गढे खजानें का रहस्य

एक किसान और उसकी पत्नी एक छोटे से गांव में  रहते  थे। उनकी एक बेटी थी उसका नाम था मीनू। जैसा नाम था वैसे ही गुणों की खान थी। वह केवल 5. साल की थी। किसान उसे गांव के स्कूल में पढ़ने भेजा करता था।। वह तीन-चार किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाती थी। उनकी बेटी की यह खासियत थी कि वह हमेशा सच कहती थी। उसकी मां ने उसे बचपन से हमेशा ही समझाया था कि बेटा अगर कोई झूठ बोलता है तो उसकी जुबान कट जाती है। उस नें बचपन से ही दिमाग में बिठा लिया था अगर वह झूठ बोलेगी तो उसकी  जीभ कट जाएगी। वह अपने मन में सोचने लगती अगर उसकी जीभ कट जाएगी तो वह खाना कैसे खाएगी? नहीं मुझे अपनी जीभ नहीं कटवानी। वह हमेशा सच ही बोलती। उसके दिमाग में यह बात पूरी तरह बैठ गई थी कि हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए।

आज वह छः साल की हो चुकी थी। गांव वाले सब उसकी प्रशंसा करते नहीं थकते थे कि इतनी छोटी सी बच्ची हमेशा सच बोलती है।

एक बार मीनू स्कूल से वापस आ रही थी। उसने देखा पास ही झाड़ियों में कितनी रसभरियां लटक रही थी। वह खाने के लिए मचलने लगी। उसनें  तभी सड़क  पर से चिल्लानें की आवाज सुनी। गाड़ी की आवाज कंहा से आ रही थी? उसने जाकर देखा उस गाड़ी में एक लड़की थी उसका मुंह बंधा हुआ था। वह सहायता के लिए चिल्ला रही थी। उसने होशियारी से काम लिया। गाड़ी का नंबर नोट किया। वह उस लडकी की सहायता के लिए भागने लगी। उस लड़की को बचाने के लिए कोई ना कोई तो आएगा। उसने झाड़ी में एक डंडा देखा था। डंडे को उठाने के लिए  झाड़ी की ओर भागी। वह उस व्यक्ति को डंडे से मार देगी वह  जैसे ही डंडा लेकर वापिस आई  उसने  किसी आदमी को गाड़ी दौड़ाते हुए देखा। गाड़ी उसकी आंखों से ओझल हो गई थी। अपने पिता के पास खेत में आई। उसके पिता बोले बेटा क्या हुआ? स्कूल  से जल्दी छुट्टी करके क्यों आई? वह बोली नहीं बाबा। आप अभी काम कर रहे हो? बाद में आपसे बातें करते हैं। उसकी मां उसके पिता को खेत पर ही खाना लेकर आई थी।

वह सीधी दौड़  कर ग्राम पंचायत अधिकारी के पास गई। जल्दी चलो, इस गांव की किसी बेटी को  लोग उठाकर ले गए हैं?  उसके मुंह और हाथ पैर बंधे हुए थे। मैंने उस लड़की को गाड़ी में जाते देखा है।  मैं जैसे ही  डंडा ले कर उसे बचानें भागी,  वे वहा से जा चुके थे। ग्रामपंचायत अधिकारी भी जान गए थे कि वह कभी झूठ नहीं बोलती। गांव में एक यही लड़की है जो हमेशा सच बोलती है। जल्दी से उन्होंने कपड़े बदले और पुलिस थाने में  मीनू के साथ जाकर पता लगाया कि कोई यहां पर रिपोर्ट दर्ज कराने तो नहीं आया। ग्रामपंचायत अधिकारी ने देखा वहां पर  पुलिस स्टेशन में एक आदमी और औरत  समीप के गांव से रिपोर्ट लिखवानें आए थे। उन्होंने रिपोर्ट लिखाई थी। कि हमारी बेटी लापता हो गई है। उस की रिपोर्ट  देख कर कर पुलिस अधिकारी नें   मीनू  को कहा  कि क्या तुम उस व्यक्ति का चेहरा पहचान सकती हो? वह बोली हां हां। उसके माता पिता ने अपनी बेटी की फोटो दिखाई। हां यही लड़की थी। उसने गाड़ी का नंबर पुलिस इन्स्पैक्टर  को दिखा दिया। पुलिस वालों ने जल्दी से अपने सभी अधिकारियों को कह दिया कि इस गाड़ी को जो कोई भी देखे उसको रोक लिया जाए। उस गांव के सारे के सारे स्थानों पर जहां जहां पुलिस इन्स्पैक्टर तैनात हैं  सभी को सूचित कर दिया गया।  पुलिस इन्स्पैक्टर नें  उस गांव के एक खंडहर की ओर गाड़ी जाते देखी। उस गाड़ी मे खरोंचें थी। गाड़ी का वही नम्बर था। इन्स्पैक्टर नें गाड़ी चालकों को आदेश दिया कि तलाशी करो।  पुलिस को पहले ही शक हो गया था कि दाल में कुछ काला जरूर  है। गाड़ी की डिक्की का ताला तोड़ दिया उसको खोल कर देखा तो वहां पर एक लड़की बेहोश थी। जिस लड़की का फोटो उसके माता पिता ने पुलिस थाने में दिया था वह तो वही लड़की थी। पुलिस इंस्पेक्टर  उस लडकी को सुरक्षित देख कर खुश हो गए। यह वही लड़की थी। उस लड़की के माता पिता अपनी बेटी को सुरक्षित देख कर प्रसन्न हुए। उन्होनें मीनू का धन्यवाद किया।

गांव में देखते ही देखते  मीनू मशहूर  हो गई। जो कोई भी  उन के गांव में आता उस लड़की को देखने जरूर आता और उसकी प्रशंसा किए बिना नहीं थकता था।  उसके पिता भी अपनी बेटी की बहादुरी की प्रशंसा किया करते थे।

एक दिन मीनू स्कूल को जा रही थी वह देरी से स्कूल पहुंची। उसे रास्ते में दो रुपये  का एक सिक्का मिला। उसने वह सिक्का उठाया और उसको अपने बनियान की जेब में डाल दिया। वह स्कूल देर से पहुंची थी तो उसकी मैडम बोली बेटा आज देर से क्यों आई हो?वह बोली मैडम जी मुझे  रास्ते एक सिक्का मिला उसकी मैडम ने कुछ सुना नहीं बोली अच्छा बैठ जाओ। कल से जल्दी आना। कक्षा में सभी बच्चे पढ़ाई कर रहे थे।

अध्यापिका बोली आज मैं आप सभी को कुछ ना कुछ जानकारी संबंधित बातें बताऊंगी। अध्यापिका बोली तुम्हारे माता-पिता तुम्हें दिन रात मेहनत करके स्कूल भेजते हैं। दिन-रात रुपया कमाने के लिए मेहनत करते हैं। कई लोग तो रुपया कमाने के लिए चोरी चाकरी भी करते हैं। बेटा रुपया है ही ऐसी चीज जिसके पास होता है सब उसकी ओर खिंचे चले जाते हैं। जैसे चुंबक  सिक्के को अपनी ओर खींच लेती  है उसी प्रकार लोग भी उसकी ओर खिंचे चले जाते हैं।

मीनू  सोचने लगी कैसे  खींचे चले आते होंगे? रुपया लोगों को अपनी ओर  कैसे खींचता होगा? उसकी समझ में यह बात नहीं आ रही थी। दिन को उसकी सहेली रिन्की बोली देखो मेरे पास चुंबक है। मीनू बोली कृपया मुझे थोड़ी देर के लिए चुंबक दे दो। मैं उस से देखती हूं कि  कैसे पैसे को वह अपनी ओर खींचती है? मेरे पास भी ₹2 का एक सिक्का  है। उसकी सहेली बोली बाद में  मुझे भी दिखाना। मीनू बोली तू आंखें बंद कर दे। उसके बाद तुम्हे  दिखाऊंगी। उसकी सहेली ने आंखें बंद कर दी उसने चुपके से सिक्का निकाला और चुंबक को उसमें लगाया।  सचमुच में  ही चुम्बक  नें रुपए को अपनी ओर खींच लिया था। छोटी सी बच्ची की दिमाग में आया कि वह उस  सिक्के को किसी को भी नहीं देगी। अपनी  सहेली  को भी  वह  सिक्के को नहीं दिखाएगी। उसने अगर सिक्का दिखा दिया तो वह सबको बता देगी। उसका सिक्का  सब  उस से ले लेंगे। उसकी सहेली बोली कितनी देर हो गई है? आंखें खोलूं क्या? वह बोली हां। रिन्की ने आंखें खोली। बोली मुझे भी दिखा रुपया। मीनू  बोली मैं दिखा नहीं सकती। उसने अपने बनियान की जेब में वह सिक्का रख दिया था।उसकी सहेली  थोड़ी देर नाराज हो कर फिर से उस के साथ खेलने लग गई थी।।

घर को शाम को  वह वापस आई तो  उसने अपनी मां को कहा कि मां  आज अध्यापिका जी ने हमें बताया रुपया लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। उसकी मां धीरे से बोली रुपया  है ही ऐसी चीज। रुपए के लिए वह भाई भाई का खून कर देता है। रुपए की चका चौंध में वह सब कुछ भुल जाता है। कौन अपना है कौन पराया है? सभी को कष्ट  पहुंचाता  है। उसके पिता बोले बेटा  जब तुम बड़ी हो जाओगी तभी तुमको पता चलेगा कि पैसा कैसे लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है? अभी तो तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो।

मीनू रास्ते में चलते चलते यह सोच रही थी कि जब तक उसको अपने प्रश्न का हल नहीं मिलेगा वह हार नहीं मानने   वाली। उसने  रुपये के बारे में किसी को कुछ भी नहीं बताया। उसने वह सिक्का अपने घर की  फुलवारी में   दबा दिया था। एक दिन उसका दिल परांठा खाने को कर रहा था। वह बोली मां मुझे आज परांठा बनाओ। उसकी मां बोली मैं तुझे पराठा कहां से खिलाऊं? मीनू बोली अगर मैं तुम्हें पैसे दूं तो क्या आप मुझे परांठा बनाएंगी? माता-पिता बोले तेरे पास कौन सा गड़ा खजाना है। वह बोली हां मेरे पास गढा खजाना है। उसकी मां और उसके पिता उसकी तरफ हैरत भरी नजरों से देखने लगे वह बोली मां हां मैं सच कह रही हूं। मेरे पास गड़ा खजाना है। उसके माता-पिता आपस में बोले तुम्हारे पास यह खजाना आया कहां से?

एक दिन जब मैं स्कूल से आ रही थी वहां पर मुझे वह खजाना मिला। लेकिन अभी मैं आपको उस खजाने के  बारे में कुछ नहीं बताऊंगी। आप अभी तो मेरी इच्छा पूरी करते रहो। उसके माता-पिता बोले हमारी बेटी कभी झूठ नहीं बोलती है। शायद उसको खजाने का रहस्य पता हो। हम उस से पता लगाकर ही रहेंगे। उनकी बेटी बोली मैं आपको 6 महीने का समय देती हूं तब तक आप मेरी इच्छा पूरी करते चलो। उसके मां-बाप बोले ठीक है। उसके माता-पिता उसे कभी चॉकलेट लाते और उसे बढ़िया-बढ़िया चीजें खाने को देते। उसकी मां उसकी हर इच्छा को पूरी करती। वह हमेशा खुश रहने लगी। धीरे-धीरे इस बात का पता गांव में रहने वाले सेठ जी को लगा वह मीनू के घर आकर बोला बेटा तुझे खजाने का रहस्य पता है। कहां है है वह खजाना? वह बोली चाचा पहले मेरी सेवा करो तभी मैं आपको गड़े खजाने का रहस्य बताऊंगी। सभी जानते थे कि वह लड़की कभी झूठ नहीं बोलती। एक बार उसने पुलिस वालों की मदद करके एक औरत की जान बचाई थी। सेठ जी बोले बेटी मुझे उस गड़े खजाने का रहस्य बता दो। कहां रुपया गढा है। वह बोली चाचा जी आप को 6 महीने का समय देती हूं। आपको छः महीने बाद बताऊंगी। सेठ जी ने सोचा 6 महीने जल्दी ही गुजर जाएंगे। बेटा तेरी पढ़ाई के लिए सारा रुपयाा मैं तुम्हें दिलवा दूंगा। बैंक में ₹100, 000 उसके नाम से जमा कर दिए। वह बोली चाचा कुछ दिन इंतजार करो। हर रोज उसके घर के पास लोगों की भीड़ लगी रहती।

एक दिन वह हलवाई की दुकान पर जाकर बोली हलवाई चाचा हलवाई चाचा मुझे जलेबी खानी है। वह बोला पहले मुझे गड़े खजाने का रहस्य बताओ।  मीनू  बोली आज से 6 महीने के पश्चात में आपको गड़े खजाने का रहस्य बताऊंगी। मेरे पास रुपयों से भरा भंडार है।  हलवाई बोला तुझे जलेबी खानी है मैं तेरे घर पर हर रोज जलेबियां भेज दिया करूंगा। लेकिन तू मुझे उस गड़े खजाने का रहस्य जरुर बताएगी। वह बोली चाचा आप को 6 महीने का समय देती हूं। 6 महीने बाद में आपको गड़े खजाने का रहस्य बताऊंगी। रास्ते में  वह चलते जा रही थी। वह सोचनें  लगी  कि आज मुझे पता चल गया कि पैसा कैसे लोगों को अपनी ओर  कैसे खींचता है। मुझे सिक्का मिला है। सब  मुझे सच्चा समझते हैं। मेरे पास गड़ा खजाना है इसलिए सभी  मुझसे से मेरे खजाने को  प्राप्त  करना चाहते हैं। मैं क्या करूं? सभी को मैंने 6 महीने का समय दिया है। 6 महीने का समय बीतने वाला है। वह अपने घर में जल्दी ही पहुंचना चाहती थी।

आज घर में  उसका जन्मदिन मनाया जाएगा। आज  ही गढे खजानें   के बारे में  सब को बताऊंगी। वह अपनी धुन में ही चलती जा  रही थी।  वह सोचनें लगी आज सब लोग  मेरे जन्मदिन की तैयारी में  लगे होंगे। आज तो उसके घर में ना जाने कितने उपहारों का ढेर लग  गया होगा। जल्दी जल्दी घर की ओर कदम बढ़ा रही थी जैसे ही वह चल रही थी उसे ठोकर लगी। उसने अपने सामने एक भिखारिन को खड़ा पाया। उसके बिखरे बिखरे बाल थे। वह भूख के मारे बेचैन थी। उसने अपनी गोद में एक छोटे से बच्चे को लिया हुआ था। उसको इस अवस्था में देखकर मीनू को बड़ी दया आई। आज सब के सब उससे गड़े खजाने के रहस्य को जानना चाहते हैं। मैं वह खजाना किसी को नहीं दूंगी।  उसने बुढ़िया का हाथ थामा और कहा दादी मां आज मेरा जन्मदिन है। घर में बहुत पकवान बनें हैं। आप मेरे साथ चल कर मेरा जन्मदिन मनाओ। वह अपने साथ बुढ़िया  को लेकर आ रही थी। वह जैसे ही घर पहुंची सभी लोगों ने तालियों से उसका स्वागत किया। उसके सामने देखते ही देखते  सभी नें  उपहारों का ढेर लगा दिया। वह बोली आज मैं आप सभी के सामने गड़े खजाने का रहस्य उजागर करूंगी। सबसे पहले आप लोग मेरा जन्मदिन मनाओ और उत्साह मनाओ। उसने दादी मां को अपने हाथ से खाना खिलाया और दादी मां खुश होकर उसे दुआएं दे रही थी।

अचानक वह अपनी फुलवारी की तरफ गई।उसने  सेठ जी को कहा यहां खुदाई करो। सेठ जी  खुदाई   कर के थक गए। लेकिन उन्हें कोई खजाना नहीं मिला। उसके पश्चात  उसनें हलवाई चाचा को कहा आप खुदाई करो।उन्होनें भी देखते ही देखते वहां खुदाई कर डाली। उन्हें भी खजाना नही  मिला। उसनें अपने पिता को कहा आप ही खोद कर  निकालो। उसके पिता नें भी खुदाई कर डाली। देखते ही देखते वहां खेत बन गया था। वह बोली निराश होनें की जरुरत नहीं। मैं निकालनें का प्रयत्न करती हूं। अचानक जोर से चिल्लाई मिल गया। सिक्के को हाथ में लेकर बोली। यह खजाना मैं  किसी को भी नहीं दूंगी?  लोग कहनें लगे कहां है खजाना? सब के सब देख रहे थे। उसके पास तो कुछ भी नहीं था। मीनू बोली सबसे ज्यादा  इस खजाने की जरूरत इस  बुढ़िया  काकी को है। आप सभी के पास तो इतना कुछ है। उसने वह ₹2 का सिक्का निकाला और उस भिखारिन को दे दिया। सब के सब उसको सिक्का देते हुए देख रहे थे। सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं। आज  उसे पता चल गया था कि रुपया कैसे सब को अपनी ओर खींचता है?

सभी लोग अपना अपना  सा मुंह लेकर अपने-अपने घरों को चले गए। जो लोग समझदार थे उन्हें पता चल गया था कि इस छोटी सी लड़की ने हम सीख दी है।  हम सब लालची बनकर उस खजाने के रहस्य का पता लगाते रहे। आज एक छोटी सी लड़की ने हमें सीख दे डाली। सभी को अपनी गलती का एहसास हुआ। भिखारिन बोली बेटा सुखी रहो। उसे दुआएं देती हुई अपनें घर की ओर चले गई। उसके पिता बोले आज तो इस लड़की ने हम सब को सीख दे डाली और खेत की खुदाई भी कर डाली। उस में  हम बीज बो देंगें।  उस जमीन में अनाज पैदा होगा। उसे  हम  बाजार में बेच देगें तो हमें रुपया ही तो प्राप्त होगा।

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