बिछडा बेटा

एक गांव में जमुना नाम की औरत थी। उसके एक बेटा था और एक बेटी थी जमुना अपने छोटे से बेटे को लेकर अपने भाई के घर जा रही थी ।तेजू अभी केवल  तीन साल का था गाड़ी अपनी पूरी रफ्तार से चली जा रही थी रात हो चुकी थी आधी रात के वक्त तेजू की मम्मी लघुशंका करने गई थी ।जमुना ने सोचा कि अभी तेजू सो रहा है ,परंतु उसे क्या पता था।?  होनी को कोई नहीं टाल सकता। छोटा सा तेजू उठा वह मां मां पुकारता हुआ गाड़ी से नीचे उतर गया। उस समय गाड़ी रुकी हुई थी तभी गाड़ी चलने लगी। तेजू की मां ने देखा तेजू वहां पर नहीं था ।तेजू तो मां को ढूंढता हुआ गाड़ी से नीचे उतर चुका था ।स्टेशन पर लोग आ जा रहे थे ।तेजू ने गाड़ियों को दूसरी तरफ जाते देखा  ।उसने सोचा शायद मेरी मां वहीं पर होगी ।वह एक आदमी की गाड़ी से टकरा गया था इतना छोटा बच्चा एक बहुत ही बड़े रईस की गाड़ी से टकरा गया था ।उसके सिर में चोट लगी थी ।सिर में इतनी अधिक चोट लगी थी कि बच्चा कोमा में जा चुका था।

 

जमुना जोर जोर से चिल्ला रही थी। मेरा बच्चा मेरा बच्चा वह गाड़ी से नीचे उतर गई ।उसने सारे अपने तेजू को ढूंढा परंतु कहीं भी तेजू नहीं मिला ।,उसने अपने पति को फोन करके बुलाया ।उसके पति ने अपने बेटे को ढूंढने की बहुत कोशिश की मगर वह नहीं मिला ।जमुना अपने बेटे के वियोग में पागल सी हो चुकी थी उसकी बेटी तनु ने अपनी मां को सहारा देते हुए कहा हमारा तेजू जहां कहीं भी होगा वह ठीक है ।भगवान उसे कुछ ना हो, मेरा भाई ठीक ही होगा तो   तनु भी उस समय केवल 5 वर्ष की थी। ।तेजू के माता-पिता ने अपने बेटे को ढूंढने की बहुत कोशिश की मगर तेजू कहीं पर भी नहीं मिला ।शिव प्रसाद की पत्नी ने उस बच्चे को बचाने की कोशिश की। तेजू बच् चुका था शिवप्रसाद  के कोई बच्चा नहीं था ।श्री प्रसाद ने सोचा कि इसके ठीक होने के बाद ही इसके मां बाप के पास हम उसे छोड़ देंग।तेजू की तो यादाश्त जा चुकी थी। उसे अपना कुछ भी याद नहीं था ।शिव प्रसाद की पत्नी भारती ने उस नन्हे से बच्चे को इतना प्यार दिया कि पूछो ही मत ।वह तो उस बच्चे को गले लगाकर रो रही थी ।पता नहीं किसका बच्चा है जब तेजू थोड़ा ठीक हुआ तो  शिव प्रसाद जी ने उसको पूछा बेटा तुम्हारा क्या नाम है।? ।वह अपना नाम भी बता नहीं पाया  शिव प्रसाद की पत्नी के गले लगकर ऐसे रोया जैसे वह उसका अपना ही बेटा हो ।  शिव प्रसाद की पत्नी उसे बहुत ही प्यार करने लगी और बोली बेटा तुम कौन हो।? वह छोटा सा बच्चा अपने मां बाप के बारे में कुछ नहीं बता सका ।शिवप्रसाद ने उसे अपना नाम देकर उसे शिबू नाम से उसका पालन पोषण किया।   वह ठीक हो चुका था अब उसे छोटे से बच्चे को कुछ भी याद नहीं था ।शिबू को उन्होंने पढ़ने डाल दिया। शिबू मुंबई के प्रसिद्ध व्यापारी शिव प्रसाद ने उसका पालन पोषण किया ।वह बच्चा अब तो उन को  ही अपनेमाता-पिता समझता था ।धीरे-धीरे करके 20 साल गुजर गए शिबू एक बड़ा वैज्ञानिक बन चुका था। जमुना की बेटी तनु भी पढ़ लिख कर बड़ी वैज्ञानिक बन चुकी थी ।वह वैज्ञानिक खोज के लिए मुंबई आया जाया करती थी। ट्रेन में उसकी एक लड़की से मुलाकात हुई वह लड़का भी मुंबई का रहने वाला था ।वह दिल ही दिल में तनु से प्यार कर बैठा ।वह भी एक बड़ा वैज्ञानिक था दोनों ने एक दूसरे को देखकर पसंद कर लिया था। तनु नेसौरभ को कहा कि तुम्हें ही मेरे गांव चलकर मेरे माता-पिता से मेरा हाथ मांगना होगा ।ः

 

सौरभ   उनके गांव घूमने आया  हुआ  था ।वह अपने दोस्त शिब्बू को भी अपने साथ गांव लाया था। शिबू भी एक वैज्ञानिक था। मुंबई में ही सौरभ की मुलाकात शिबू से हुई थी ।वह दोनों पक्के दोस्त थे सौरभ शिब केे गांव में एक होटल में ठहरे थे शाम को वह दोनों मंदिर घूमने चले गए। मंदिर के पास घूमते हुए शिबू को ऐसे लगा जैसे कि वह पहले भी यहां आ चुका है। जब रात को वह सोया हुआ था तो उसे ऐसा महसूस हुआ कि वह स्वपन में उस मंदिर में पहुंच चुका था। उसे ऐसा महसूस हुआ कि यहां से 3 किलोमीटर की दूरी पर एक क्रिकेट का मैदान है ।उसने अपने स्वपन वाली बात अपने दोस्त सौरभ को सुनाई तब  सौरभ ने उससे कहा चलो 3 किलोमीटर  तक पैदल घूमने चलते हैं ।उनको हैरानी हुई कि सचमुच  3 किलोमीटर की दूरी पर एक क्रिकेट का मैदान था ।यह देखकर सभी हैरान रह गए। उसने अपने दोस्त को कहा कि तू परेशान ना हो कई बार स्वप्न में हम ऐसी चीजें देख लेते हैं । उसने सबको कहा कि मुझे स्वपन में दिखा दिया कि मैं ट्रेन में अपनी मां के साथ जा रहा हूं। मैं ट्रेन से नीचे उतर गया उसके बाद मुझे कुछ याद नहीं है सौरभ बोला मैं आंटी जी से पूछूंगा दोनों दोस्तों ने वहां पर एक हफ्ता  बिताया। तेजू ने सौरभ को अपने माता-पिता से मिलवाया

 

सौरभ अपने दोस्त को भी अपने साथ खाने के लिए तनु के घर पर ले आया था। शिब्बु जमुना आंटी को पाकर ऐसा महसूस कर रहा था मानो वह उनकी अपनी सगी मां हो। वह बोला आंटी में क्या आपको मां बुला सकता है? शिब्बु को ऐसा कहते देखकर तनु की मां फूट-फूट कर रो पड़ी। उसने उन दोनों को बताया कि मेरा बेटा भी आज इतना ही बड़ा हो गया होता अगर आज वह हमारे साथ होता परंतु ना जाने किस मनहूस घड़ी ने उसको हमसे छीन लिया। उसके बाद तनु ने अपनी मां को चुप करवा दिया बोली मां इस खुशी के मौके पर रोना धोना नहीं ।तब उसकी मां चुप हो गई ,शिबू को वहां ऐसा लगा कि वह पहले भी यहां पर आ चुका है। शिब्बु मुंबई वापिस आ चुका था। सौरभ ने शिब्बु के मां-बाप को बताया कि अंकल-आंटी शिव को अपने स्वप्न में इस तरह की घटनाएं दिखाई देती है। सौरभ ने कहा कि वह गांव को देखकर  वह एक मंदिर के पास पहुंच  गया।  उसने बताया कि तीन किलोमीटर की दूरी पर एक क्रिकेट का ग्राउंड है। शिवप्रसाद चौके कहीं वह बच्चा उसी गांव का तो नहीं है। परंतु उन्होंने उस बच्चे को कभी नहीं  बतायाथा कि वह उनका अपना बच्चा नहीं है। वह तो उन्हें एक रास्ते में मिला था।  सौरभ ने बताया कि आंटी इसने स्वप्न में देखा कि वह ट्रेन से नीचे उतर गया था। वह मां मां कह रहा था परंतु फिर वह जाग  चुका था।  

 

श्री प्रसाद की पत्नी उसे डॉक्टर के पास ले गई और मुंबई के सबसे अच्छे अस्पताल में उसे दिखाया ।डॉक्टरों ने कहा कि आपका बच्चा बच सकता है अगर उसे उसके भाई बहन का बोन मैरो मिल जाए इसके लिए उसका अपना सगा भाई या बहन होना चाहिए  यह सुन कर शिबू की मम्मी जोर जोर से रो पड़ी।

उसने सोचा कि 20 साल तक हमने जिस बच्चे का पालन पोषण किया।  उसे अब बोन मैरो किससे मिलेगा?  वह चिंता में घुली जा रही थी तभी सौरभ ने कहा कि गांव में वह चक्कर खाकर गिर गया था वहां पर मेरी मंगेतर ने उसे अपना खून डोनेट किया था।  वह तभी जाकर  ठीक हुआ था अगर उसे उसका बोन मैरो मिल जाए तो शायद वह बच जाए। हो सकता है शायद वह गांव की लड़की मेरे प्यारे दोस्त को ठीक कर दे तब उसने तनु को मुंबई बुलवा लिया। तनु ने अपनी माता पिता को कहा कि मुंबई से सौरव के दोस्त की जान खतरे में है। उसे बोन  मैरो की जरूरत है तब मुंबई पहुंच कर उसने शिबू को देख कर कहा मैं ने  तुम्हें सदा ही अपना भाई माना है तुम मेरे भाई हो। मुझे ऐसा लगा कि मेरे भाई  तुम लौट आए हो। मैं देवी मां के मंदिर में जा कर प्रार्थना करूंगी कि तुम जल्दी से ठीक हो जाओ  तनु बोली   सौरभ के साथ अस्पताल में जाकर उसने अपने खून का टेस्ट करवाया। मैं तुम्हें तेजू बुला सकती हूं क्या? मैं तो तुम्हें तेजू ही कहूंगी। मैं तो तुम्हें अपना नन्हा तेजू देखती हूं ।

 

सौरभ के साथ अस्पताल में जाकर उसने अपने खून का टेस्ट करवाया। सब की खुशी का ठिकाना नहीं रहा ,जब तनु से उसका बोनमैरो मिल गया था  ।सभी चकित थे पर कैसा आश्चर्यजनक कमाल है।? शिब्बु को फिर सपना दिखाई दिया। उसे फिर वही ट्रेन वाली घटना तस्वीर की तरह उसके मानस पटल में घूम गई।वह बोला मां मां हम कहां जा रहे हैं?  वह बोली बेटा हम शादी में कमल पुर जा रहे हैं। तेजू तेजू उसको अब अपना नाम याद आ गया था। वह तनु को बोला  आज मुझे फिर वही सपना देखा जिसमें मेरी मां ने मुझे तेजू कहकर पुकारा। मेरी मां तो मुझे शिब्बु बुलाती है। शाम को तनु ने शिब्बू के माता-पिता के सामने सिब्बू को अपना सपना सुनाया।  शिब्बू की  बहनंबोली शायद मैं उसे तेज बुलाती हूं। क्योंकि तू मेरा भाई है। मेरी मां शादी में जा रही थी तब ट्रेन में रात के समय मेरी मां ने समझा तेजू सो रहा है मेरी मां लघुशंका करने चली गई थी परंतु जब वापस आई  तेजी अपनी मां को ढूंढता हुआ ट्रेन से नीचे उतर चुका था ।हमने उसे ढूंढने की बहुत खोज की मगर मेरा भाई कहीं पर भी नहीं मिला ।उस समय मैं भी 5 वर्ष की थी तेजू केवल 3 वर्ष का था ।मुझे भी धुंधला धुंधला सा याद है क्योंकि मेरी मां मुझे साथ नहीं ले गई थी। शिवप्रसाद और उसकी पत्नी ने सोचा कहीं   तनू तो  उसकी सगी बहन तो नहीं है क्योंकि यह भी तो उसी गांव की है तब शिव प्रसाद ने तनु को कहा कि हम तुम्हारे माता-पिता से मिलना चाहते हैं।

 

वह दोनों कमलपुरा में जमुना और उसके पति जतिन से मिले ।उन्होंने जमुना को पूछा जब आपका बेटा    आप  से  विछडा तो वह कितने वर्ष का था। वह बोली वह केवल तीन वर्ष का था ।मैं उसे शादी मे अपनै साथं कमल पुरा ले जा रही थी। मैं जैसे ही लघुशंका करने  गई वह ट्रेन से नीचे उतर गया।  मैंने भी देखा मेरा बेटा वहां पर नहीं था तब मैं ट्रेन से नीचे उतर गई मगर मेरा बेटा मुझे आज तक नहीं मिला ।श्री प्रसाद बोले क्या आपके बेटे का कोई निशान निशान तो पता है तब वह बोली उसकी उसकी दाई बाजू में एक तिल है ।उसकी दूसरी टांग का अंगूठा थोड़ा मुड़ा हुआ है शिवप्रसाद को पता चल चुका था कि उनका शिब्बुही उनका तेजु है। जो उनकी गाड़ी से टकरा गया था । शिव प्रसाद ने उंहें बताया कि उनकी गाड़ी से एक छोटा सा बच्चा टकरा गया था  ।हम उसे मुंबई ले आए उसका इलाज करवाया  ।जब हमने उससे उसके मां-बाप का नाम पूछा तो वह कुछ भी नहीं बता सका ।  उसने मेरी पत्नी को मां  मां कह कर पुकारा  तब उसने आप के बेटे को को शिब्बुका नाम दे दिया । उसकी परवरिश की अब तो ऑपरेशन सफल हो चुका था ।शिब्बु  वास्तव में तनु का सगा भाई था ।बेटी को इतने दिनों बाद देख कर जमुना फफक फफक कर रो पड़ी। आज कितना अच्छा दिन था कि आज उसका बिछड़ा हुआ बेटा इतने वर्षों के बाद उसे मिला था शिवप्रसाद बोले बेटा शिब्बुतुम्हारे असली माता पिता तो वे दोनों है। जिन्होंने  इतनेे साल अपने बेटे की याद में गुजार दिए । शिब्बु बोला मैं बहुत खुश हूं जिन्होंने मुझे दो दो मां-बाप दिए ।मैं तो अब आप सबके साथ रहूंगा।  सौरभ की शादी तनु के साथ हो चुकी थी तनु मुंबई में ही सेटल हो गई थी। वह अपने मां बाप को भी मुंबई में ही ले जाना चाहती थी । शिब्बुने आकर कहा कि यह दोनों तो मेरे साथ रहेंगे।   शिब्बु अपने मां बाप को अपने साथ मुंबई ले आया ।    वह  सब खुशी खुशी    एक  साथ  रहने लगे।

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