने दूंगा। इस बार मुझे साइकिल दिला देना। उसके पिता बोले ठीक है। दोनों बच्चे पढ़ाई में जुट गए थे।
संपदा ने भी खूब जमकर पढाई कर पीएमटी का टैस्ट दिया था। आज उसका परीक्षा परिणाम आने वाला था। वह बड़ी ही उत्सुकता से अपनें परीक्षा परिणाम का इन्तजार कर रही थी शेरु दौड़ा दौड़ा अपनें पिता को आ कर बोला आज ही मुझे साईकल ले कर आना। मैं इस बार दसवीं कक्षा में प्रथम आया हूं। उसके पिता ने जब परीक्षा परिणाम देखा वे भी खुशी से फुले नहीं समाये। उसकी मेहनत रंग लाई थी। संपदा नें अपने भाई को गले से लगा लिया। वाह! यह हुई ना मेरे भाई वाली बात। मैं भी तुझे आज इनाम देने वाली हूं। मुझे प्रथम आने पर जब स्कॉलरशिप मिलेगी तब मैं तुझे ईनाम अवश्य ले कर दूंगी। मैं तुझे सुंदर सा उपहार लेकर दूंगी। तुझे उपहार देनें के लिए अभी रूपए जुटा नहीं सकती।
शेखू आकर बोला बहना मुझे कुछ नहीं चाहिए देखना आप भी प्रथम आएंगी। मैं आपसे तू तू मैं मैं करके बात करता हूं। वह तो तू बोलना मुझे अच्छा लगता है। उससे अपने पन की खुशी झलकती है। आप मुझसे बड़े हो लेकिन प्यार से कभी कभी मुंह से तू निकल जाता है। डाकिया अभी अभी अखबार दे कर गया था। उसके पिता बोले चश्मा लाना बेटा संपदा का परीक्षा परिणाम निकला है। बेटा बता तो जरा अपना रोल नंबर। उसके पिता ने सारा अखबार चार बार देख डाला। उसके पिता बोले बेटा तू ही देख। शायद मेरी नजर कमजोर हो गई है। दूसरे पेज पर साक्षी की फोटो देखकर चौंकी। उसकी सहेली प्रथम आई थी। वह बोली पापा मैं तो फेल हो गई। वह तो चुपचाप सी हो गई। उसके पिता ने उसे ढाडस बंधाया। कोई बात नहीं कभी-कभी ऐसा हो जाया करता है। वह बोली पापा ऐसा नहीं है। मैं तो क्या सोच रही थी और क्या हो गया? साक्षी को कुछ भी नहीं आता था। उतर देते समय शायद तेरे दिमाग नें काम करना बन्द कर दिया होगा। कोई बात नहीं दिल से नहीं लगाते। तुझे मैं डांट तो नहीं रहा हूं। इस बार लगकर मेहनत करना। पीएमटी में तो बड़े बड़े नहीं निकलते हैं। वह फूट-फूट कर रोने लगी। उसका भाई अपनी बहन को रोता देखकर बोला बहना दिल छोटा नहीं करते। अगली बार पेपर दे देना। संपदा चुपचाप सी हो गई थी। उसकी मेहनत का यह परिणाम मिला। पड़ोस की औरतें संपदा को सुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी। हमेशा नकल कर के पास होगी। वह देखो पीएमटी में निकलना कोई आसान बात नहीं है। सामने वालों की बेटी देखो हरदम मस्ती करती रहती थी। वह तो पीएमटी में भी निकल गई। इस लड़की तो को तो हमेशा कहते सुना था कि मैं तो इस बार प्रथम आ कर बताऊंगी। प्रथम तो दूर की बात है यह तो टैस्ट भी क्लियर नहीं कर पाई। शेखी बघारनें वाली इस लड़की की सारी हेकड़ी निकल गई। जितने मुंह उतनी ही बातें सुनने को मिली। उसका मन कर रहा था कि चीख चीख कर कह दे कि मैं कभी फेल नहीं हो सकती हूं। रोते-रोते अपने पिता के पास जाकर बोली पापा मेरे पेपरों की चैकिंग करवा दें। उसके पिता कहते हम नहीं करवा सकते। तू विषय बदल ले। हमारे पास इतने रुपये नहीं है। साक्षी की मां आज उसके घर में मिठाई देने आई थी। जाते-जाते संपदा को कह गई बेटा डाक्टर बनने में क्या रखा है? अच्छा ही हुआ जो तू नहीं निकली। तू तो कोई और विषय ले ले।
अपनी बेटी को तो मैं हॉस्टल में भेज रही हूं। संपदा साक्षी की मां की बातें सुनकर चुपचाप रजाई लेकर सो गई। वह रजाई में दुबक कर जोर जोर से रोने लगी। कोई भी मेरी बात नहीं समझता। शायद संपदा के मन में एक विचार आया।हो सकता है साक्षी की मां ने किसी को रुपए घूस देकर ऐसा करने के लिए कह दिया हो। लेकिन मैं कैसे पता लगाऊं।? उसके पिता का नाम भी कुणाल है।ओहो!। जन्म की तारीख भी एक जैसी है।
संपदा की मां ने देखा कि उसकी बेटी ने खाने को हाथ भी नहीं लगाया था। वह अपनी बेटी के माथे पर हाथ रख कर बोली बेटा इस बार जमकर पीएमटी की तैयारी करना। तुम्हारी मां तुम्हें डॉक्टर जरुर बनाएगी। मैं भी तो सिलाई करके कुछ कमा लेती हूं। तू दिल छोटा मत कर फिर से परीक्षा देना बेटा। तुम्हारी सहेली के घर के लोग तो बहुत ही पैसे वाले हैं। हमारे पास इतना रुपया नहीं है जो तुम्हे कहीं घूस दे कर प्रवेश दिला सकें। तू पेपरों की जांच करवानें के लिए कह रही है। हमारी कोई भी नहीं सुनेगा। इस काम में मैं तुम्हारे साथ हूं। हिम्मत तो तुम्हे स्वयं ही जुटानी होगी।
संपदा ने मन बना लिया था कि वह कहीं कूदकर अपनी जान दे देगी। कोई भी मेरे मन के दर्द को समझ नहीं रहा है। उसके भाई को उसके पिता ने साइकिल दिला दी थी। उसका तो पता ही नहीं था वह कहां रहता है? उसके माता-पिता कह रहे थे कल भी मरते मरते बचा किसी की गाड़ी के नीचे कुचल गया होता। आपने इसको साइकल देख कर अच्छा नहीं किया। जल्दी में उसे ढूंढो।
संपदा ने सोचा पहले अपने भाई से मिलूं मैं अपने भाई से मिलकर ही यहां से जाऊंगी। वह अपने भाई को ढूंढनें लगी। अचानक रास्ते में एक गाड़ी बड़ी तेजी से आ रही थी।
साइकिल से टकराते ही वाली थी कि उसका भाई लुढ़क कर नीचे गिर गया। उसने साईकल चलाते अपनें भाई को सामने से आते देख लिया था। उसके सिर से खून बह रहा था। जल्दी से संपदा ने अपने घर के पास के क्लीनिक में जाकर अपने भाई की पट्टी करवाई। उसके भाई के सिर में 5 टांके लगे थे। उसके माता-पिता ने शेखर से बात ही नहीं की। वह कह रहे थे कि जब तुझे साइकिल चलानी आती नहीं तब तू क्यों साइकिल चलाता है? जब तक अच्छे ढंग से कोई काम नहीं आता हो वह नहीं करना चाहिए। वह अपने भाई को बोली तू क्यों मम्मी पापा को परेशान करता रहता है? वह बोला मैं तो फिर से साइकिल चलाने जा रहा हूं। संपदा गुस्सा होकर बोली तू क्या उनको शांति से जीने भी नहीं देगा? वह बोला तू तो रहने ही दे बहना क्या मैं इस डर से जीना छोड़ दूं कि मैं गिर जाऊंगा? इस तरह से डरता रहा तो मैं सीख चुका साइकिल। ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? दुर्घटना ही तो होगी। मैं तो दुर्घटना के डर से हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकता। संपदा आवाक रह गई। उसके भाई ने उसे कितनी बड़ी सीख दे डाली थी। वह भी तो डर के मारे आत्महत्या करने की सोच रही थी। आज तक चुपचाप लोगों की बातें सुनते आ रही थी। अब तो मुझ में भी हिम्मत आ गई है। वह दब कर नहीं रहेगी। वह अपनी आवाज उठा कर ही रहेगी। इसी तरह खामोश हो कर चुपचाप बैठी रहेगी तो कोई और ही बाजी मार जाएगा? आत्महत्या का विचार छोड़कर खुलकर सब का सामना करना चाहिए। मुझे पता है मैंने इतनी कोशिश की थी कि मैं फेल नहीं हो सकती। मैं अपने पेपरों का मूल्यांकन करवा कर ही रहूंगी। मेरे पिता भी मेरी तरह चुप रहने वालों में से है। मेरी मां तो वह सब की बातों में जल्दी ही आ जाती है। मेरा भाई है तो छोटा इसने मुझे सीख दे डाली। डरकर जिंदगी जीने से तो मर जाना ही अच्छा है।
मैं कल ही प्रिंसिपल जी के पास जाकर कहूंगी कृपया आप ही मेरी मदद कर सकते हैं। आप मेरे पेपरों का मूल्यांकन करवाने में मेरी मदद करो। दूसरे दिन अपने प्रधानाचार्य जी के पास जाकर बोली कि सर मैं आपसे निवेदन करना चाहती हूं। मैंने पीएमटी की परीक्षा में जी जान लगाकर कोशिश की थी। मैं कभी भी ऐसा नहीं सोच सकती थी कि मैं पी एमटी परीक्षा में नहीं निकलूंगी। अपना परीक्षा परिणाम देखकर मुझे निराशा ही मिली हो सकता है मेरा पेपर किसी से बदल गया हो। कृपया आप मेरे पिता समान है। इस काम में मेरी मदद अवश्य कर सकते हैं। आपको मैं अपना मैडल देना चाहती हूं। इसको बेच कर आप मेरी फीस दे देना। कृपया मैं कुछ भी करके अपने उत्तर पुस्तिका की जांच करवाना चाहती हूं। मुझे पता है आप महान इंसान है। एक बेटी के दर्द को आप से अच्छा कौन समझ सकता है। आप तो मेरे पिता के समान हो।
प्रधानाचार्य के आगे अपनी बेटी का चेहरा आ गया। वह भी पी एम टी परीक्षा में नहीं निकली थी। उसने खुदकुशी कर ली थी। कहीं वह भी यह कदम ना उठा ले। बोले बेटा, निराश न हो। अपनी तरफ से मुझ से जितना होगा उतनी कोशिश अवश्य ही करूंगा। फीस भरने के अभी 2 दिन हैं। तू चिन्ता मत कर। दस दिन बाद परीक्षा का परिणाम भी निकल जाएगा यह बात तुम्हें किसी को भी नहीं बतानी है। अपने घर में भी नहीं।
आज जब वह घर आई तो पहले से ज्यादा खुशी और उमंग से भरी हुई थी। प्रधानाचार्य जी ने उसका रोल नंबर बोर्ड को भेज दिया था। जब चेकिंग की गई तो पता लगा कि साक्षी के साथ उसका पेपर बदल गया था। साक्षी पीएम टेस्ट में नहीं निकली थी। साफ पता चल गया था कि साक्षी की मां ने छह लाख देकर उसका पेपर बदलवा दिया था। प्रधानाचार्य जी को इतनी खुशी हुई कि आज उन्होंनें एक बेटी को आत्महत्या करनें से बचा लिया था। उनकी बेटी तो इस दुनिया में नहीं थी लेकिन आज संपदा को बिखरने से बचा दिया था संपदा को सरकार ने पीएमटी टेस्ट में सिलेक्ट ही नहीं किया अपितु स्कॉलरशिप भी देकर उसको ब्याज सहित उसके जितने दिनों का बकाया था वह हर्जाना भी दे दिया था। सारी की सारी मोहल्ले वाले औरतों की नजरें झुक गई थी। आज संपदा में साहस आ गया था। उसे समझ आ गया था कि जिंदगी में डर से कोई काम नहीं चलता। आज उसमें दुगना उत्साह आ गया था। उसके पिता अपनी बेटी की होशियारी देखकर गदगद होकर बोले मेरी बेटी बेटे से कम नहीं है। मुझे उसकी हिम्मत पर नाज है। वह डाक्टरी की तैयारी करनें के लिए हॉस्टल जानें की तैयारी करनें लगी।