होनहार बहु

मेताली और सोनाली दो सहेलियां थी। मेताली और सोनाली का घर भी थोड़ी दूरी पर ही था। दोनों इकट्ठे स्कूल जाते मेताली पढ़ने में होशियार थी इसलिए सोनाली की मम्मी उस से बहुत ही नफरत करती थी ।वह सोचती थी कि मेरी सोनाली इस मिताली की तरह होशियार क्यों नहीं बन जाती इसलिए इस वह अपनी भड़ास को अपने तक ही सीमित रखती थी आज तो स्कूल का वार्षिक परीक्षा परिणाम आने वाला था। मेताली अपनी कक्षा में प्रथम आई थी ।उसने दसवीं की परीक्षा में सबसे प्रथम स्थान प्राप्त किया था परंतु सोनाली के अच्छे अंक नहीं आए थे ।मेताली ने सोनाली को कहा घबराने की कोई बात नहीं है अगली बार तुम खूब मेहनत करना परंतु जब सोनाली घर आई तब उसने अपने पास होने की सूचना अपनी मां को दी तो यह सुनकर खुश हुई थी उसकी बेटी पास हो गई है परंतु जैसे ही उसने सुना कि मेताली ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है तो वह जल भुनकर कांटा हो गई और कहने लगी कि मेताली तो बार-बार उसे बाजार ले जाती थी और खेलने ले जाती थी ।अपने आप चुपके चुपके पढ़ती रहती थी। उसने मेरी बेटी को पढ़ाई नहीं करने दी  थी अब तो मेताली की आंखों में आंसू आ गए।। उसकी सहेली की आंटी ने जब उस पर कठोर शब्दों का प्रहार किया तो उसने सोचा कि वह सोनाली को अब वह अपनें घर पर नहीं बुलाया करेगी।  वह चुपचाप रहने लगी थी। वह सोचने लगी कि अब वह अकेली ही बाजार जाया करेगी।

 

सोनाली की मां ने उसका मेताली से मिलना जुलना बंद कर दिया।  सोनाली   भी बिल्कुल अकेली रह गई थी ।उसका अपनी सहेली के बिना पढ़ाई में जरा भी मन नहीं लगता था उसने अपनी मम्मी से कहा प्लीज मुझे अपनी सहेली के घर जाने दो परंतु उसकी मां ने कहा कि अगर तू उसके घर गई तो मैं तुझे दूसरे स्कूल में डाल दूंगी ।अब तो सोनाली जो भी पढ़ाई करती उसे समझ नहीं आता था। पहले जो कुछ सोनाली की समझ में आता था वह अपनी सहेली से पूछ लेती थी परंतु अब तो वह अकेली ही रह गई थी ।धीरे-धीरे इस बात को बहुत दिन गुजर गए सोनाली की मां ने उसे दूसरे विद्यालय में डाल दिया।  सोनाली नें भी नए-नए स्कूल में प्रवेश ले लिया था ।वहां तो उसका मन भी नहीं लगा। इस वर्ष  वह पास भी नहीं हुई। जब वहस्कूल से आ रही थी कि तो सोनाली सोचने लगी कि अगर मेरी मां ने मेरा परिणाम पूछा तो वह क्या जवाब देगी? वह तो पास भी नहीं हुई थी उसने घर आकर बहुत सारी नींद की गोलियां एक साथ खा ली जब उसकी मां ने उसे काफी देर तक बाहर आते नहीं देखा तो उसने सोनाली  को झकझोरा परंतु उसने कोई जवाब नहीं दिया तब वह और भी घबरा गई उसने डॉक्टर को फोन किया डॉक्टर ने उसे बड़ी मुश्किल से बचा तो लिया परंतु उसकी मां से कहा कि अगर इसको वक्त पर अस्पताल नहीं आते तो  वह मर भी सकती थी। तुम अपनी बेटी से पूछने की कोशिश करो यह लड़की बहुत भावुक है ।तुमने शायद इसकी किसी इच्छा को पूरी नहीं किया होगा।  

 

सोनाली कि मां दौड़कर मिताली के घर गई। मिताली से अपने किए की माफी मांगी ,और कहा कि तुम अपनी सहेली को मिलने नहीं आओगी क्या?

,मेताली दौड़कर अपनी सहेली के घर पहुंच गई मेताली को अपने सामने पाकर सोनाली बहुत ही खुश हो गई। सोनाली की मम्मी अपनी बेटी को खोना नहीं चाहती थी। उसने कहा कि अब तुम दोनों सहेलियां इकट्ठे पढ़ाई करा करो मैं तुम्हें कुछ नहीं कहूंगी। इस तरह बहुत दिन व्यतीत हो गए। दोनों सहेलियां कॉलेज जाने लगी थी। सोनाली उस से एक  क्लास लास पीछे थी ।सोनाली की मां कहीं ना कहीं अभी भी दिल से अंदर से मिताली से नफरत करती थी। अपनी बेटी के कारण कुछ बोल नहीं पाती थी ।मेताली के मां बाप गरीब थे परंतु सोनाली के मां-बाप अमीर थे।

मेताली की मां उसे आगे पढ़ा नहीं सकती थी इसलिए उसने मेताली का रिश्ता उसके पापा के दोस्त के बेटे से कर दिया। वह अमीर परिवार का लड़का था मेताली की मां ने कहा कि बेटा मेताली अब तुम्हें हम पढ़ा नहीं सकते क्योंकि हमारे पास तुम को आगे पढ़ाने के लिए ज्यादा रुपए नहीं है। अपनी मां के इतना कहने पर मेताली ने कहा ठीक है मां जैसा आप चाहे।

 

जब सोनाली की मां को पता चला कि मेताली का रिश्ता उच्च घराने में घर आने में तय हो चुका है तो,उसने सोचा कैसे ना कैसे इस रिश्ते को तोड़ा जाए? जब वह लड़का जिसे उसकी मां ने पसंद किया था मेताली को देखने आया तो उसे मेताली अच्छी लगी उसने कहा कि मैं अपना जवाब आपको बता दूंगा परंतु किसी ना किसी तरह सोनाली की मां ने उस लड़के के घर जाकर कह दिया कि मेताली अच्छी लड़की नहीं है। उसका किसी और लड़के से संबंध है। बाकी आप सोच लो ।तब उस लड़के ने जवाब में कह दिया कि मुझे मेताली पसंद नहीं है।

 

जब मेताली के मम्मी पापा को यह पता चला कि मेताली को उस लड़के ने ठुकरा दिया है तो ,वह बहुत ही उदास हो गए परंतु मेताली ने कहा मां आप उदास ना हो मैं तो अभी और पढ़ना चाहती थी मगर कोई बात नहीं अच्छा ही हुआ अभी मुझे उस लड़के के बारे में पता चल गया। अगर शादी के बाद उसने मुझे ठुकराया होता तो ज्यादा दुख होता। किसी ना किसी तरह उसने अपनी मां को सांत्वना दी। सोनाली की मां मन ही मन बहुत खुश हुई जब एक दिन   मेताली को पता चला कि जिस लड़के से मेरी शादी हो रही थी अब वह सोनाली का पति बनने जा रहा था ।वह लड़का भी मेताली और सोनाली के कॉलेज में ही पढता था। ।एक दिन मेताली नें उस से पूछ  ही लिया की तुम ने मेरे में ऐसा क्या देखा जिस से तुमने मुझसे शादी करने के लिए मना कर दिया था।  उस लड़के ने कहा कि सोनाली की मां हमारे घर पर आई थी ।उसने मेरी मां से कहा कि मेताली अच्छी लड़की नहीं है। उसका किसी लड़के से नाजायज संबंध है ।यह सुनकर मेताली अवाक रह गई ।उसे अपनी सहेली की मां से ऐसी आशा नहीं थी परंतु वह अंदर ही अंदर खून के घूंट पीकर वह चुप रह गई और सोचने लगी कि अगर यह सोनाली की मां नहीं होती तो उसे ऐसा करारा जवाब देती मगर अपनी सहेली के कारण वह चुप थी।

 

एक दिन उस लड़के ने मेताली से कहा कि मैं सोनाली के साथ रिश्ते को तोड़ना चाहता हूं कृपया मुझे माफ कर देना। ।मैंने तुम्हें बिना सोचे समझे तुम से रिश्ता तोड़ लिया था ।मेताली ने कहा कि तुम अगर मेरे दोस्त हो तो कभी सपने में भी मेरी सहेली को छोड़ने की बात मत करना नहीं तो मैं कभी तुमसे बात नहीं करूंगी। अब तो धीरे-धीरे समय व्यतीत होने लगा

 

सोनाली की मां ने उसकी शादी उस लड़के के साथ कर दी जब वह लड़का दूल्हा बन कर सोनाली को ब्याहने आया तब मेताली के मां-बाप को पता चला कि वह तो वही लड़का है जिस को उन्होंने मेताली के लिए चुना था। उन्हें भी इस बात का पता चल चुका था कि सोनाली की मां ने ही इस रिश्ते को बिगाड़ा था। मेताली ने अपने मम्मी पापा से कहा कि मां आप इन से कुछ मत कहना नहीं तो आपकी बेटी आपसे कभी बात नहीं करेगी इनकी सोच नकारात्मक है। भगवान इसकी मां को सद्बुद्धि दे।

 

मेताली के मां बाप ने  मेताली का रिश्ता उच्च वर्गीय परिवार में  कर दिया। मेताली के पापा के दोस्त के लड़के से रिश्ता तय कर दिया गया वह बहुत बिगड़ा हुआ लड़का था। जब सोनाली की मां को पता चला कि सोनाली का रिश्ता बहुत ही धनाढ्य परिवार में हो रहा है परंतु वह बहुत ही बिगड़ा हुआ लड़का है तो वह सोचने लगे कि अमीर होने से क्या होता है? जब पति ही अच्छा नहीं होगा तब वह क्या करेगी? सारी उमर भर सिर पर हाथ रखकर रोती रहेगी। मेताली के माता-पिता ने उससे पूछा कि क्या तुम उस लड़के से शादी करोगी जो हमने तुम्हें पसंद किया है तब मेताली ने कहा कि जहां पर आप चाहेंगे मैं वहां पर ख़ुशी ख़ुशी उस लड़के के साथ अपनी शादी करने के लिए तैयार हूं।

 

शादी का दिन भी आ गया था सोनाली का पति एक दिन  मेताली की मां से बोला तुम इस परिवार से  मेताली का  रिश्ता मत जोड़ो मुझे पता है कि वह लड़का गलत संगत में पड़ गया है। वहां पर शादी करके आप अपनी बेटी की जिंदगी को तबाह कर देंगे।  मेताली के मां-बाप ने कहा कि तुम वही लड़के हो जिसके साथ हमने अपनी बेटी का रिश्ता तय किया था। तुम बताओ तुमने मेरी बेटी को क्यों ठुकराया हम जहां चाहेंगे वहां पर अपनी बेटी का रिश्ता तय करेंगे। तुम कौन होते हो ऐसा बोलने वाले

 

मेताली ने अंदर आते हुए सौरभ से कहा कि मैं तो अब वही शादी करूंगी जहां मेरे मां बाप ने मेरी शादी तय की है।  मेरा जीवन बर्बाद होना होगा तो हो जाएगा जो मेरी किस्मत में होगा मुझे वहीं मिलेगा।

 

शादी का दिन भी पास आ गया था बड़ी धूमधाम से शादी हो गई। लड़के वालों ने मेताली के मां-बाप से दहेज नहीं लिया था अब शादी करने के पश्चात मेताली अपने घर अपने ससुराल आ गई थी। उसे पता चल चुका था कि उसका पति सचमुच ही बहुत ही आवारा किस्म का लड़का था। उसकी शादी से पहले बहुत सी लड़कियां उसके इर्द गिर्द चक्कर लगाती थी। वह नशे की आदत से जुड़  चुका था। था जिस दिन उसकी शादी हुई वह उसके नज़दीक भी नहीं आया उसे संमझ में आ चुका था कि उस के भाग्य में ऐसा ही पति लिखा था परंतु उसने सोचा कि वह अपने पति को सुधारने की पूरी कोशिश करेगी।  वह अगर सुधर जाएगा तो ठीक है नहीं तो मुझे घबराने की कोई जरूरत नहीं है।

 

मेरे मां-बाप ने मुझे इतना पढ़ाया है कि मैं अपने पांव पर स्वयम खड़ी हो सकती हूं। मेताली ने निश्चय किया कि वह रो- धोकर अपना समय बर्बाद नहीं करेगी। वह वैभव को सुधारने का एक मौका अवश्य देगी नहीं तो वह शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई पूरी करेगी। और अपने सास ससुर की सेवा करेगी। दूसरे दिन उसने अपने पति से कहा कि तुम कहां जा रहे हो?

वैभव ने कहा इस इससे तुम्हें क्या मतलब? उसने अपनी सास से कहा कि तुमने अपने बेटे का सारा सच हमें पहले क्यों नहीं बताया? उसकी सास ने कहा बेटा हमें माफ कर दे। मेरे बेटे की गलत आदतों के कारण कोई भी परिवार हमारे बेटे के साथ रिश्ता जोड़ना नहीं चाहता था। ऐसा मुझे मंजूर नहीं था इसलिए मैंने अपनी बेटी की शादी तुम्हारे साथ करने का निश्चय कर लिया और सोचा कि तुम जैसी होशियार बच्ची मेरे बेटे को सुधार देगी।

 

बेटी मैंने तुम्हारे भविष्य को बिगाड़ दिया है मैंने हर जगह तुम्हारी प्रशंसा सुनी थी जिस कारण मैंने तुम्हारे परिवार से नाता जोड़ने की सोची। उसने अपनी सास से कहा मां जी अब तो आप मेरी सासू मां भी है मैं अपने सास ससुर को कभी भी दुखी देखना नहीं चाहूंगी। तुम्हारे बेटे को सुधारने की अपनी तरफ से पूरी कोशिश करुंगी अगर वह सुधर गया तो ठीक है अगर वह नहीं सुधरा तो मैं उसे छोड़ कर तो नहीं जाऊंगी आप लोगों की सेवा करके अपने पांव पर खड़े होकर आप दोनों को भरपूर प्यार दूंगी। अपनी बहू की यह बात सुनकर वैभव के माता-पिता बहुत ही खुश हुए उन्हें अनुभव हो रहा था कि हमने अपने बेटे के लिए अच्छी बहू का चुनाव किया है। मेताली ने अपनी सासू मां से कहा कि मैं अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती हूं। उसकी सासु मां ने कहा कि बेटा अब यह तेरा घर है जैसा तू चाहती है वैसा ही होगा अब तो मेताली ने मन लगाकर पढ़ना शुरू कर दिया था। एक दिन उसके पति ने आकर देखा कि मिताली तो बहुत ही खुश है उसने सोचा कि यह तो मेरे बिना भी खुश रहती है। कभी सोचता कि उसने इतनी प्यारी पत्नी को छोड़ कर किन-किन से नाता जोड़ लिया है?  वह चुपचाप उसे छोड़ कर चल देता एक दिन उसकी दोस्त वैशाली ने उससे कहा कि तुम मेरे साथ शादी कर लो। उसने सोचा अच्छा मैं तुमसे शादी कर लूंगा। वैशाली उस अमीर परिवार की बहू बनना चाहती थी। वह वैभव से धोखा कर उसका सारा रूपया छीनना चाहती थी। एक दिन वह घर के जरूरी कागजात चुराने आई तो मेताली ने उसे देख लिया और कहा कि तुम किसकी इजाजत से इस घर में आई हो। तुम  अगर यहां आना चाहती हो तो शादी के बाद आना। उससे पहले तुमने इस परिवार में घुसने की कोशिश  भी की तो मैं तुम्हें तबाह कर दूंगी। मैं कानूनी तौर पर वैभव की पत्नी हूं। मेताली ने अपने सास-ससुर से मिलकर सारे घर के आवश्यक कागजात छुपा दिए। और उसकी जगह नकली दस्तावेज रख दिए। जैसे ही वैभव घर आया तो वैभव अपनी पत्नी पर आगबबूला होते हुए बोला मेरा तुमसे कोई रिश्ता नहीं है मैं तुमसे शादी करना नहीं चाहता था। मैं तो वैशाली से शादी करना चाहता हूं।  तुमने अगर वैशाली को इस घर में आने नहीं दिया तो मैं तुम्हें घर से निकाल दूंगा। एक दिन चुपके से वैशाली जब घर में आई तो उसने घर के जरुरी दस्तावेज चुरा लिए।    जरूरी दस्तावेज पाकर बहुत खुश हुई कि अब तो यह सारा घर मेरे नाम हो चुका है और मेताली के माता पिता के पास आकर बोली की अब तो वैभव के साथ शादी करने से मुझे कोई नहीं रोक सकता। जल्दी से शादी की तैयारी करो नहीं तो मैं वैभव को लेकर चली जाऊंगी। आप दोनों तो सड़क पर आ जाओगे। यह कहकर वह बाहर चली गई। मेताली ने वैभव के माता-पिता को सारी बात बता दी थी। उसने अपने सास ससुर को कहा कि तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं। वह जो मकान के दस्तावेज ले कर गई है वह नकली हैं। सारे असली दस्तावेज तो मेरे पास सुरक्षित है। उसे करने दो जो करना है। वह जैसे ही ऑफिस से घर जाने लगा तो उसे वैशाली का फोन आया। वैशाली ने उसे मिलने के लिए बुलाया था। वह वैशाली से मिलने जाने लगा तो रास्ते में उसकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया और उसकी कार खाई में लुढ़क गई। जब मेताली को पता चला तो वह अपने पति को जल्दी ही अस्पताल लेकर गई डॉक्टर ने कहा की अब तो वैभव के बचने की कोई आशा नहीं है।  वैशाली उसे देखने भी नहीं आई। डॉक्टरों ने कहा कि अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। डॉक्टरों ने वैभव को बचा तो लिया परंतु वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता था। उसका ऑपरेशन करने के पश्चात उसे बचा तो लिया मगर उसके बचने की  आशा बहुत ही  कम  थी। वैभव को पता चल चुका था कि वैशाली उससे नहीं उसके रुपए और धन दौलत से प्यार करती थी। वैशाली ने इतना तक कह दिया कि इस लंगड़े के साथ में शादी करके अपना जीवन गंवाना नहीं चाहती। मुझे ऐसा जीवनसाथी नहीं चाहिए। तुमने मुझे घर के नकली कागज मुझे दिए थे। यह सुनकर वैभव को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसने अपनी देवी जैसी पत्नी को ठुकरा कर उस के साथ कैसा अन्याय किया था। अपनी देवी तुल्य पत्नी के साथ अन्याय का उसे आज यह तोहफा मिला था। वह जोर जोर से रोने लगा उसको ऐसे रोता देखकर मेताली ने उसे बड़े प्यार से कहा कि तुम बहुत जल्दी ही ठीक हो कर अपनें कदमों से चल कर घर जाओगे। एक दिन वैभव ने अपनी पत्नी को अपने पास बुलाया और कहा तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है अगर मेरा पैर ठीक नहीं होगा तो मैं कभी चल नहीं सकूंगा मैं तुम्हारी शादी बहुत ही अच्छे नवयुवक के साथ करवा दूंगा। तुमने मेरे ऊपर बहुत बड़ा एहसान किया है। अब मेरी बारी है तुम जैसी पत्नी को पाकर मैं धन्य हो गया हूं। मैं बहुत ही गलत था। मैं वैशाली के बहकावे में आ गया था। तुमने हमारे यहां आकर हमारे परिवार को आकर नई दिशा दिखलाई है। और मुझे भी एहसास करवा दिया है कि जीवन में सच्चा प्यार करना क्या होता है। मिताली ने कहा कि आज मैं बहुत ही खुश हूं कि मैंने अपने पति के भविष्य को अंधेरे से उजाले की ओर खींच कर उसे नई दिशा प्रदान की है।   उस की सेवाभाव से वैभव ठीक हो कर घर आ गया था। मेताली के सास ससुर ने भी अपने बेटे में सुधार के लिए मेताली को बहुत-बहुत धन्यवाद देते हुए कहा तुम ने हम सब को डूबने से बचा लिया।  मेताली सुखी सुखी अपने परिवार के साथ रहने लगी थी। मिताली नें अपनी सूझ बूझ से अपनें घर को स्वर्ग बना दिया था। सोनाली की मां को भी समझ आ चुका था कि अच्छे और बुरे की पहचान व्यक्ति के संस्कारों से होती है।

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