नटखट बालक भोलू

एक किसान था उसके एक बेटा था वह बहुत ही शरारती था उसका नाम भोलू था। वह हमेशा शरारती किया करता था। पढ़ने में उसका कभी दिल नहीं लगता था। वह स्कूल से भाग भाग कर घर आ जाता था। गांव वालों को परेशान करना और पक्षियों को पत्थर मारना घसलों को नष्ट कर देना। यह उसका हर रोज का काम था। उसकी इन हरकतों से किसान और उसकी पत्नी बहुत ही परेशान रहते थे।

 

एक दिन वह अपने पिता के साथ खेत में चला गया उसके पिता खेत में हल चला रहे थे। वह खेत में आती जाती औरतों पर पत्थर मारकर उनकी मटकी को फोंडनें में लगा रहता था। यह काम करने में उसे बहुत ही मजा आता था। जब उसे लगता कि कोई उसे देख रहा है तब वह चुपचाप पेड़ के पीछे छुप जाता। गांव वाले भी उनकी उसकी इन हरकतों से तंग आ गए थे। गांव की स्त्रियां उसके घर आकर जब शिकायत करने लगी तब उसके पिता ने भोलू की बहुत पिटाई की फिर भी उसकी समझ में यह बात नहीं आई कि बेवजह हमें किसी को भी नुकसान नहीं! पहुंचाना चाहिए। एक दिन जब वह अपने दोस्त के साथ खेल रहा था तो उसने कुछ गडरियों को वहां से जाते देखा वह अपने मेंमनों के झुंड को ले जा रहे थे। उसने उन मेंमनों में से  एकमहीने के बच्चों को चुपके से चुरा लिया और  दो दिन  तकउसे कुछ भी खाने को नहीं दिया। उसके दोस्त ने यह सब करते उसे देख  लिया। उसके दोस्त की माता ने उस मेंमनें के बच्चे को अपने घर में रख लिया।

 

एक दिन वह अपने पिता के साथ मेला देख कर वापस आ रहा था उसके पिता किसी  जाननें वाले के साथ बातें कर रहे थे। वह धीरे-धीरे आगे चलने लगा और पेड़ों पर चढ़कर गिलहरियों को तंग करने लगा। उसके पिता ने सोचा कि उनका बेटा आगे ही गया होगा।भोलू रास्ता भटक गया था। पता ही नहीं चला वह बहुत घने जंगल में फस गया था। वह जोर जोर से रोने लगा उसके रोने की आवाज किसी को भी नहीं सुनाई दी। उसके चीखने चिल्लाने की आवाज सुनने वाला कोई नहीं था। अचानक एक बड़े पत्थर के नीचे उसने रात बिताई। वह सारी रात सो नहीं सका ठंड से सारी रात कांपता रहा।  दूसरे दिन भी उसे अपने घर का रास्ता मालूम नहीं पड़ा। भूखा-प्यासा अपनी मां को पुकारता  रहा। उसे उस मेमनें की याद आई उसने कैसे उस मेंमनें  के झूंन्ड में से उसे चुरा लिया था। वह पछताने लगा सोचने लगा कि मैं कैसे अपने माता-पिता से मिलूंगा।? तो सबसे पहले उस मेंमनें के बच्चों को वापस उसके झुंड में छोड़ दूंगा। अब मैं बेवजह किसी भी जानवर को तंग नहीं करूंगा। हे भगवान मुझे मेरे माता-पिता से मिलवा दे।

 

उसने वहां से एक राहगीर को  जाते हुए देखा। उसने उसे सारी बात बताई कि कैसे वह अपनें पिता से अलग हो गया था। उस राहगीर नेंउसे उसके घर सुरक्षित पहुंचा दिया। घर पहुंचकर उसने सबसे पहले उस मेंमनें  के बच्चे को बहुत प्यार किया और और उन  मेंमनें कें  झूंन्ड में   पहुंचा दिया।

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