राजा और रंक

बहुत पुरानी बात है एक भिखारी रास्ते से चला जा रहा था।वह रोज  घने जंगल को पार करके किसी ना किसी घर से भिक्षा मांग कर अपना गुजारा करता था। थोड़ा बहुत हेरफेर करके जो कुछ कमाता उससे अपना पेट भरता था। आज भी  जब वह भीख मांग कर घर को  वापस आ रहा था तो वह बहुत ही खुश नजर आ रहा था। उसके पांव में जूते भी फटे हुए थे

वह खुशी-खुशी गुनगुनाते हुए जा रहा था। उसी जंगल में एक राजा भी   परिस्थितियों  का मारा  निराश हो कर महल से  भाग कर उसी जंगल में विश्राम कर रहा था। उस भीखू को इतना खुश होते हुए देख कर राजा सोचने लगा कि यह इंसान कितना खुश है? इसके पैर में जूते भी नहीं है। कपड़े भी जगह-जगह से फटे हुए  हैं फिर भी कितनी मस्ती में झुमते हुए चला जा रहा है?   वह इंसान  इतना खुशनसीब है।

मैं रात दिन अपनी प्रजा के लिए  और अपने परिवार वालों को खुश करने में लगा रहता हूं फिर भी  वे सभी खुश नहीं होते।प्रजा के लोग भी और मेरे घरवाले भी। वह तो राज गद्दी हथियाने के चक्कर में मुझे मरवाने का षड्यंत्र रच रहे हैं।

एक दिन उस राजा नें  अपने राजमहल में पहरेदारों को यह सब कहते हुए सुन लिया था कि कब जैसे यह राजा मर जाए? यह राजा तो हमारी आंखो का कांटा है। वह सब कुछ होते हुए भी दुःखी था। उसकी पत्नी तो बहुत पहले ही से  उसे छोड़कर जा चुकी थी। उसके अपना कोई भी बेटा नहीं था जिसको वह अपना उत्तराधिकारी बना सके। महाराजा  अपनें मरवाने की बात सुन कर हर कदम फूंक फूंककर रखनें लगा। एक दिन उसके खाने में किसी ने जहर डाल दिया था। उसे इस बात का पता नहीं चल पाया कि यह चाल उसके भाई की थी। वही उसे मरवानें का प्रयत्न कर रहा था। एक दिन जब वह खाना खाने हीे लगा था कि अचानक एक बिल्ली आकर उस के खाने को खाने लगी। थोड़ी देर बाद ही वह बिल्ली वहीं ढेर हो गई। राजा की समझ में यह बात आ गई थी कि कोई उसे मरवाने का षड्यंत्र कर रहा है। उस दिन से वह हर कदम पर फूंक फूंक कर रखता था।  उसने  अपनें भाई को कहा कि मेरे बाद तुम्हें ही राजकाज सम्भालना है। तुम राजकाज की सारी जानकारी रखा करो।

एक दिन वह राजा बिना किसी को कुछ बताए अपना राजपाटत्याग कर जंगल में चला गया था। वह अपनी नगरी से बहुत ही दूर आ चुका था ताकि उसे कोई पहचान ना सके। उसे चलते चलते काफी दिन हो चुके थे बाल भी काफी बढ़ चुके थे। वह पहचाना भी नहीं जा सकता था। भीखू को को देखकर सोच रहा था कि हम दोनों  है तो इंसान। हम दोनों में फर्क इतना है कि वह खुश है। मेरी तरह दुःखी नहीं है। काश मैं भी इसकी तरफ सुखी होता। राजा ने अपने गले में सुंदर मोतियों की माला पहन रखी थी। जूते भी  बहुत ही सुन्दर जरी वाले और बहुत ही कीमती वस्त्र  और आभूषण धारण-किए हुए थे। हाथ में भी सोने की अंगूठियां थी। जल्दी में वह ऐसे ही महल से भागा था। वह अगर देर करता तो वहां से नहीं निकल सकता था। भीखू की  नजर राजा पर पड़ी तो  वह पहले एक कदम पीछे हट गया। उसके बाद  वह  सोचने लगा कि  मेरे पैरों में जूते भी नहीं है और कपड़े  भी जगह जगह से फटे हुए हैं। उसे तो भिक्षा मांग मांग कर अपना निर्वाह  करना पड़ता है। भीख मांगकर गुजारा नहीं करूंगा तब तक मुझे रोटी नहीं मिल सकती। इस के क्या ठाठ बाठ हैं।  इसके जैसा खुशनसीब इंसान कोई नहीं होगा काश मेरे पास भी  किमती हीरे होते। जवाहरात होते। इतने सुंदर सुंदर वस्त्र होते सुन्दर सुन्दर जूते होते इसके कितने ठाट है? पर इतना सब होते हुए भी वह इंसान खुश नजर नहीं आ रहा है। मेरे पास इतना सब कुछ होता तो मैं तो बैठकर राज करता।  इसकी तरह दर-दर भटकता नहीं। चलो, इसके पास चल कर ही उस से पूछता हूं।

राजा की तरफ चलने लगा उस के पास पहुंचकर बोला राम राम।

राजा ने भी राम-राम का जवाब राम राम में दे दिया। आप तो बहुत रर्ईस  खानदान  के नजर आते हैं। आप शायद कहीं के राजा होंगे। राजा बोला ठीक पहचाना मुझे। मैं सूरत गढ़ का राजा हूं। मैं अपना राजपाट  अपनें भाई के हवाले कर आया हूं। मेरे घर वालों ने दौलत  हथियाने  का षड्यंत्र अपना  लिया था। उन से किनारा कर के  शांति की खोज में निकल पड़ा। मुझे  काफी दिनों  तक भटकते भटकते इतने दिन व्यतीत हो गए। मुझे खाना भी नसीब नहीं हुआ। मैं  भोजन की तलाश में  चल रहा हूं। शायद ही कोई मुझे खाने के लिए  पूछे। सभी लोंगों नें मेरी दाढ़ी बढ़ी देख मुझे बाहर भगा दिया। मैंने उनके डर से  कहीं मेरे पास इतने मूल्यवान गहनें देख कर मुझे खाने को न पूछे इसलिए मैंनें अपने गहने  उन से छिपा कर अपनी झोली में रख लिए। रास्ते में कंदमूल फल खा कर अपना पेट भर रहा था।मुझे देखकर कुछ लोंगों  ने बासी रोटी मेरी तरफ फैंकी। आज मैं भूख से व्याकुल होकर इधर-उधर घूम रहा हूं। रास्ते में घास फूस खाकर अपना गुजारा कर रहा हूं। तुम्हारे झोली में क्या है? कृपया मुझे खाना खिला दो।  भीखू उसकी तरफ देख कर मुस्कुराता हुआ  बोला अगर तुम मुझे अपनी सोने की अंगूठी दे दो तो मैं तुम्हें अपने पास से खाना दिला दूंगा।

राजा उसकी बात सुन कर बड़ा खुश हुआ। बोला, तुम मुझसे मेरी अंगूठी ले सकते हो। मैं अंगूठी के बिना रह सकता हूं लेकिन भूखे पेट  नहीं रह सकता। राजा ने अपने हाथ से अंगूठी लेकर उसे दे दी।  भीखू नें भी अंगूठी पाकर अपनी रोटी उसे दे दी। भीखू राजा को बोला तुम भी अकेले हो और मैं भी अकेला हूं। हम दोनों साथ साथ चलते हैं। एक से दो भले। दोनों साथ-साथ रास्ता पार करनें लगे।

काफी घनें जंगल में जाकर विश्राम करने के लिए रुके। राजा की तरफ देखकर भीखू नें राजा को  कहा कि आप कितने भाग्यशाली इंसान है। आपके पास सब कुछ है मेरे पास कुछ नहीं है। पैर में जूते भी फटे हुए हैं। आपने मेरी समस्या हल कर दी आपने मुझे अंगूठी दे कर मुझे कृतार्थ कर दिया। अंगूठी पाकर भीखू खुशी महसूस कर रहा  था। राजा भीखू से बोला मैं भी तुम्हारी तरह ही सोच रहा था कि तुम कितनें खुशी में मस्ती से चल रहे  हो? तुम्हारे पैर  में पहनने के लिए भी जूते  भी नहीं है फिर भी तुम्हें जूतों की कोई परवाह नहीं।तुम्हे इस हालत में  खुश देखकर मैं सोचने लगा कि तुम से   बढकर  कोई  भी खुश नसीब नहीं होगा। मेरे पास सब कुछ है फिर भी मैं खुश नहीं हूं। राजा बोला हम दोनों की एक जैसी हालत है। दोनों विश्राम करने के लिए रुक जाते हैं। बातों ही बातों में भीखू राजा से उस के राज्य की जानकारी  उसके भाई का नाम  और वह कंहा का राजा है?राजा से सब कुछ पता कर लेता है। उसने अपने मन में ठान लिया था कि वह राजा के सोने के गहने और किमती वस्त्र आधी रात को चुरा कर यहां से भाग जाएगा इसलिए वह राजा का विश्वास पात्र बन कर उससे मीठी मीठी बातें कर रहा था। थोड़ी ही देर में राजा को गहरी नींद आ गई। उसनें  राजा के खाने में बेहोशी की दवाई मिला दी थी जिसे  खा कर राजा को गहरी नींद आ गई थी। भीखू नें  राजा के वस्त्र पहने और उसके गले से हार अंगूठी सब कुछ निकाल कर  उसकी पोशाक पहन कर वहां से चंपत हो जाता है।

रात को राजा सोया ही रह जाता है भीखू जब भाग रहा होता है तभी उसे  कुछ चोर दिखाई देते हैं। चोर उसे राजा समझ कर पकड़ लेते  हैं। वह खुश हो कर एक दूसरे को कहते हैं  आज तो किसी राजा से हमारा वास्ता पड़ा। उन्होंने उससे सारे के सारे गहने, किमती अंगूठी  और उसके मूल्य वान वस्तुएं  उस से छीन ली। उसे केवल एक धोती पहना दी। उसका सब कुछ लूट लिया उसे एक पेड़ से बांधकर बोले। जल्दी से हमें बताओ तुम कहां के राजा हो? वर्ना तुम्हे मार कर किसी गड्डे में फैंक देंगें। भीखू सोचने लगा कि अमीर बन कर तो मैं मरनें की  कगार पर पंहुच गया। अब क्या करुं? कैसे इन से अपनें आप को बचाऊं?

भीखू नें उन चोरों को कहा कि मैं राजा नहीं हूं। मेरा विश्वास करो। मैंनें लालच में आ कर एक राजा जो अपनें जीवन से निराश हो कर जंगल में भोजन न मिलनें के कारण तडफ रहा था मैंनें उसकी मदद का झूठा नाटक किया और जैसे ही राजा सो गया उसके खाने में बेहोशी की दवा मिला कर उसके बहुमूल्य वस्त्र और गहनों को चुरा कर यंहा भाग आया। उसका विश्वास पात्र बन कर उसे ठगा। चोर बोले तुम नाटक तो बहुत अच्छा कर लेते हो। तुम्हारा नाटक यहां नहीं चलेगा।

भीखू को पकड़ कर उस से पूछा तुम कंहा के राजा हो। उसनें फिर कहा  कि राजा सूरतगढ़ का है। उसका भाई रायबहादुर वहां का मन्त्री है। राजा रायप्रताप  जंगल में विश्राम कर रहें हैं। मेरा विश्वास कीजिए। मैं सच कह रहा हूं। राजा को जब जाग आती है तो वह भीखू को पुकारता है। भीखू कंहा से आता। वह तो राजा को धोखा दे कर उसका सारा सामान ले कर चम्पू हो गया था। राजा को वहां

केवल एक पोटली ही नजर आती है।  वह अपनी झोली में कुछ  सामान छोड़कर वहां  वहां से भाग जाता है। ।

चोरों नें भीखू को केवल एक धोती पहना दी उसका सब कुछ लूट लिया। उन चोरों से भीखू बोला कि मैं राजा नहीं हूं मेरे साथ एक राजा भी जंगल में  विश्राम कर रहा था। मैंने उसे खाना दिया। उस के किमती वस्त्रचुरा लिए। चोरों ने उसकी बात पर विश्वास नहीं किया। वह राजा इसलिए जंगल में आया था क्योंकि उसका भाई उसको मारना चाहता था। वह सूरतगढ़ का राजा था।   राय प्रताप राजा के महल में जाकर चोर राय बहादुर को कहते हैं कि हम तुम्हारे भाई को पकड़ कर लाए है। तुम्हें अपने भाई को बचाना है तो  3000स्वर्ण  मुद्राएं लेकर आओ। राय बहादुर बोला तुम्हें हमारे भाई को मुंह पर कपड़ा बांधकर लाना होगा। हम तुम्हें इस काम के बदले में ₹3000स्वर्ण मुद्राएं दे देंगे। चोर तीन हजार स्वर्ण मुद्राएं सुन कर बड़े खुश होते  हैं।  चोर  उस के भाई को पकड़ कर रायबहादुर के हवाले कर देते हैं।रायबहादुर की पोशाक देखकर उसका भाई बड़ा खुश होता है। अपनें मन में सोचता है कि हम अपने भाई को मारकर उसका राजपाट हथिया लेंगे। चोरों ने उसे लाकर मंत्री रायबहादुर को  सौप दिया। चोर रायबहादुर के सामने उसको पकड़ कर लाए तो राय बहादुर बोला कि मैं अजनबी लोगों पर विश्वास नहीं करता पहले मैं देख लूं कि यह मेरा भाई ही है या नही रायबहादुर नें जैसे ही उसके मुंह से कपड़ा हटाया चोरों को बुलाकर कहा मुझे पता था कि  तुम  तीन हजार स्वर्ण मुद्राओं के चक्कर में मुझसे झूठ बोल रहे हो। यह तुम्हारी सोची समझी चाल थी। तुम इस आदमी को लेकर वापस जाओ। यह मेरा भाई नहीं है अगर तुमने ज्यादा बोलने की कोशिश की तो तुम्हारी पोल खोल कर रख देंगे। तुम्हें गोली मार मार कर तुम्हारा क्या हाल करेंगें   तुम्हें हम दो महीने का समय देतें है। दो महीने के अंदर अंदर मेरे भाई को ढूंढ कर लाओ वर्ना तुम्हें भी मौत के घाट उतार दिया जाएगा। अगर तुमने यहां से भागने की कोशिश की तो  हम तुम्हें मार कर जिंदा दफन कर देंगे। चोर डर के  मारे थर थर कांपनें लगे। वह वहां से नौ दो ग्यारह हो गए। रास्ते में जा रहे थे तो वे  भीखू  को बोले कि तुम गलत नहीं थे। हमनें भी लालच के चक्कर में 3000स्वर्ण मुद्राएं भी गंवा दी। तुम जल्दी से हमें बताओ कि असली राजा कहां है। हम तुम को भी अपना हिस्सेदार बना लेंगें। भीखू बोला अब तुम्हें समझ में आया कि मैं गलत नहीं कह रहा था जो भी कह रहा था ठीक कह रहा था। चोर बोले हम अपने किए पर शर्मिंदा हैं। हम अगर राजा को पकड़ कर उसके सामने नहीं लाएंगे तब तक वह हमें वह माफ नहीं करेगा। उसनें  हमें दो महीने का समय दिया है। इस  दो महीने में राजा को ला कर  उसके भाई के पास  नहीं सौप देंगे तब तक वह चुप नहीं बैठेगा। हमें फांसी का दंड भुगतना पड़ेगा।भीखू  बोला कि  मैं उसे जंगल में ही छोड़ आया था। उसे ढूंढने की कोशिश करते हैं।  चोर बोले थे कि तुम ही राजा को पहचानते हो इसलिए उसे ढूंढने का प्रयत्न जल्दी करो।

राजा जब उठता है तब भीखू को न  पाकर बहुत ही उदास होता है। मन में सोचता है कि  भीखू   भी उसे चकमा देकर चंपत हो गया। उसकी नजरें मेरे कीमती वस्तुओं और गहनों  पर थी।   वह गहनों तो प्राप्त कर चुका है वह अब  यहां क्यों आने लगा? उसे भी कहीं जाकर अपनी रोटी का जुगाड़ करना होगा वर्ना मैं यहां जंगल  में तड़प तड़प कर मर जाऊंगा। धीरे-धीरे राजा वहां से चलने लगा। काफी दिन तक भूखा प्यासा रास्ते में जो कुछ रुखा सुखा मिलता वह खाकर गुजारा  करता। चलते चलते उसे एक हफ्ता हो चुका था। एक पोटली वहां पर ही भूल गया था। उसने सोचा कि इसमें देखा जाए कि इसमें क्या है? जब उसने  वह पोटली  खोली तो उसमें सन्यासीयों के कपड़े थे। उसने सोचा कि संन्यासीयों  की वेशभूषा पहनकर देखी जाए। मुझे इतने दिनों तक खाने को भी ठीक ढंग से नहीं मिला। रास्ते में चलते हुए लोगों ने उसे भिखारी जानकर उसे रुखा सुखा उसके आगे फेंक दिया।  राजा नें सन्यासी के कपड़े पहन लिये ।  वह एक छोटे से गांव के पास से होकर जा रहा था। एक नदी के किनारे पर पहुंच गया था। नदी के किनारे पर उसे वहां नींद आ गई।  उसे पता नहीं चला कि वह उसी दशा में दो दिन तक सोया रहा।  थकान के मारे  कब नींद आ गई उसे  पता  ही नहीं चला।   साधु बाबा जानकर  लोगों नें उसके आसपास  घेरा डाल दिया। कम्डल देख कर लोगों नें सोचा बाबा समाधि में ध्यान मग्न पड़े हैं। किसी ने रुपए किसी ने चावल किसी ने धूप और ना जाने  तरह तरह के चढावे चढ़ा दिए। जब तीसरे दिन उनकी आंख खुली तो उसने देखा कि उसके आसपास फलों का ढेर लगा था।  वह भी मन ही मन खुश हुआ। वह सोचनें लगा कि  संन्यासियों की जिन्दगी सब से अच्छी  है। कुछ मेहनत भी नहीं करनी पड़ी। बैठे-बिठाए इतना कुछ हासिल हो गया।  वह अब यहां से कहीं और जाने के बारे में कभी सोचेगा भी नहीं। यहीं पर उसे  बैठे बिठाए खाने को मिलता रहेगा। वहीं पर एक कुटिया बनाकर रहनें लगा। आसपास के लोग उसे पहुंचा हुआ बाबा जान कर उसकी पूजा करनें  लगे।

एक दिन गांव के सारे के सारे लोग मिलकर उसके पास आकर बोले हमारे  गांव में इतने दिनों तक वर्षा नहीं हुई है। ना जाने कितने वर्ष हो गए। यहां वर्षा ही नहीं होती है। आप तो पहुंचे हुए बाबा हैं। आप ही कोई उपाय करें। बाबा की बातें सुनकर राजा की आंखें फटी की फटी रह गई। वह कुछ  बोलनें ही लगा था कि अचानक उसे याद आया। क्या करूं?मैंनें अपनी सच्चाई उगल दी तब तो बहुत ही बुरा होगा। बाबा बोले हमें इसके लिए उपवास करना पड़ेगा। दो महीने तक कोई भी इस कुटिया में कदम नहीं रखेगा। दूर से ही लोग यहां चढ़ावा चढा  कर चले जाएंगे। जब लोग वहां से चले गए तो वह राजा सोचनें लगा कि क्या करूं? मेरी जिंदगी में तो हर  तरफ तलवार लटकी है। मैं अब तो अच्छी तरह से समझ गया हूं कि दूसरों की अच्छी जिंदगी को देखकर हमें उस से ईर्ष्या  नहीं  करनी चाहिए। मुझे  यहां कुछ काम धाम तो नहीं करना पड़ता।  यहां पर बैठे-बैठे खाने को  तो मिल रहा है। मैं यहां पर कैद की तरह जिंदगी बसर कर रहा हूं। एक ही जगह बैठकर साधु बनना पड़ा। मुझे तो तीर कमान चलाने का शौक था। बढ़िया-बढ़िया भोजन खाने का शौक था। यहां पर तो हर रोज फल खाकर गुजारा करना पड़ता है। मैं तो मांसाहारी था। मांस  मदिरा  को यहां पर कोई पूछता तक नहीं। क्या करूं? आगे कुआं पीछे खाई।  इस भँवर से कैसे निकला जाये।

मैं पहले बहुत ही नास्तिक था।  साधु के वेश में अब मुझे भगवान का भजन करने का ढोंग करना पड़ता है। मुझे तो ओम नमः शिवाय के अतिरिक्त कुछ आता ही नहीं है।  कोई बात नहीं यही मंत्र  बोल कर काम चलाता हूं। अभी तो दो महीने पड़े हैं। 2 महीने पूरा होते ही यहां से चला जाऊंगा। तब तक तो भगवान के मंत्र इन लोगों को दिखाने के लिए बोलनें ही पड़ेंगे। लोंगों नें किसी मन्त्र को पूछ डाला तो क्या जबाब दूंगा? कोई बात नहीं ओखली में सिर दे डाला तो मूसलों से क्या डरना। वह लोगों के सामने जोर जोर से मंत्रों का उच्चारण  करने लगा।  गांव के लोग दो तीन घंटे तक  भगवान का भजन करते, कुछ भजन गाते फिर घरों को चले जाते। दो महीने पूरे होने जा रहे थे। राजा सचमुच में  भगवान के सामने जाकर बोला हे प्रभु! मुझे बचा लो। कुछ ना कुछ तो चमत्कार दिखाओ। राजा बोला मैंने जिंदगी में गल्तियां की है मगर इस बार मैं समझ चुका हूं। आप मेरी लाज रख लो। इस गांव में वर्षा करवा दो। मेरी डूबती नैया को पार करो। मैं कहां जाऊं।?

अपने भाई के अत्याचारों से तंग आकर मैं यहां जंगल में आ गया। यहां पर आकर मुझे सबक तो मिल गया कि हमें मुसीबतों से घबराना नहीं चाहिए। मुसीबतें ही तो जिंदगी का एक अहम हिस्सा होती है। वह हमें चुनौतियों से लड़ना सिखाती है। मैं अगर वहां से भाग कर नहीं आता तो शायद ठीक रहता। लेकिन कोई बात नहीं जो होगा देखा जाएगा।  सचमुच में ही उस गांव में इतनी भयंकर वर्षा होती है लोग यह सब चमत्कार बाबा जी का ही मानते हैं। दो महीने पूरे होने वाले होतें हैं।

गांव के लोग दौड़े दौड़े बाबा जी के पास आते हैं। आप तो महान हैं। बाबा जी  लोगों से बोले अब मुझे  इजाजत दो मैं अब यहां से जाना चाहता हूं।

भोले बाबा जी हम आपको छोटी सी अच्छी सी कुटिया बनाकर दे देते हैं। आपको कहीं जाने की आवश्यकता नहीं  है। आप यहीं पर ही रहेंगे। आप की सेवा के लिए हम किसी न किसी व्यक्ति को आपके पास भेज दिया करेंगे। यह सोच कर कि जो होगा देखा जाएगा राजा वहीं पर रहने लगा।

भीखू और चोर- राजा को ढूंढते ढूडते  उसी गांव में पहुंच गए तो उन्हें पता चलता है कि यहां पर एक  बहुत ही पहुंचे हुए बाबा आए हैं। वह हर समस्या से  लोंगों को निजात दिलवा सकते हैं। भीखू के साथ चोरों ने भी उस गांव में जाने की ठान ली।  उसी गांव में पहुंच गए। उनको देख कर बाबा बोले कि तुम कहां से आए हो? अचानक बाबा ने भी भीखू को देखकर पहचान लिया   वह तो भीखू है। भीखू नें भी राजा को देखकर पहचान लिया कि वह तो वही राजा है जिसके गहने और वस्त्र चुरा कर वह भागा था। दोनों एक दूसरे को पहचान जाते हैं। चोरों को इस बात का पता नहीं होता कि वे एक दूसरे को जानते हैं। भीखू राजा को सारी सच्चाई बता देता है कि मैंने आपके  वस्त्र पहनकर राजा बनने की कोशिश की मगर राजसी वस्त्र पहनते ही  मेरे पीछे चोर पड़ गए। चोरों ने मुझसे सब लूटपाट कर पता लगा लिया कि मैं कौन हूं?वे  मुझसे पूछने लगे कि बताओ तुम कौन हो?? कहां के राजा हो।? मैंने उन्हें बताया कि मैं राजा नहीं हूं। मैं तो एक मामूली सा एक गरीब इंसान हूं। उन्होंने मेरी बात का विश्वास नहीं किया। मैं चोरों के पैर पकड़कर बोला अगर विश्वास ना हो तो जंगल में चलकर मैं तुम्हें राजा से मिलवा देता हूं। मैंने राजा के वस्त्र लालच कर छुपा लिये और राजा के वस्त्र अपने आप पहन लिए।  उन्होंने कहा कि हम राज महल में ही चल कर पता करते हैं। मैंने आपका नाम आप से सब कुछ आपके बारे में जानकारी प्राप्त कर ली थी।

वह चोर मुझे लेकर राजमहल में पहुंचे तो आपके भाई मंत्री ने कहा कि मेरा भाई कहां है? आप उन्हें मेरे हवाले कर दो।  चोरों ने कहा कि अगर आप हमें ₹3000 स्वर्ण मुद्राएं देंगे तो हम आपके भाई को आपके सामने लेकर आएंगे । आपके भाई ने कहा कि वैसे भी मैं अपने भाई को मरवाना चाहता था ताकि वह राजा ना बने मगर वह तो राजपाट छोड़कर ना जाने कहां चले गए? अगर वह मुझे मिल जाए तो मैं उन्हें मार कर ही दम लूंगा। चोर उसकी बात सुनकर हक्का-बक्का रह गए। चोर बोले तो ठीक है आप यहां से पांच किलोमीटर की दूरी पर एक बहुत ही घना जंगल है जहां पर झटक एक नदी है। वहां पर एक पीपल का पेड़ है। वहां पर आज रात को आ जाना। हम तुम्हारे भाई को हम तुम्हारे हवाले कर देंगे।

जब चोरों ने मुझे राजा के हवाले कर दिया  उस समय मेरा चेहरा ढका हुआ था। रात्रि का वक्त था। मंत्री बोला कि मैं तुम अजनबी लोगों पर विश्वास नहीं कर सकता पहले मैं उस के नकाब को हटाकर देखूंगा कि तुम मेरा भाई को ही लाए हो तभी तुम्हें मैं ₹3000 स्वर्ण मुद्राएं दूंगा वर्नां नहीं।  पहले मुझे मेरे भाई का चेहरा दिखाओ। मैं देखना चाहता हूं कि यह मेरा भाई है या नहीं।  मैं खुश हो रहा था कि अब मैं बच जाऊंगा।   जैसे ही मंत्री ने नकाब उठाया वह क्रोधित होकर चोरों से बोला तुम तीन हजार स्वर्ण मुद्राएं  मांग रहे  हो। यह मेरा भाई नहीं है। तुम्हें मैंनें दो महीने की मोहलत दी है कि मेरे भाई को ढूंढ कर लाओ नहीं तो तुम्हारे साथ बुरा बर्ताव किया जाएगा। चोरों को अपने किए का एहसास हुआ और उन्होंने मुझसे माफी मांगकर करके कहा हमें क्षमा कर दो। हमारी मदद करो। राजा को ढूंढने में हमारी मदद करो। मैं इन चोरों को लेकर उसी जंगल में आया आप वहां नहीं मिले। आज अचानक आपको देखकर खुशी हो रही है कि आप जिंदा हो। भीखू ने राजा को कहा कि आप चोरों को कहो कि मैं जानता हूं कि तुम किसी को  ढूंढने आएआए हो वह तुम्हारे ऊपर विश्वास कर लेंगे। तुम्हें सच्चा साधु जानकर तुम्हारी हर बात मानने के लिए तैयार हो जाएंगे। राजा ने चोरों को कहा कि तुम किसी राजा को ढूंढने आए हो।  तुमनें  यंहा के राजा को पकड़कर सूरतगढ़ के मंत्री के पास नहीं पहुंचाया तो तुम्हें  कठोर से कठोर दण्ड देंगें।

चोर मंत्री कि बात सुन कर हक्का बक्का रह गए। चोर बाबा को बोले आप हमें इस मुसीबत से छुटकारा दिला दो हम कभी  गलत काम नहीं करेंगे। अच्छा जीवन व्यतीत करेंगें। हम आपके सामने कसम खाते हैं। हम आपके  सच्चे भक्त बन कर आप के चरणों में पड़ कर अपना जीवन व्यतीत कर देंगें। बाबा जी के वेश में  राजा बोला तुम मुझे राजा के महल में ले चलो। मैं वहां पर चल कर खुद देखना चाहता हूं। तुम वहां पर चल कर कहना कि एक बहुत बड़े साधु महात्मा पधारे हैं। वह हर किसी  व्यक्ति के भूत भविष्य के बारे में जानकारी रखते हैं।

चोर और भीखू  राजा को लेकर सूरतगढ़   पहुंच गए। वहां पर जाकर चोर बोले मंत्री जी हम एक बहुत ही बडे़ महात्मा को ले कर आप के पास आए हैं। वह आप के भाई राजा रायप्रताप से आप को अभी मिलवा भी देगा। राजा को सब मालूम हो गया था कि उसका भाई ही उसके खून का प्यासा था। वह अपनें भाई को बहुत ही प्यार करता था। अपनें चचेरे भाई के  द्वारा बिछाए गए षडयंत्र को समझ चुका था। मंत्री नें पंहुचे हुए महात्मा जान कर उनकी काफी सेवा की। उन्हें आदर सम्मान के साथ अपनें महल में ले जा कर बिठाया। मंत्री बोला कृपया कर के मुझे मेरे भाई से मिलवा दिजीए।  आज मेरा राज्य भिषेक होंनें जा रहा है।  मेरा भाई न जानें मुझे क्यों बताए बगैर यंहा से चले गए। महात्मा जी चोरों को अकेले में ले जा कर  बोले मैं थोड़ी देर के लिए राजा बन जाता हूं। उसने वही राजसी वस्त्र पहन लिए। प्रजा जन वहां पंहुच गए थे। राजा उन के सम्मुख  जैसे ही बैठा लोग जय जय कार करते हुए बोले राजा जी आप इतनें दिनों तक कहां रहे। आप हमें बताए बगैर कहां चले गए थे। मंत्री अपनें भाई को अपनें सामनें देख कर हक्का बक्का रह गया। वह लोंगों को बोला यह मेरे भाई नहीं हैं। यह तो बाबा जी हैं। थोड़ी देर के लिए उन्होंनें मुझे अपनों भाई से मिलवाया है। वह अभी अपनें असली रुप में आ जाएंगें। बाबा बन जाएंगें। राजा अपनें भाई को बोला हां मैं अपनें असली रुप में आ जाऊंगा। लोग तालियाँ बजा कर उसके भाई का राज्यभिषेक करनें लगे।

वह जैसे ही मंत्री को गद्दी पर बिठानें लगे तो महात्मा बना राजा बोला मैं अपने भाई को ही राजा बनें देखना चाहता था। एक दिन मैंनें प्रजाजनों के दो व्यक्तियों को बातें करते सुन लिया था कि यह राजा हमारी आंख का कांटा है। इससे जल्दी ही छुटकारा पाने का यत्न करना चाहिए। मुझे फिर भी मालूम नहीं था कि मेरा भाई ही मुझे मरवा कर अपनें आप  राजगद्दी सम्भालना चाहता  था। मुझे फिर भी कोई एतराज नहीं होता वह अगर मुझे कहता भाई मेरे मन में राजा बननें का ख्याल आया है। मैं हंसते हंसते  तुम्हें राजा बना देता। मुझे जहर दे कर मारनें का  प्रयत्न किया गया लेकिन जिस को भगवान नें बचाना होता है उस का कोई भी बाल बांका नहीं कर सकता।तुम नें क्यों  मुझे मारनें का  षड्यंत्र रचा। राय बहादुर बोला तुम क्यों अनापश्नाप बोल रहे हो? तुम महात्मा बन कर हमें ठगनेंह का यत्न कर रहे हो? जल्दी से यहां से रफा-दफा हो जाओ वर्ना तुम सब को धक्के मार कर बाहर निकालता हूं। राजा के वफादार सेवक की आंखों में आंसू आ गए। वह रोते रोते बोला मैंनें आप को पहचान लिया है। आप ही राजा हो। आप क्यों महात्मा बन कर यहां आए। आप जानना चाहते थे कि आप के खाने में किस नें जहर मिलाया था। आप नें मुझे जहर मिलाते शायद  देख लिया होगा। आप नें सोचा होगा कि जब  महल का सब से वफादार इन्सान ही मुझे मारना चाहता है तब मैं बिना बताए यहां से चला जाता हूं। राजा जी आप को मारनें  के लिए आप के भाई नें मुझे 1000स्वर्ण मुद्राएं देंनें का वायदा किया था। मुझे माफ कर दो। आप का असली गुनहगार तो मैं हूं। आप मुझे जो सजा देंगें मैं हंसते हंसते सजा भुगतनें के लिए तैयार हूं।

राजा की सच्चाई का सारा सच सभी प्रजाजनों को लग गया था।  सभी लोग मन्त्री को घृणा की नजरों से देख रहे थे। राजा नें अपनें मन्त्रीयों को आदेश दिया कि आज मैं अपनें भाई को अपनें राजकाज से बेदखल करता हूं। उसे आज ही इस राज्य को छोड़कर यंहा से एक साल के लिए जाना होगा। वह जब अपना प्रायश्चित पूरा कर लेगा उसे अपनें किए का एहसास हो जाएगा तब वह वापिस आ कर मेरे साथ काम करनें का अधिकारी होगा। राजा रायप्रताप फिर से राजा की गद्दी पर विराजमान हो कर अपना दायित्व निभाते हैं। राजा नें भीखू को अपना मन्त्री बना दिया और चोरों को भी अपनें महल में माली नियुक्त कर दिया। वे भी चोरी छोड़ कर  अच्छा काम करनें लगे थे। एक साल बाद उसका भाई  दर दर की ठोकरें खा  कर वापिस राजमहल में आया।

रायबहादुर भी ठोकरें खानें के बाद बदल चुका था। वह हर परिस्थिति में अपनें आप को सम्भालना सीख गया था। वह अपनें भाई के चरणों पर पड़ कर बोला अब कभी भी मुझे से भूल नहीं होगी। आप नें मुझे माफ कर दिया तो मैं समझूंगा कि मेरा प्रायश्चित पूरा हुआ। राजा नें  भी अपनें भाई को माफ कर  दिया। अपनें भाई को कहा आज मेरी एक बात गांठ बांध लो हमें कभी भी किसी की जिन्दगी में दखल नहीं देना चाहिए। जो कुछ मिलता है उसे हंस कर स्वीकार करना चाहिए। मेहनत और लग्न से काम कर अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। कम भी मिले उस में निर्वाह करना आना चाहिए। दूसरों की थाली में नहीं झांकना चाहिए।  उसे भी महल में रहने के लिए स्थान दे दिया।

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