गांव के मेले का पर्व आया, पर्व आया। हम सब नें अपने गांव में जाकर मेला देखने का भरपूर आनंद उठाया।। इधरउधर पांडाल सजे हैं। लोग सज धज कर मेले मेंआतुर हो कर जमघट लगाएं खड़े हैं।। बच्चे सजधज कर मेला देखनें चलें हैं। बूढ़े और युवा वर्ग सभी अपने साथियों संग मेला देखने चले… Continue reading गांव का मेला (कविता)
Day: October 23, 2018
कौवों की सूझबूझ
एक घना जंगल था। उसमें बहुत सारे पशु पक्षी रहते थे। पास में ही पेड़ पर बहुत सारे बंदर रहते थे। उन बंदरों में से एक बंदर बहुत ही शातिर था। वह उन सब बंदरों का लीडर था। वह उन पर रोब झाडता रहता था। सारे के सारे बंदर इधर-उधर उछल कूद कर मंडराते रहते।… Continue reading कौवों की सूझबूझ