रंजिश

पूजा और पारुल  दोनों पक्की सहेलियाँ थीं। वे दोनों कॉलेज में शिक्षा ग्रहण कर रही थी। दोनों ही पढ़ने में तेज थी। पारुल के माता-पिता स्वच्छंद विचारों के थे, लेकिन पूजा के माता-पिता थोड़ा रूढ़िवादी विचारों के थे।  पूजा के पिता चाहते थे कि हमारी बेटी को हम स्नातक तक तो शिक्षा दिलवा ही देंगे।  उसके पश्चात टैस्ट दे कर उसकी नौकरी लगती है तब तो ठीक है नहीं तो उसके हाथ पीले कर देंगे। पारुल के माता-पिता उसे कहते थे कि  जहां तक तेरा दिल करता है  वहां तक तू पढ सकती है। जो करना है  करो। हमारी तरफ से पूरी आजादी है। वे  सहेलियां एक दूसरे के घर आया जाया करती थी। दोनों  की परीक्षा आने वाले थी। उन्होनें  मेहनत की। दोनों ही अच्छे अंक लेकर पास हो गई। क्लर्क  की परीक्षा के लिए  टैस्ट की तैयारी करने लगी।

पूजा सोचने लगी अगर इस बार मैं मेहनत नहीं करूंगी तो मेरे पिता मेरी शादी कर देंगे। इसलिए वह दिन-रात लगकर मेहनत करने लगी। कुछ दिनों के बाद ही उसका  परीक्षा परिणाम निकलने वाला था।वह बहुत खुश थी उसे जॉब के लिए भी चुन लिया गया। क्लैरिकल एक्जाम में निकल गई थी।  वह इसलिए खुश हो रही थी कि उसके पिता अब उसकी शादी की बात नहीं छेडेगें। पारुल टेस्ट में निकल नहीं पाई। वह फिर भी मायूस नहीं हुई। अपनी दोस्त को पारुल  कहनें लगी तू जाकर नौकरी कर ले मैं  अगले साल फिर से तैयारी करूंगी। पूजा ने जैसे तैसे करके नौकरी जाना शुरू कर दिया। उसे अपने ही शहर में नौकरी मिल गई थी।। पुजा नें जैसे ही पहले दिन ऑफिस में कदम रखा वह  वहां बहुत सारे लोगों को देखकर डर के मारे कांप गई। उस ने तो कभी इतने सारे लोगों के साथ कभी काम नहीं किया था। पहल पहले तो वह चुपचाप रहती थी। उससे अगर किसी ने प्रश्न पूछ लिया वह उसका ही उत्तर देती थी और अपने काम से काम रखती थी। उसके बौस उसको इतनी मेहनत और लग्न से काम करता देख कर उस पर बहुत ही खुश होते थे। जो लोग काम नहीं करते थे उनको पूजा का उदाहरण देते नहीं थकते थे। उस लड़की को देखो कितनी  होशियार है। हरदम  बिना   कुछ कहे ही  अपने काम में लगी रहती है। इस लड़की का काम  बहुत अच्छा होता है। उसको कभी भी कुछ बोलने का मौका नहीं मिलता है। तुम भी उसी की तरह लग्न से काम क्यों नहीं करते हो? लोग कल की आई छोकरी की प्रशंसा सुनकर एक दूसरे की तरफ देख कर  न जाने क्या क्या कहते? पूजा जब भी गुजरती उसे कहते वह देखो  बौस की चमची आई। कल की आई छोकरी हमें काम सिखाने आई है। यह क्या काम सिखाएगी? हम ही  उसे सिखा देंगे। अभी नई नई आई है। इसे काम करने का चस्का है। थोड़े दिनों बाद देखना यह भी हमारी तरह ही हो जाएगी। हमें तो जो मर्जी कर  लें  कोई हमारी प्रशंसा नहीं करता। ना नौ मन तेल होगा ना राधा नाचेगी। हमने कौन सा झंडे गाड़ने हैं।गुजारे  लायक हमें  मिल ही जाता है। वह  देखो  सजधज कर बौस को बार बार फाइलें  दिखानें के बहानें जाती रहती हैं।  बहाना है काम का। बहुत  गप्पे लड़ाना चाहती होगी। पूजा अपने मन में सोच रही थी उसने क्या इस दिन के लिए इतनी मेहनत की थी? उसने नौकरी के लिए रात-दिन सपने देखे थे। वह तरक्की की रास्तेे इतना आगे बढ़ जाएगी। उसकी वाह वाह! होगी। उसके माता-पिता  को गर्व  होगा। उसके सारे के सारे सपने चूर हो गए। उसकी सहेली उसके साथ होती हो तो कितना अच्छा होता? वह तो तैयारी करनें के लिए दूसरे कॉलेज में चली गई है। मुझे अब ऑफिस में काम करना अच्छा नहीं लगता। घर आती तो अपने कमरे में घंटो रोती रहती क्या ऐसा होता है ऑफिस में काम करना? आज कुछ भी हो जाए मैं ऑफिस से इस्तीफा दे दूंगी। रोज-रोज की खींच खींच से तंग आ गई हूं। हर रोज नए से नए तानें सुनने को मिलते हैं। कर्मचारी वर्ग ने चपरासी तकं को सिखा दिया है कि इस लड़की का काम मत किया करो। यह लड़की बहुत ही घमंडी है।

एक दिन जब वह घर आई तो बहुत उदास थी। उसकी मां ने पूछा बेटा तुम उदास क्यों हो? उसके पिता ने उससे पूछा बेटा तुम्हें क्या हुआ? तुम  इतना उदास  तो पहले  कभी नहीं रहती थी। वह बोली पापा ऐसी कोई बात नहीं है। उसके पापा बोले बेटा तुझे अपनी सहेली की याद आ रही होगी। इसलिए उदास है। तेरा दिल कर रहा है तो 2 दिन की छुट्टी लेकर उसके पास चली जाना। अगले दिन  उसने देखा उसके दूसरी ओर  बैठनें वाले कर्मचारी उसको  ऊंची आवाज में बोले मैडम जल्दी आया करो। देर से क्यों पहुंची हो? वह सचमुच ही आज देर से औफिस पहुंची थी। बौस  की चमची हो  इसलिए ही  बौस नें कुछ नहीं कहा। आज उसे भी गुस्सा आ गया। भाई आज थोड़ा देर हो गई। हर रोज तो समय पर आती हूं। तुम में से कुछ तो ऑफिस में कभी  1:00 बजे कभी 2:00 बजे कभी 300 बजे आते हो।मन न करे तो  चाहे ना आओ। तुम भी तो हर रोज ऐसा ही करते हो। बोलने से पहले सोच लिया करो किसको क्या कर रहे हो?  पूजा नें इतना ही कहा था कि कुछ  कर्मचारी अपनी सीट से उठकर उस पर छींटाकशी  करनें लगे। उसे कहनें लगे कि कल की आई छोकरी हमें सिखानें लगी। हम तब से यहां नौकरी कर रहें हैं जब तू पैदा भी नहीं हुई होगी। पूजा अधेड़ वर्ग के कर्मचारी को देख कर बोली मैंने आपको नहीं कहा चाचा। यह जो आपके साथ बैठे हुए बकुला भक्त हैं उन्हें कह रही हूं। इतने जोर से तू तू मैं मैं हो रही थी। बॉस ने सब कुछ देख लिया था। वह अपनी सीट से उठकर पूजा के पास  आकर बोले अब क्या तुम भी इनमें शामिल हो गई? मुझे तुम से ऐसी आशा नहीं थी।

पूजा चुपचाप अपनी सीट पर आ गई। उसे बहुत रोना आ रहा था। बाहर आकर अकेले में खूब रोई। क्या ऐसा होता है ऑफिस? मैंने ऑफिस  को लेकर क्या-क्या सपने संजोए थे? मेरे सारे  के सारे सपने धराशाई हो गए। मैं यहां पर कल से काम नहीं करूंगी चाहे कुछ भी हो जाए। मैं तो घर पर ही रहूंगी। मैं अपने पिता को कहूंगी कि मेरा अब नौकरी करने का कोई इरादा नहीं है। दिन के वक्त पूजा ने अपना इस्तीफा लिख कर बॉस की मेज पर रख दिया। बौस   अभी अभी ऑफिस में पहुंचें  थे। उसने बौस को नमस्ते की। उन्होंने उसकी नमस्ते का भी जवाब नहीं दिया।

पूजा अपने मन में सोचने की शायद वे अभी तक  मुझसे कल वाली बात पर नाराज हैं।  मुझसे अब कोई नाराज नहीं होगा। बॉस ने जैसे ही मेज पर रखी डाक पर पड़ी तो उनकी नजरें पूजा के लिखे कागज पर पड़ी। उनकी मेज   पर दो-तीन कर्मचारी उपस्थित थे। बॉस ने अपने एक असिस्टेंट को कहा कि तू पढ़कर सुना कि वह क्या लिख कर गई है? सर जी यह तो उसका  त्यागपत्र है। उसने पढ़ना शुरू किया। उस में पूजा ने लिखा था सर मुझे यहां पर आ कर काम करते-करते बहुत ही अच्छा लगा। यहां पर मेरी वजह से ना जाने क्यों ऐसा माहौल पैदा हो गया है? कुछ कर्मचारी वर्ग  मुझ से खफा रहते हैं।  इन सभी को मैं अपने परिवार की  तरह समझती थी लेकिन हर रोज मुझ पर कटाक्ष कर करके यह सब नहीं  थकते थे। इतने दिन सुनते सुनते मेरी हिम्मत  अब जवाब दे  गई। कुछ कर्मचारी तो मेरे पिता की उम्र के हैं। कुछ छोटे हैं और कुछ बड़े। मुझको ले कर ना जाने क्या-क्या गलतफहमियां पैदा हो गई। मैं उनको कुछ नहीं कहना चाहती। मैं अपना इस्तीफा देकर जा रही हूं।

बॉस ने   अपने सहायक को कहा ठीक है तुम इस्तीफे को यहीं रख दो।  पूजा को  मेरे पास इसी वक्त भेजो। रघु ने जाकर  कर्मचारी वर्ग को कहा पूजा ने अपना इस्तीफा दे दिया है। वह लड़की बहुत ही खुदार है। सभी आपस में कहने लगे कि हमने उस लड़की से बहुत ही अन्याय किया है। वह लड़की अभी अभी तो नौकरी में नई नई आई थी। उसे कहां तो हमें प्यार से रखना चाहिए था? हमने तो उस बेचारी के साथ अन्याय ही नहीं किया बल्कि उसके नौकरी करने के   शौक  को  ही समाप्त कर डाला।  इसकी जगह पर अगर हमारी बेटी होती तो क्या हम भी उसके साथ ऐसा ही व्यवहार करते? पूजा  बौस के कमरे की ओर आ कर  बोली क्या मैं अंदर आ सकती हूं? उन्होंनें कहा आ जाओ। सर नें पूजा को बैठने का इशारा किया। पूजा  बैंच पर बैठ गई थी। बौस नें  चपरासी को एक गिलास ठंडा पानी  लाने को कहा। पूजा को कहा इसे पियो दिमाग ठन्डा हो जाएगा।  पूजा ने पानी का गिलास सारा पी लिया। बौस कहने कि तुम इतनी छोटी सी बात पर इस्तीफा देकर जा रही थी कि  सारे कर्मचारी तुम्हें ना जाने रोज क्या क्या कहते हैं? बेटा तुम बहुत होशियार हो। लड़ाई झगड़ा ना हो तो नौकरी करने का क्या मजा? क्या कभी तुम्हारे माता-पिता तुमसे झगड़ा नहीं करते? क्या तुम्हारे  बडों नें भी तुम्हें कभी नहीं डांटा? लड़ाई झगड़ा करके क्या औफिस  छोड़ने की बात करती हो? कल को जब तुम्हारी शादी हो जाएगी तुम्हारे पति तुमसे लड़ाई झगड़ा करेंगे तो क्या तुम अपने पति को छोड़ कर चली जाओगी। यह औफिस  तुम्हारे परिवार जैसा है। तुम्हें इनके साथ वैसे ही पेश आना चाहिए। आज तो मैं तुम्हें समझा रहा हूं। जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। तुम अगर कल काम पर आओगी तो मैं समझूंगा कि तुम मेरी बात को समझ गई हो। दूसरे दिन पूजा के मन में  जो गुबार था,वह सारा का सारा गुस्सा काफिर हो गया था। जैसे ही ऑफिस में पहुंची सारे कर्मचारी वर्ग ने उठकर कहा वेलकम पूजा। हमें माफ कर दो। कहीं ना कहीं हम भी गलत थे।  नौकरी में छोटी मोटी नोकझोंक तो चलती रहती है। लड़ाई झगड़ा तो इंसानों की फितरत है।  बौस नें उसे आते   देखा तो वे भी मुस्कुरा कर बोले वेलकम पूजा। पूजा मुस्कुराहट भरी नजरों से सभी की ओर देख रही थी। असली माईनें में तो आज उसकी जॉब लगी थी। वह वहां पर काम करके खुश थी। आज उसे हर काम कर के खुशी मिल रही थी। अगले साल उसकी सहेली पारुल भी उसके औफिस में लगगई थी। दोनों  को एक बार फिर से ईकटठा काम कर के खुशी हासिल हो रही थी।

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