रामप्रकाश एक छोटे से कस्बे में रहने के लिए आए थे क्योंकि दिन पहले ही उनका तबादला सोनपुर के एक छोटे से कस्बे में हुआ था । वहां पर एक घर किराए पर लिया हुआ था। उस घर में वह अपनी पत्नी के साथ रहते थे अभी उनकी शादी को दो-तीन महीने ही हुए थे जिनसे उन्होंने घर किराए पर लिया था उनकी छोटी सी बेटी भानुू हर रोज उनके घर कहानी सुनने के लिए आती थी और अपने दोस्तों को भी इकट्ठा करके ले आती थी। हर रोज कार्यालय से आने पर हर शाम को बच्चों के साथ घर में बैठकर उनके साथ खेलते थे।उन बच्चों के साथ खुद भी बच्चा बन जाते थे। वह बच्चों से बहुत प्यार करते थे । वह और भी खुश रहने लगे थे क्योंकि उनकी पत्नी भी आप मां बनने वाली थी। वह जल्दी जल्दी काम पूरा करते और अपनी पत्नी के साथ उसका घर के काम में हाथ बंटाते भानू भीे प्यार प्यार में कहती किी अंकल आपके घर में मुन्ना आएगा या मुन्नी ।वह उसे प्यार से कहते मुन्ना हो या मुन्नी वह उसे प्यार से रखेंगे। एक दिन उनकी पत्नी की तबीयत अचानक खराब हो गई ।डॉक्टर ने बताया कि बच्चे को बचाना बहुत कठिन है देखिए क्या होता ह?अंदर से डॉक्टर ने आकर निराश होकर कहा तुम्हारी पत्नी को मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ था ।हम आपकी पत्नी को भी नहीं बचा सके ।यह सुनकर रामप्रकाश की आंखों के आगे अंधेरा छा गया ।वह बिल्कुल चुपचाप अपनी पत्नी की मुर्दा लाश को देखकर बिलख बिलख कर रोने लगे रोने से क्या होता है?रोने से तो उसकी पत्नी वापस आने वाली नहींउनके दोस्तों ने उस को सांत्वना दी
वह अब बहुत उदास रहने लग गएथे। उनके दोस्तों ने उसे समझाया कि अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है ।तुम दूसरी शादी कर लो उन्होंने कसम खाई थी वह अब कभी शादी नहीं करेंगे ।वह अपनी पत्नी की यादों के सहारे अपना सारा जीवन व्यतीत कर देंगे ।इस तरह बहुत दिन व्यतीत हो गए ।एक दिन जब वह ऑफिस से वापस घर को आ रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक कुत्तिया ट्रक की चपेट में आने से मर चुकी थी। उसके पास ही उसका छोटा सा दो महीने का बच्चा जोर जोर से अपनी मां से लिपट लिपट कर रो रहा था ।यह दृश्य उन से देखा नहीं गया उन्होंने उस कुत्तिया को हिलाकर देखना चाहा कि शायद वह जिंदा हो परंतु वह निष्प्राण थी। उसके प्राण ही बचे थे यह दृश्य देखकर रामप्रकाश से रहा नहीं गया। उसी वक्त उन्होंने उस कुत्तिया के छोटे से बच्चे को अपने रुमाल में छुपा कर उसे अपने घर ले आए उसको अपने बच्चे के समान प्यार करने लगे ।उसे हर रोज खिलाना नहलाना व सैर करवाना जब वह बच्चा बीमार होता तो उसकी ऐसे ही देखभाल करते जैसे सब अपने बच्चे की परवरिश करते हैं। धीरे-धीरे वह बच्चा भी बड़ा हो गया ।वह उसे टफी कहकर पुकारने लगे ।जब भानु और उसके दोस्त खेलने आते तो उनके साथ खेलते हुए कहता कि टफी मेरा बेटा है ।इस तरह टफी बहुत बड़ा हो गया। रामप्रकाश भी उसके काम में मदद करने लगा जैसे अखबार लाना ,दूध लाना, छोटे छोटे काम करना। एक दिन रामप्रकाश अपने दोस्त की शादी में जाने के लिए बैंक से रुपए निकाल के लिये गये । उन्होंने ₹25000 बैंक से निकाले।शाम का समय हो चुका था उनको बैंक से रुपए निकालते वक्त कुछ बदमाशों ने देख लिया ।उन्होंने राम प्रकाश जी को कहा बाबू साहब हम तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ देते हैं। हमं उसी रास्ते से जा रहे हैं ।रात के समय तुम पैदल कहां जाओगे ?रामप्रकाश को जरा भी ख्याल नहीं आया कि वे उसके रुपए भी छीन सकते हैं ।आप अपने घर पर फोन कीजिए । वह जल्दी से उनके ट्रक में बैठ गया गुंडों ने उसे कुछ सुंघाकर बेहोश कर दिया और मार मार कर झाड़ियों में फेंक दिया और अपने आप ट्रक भगा कर चले गए ।जब काफी रात होने तक रामप्रकाश घर नहीं लौटे तो उनके दोस्त को चिंता होने लगी कि आज उनके मालिक घर नहीं आए हैं ।वह चिंता के मारे इधर उधर भागने लगा उन्होंने टफी को प्यार से खाने के लिए दिया परंतु उसने खाना तो क्या ने पानी की एक बूंद तक भी नहीं पी ।घर के बाहर सीधा जा कर अपने मालिक का इंतजार करने लगा ।जब आधी रात हो जाने पर भी उसका मालिक घर नहीं आया तो तभी सबसे पहले रामप्रकाश के दोस्त के घर गया। जहां रामप्रकाश हमेशा जाता था परंतु वहां पर जाने पर उसे निराशा हाथ लगी । वह अब दौड़ने लगा ,दौड़ते-दौड़ते वह उस बैंक के पास पहुंच गया जहां पर उसका मालिक रुपया निकालने गया था। वह सुंघते सुंघतेे उस स्थान तक पहुंच गया जहां उसका मालिक झाड़ियों में मौत की सांसे ले रहा था। उसके मालिक के अभी प्राण शेष थे । वहां पहुंचकर टफी जोर जोर से भौंकने लगा ।उसकी भौंकने की आवाज सुनकर रामप्रकाश के मुख से निकला हाय। यह कहकर वह बेहोश हो गया। टफी दौड़ता हुआ रामप्रकाश के दोस्त के घर गया और उसकी कमीज खींचकर उनको उस जगह पर ले गया जहां उनका मालिक झाड़ियों में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा था। रामप्रका के दोस्त को समझते देर नहीं लगी कि उसका दोस्त टफी उससे कुछ कहना चाहता है ।वह टफी को कार में बिठाकर ले गए। जहां टफी ले जाना चाहता था। उन्होंने झाड़ियों से अपने दोस्त को बाहर निकाला और अस्पताल लेकर गए और उसकी जान बच गई। टफी ने अपने मालिक की जान बचाकर अपने पुत्र होने का एहसास दिला दिया था। रामप्रकाश के दोस्त को घसीटता हुआ वहां पर ले गया जहां पर वह ट्रक खड़ा था। जल्दी में उस गुंडे की छड़ी उसमें ही गिर गई थी। उसके पास पहुंचकर बार बार घड़ी को सुंघनेे लगा। रामप्रताप ने उस घड़ी को उठा लिया पुलिस वालों ने ट्रक के मालिक को ढूंढ निकाला। मालिक ने बताया कि तीन व्यापारियों ने उनसे यह ट्रक किराए पर लिया था ।वह व्यापारी कल यहां रुपए लेने आएंगे। इस तरह इन तीनों चोरों को टफी
ने पकड़ा दिया और उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। उसने अपने मालिक के रुपए चोरों से बरामद कर लिए । उसने अपने पुत्र बनने के दायित्व कोे बखूबी निभा कर अपना कर्तव्य निभा दिया था।