नई सोच

, यह कहानी हिंदू मुस्लिम सिख इसाई परिवार की है।   मुस्लिम परिवार की एक लड़की श्रेया अनपढ़ जिसे पढ़ना लिखना कुछ नहीं आता था। एकदम अनपढ़ गवार गांव में पली-बढ़ी किसी ना किसी तरह उसके मां-बाप ने उसकी शादी अपनी ही जाति के एक लड़के से कर दी। शादी के दिन उसके पति ने उस से दहेज की मांग की। एक तो अनपढ़ और उसके पिता भी अंगूठा छाप। लड़के लड़के वालों ने सोचा क्यों ना इसके सारे को खेतों को हड़प लिया जाए। उन्होंने उससे उसकी सारी जमीन हड़पने के लिए शादी रचाने का फैसला कर लिया था। जिस दिन बारात  आई उस दिन उस लड़की के मां बाप अपनी बेटी को डोली में बिठाने का सपना देख रहे थे। उसके नाना नानी जी की ज्यादात थी जिसको उसके नाना नानी ने अपनी बेटी के नाम कर दिया था। दहेज मांगने पर बेटी के मां बाप ने कहा हमारे पास बेटी के इलावा दहेज में देने के लिए कुछ नहीं है वह नहीं माने बरात को लेकर जाने लगे लड़की के मां बाप ने कहा कि तुम बारात  को वापिस लेकर मत जाओ। उसके नाना समझदार थे उन्होंने कहा हमें अपनी बेटी की जिंदगी नरक नहीं बनानी है। तुम ऐसे घर में रिश्ता करने से मना कर दो बेटी ने कहा ठीक है मेरे नाना नानी जी ठीक ही कहते हैं तभी किसी ने बीच में से गोली चला दी। नाना नानी और लड़की के घर के दूसरे घर के सदस्य मारे गए।

लड़की बिल्कुल अनपढ़ असहाय उसने सोचा मेरी जिंदगी में अब कुछ नहीं बचा है। उस ने निर्णय कर लिया कि मैं मर जाऊंगी। वह मरने के लिए एक ऊंची इमारत से कूदने का प्रयास करने लगी। उसको यह करते हुए एक हिन्दू लड़की ने देख लिया। उस ने उससे कहा आत्महत्या तो कायर करते हैं। तुम यह कदम क्यों उठा रहे हो।।? मैं तुम्हारी सहायता अवश्य करूंगी उसने अपनी सारी कहानी उस हिन्दू लड़की को सुना दी। उसने कहा मैं तुम्हें पढ़ाऊंगी। सबसे पहले तुम्हें आगे बढ़ने के लिए शिक्षा ग्रहण करना बहुत ही जरूरी है। उसने उसे पढ़ाना शुरु कर दिया हिन्दू लड़की ने उससे कहा तुम मेरी सहेली हो तुम अपनी जिंदगी को नए ढंग से जीने की कोशिश करो। तुम एक ऐसे बच्चों को पढ़ाने का संकल्प लो जो कभी स्कूल ना गया हो। मुस्लिम लड़की ने कहा ऐसा ही होगा। वह बहुत होशियार हो गई थी। सृष्टि ने उसे पढ़ लिखकर एक बहुत ही अच्छा इंसान बना दिया था। उसने अपनी एक सिलाई की दुकान खोली थी एक दिन जब वह बाजार जा रही थी तो उसने देखा कि एक बच्चा चोरी कर रहा है उसने क्यों चोरी की? सृष्टि ने देखा कि उस बच्चे पर कड़ी नजर रखनी चाहिए। जब वह चोरी करने जा रहा था तो उस लड़की ने देखा आइसक्रीम की दुकान पर आइसक्रीम देखकर  वह काफी देर तक दुकान पर खड़ा रहा। दुकानदार ने उसे डांट फटकार कर भगा दिया उसके उसके दोस्त आइसक्रीम खा रहे थे उन सबको आइसक्रीम खाते देखकर उसका भी मन किया कि मैं भी आइसक्रीम खाने के लिए लें लूं। आइसक्रीम के लिए  सचमुच उसके पास रुपए नहीं थे। सृष्टि पीछे-पीछे गई। वह  एक झोंपड पट्टी के पास आकर उसने दरवाजा खटखटाया। मां मुझे भूख लगी है मैं भी आइसक्रीम खाना चाहता हूं। उसकी माता नें एक तमाचा उसके गाल पर  जड दिया। एक तो तुम्हारा बाप ना जाने कब से नाली में गिरा पड़ा है। वह सब कुछ हमसे लूटकर ले जाता है और हमारे पास क्या बचता है। मैं तुम्हें आज आइसक्रीम कहां से लाकर दूं। गंगू एक सेठ की दुकान पर गया उसके गले से रुपए चोरी किए और खूब मजे से आइसक्रीम खाई। उसकी व्यथा स्वयं महसूस कर उसने उस बच्चे की मां से मिलकर उस बच्चे को अपना लिया। उसकी मां ने भी हंसते-हंसते अपने बच्चे को सुंदर और सृष्टि को सौंप दिया। अपने बच्चे को अपना कर गंगू से कहा कि तुम आज के बाद कभी चोरी नहीं करोगे। वह बोला आंटी में कभी चोरी नहीं करूंगा क्योंकि मेरा मन आइसक्रीम देखकर ललचा गया। था

सृष्टि ने उसे पढ़ना लिखना सिखाया और उसे नेक इंसान बनाया। मेघा की एक दोस्त रुपाली   सिक्ख परिवार की लड़की खेतों में जाते  जाते उसे हर रोज मिलती। वह कॉलेज में पढ़ती थी कॉलेज में वह एक लड़के अविनाश से प्यार करती थी वह भी उसे दिलो जान से चाहता था उसके पड़ोस में एक लड़का था उसको देखा करता था कहीं ना कहीं वह भी दिल से उसे प्यार करता था। वह युवा ईसाई परिवार का लड़का था। उसने कसम खाई कि उसको अपना बना कर ही रहेगा। शादी वाले दिन उसने अपनी करनी को अंजाम दे दिया। शादी में सभी व्यस्त थे रुपाली जब तैयार होने के लिए गई उसने अपनी बहन को कहा कि तुम भी मेरे जैसा ही सूट बनाना उसने भी उसी रंग का लाल जोड़ा पहना हुआ था। धोखे से उस लड़के ने तेजाब रुपाली समझ कर उसकी बहन पर छिड़क दिया। तेजाब रुपाली पर ना गिर  कर उसकी बहन श्वेता पर पड़ गया था चारों तरफ हाहाकार मच गया। शादी की खुशियां चित्कार में बदल गई चारों तरफ बचाओ बचाओ की ध्वनि गूंज रही थी। जल्दी से उसे अस्पताल ले जाया गया वहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। अपनी बहन के मौत के सदमे को रुपाली सहन न कर सकी और वह भी मरने के लिए कूदने के लिए जाने लगी उसको भी उस हिंदू परिवार की लड़की मेघा ने बचाया उस ने उसे कहा मौत करना तो कायरता है। उसने अपनी सारी कहानी अपनी सहेली को सुनाई।

सहेली ने उसे कहा कि तुम डरो मत तुम उस व्यक्ति से मत डरो जिससे  जिसने तुम पर तेजाब फेंका है। उस व्यक्ति को सलाखों के पीछे पहुंचाना हमारा कर्तव्य है। जल्दी ही उस तेजाब फेंकने वाले व्यक्ति को पकड़ लिया गया और उसको जेल में डाल दिया गया। वह तीनों मिलकर एक हो गई थी। वह लड़का   एक ईसाई परिवार का था। उसने पढ़ लिखकर एक ईसाई परिवार की लड़की से  शादी की और अपना घर बसाया।

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