पोते का प्यार

पारो और माधव के परिवार में उनका बेटा अनीश। माधव एक ऑफिस में काम करता था पार्वती स्कूल में शिक्षिका थी। पारो सारा समय सजने-संवरने में रहती थी। बड़ी बड़ी आंखों वाली लंबे लंबे बालों वाली। अपनी आंखों को मटकाती रहती।  सजने संवरनें के इलावा उसे घर का काम करने में मजा नहीं आता था। वह घर का काम नौकरों से करवाती थी। उनके को ₹2000 देती थी। अनीश के दादा जी गांव में रहते थे। गांव में एक बड़ा सा मकान था। दादाजी बूढ़े हो चुके थे। अनीश अपने गांव जाने के लिए जिद कर रहा था। पापा हम गांव कब जाएंगे? उसके पापा बोले बेटा जब तुम्हारी मम्मी को छुट्टी मिलेगी तब हम गांव जाएंगे।  अनीश 3 साल का था जब उसे गांव जाने का मौका मिला। गांव में दादा जी के साथ खूब मौज मस्ती करेगा।

 

माधव रोबीलेे चेहरे वाला नवयुवक था। माधव ने अपनी पत्नी पारो को कहा कि यह लो गाड़ी की टिकटें। हम आज रात 5:00 बजे की गाड़ी से अपने गांव उदयपुर जा रहे हैं। आज अनीश खुश था। उसकी इच्छा पूरी होने जा रही थी। वह छोटा सा बच्चा टिकट चैकर को देख रहा था। अपनी तोतली जुबान में बोला।  पापा यह टिकट चेक कर क्या करता है? उसके पापा बोले यह टिकटें चैक करते हैं। लोगों ने टिकट ली भी है या नहीं। पापा आपने टिकट चैकर को दो नोट क्यों दे दिए। उसके पापा बोले बेटा इन दोनों रुपयों  को दे कर हम गांव पहुंच जाएंगे।  पापा इस पर 500 नोट क्यों लिखा है।? 500का नोट दिखाकर बोला  उसके पापा ने  उसे नोट दिखाकर कहा। वह अपने पापा के नोट इकट्ठे करके देखा करता था। ड्राइवर-कंडक्टर खेला करता था। उसने कंडक्टर को कहा मुझे भी एक टिकट दे दो। टिकट चेकर बोला तुम्हारी टिकट अभी नहींलगेगी। वह बोला मैं कुछ नहीं जानता मुझे भी चाहिए। मैं बड़ा हूं मैं छोटा नहीं हूं। मुझे भी चाहिए।

 

गाड़ी तेज रफ्तार से दौड़ रही थी। रास्ते में क्ई स्टेशन  आए। छोटा सा अनीश सारे जगहों को ध्यान देकर देख रहा था। जैसे कोई बड़ा इंसान देखता है। गांव उदयपुर पहुंचने ही वाले थे। सामने मंदिर देख कर बोला पापा यह मंदिर किसका है।? इसमें कौन से भगवान जी हैं।? गाड़ी से उतर गए थे। उसके पापा बोलो  चलो तुम्हें मंदिर ले चलता हूं। वह गणेश जी का मंदिर था। वह हमारे गांव में सबसे पुराना गणेश जी का मंदिर है। यह मंदिर  बहुत पुराना है जब मैं छोटा था लेकिन अब यहां पर इसकी हालत थोड़ी ठीक हो चुके हैं। पहले केवल इसमें एक मूर्ति थी। और मूर्ति तो वही है लेकिन बहुत कुछ बदल गया है।

 

घर में जैसे ही पहुंचे दादाजी ने अनीश को गले से लगा लिया।अनीश दादा जी के पीछे पीछे जहां वे जाते वह उनके पीछे पीछे चल पड़ता। उन्हें अपने खेतों में ले गए। 2 दिन बाद वापस लौट आया। दादा जी का प्यार वह नहीं भूला। 8 साल का हो चुके थे। लेकिन अभी तक वह गांव नहीं गया था। जब कभी भी पापा कहते चलो गांव का चक्कर लगा आते हैं तो पारो टाल जाती। छोटा सा अनीश  उन दोंनों की नोकझोंक सुनता रहता था। कई बार गांव से दादा जी का फोन आया मगर पारो ने उसे रोक दिया। एक दिन गांव से दादाजी खत आया। आप मुझे रुपए भिजवा दो। पारो ने कहा कि गांव में रुपयों कि किसलिए जरुरत  होगी। हमार अपनें ही खर्च पूरी नहीं होते। हम कैसे भिजवाएंगे। अनीश सोचता यहां तो वे लड़ते ही रहते हैं। घर ना जाने का बहाना करतें हैं।अनीश बोला पापा पापा गांव चलते हैं। जब मैं छोटा था तब गांव गए थे। बहुत समय से आप गांव नहीं गए क्या कारण है।? जब भी मैं गांव में जाने की बात करता हूं आप टाल जाते हैं। मां चलो ना मैं भी  दादा जी के पास गांव जाना चाहता हूं । उसकी मम्मी ने गुस्सा होकर उसे वहां से भगा दिया।

 

गांव से चिट्ठी आई थी। डाकिया चिट्ठी देकर बोला। अनीश ने देख लिया गांव से दादाजी की चिट्ठी थी। उसने चुपचाप चिट्ठी खोलकर पढ़ ली। दादाजी ने लिखा था बेटा माधव तुम गांव कब आ रहे हो।? इतने साल बीत गए मगर तुम कभी गांव नहीं आए। कभी कभी इस बूढ़े बाप को देखने आ जाया करो। आजकल मैं बहुत ही बीमार हूं। मुझे डॉक्टर ने कहा है कि घुटना बदलना पड़ेगा। मुझे ₹20000 की सख्त जरुरत है। कृपया मुझे कृपया भेज दो।नीशु से मिलने को बहुत मन करता है।  निशु और बहू को मेरा प्यार देना। बेटा जल्दी आना। उसने जैसे ही खत पढ़ा अनीश की आंखों में आंसू आ गए। वह 8 साल का हो गया था। काफी होशियार था। शाम को उसने अपने मम्मी पापा की बातें सुन ली। मम्मी पापा से कह रही थी कि आज गांव से निशु के दादा जी का फोन आया है। उनके घुटनों में दर्द रहता है ₹20000 की जरूरत है। उन्होंने मंगवाएहै हैं। ऐसे ही कहते रहते हैं। उनके कोई घुटने के दर्द नहीं होगा।झूठमूठ ही कह रहे होंगे। इतने सारे कमरे हैं उनको वहां पर कितना किराया मिलता है। उस से उनके घुटने का ऑपरेशन का खर्चा भी निकल जाएगा।  हमें तो यहां पर सारा का सारा सामान खरीदना पड़ता है। ऊपर से अनीश की पढ़ाई का खर्चा। माधव बोला अब कई बार तुम बहुत गलत कर रही हो। बाबू जी को हमारी सख्त जरूरत है। हमें उन्हें यहां बुला लेना चाहिए। यही पर उनका ऑपरेशन करवाएंगे। वह बोली तुम्हें तो हर वक्त बाबूजी बाबूजी  लगी रहती है। अपने बच्चों को तो कभी नहीं देखती हो।  यह बातें अनीश सुन रहा था। उसने अपने पापा को कहते सुना उन्हें ₹10000 भिजवा देता हूं। 10000 फिर कभी देख लेंगे। अनीश को अपनी मम्मी पर बड़ा ही गुस्सा आया। पापा पर भी गुस्सा आया। पापा जाकर दादा जी को यहां क्यों लेकर नहीं आते।

 

उसने फैसला कर लिया कि मैं अपने मम्मी पापा को भी नहीं बताऊंगा मैं स्वयं ही उदयपुर दादा जी को यहां लेकर आऊंगा। दादाजी का ऑपरेशन करवाएंगे। उसने बिना  किसी कोकुछ बताये अपनी गुल्लक ली और उसको खोलकर देखा। उसमें ₹5000 थे। उसने सोचा कि इन रुपयों को खुद चलकर गांव में अपने दादा जी को देकर आऊंगा हमारी उन्हें बहुत ही जरूरत है। वह बिना किसी को कुछ बताये वहां से अपने दादा जी को लेने के लिए घर से निकल गया। उसने अपनी मम्मी पापा को भी अपने बारे में कुछ नहीं बताया कि वह कहां जा रहा है।? जब मुझे ढूंढोगे तब पता चलेगा मेरी मां को तभी एहसास होगा  मेरे दादा जी के साथ कितना गलत कर रही हैं । वह दौड़ा दौड़ा जा रहा था। जल्दी से रेलवे स्टेशन पहुंचकर वंहा जाने पर उदयपुर जाने वाली ट्रेन में बैठ गया। उसने 2 दिन पहले पता कर लिया था कि ट्रेन कितने बजे उदयपुर जाती है। उसने टिकट ले लिया।  टिकट चेकर आया बोला बेटा तुम्हारे साथ कौन है।?। वह बोला मैं अकेला हूं। मैं अकेला ही गांव जाता हूं। क्या मैं अकेला नहीं जा सकता? इतने छोटे से बच्चे को अकेले देख कर  दाल में कुछ काला जरूर है । तुम अपना पता हमें लिखो। वह बहुत चालाक था उसने झूठ मूठ का अपने दोस्त का पता लिखवा दिया। टिकट चेकर सोचने लगा यह बच्चा कहीं झूठ तो नहीं बोल रहा है। अगले स्टेशन पर पता कर लेंगे। अनीश ने देखा टिकट चेकर  ने उस नंबर पर फोन लगा दिया था। वह फोन तो उसने अपने दोस्त का पता दिया था अब तो वह पकड़ा जाएगा। उसने टिकट चैकर को कहा कि  मैं बाथरूम जाना चाहता हूं। वह बाथरुम में चला गया। वहां पर उसे तीन चोर दिखाई दिए। वह छुप कर उनकी बातें सुननें लगा। वह  भी उदयपुर जा रहे थे। उनमें से एक कह रहा था इस ट्रेन में पुलिस क्या कर रही है।? हम इस ट्रेन से नहीं चलेंगे। हम अपनी गाड़ी करके उदयपुर जाएंगे। उस बच्चे नें जैसे ही उसने सुना  वह  चोर गाड़ी में बैठने लगे अनीश नें भी उसमें  छलांग लगा दी और डिक्की में बैठ गया। खुश हो गया  गाड़ी से उदयपुर पहुंच जाएगा। ट्रेन में बैठा रहता तो पुलिसवाले तो उसे सलाखों के पीछे पहुंचा देते। वह चुपचाप डिक्की में से उनकी बातें सुन रहा था। वह सोचनें लगा अगर  उन्होंने  सामान चेक किया तो वह तो पकड़ा जाएगा। उसने बड़ी होशियारी से काम लिया। डिक्की में सामान के ऊपर चादर  थी। उसने वह चादर उठाई और अपने ऊपर लपेट लिया और अपने ऊपर अटैची रख ली। वह भार से दवा जा रहा था। उसने पेट्रोल पंप के पास अपने ऊपर समान रख लिया। पुलिस वालों ने डिक्की को चेक किया लेकिन उन्होंने चादर में लिपटे हुए बच्चे को नहीं देखा। जब  वे  चैक कर रहे थे तो उन चोरों ने अनीश को देख लिया था। जैसे ही गाड़ी उन्होंने स्टार्ट कि उन्होंने डिक्की को खोला और अनीश को पकड़ लिया बोले ऐ बच्चे। तुम कहां से टपक पड़े। वह बोला अंकल मुझे बड़ी भूख लगी है। मैं खाना खाने के लिए पैक करवा ही रहा था कि मेरे पापा ना जाने कहां से कहां गायब हो गए। मुझे मेरे पापा नहीं मिले। मैंने सोचा कि मैं अपने गांव ही चलता हूं। वह बोले बेटा तुम्हारा गांव कंहा है।?। वह बोला मेरा गांव उदयपुर में है।

 

मैं अपने दादाजी के पास  चला जाऊंगा। मुझे पता है यह गाड़ी उसी दिशा में जा रही है। इसलिए मैं उस डिक्की में बैठ गया। वह बोले बेटा तुमने ठीक जाना। तुम हमारे साथ चलो। हम तुम्हें तुम्हारे गांव पहुंचा देंगे। उन्होंने ना जाने कितने सवाल उस बच्चे से कर दिए। उन्होंने पूछा तुम्हारा नाम क्या है? उसने अपने दोस्त का नाम बता दिया। वह  वह सोने का नाटक करने लगा। एक बोला यार यह बच्चा तो सो गया। अच्छा हुआ आज तो इस बच्चे को पाकर हम खुश हो गए। इस बच्चे को अपने गैंग में शामिल कर लेंगे। अनीश ने अपने पांव के पास अखबार देखी। शायद वो अखबार उन चोरों ने नहीं पढ़ी थी। उस अख़बार में अनीश की फोटो छपी थी जो कोई भी हमारे बेटे अनीश को ढूंढ कर लाएगा उसे हम ₹100000 देंगे।

 

वह चोर आपस में बातें कर रहे थे चलो यहां पास में ही एक ढाबा है यहां चल कर चाय पीते हैं। यह बच्चा तो सो चुका है जैसे ही वह जैसे  वह चाय पीने गए   अनीश गाड़ी से नीचे उतर गया और जल्दी-जल्दी भागने लगा ताकि वह लोग उसे देख ना ले। सामने ही शौचालय देखकर वह वहां पर चला गया। जैसे ही शौचालय से वापिस आया वह वहा पर  रवि के पापा को देख कर चौक गया। अंकल अंकल अंकल गाड़ी रोको। अंकल रुक गए बेटा तुम यहां कैसे।? अनीश बोला अंकल मैं आपको सारी बात बताता हूं।

 

मैं अपने मम्मी पापा से नाराज होकर अपने दादाजी के पास गांव उदयपुर जाना चाहता था अचानक मैंने ट्रेन का टिकट भी बुक करवा लिया था। परंतु टिकट चेकर  नें मुझसे अटपटे सवाल किए। तुम अकेले क्यों आए हो।? कहां जाना चाहते हो।? मैंने अपना नाम ना बता कर अपने दोस्त का नाम बता दिया। उन्होंने जैसे ही उस नाम पर फोन किया मेरे तो डर के मारे रोंगटे खड़े हो गए बाथरूम करने चला गया। अचानक मैंने इन चोरों को यह बातें करते हुए सुना कि हम उदयपुर जा रहे हैं। मैंने भी उनकी डिक्की में छलांग लगा दी। वह मुझे देखकर और ही कल्पनाए कर रहे थे। मैं सोनें का नाटक कर रहा था तभी उन्होंने कहा कि हम इस बच्चे को गैंग के हवाले कर देंगे। अभी तो यह सो रहा है चलो चाय पीने चलते हैं। उन्होंने मुझे कहा कि हम तुम्हें उदयपुर छोड़ देंगेंऔर तुम्हारे दादा जी के पास पहुंचा देंगे। मैंने उनकी सारी बातें सुन ली थी। मैं डर के मारे कांप रहा था। मैं भगवान से प्रार्थना करते रहा था कि हे भगवान यह चाय पीने के लिए नीचे उतर जाए। भगवान ने शायद मेरी सुन ली और वह चाय पीने के लिए उतर गए। जल्दी से  दौड़ कर आपके पास पहुंच गया। अंकल मुझे बचाओ।

 

रवि के पापा अनीश से बोले बेटा अनीश डरने की कोई आवश्यकता नहीं अब तुम मेरे साथ हो। मैं तुम्हें उदयपुर पहुंचा दूंगा।अंकल आज मैं आपको एक बात कहना चाहता हूं  अगर आज मेरा साथ देंगे तो मैं आपको समझूंगा कि आपने एक बेटे का साथ दिया। रवि के पापा बोले तुम क्या कहना चाहते हो।? उसने कहा मेरे मम्मी पापा ने अखबार में इस्तिहार दिया है कि जो हमारे बच्चे को ढूंढ कर लाएगा उसे ₹100000 इनाम देंगे। मैंने वह कटिंग उस गाड़ी में पढ़ ली थी।परंतु चोरों ने वह नहीं पढ़ी होगी इसलिए मैंने उस कटिंग को मोड़ दिया था आप मेरे दोस्त के पापा बनकर मेरे मम्मी पापा के पास जाकर उन्हें कहना कि हमें आपका बेटा मिल गया है। हम तुम्हारे बेटे को तुम्हें दे देंगे जब आप हमें 100000 रुपए देंगे। अंकल आपको रु100000 की क्या जरूरत। मैं अपने मम्मी पापा को एहसास दिलाना चाहता हूं कि बच्चे अपने मां-बाप के लिए सब कुछ होते हैं। उनके जरा सी  खंरोंच भी आ जानें पर भी वे उस पर अपनी जान निछावर करने के लिए तैयार हो जाते हैं। अपने मम्मी पापा को यह बात समझाना चाहता था।

 

अंकल मेरे दादा जी गांव में रहते हैं। वह बीमार है। मेरे पापा मम्मी उन्हें देखने तक नहीं जाते। मैं जब भी कहता हूं गांव चलते हैं तो वे टाल देते हैं। इस बार उन्होंने अपने इलाज के लिए रुपये मांगे तो भी वह आनाकानी करने लगे। मैं उन्हें बताना चाहता हूं जब तक वह दादाजी के लिए रुपया नहीं दे देते तब तक मैं उनके सामने नहीं जाऊंगा। अनीश ने रवि के पापा को कहा अंकल आपके पास में ₹5000 देता हूं। यह मैंने गुल्लक में इकट्ठे किए हैं। जो कमी होगी आप मेरे मम्मी पापा से ले लेना। जब वे रुपए देंगे उनमें से आधे आप रख लेना और आधे दादाजी के नाम पर कर देना। मैं छिपता छुपाता गांव आया। घर में मैंने नहीं बताया कि मैं कहां जा रहा हूं।? रवि के पापा इतने छोटे से बच्चे की बात सुनकर हैरान हुए वह अपने दादा जी के साथ कितना प्यार करता है। जब अनीश घर से चला आया तब पारो ने रो-रो कर बुरा हाल कर दिया। उसने कहा तुम मेरे बेटे को ढूंढ लाओ। चाहे जितने भी रुपए खर्च करने पड़े जल्दी उसे ढूंढ कर लाओ। वह रोने लगी।

 

रवि के पापा का फोन आया मैंने अपने आपके बेटे को ढूंढ लिया है। जब आप ₹100000 दोगे तब हम रवि को तुम्हारे हवाले करेंगे। माधव ने बैंक से ₹100000 निकाले और वह उस स्थान पर गया जहां रवि उसके बेटे को वापस पहुंचाने का दिलासा दे रहा था। रवि के पापा ने कहा कि पहले हमें ₹100000 मिलने चाहिए तभी आपको आपका बच्चा मिलेगा। पारो ने जल्दी से बैंक से निकलकर 100000 रुपए दे दिए ।

 

अनीस सामने आकर बोला मम्मी मैं आपके साथ नहीं जाना चाहता। मैं तो गांव में दादाजी के साथ रहना चाहता हूं। आप दोनों तो बात-बात पर लड़ते झगड़ते रहते थे। आज आपने मुझे बचाने के लिए एकदम ₹100000 दे दिए जब दादा जी ने ₹10000 मांगे तो आप आनाकानी करने लगे। आपके पास रुपए कहां से आए।? उसके यह बोल सुनकर उसके मम्मी पापा रो पड़े बोले बेटा हमें माफ कर दो। हम आज ही  उदयपुर चलेंगे। अनीश अपनें  ममी पापा से बोला आप दोनों मेरे दादा जी को मत बताना कि हम गांव नहीं आना चाहते थे। नही तो दादा जी का विश्वास आप खो देगे।

रवि के पापा बोले मैं तुमसे ₹100000 नहीं लेना चाहता। इन रुपयों को दादाजी के खाते में जमा करा दो। आज तुम्हारे बेटे का अपने दादाजी के प्रति अपनत्व की भावना और ऐसा प्यार देखकर मैं अपने आप को नहीं रोक सका। कल को कहीं मेरा बेटा भी मुझसे यह सब कह दे तो मैं_____वह भावुक हो उठा पारो और माधव  अपने बेटे को गले लगा कर बोले हम आज ही गांव चलते हैं।

 

गांव में दादा दादा जी उन तीनों को देखकर चौक पड़े। न कोई फोन ना कोई चिट्ठी पत्री। ,, पारो और माधव बोले हम आपको लेने आए हैं। यह लो दादाजी एक लाख का चेक। दादाजी अपनी आंखों  मैं आंसू भर कर बोले बेटा मुझे ₹100000 नहीं चाहिए। मैं तो तुम्हारी परीक्षा ले रहा था। मेरे पास भगवान का दिया सब कुछ है। तुम्हारा प्यार देखकर मैं  खुश हो गया। बस तुमने मुझे प्यार में यह कह दिया यही मेरे लिए बहुत है। अनीश बोला दादा जी अब कई बार तो आप को मेरे साथ शहर चलना ही पड़ेगा। पारो और माधो बोले हां बाबू जी इस बार आप की नही चलेगी। मैं अपने कार्यालय से कुछ दिनों की छुट्टी ले लूंगी। अनीश भी खुश हो गया। चारों खुशी खुशी शहर लौट आए।अनीश नें पुलिस इन्सपैक्टर को बता दिया कि वे गैंग के लोग इस गांव के गणेश मन्दिर में मुर्तीचोरी करनें की योजना बना रहे थे। पुलिस नें अनीश की मदद से उस चोरों के गिरोह को पकड़ लिया और सलाखों में जेल में डाल दिया। उसकी बहादुरी की प्रशंसा की।  

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