मेरे देश की माटी

इस देश की माटी है चन्दन,
हम नित्य इसको करतें हैं वन्दन।।
ग्राम ग्राम तपोवन का है धाम ।
सत्य,शाश्वत,परमात्मा का है स्थान।।

हर बाला में है सीता।
हर बालक में है राम।।

अरूणोदय की वेला में सुरज सबसे पहले आए।
मधुर स्वरों में पक्षी गूंजन कर चहचहाए।
कृषकों कि आवाजाही से खेतों में,
हरी भरी फसलें लहराए।।

घर घर मन्दिर हैं,मन में बसतें हैं श्री राम।
हम उनको कहतें हैं पतित पावन सीताराम।।

प्रकृति की छटा निराली,जैसे सूर्योदय की लाली।।
नदियां प्रेम का संचार है करती,कल-कल का राग सुनाती।
हर आनें जानें वालों को कुछ न कुछ सीख है दिलाती।।

कर्म ही मानव की पूजा ,इसके सिवा न कोई दूजा।
मेहनत है सब को प्यारी,
इससे घर कि महकती है फुलवारी।।
ज्ञान की निर्मल धारा है सुहाती।
हर एक व्यक्ति के जीवन को महकाती।।

बांके छैल छबीले नर-नारी।
भोली भाली सूरत प्यारी।।
हर मानव दयालु और परोपकारी।
संस्कारी,विनम्र और प्रतिभाशाली।।
अदम्य साहस और वीरता की मूर्ति।
नेकी और ईमानदारी की प्रति मूर्ति।।

आलस्य का नहीं है कोई नामोनिशान।
सुबह शाम करतें हैं,सभी प्रभु का गुण गान।।
जीवन के सच्चे आदर्श हैं यहां पर
और यहीं हैं चारों धाम।
हर बाला में है सीता,हर बालक में है राम।
युगों-युगों तक मानव के मन मन्दिर में बसतें हैं श्री सीया राम ।।

हर नारी पवित्रता की सूचक।
मां शारदा,सीता,सरस्वती जैसी पवित्रता की मूर्त।।
कोमल और मृदुल स्वभाव से करती हैं मां का गुणगान।
सुबह सुबह नित्य कर्म निपटा करती हैं मां का ध्यान।।

गौ को समझतें हैं ममता की मूरत।
उसमें दिखती है मां की सूरत।।
बच्चे गाय को चारा खिलानें दौड़े दौड़े हैं जातें।
उनको खिला कर मंद मंद है मुस्कुराते।।
पते पते बूटे बूटे पर श्री राम का है नाम।
हर ग्राम तपोवन का है परम धाम ।।
हर बाला में है सीता, हर बालक में है राम।
युगों युगों तक हर मानव मन में बसतें हैं सीताराम।।

ढोलक मृदंग की थाप पर थिरक थिरक कर, ठूमका हैं लगाती।।
गोपियों कि तरह प्यारे राम और कृष्ण को हैं लुभाती ।
सीता राम की छवि मन में बसा उनको माखन का भोग हैं लगाती ।।
सैनिक देश के लिए कुर्बान हैं हो जाते।।

अपनें प्राणों को न्योछावर करनें से भी नहीं घबराते।।
जीवन के उच्च आदर्श यहीं पर
और यहीं हैं चारों धाम।
परम पिता परमेश्वर का है धाम।
परम पिता परमेश्वर का है धाम।।

सुबह सवेरे मानव है रटता ,
पतित पावन राम का नाम।
जनक जननी सीता माता का नाम।
जनक जननी सीता माता का नाम।।
इस देश की माटी है चन्दन।
हम नित्य करते हैं इसको वन्दन।।

पिकनिक का भरपूर आनन्द

रजत और रिन्की अपने पापा से पिकनिक पर जाने की कितने दिनों से फरमाइश कर रहे थे? उनके माता-पिता अपने बच्चों की फरमाइश को आगे से आगे टालते जा रहे थे। दोनों बच्चे अपने माता-पिता से गुस्सा थे उसके मम्मी पापा ने उन दोनों को समझाया बेटा पिकनिक पर जाना कोई मामूली काम नहीं होता। वह भी घर से काफी दूर। नजदीक वाली जगह हो तो हम तुम्हें किसी भी छुट्टी वाले दिन घुमाने लेकर जा सकते हैं लेकिन दूर वाली स्थान पर जाने के लिए तो हमें गाड़ी या बस को पहले ही बुक करवाना पड़ता है इसके लिए पहले हमें योजना बनानी पड़ती है एक दिन रविवार को जब उनका शावर का नल लीक कर रहा था तो, मकान मालिक आकर बोला तुम्हारा नल का पाइप टूटा हुआ है। आज तो आप सारा दिन बाथरूम का इस्तेमाल नहीं करना। पानी नीचे नहीं जाना चाहिए।उन के कि माता-पिता ने सोचा हम अगर घर पर रहेंगे दोनों बच्चे कहीं जानबूझकर पानी ना छोड़ दें।आज तो कहीं घूमनें का प्रोगाम बना ही डालते हैं।

शाम को ही रजत और रिंकी के माता पिता ने उन्हें कह दिया था कि हम 2 दिनों के लिए बाहर पिकनिक पर जा रहे हैं ।तुम दोनों अपना समान पैक कर डालो। वे दोनों बच्चे खुशी से फूला नहीं समा रहे थे। मन ही मन ना जाने कितनी ढेर सारी कल्पनाएं करने लगे। हम दोनों ढेर सारी फोटो लेंगे। रास्ते में आने जाने वाली जगहों को दर्शनीय स्थलों को देखेंगे। उसके माता-पिता ने गाड़ी बुक करवा ली थी। शाम को देर से सोने के कारण दोनों बच्चे सुबह नहीं जगे। सुबह जैसे ही ड्राइवर आया तो उसके मम्मी ने उन दोनों को कहा पिकनिक पर नहीं चलना है क्या? दोनों के दोनों जाने के लिए तैयार हो गये। जल्दी जल्दी उठकर के हाथ मुंह धोकर ही चल दिए। मां ने पूछा बेटा क्या तुम दोनों ने अपना सारा सामान पैक कर लिया है?उन्होनें हां में सर हिलाया। सब के सब गाड़ी में बैठ गए थे।
पापा बोले बेटा हम शहर से 120 किलोमीटर की दूरी पर आ गए हैं। हम यहां के आसपास के शहरों को देखेंगे। रजत बोला आपको कैसे पता चला कि हम कि हम 128 किलोमीटर की दूरी पर आ गएहैं?हम यहां आसपास के जगहों को देखेंगे। उसके पापा रजत की ओर देखते हुए बोले बेटा कि हम कैसे किसी क्षेत्र की दूरी का पता कैसे लगा सकते हैं ?मैं आज कार्यालय से आते वक्त ऐटलस लाया था। इससे दूरी और दिशा की जानकारी तुम्हें जानकारी मिल जाएगी जी पी एस चालू करके हमें सही दिशा और स्थान की जानकारी मिल जाएगी।उन्होंने चालक को कहा कि जी पी एस को चालू कर दो।
रजत और रिंकी रास्ते में बाहर की ओर देखते जा रहे थे।किनारे पर एक पत्थर गढा हुआ था। एक सफेद पत्थर ऊपर से कुछ पीला सा था उसके पापा ने ने बताया कि जब हम सड़क मार्ग से यात्रा करते हैं उस समय सड़क के किनारे कुछ मील के पत्थर दिखाई देते हैं। इस मील के पत्थरों पर जिस शहर की तरफ जा रहे होते हैं उनकी दूरी लिखी होती है। ।इनके रंग अलग-अलग होते हैं। आधे से ज्यादा में सफेद रंग होता है ।ऊपर का कुछ भाग अलग रंग का होता है। पीले और सफेद रंग के पत्थर दिखाई दे तो समझना चाहिए कि हम राष्ट्रीय राजमार्ग पर चल रहे हैं

रजत बोला पापा यह राष्ट्रीय राजमार्ग क्या होता है ?उसके पापा बोले कि राष्ट्रीय राजमार्ग का मतलब जो मार्ग एक राज्य से दूसरे राज्य को जोड़ता है उसे राष्ट्रीय राजमार्ग कहते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई 76 हजार818 किलोमीटर है। जहां राजमार्ग हो वहां हरे और सफेद रंग के पत्थर एक राज्य के अंदर की दूरी बताते हैं ।रिंकी बोली कि पापा मील का पत्थर कौन से रंग का होता है? उसके पापा बोले बेटा मील का पत्थर काली और नीली पट्टी वाले पत्थर में किसी बड़े शहर या जिला में जब प्रवेश करते हैं वहां की जानकारी देता है।

कभी-कभी हमें सड़कों के पास केसरिया और सफेद रंग के पत्थर भी दिखाई देते हैं इस रंग के पत्थर का मतलब होता है कि आप किसी ग्रामीण सड़क पर है। यह रंग प्रधानमंत्री ग्राम सड़क की योजना को बताता है । दोनों बच्चे खुशी खुशी गाड़ी में से बाहर की स्थानों को देखते जा रहे थे और पापा से जानकारी भी पा रहे थे
रजत ने देखा कि उसके पिता फोन पर किसी से बातें कर रहे थे। वह कह रहे थे कि क्या आगे जाने के लिए हमें गाड़ी मिलेगी? रजत अपने पापा को बोला पापा क्या गाड़ी आगे नहीं जाएगी? उसके पापा बोले बेटा जरा अपना मोबाइल तो दे उन के फोन की बैटरी समाप्त हो गई थी।अपनी जेब में फोन को निकालने के लिए हाथ बढ़ाया तो उसे अपना मोबाइल जेब में नहीं मिला। वह बहुत ही उदास होकर बोला पापा मैं अपना मोबाइल तो घर पर ही भूल लाया। उसके पापा बोले बेटा तो क्या हुआ फोन के बिना ही काम चलाओ। पहले जब फोन नहीं होते थे तो लोग आपस में मिलजुल कर एक दूसरे के साथ हंसी मजाक कर काम चलाते थे ।आजकल तो मनुष्य फोन के बिना अपने आप को बहुत ही असहाय समझता है। तुम तो फोन ना लानें पर ऐसे उदास हो गए जैसे कि तुम्हारे ना जाने कितनी कीमती चीज गुम हो गई हो? वह बोला पापा मैंने तो समझा था कि मैं तो पिकनिक का भरपूर आनन्द लूंगा। मगर लगता है पिकनिक का कोई मजा नहीं आने वाला।रास्ते में गाड़ी भी खराब हो गई है ।उबड़ खाबड़ रास्ते से चलनें के कारण वह आगे नहीं चल रही थी। रास्ते में जगह-जगह सड़क कई जगह से टूटी हुई थी ।गड्ढों में पानी भरा हुआ था। ड्राइवर ने कहा कि मैं गाड़ी को ठीक करवा कर आता हूं तब तक यहां के जंगलों की सैर कर आओ।

गाड़ी ठीक होनें पर मैं आप को सूचित कर दूंगा। आज सभी गाड़ियों की हड़ताल है ।आगे कोई भी गाड़ी नहीं चलेगी।रजत तो बहुत ही मायूस हो गया था। रिंकी बोली कि हमारा पिकनिक का सारा मजा किरकिरा हो गया।उन के पापा बोले बेटा यूं मायूस नहीं होना चाहिए । वे वहीं गाड़ी से नीचे उतर आए। गाड़ी जंगल के रास्ते में थी। दूर-दूर तक कोई भी नहीं दिखाई दे रहा था। आने जाने वाले रास्ते में लोग कह रहे थे कि यहां से 3 किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा फिर कहीं जाकर ढाबा मिलेगा ।उन्हें तो बहुत जोरों की भूख भी लग रही थी। वे अब पैदल चलने लगे थे। पैरों में चलते-चलते छाले पड़ गए थे। वे दोनों अपने पापा को बोले कि पापा आपकी गाड़ी क्या आज ही खराब होनी थी ?उसके पापा उसे समझा कर बोले बेटा जब हम छोटे थे तो हम तो 10 किलोमीटर तक पैदल यात्रा करते थे।3 किलोमीटर की दूरी पर चलने पर उन्हें एक ढाबा दिखाई दिया। वहां पर भी एक ही व्यक्ति बैठा हुआ था। वह बोला अभी अभी थोड़ी दूर पर यहां दुर्घटना हुई है इसलिए आज सारी दुकानें बंद है। बच्चों का भूख के मारे बुरा हाल था उसके पापा बोले मुझे जंगल के पास से होते हुए नजदीक से जाने का रास्ता ही पता है। हम अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच जाएंगे।इसी रास्ते से चलते हैं। जल्दी ही हम वहां पर पहुंच जाएंगे । थोड़ा विश्राम कर के फिर चल पड़ेगेंं।यहां से भीचिड़ियाघर थोड़ी ही दूरी पर है। वे धीरे-धीरे पैदल चलने लगे रास्ते में उसके पिता ने कहा कि बेटा यहां पर बहुत सारे फलों के पेड़ हैं। यहां से मैं तुम्हें नाशपाती निकाल कर दूंगा। कुछ बेरी के पेड़ भी है ।यहां से फल खाकर अपना पेट भर लेंगे। अचानक उसके पिता ने एक पेड को देखकर उस पर चढ़कर रजत को बोले बेटा ।मैं तुम्हें नाश्पती तोड़ कर देता हूं

रजत बोला पापा क्या मैं भी पेड पर चढ़ सकता हूं ?उसके पापा बोले बेटा पेड पर तुम नहीं चढ सकते। मेरा बचपन तो पेड़ पर चढ़कर ही बीता। तुम्हें ऊपर चढ़ाने में मैं तुम्हारी मदद करूंगा ।उसके पापा ने उसी पेड़ पर चढ़ा दिया पेड़ पर चढ़कर उसे बहुतआनंद आया। वह शाखाओं को हिलानें ही लगा था कि उसके पापा ने उसे कहा बेटा इसकी शाखा कमजोर होती है तुम नीचे भी गिर सकते हो। उन्होंने फल खाकर अपना पेट भरा। वह जंगल के रास्ते से धीरे-धीरे पैदल चलने ।

रींकी को भी भूख लग रही थी। उसके पापा ने जंगल के एक छोर के पास जाकर वहां से दो पत्थर उठाए।उन पत्थरों को उठाते देख रजत नें अपने पापा को कहा पापा ये पत्थर आपने किस लिए उठाए? उसके पापा बोले बेटा तुम दोनों सूखी लकड़ियां लाओ। मैं तुम्हें आग जलाना सिखाता हूं। वे दोनों सूखी सूखी लकड़ियां लेकर आए। वह घर से एक पतीला और थोड़ी सी चाय का सामान लेकर चले थे ।उसके पापा ने दोनों पत्थरों को आपस में रगड़ कर आग जलाई ।दोनों बच्चे आश्चर्य से अपने पापा की ओर देखने लगे। उसके पापा बोले कि बेटा जब पहले पहल इंसान को भोजन का ज्ञान नहीं था तो वह कंदमूल फल खा कर गुजारा करता था। उसे आग जलाना भी नहीं आता था।दो पत्थरों को आपस में रगड़ कर उसने आग जलाना सीखा। पापा बोले कि जैसे मैंने तुम्हें दोनों पत्थरों को रगड़ कर आग जलाई। उन्हें भी इसी तरह से आग जलाने का ज्ञान हुआ। उन्होंने इस का उपयोग जंगली पशुओं को डराने के लिए भी किया। जंगली जानवर आगको देखकर डर कर भाग जाते थे उन्हें तो खेती का भी ज्ञान नहीं था। आदि मानव नदियों के किनारे रहता था ।वहां पर उन्होंने सूखे सूखे बीज गिरे दिखे ।और उन्होंने उसे कचरा समझ कर वहीं पर फेंक दिया। कुछ दिनों बाद ये भी पनप कर पौधे बन गए, तब उन्हें खेती करना आया था ।धीरे-धीरे उससे उन्होंने खेती करना सीखा

रिंकी बोली खेती के लिए औजार कंहा से आए?।वह बोले पत्थरों को घिस घिस कर उन्हें औजार का रुप दे देता था। नदी पार करनें के लिए लकड़ी के मोटे मोटे तने पर बैठ कर नदी के पार जाता था।संदेश भी कबुतर द्वारा भेजा जाता था। उन्होंने वहां पर पत्थरों को आपस में रगड़ कर आग जलाकर चाय बनाई ।बच्चों को बहुत ही मजा आ रहा था अपने पापा को बोले पापा कि हमें थकान का महसूस ही नहीं हो रहा है। हमें आज बहुत ही खुशी हो रही है। बिना मोबाइल के भी हम खुश रह सकते हैं। उसके पापा बोले बेटा चलो आज हम मिलजुल कर अंताक्षरी खेलते हैं ।सब के सब इन्ताक्षरी खेलने लग जाते हैं।वहां पर उन्होंने कैमरे से बहुत सेचित्र लिए। अचानक ही वर्षा होनें लगी।वह वर्षा से बचनें के लिए पेड़ की शाखा के नीचे खड़े हो गए।रजत बोला पापा अचानक वर्षा क्यों आ जाती है?

उसके पापा बोले जिस दिन ज्यादा गर्मी पड़ती है उस दिन वर्षा होती है।दिन भर गर्मी पड़ने के कारण धरती तपनें लगती है।कभी कभी आसमान में बादल नहीं दिखते। लेकिन हल्की सी बारिश हो जाती है।इन्हें बौछारें कहते हैं।
अचानक गाड़ी का परिचालक आ कर बोला गाड़ी का मार्ग खुल गया है।वह गाड़ी में बैठ कर ही इन्ताक्षरी का आनन्द लेनें लगे।सबसे पहले गाड़ी से उतर कर उन्होनें भोजन किया।दोपहर हो चुकी थी।रजत बोला पापा मैंने शायद ज्यादा खाना खा लिया है, इसीलिए नीद आ रही है।रींकी बोली पिकनिक पर आए हो या सोने के लिए।उठो।रजत बोला ज्यादा खाना खानें पर नींद क्यो आनें लगती है?। उसके पिता बोले जब हम ज्यादा खाना खा लेतें है तो हमारे पेट और आंतों को उस खानें को पचानें के लिए ज्यादा काम करना पड़ता है।ऐसे में इन्हें खून की भी जरूरत पड़ती है।इससे हमारे दिमाग की तरफ जानें वाले खून की मात्रा में कमी आ जाती है।हमें तब नींद आनें लगती है। रजत बोला आज तो पिकनिक का बहुत ही मजा आया।हम सारा दिन स्कूल में आधी छुट्टी में सब दोस्त इतना आनन्द नहीं लेते जितना आज हमें आया।बिना मोबाइल के मैं तो कोई भी काम नहीं कर पाता था।आज महसूस हुआ कि सच्ची खुशी तो सब के साथ खेलनें कुदनें एक दूसरे से अच्छी बातें सीखनें में है आज तो हमनें इन सभी का व्यवहारिक जीवन में प्रयोग किया।अच्छी अच्छी जानकारी साझा की।आज से पहले तो हम दोनों बच्चे खाना खाते वक्त भी मोबाइल हाथ में लिए सारा दिन या तो अपनें दोस्तो के साथ बातें करते रहते थे।अब हम मोबाइल का प्रयोग आवश्यक जानकारी प्राप्त करनें के लिए किया करेंगे।हम बिना मोबाइल के ही बहुत कुछ ज्ञान एक दूसरे के साथ नए नए विचारों को साझा कर सकतें हैं।पापा आज कि पिकनिक हम कभी नहीं भूल सकते।पैदल चलनें का तो कुछ खास ही अनुभव हुआ।

गाड़ी चालक ने गाड़ी दूसरी तरफ मोड़ दी। वे राष्ट्रीय राज मार्ग। पर थे। गाड़ी चालक नें चाल तेज कर दी। गाड़ी बड़ी तेजी से चल रही थी। गाड़ी से वे रात को देहली पंहुच गए थे। रात के समय चारों तरफ गाड़ियों की चकाचौंध।पापा ने गाड़ी से राजघाट, शान्तिघाट लोटस टैम्पल बहुत सारे स्थानों की यात्रा की।वे थक भी बहुत गए थे।
बच्चे बोले पापा दिल्ली के चिड़ियाघर देखनें जरूर जाना है।आज रात तो किसी होटल में व्यतीत करतें हैं। सुबह उठते ही वे दिल्ली का चिड़ियाघर देखने चलेगें।

दोनों बच्चों ने दिल्ली का चिड़िया पहली बार देखा चिड़ियाघर में टिकेट ले कर सीढ़ियों से नीचे उतरते ही प्रकृति की अद्भुत छटा के दर्शन हुए। एक और पुराने किले के अंदर से और दूसरी ओर कृत्रिम झील में तैरते बगुले, पक्षी भी जल क्रीडा में मग्न थे । पानी में तैरते पक्षी ऐसे प्रतीत हो रहे थे जैसे कागज की छोटी नाव तैर रही हो। इसके पश्चात पशु पक्षियों के पिंजरे का सिलसिला आरंभ हो गया था। दोनों बच्चों नें पहली बार सफेद मोर देखा। सफेद मोर को देखकर बच्चे खुशी से झूम गए।
चिड़ियाघर में बहुत से विदेशी पक्षी भी शामिल थे। अनेक विदेशी पक्षियों के रंग और बनावट को देखकर पक्षियों के संसार की विविधता व रंग-बिरंगे पन का का ज्ञान हुआ।
चिड़ियाघर में दरियाई घोड़ा, भालू ,जंगली गधा ,उदधबिलाव ,वनमानुष लोमड़ी, हिरण, चीता ,सफेद शेर काली धारियों वाला शेर, मगरमच्छ कंगारू आदि देखने का अवसर मिला।इन सभी जंगली जानवरों के सम्बंध में जानकारी प्राप्त हुई।बच्चों का मनोरंजन भी हुआ और बहुत सारी ज्ञान की बातें भी सीखने को मिली। उन्हें चिड़ियाघर की सैर करना अच्छा लगा।

प्यार की परिभाषा

मुन्नी अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। बहुत ही चंचल बड़ी बड़ी आंखों वाली ,घुंघराले बाल ,तीखे नैन नक्श ।सलवार कुर्ते में बहुत ही खूबसूरत नजर आती थी ।कपड़े सलिके से पहनती थी। पैरों में फटे जूते होते थे मगर साफ चमचमाते।वह हमेशा उन को धोती थी। उसके पिता गरीब थे। दिल के अमीर थे। मुन्नी की मां हमेशा बीमार रहा करती थी इलाज ना होने के कारण वह चल बसी। सारी जिम्मेवारी मुन्नी के बापू पर आ गई।
मुन्नी सात वर्ष की हो चुकी थी। स्कूल में कभी जाती कभी नहीं ।मुन्नी की मां के चले जाने के बाद उनके पिता अकेले हो गए ।मुन्नी की मां मरते वक्त मुनि के पिता से कहकर गई थी कि तुम दूसरी शादी मत करना।उस के पिता ने तीन महीने बाद ही पारो से शादी करनें का फैसला कर लिया।उन्होनें अपनी बेटी मुन्नी को कहा कि तुम्हारे लिए मैं नई मां ले कर आ रहा हूं।वह तुझे बहुत ही प्यार करेंगी तू भी उस से इतना घुल मिल जाएगी कि तू अपनी मां को भूल जाएगी।तू जल्दी ही तैयारियों में जुट जा।तुझे स्कूल जाते वक्त गर्म गर्म भोजन मिला करेगा।

मुन्नी बोली कि बापू मैं खेलनें जा रही हूं वह आज अपनी सारी सहेलियों को अपनी नई मां के बारे में बताएंगी।मुन्नी कि सहेलियों नें उसे बताया कि तुम्हें सबकाम अब अपनें हाथों से करना पड़ेगा। तुम्हें वह अपनें साथ कभी नहीं सुलाएगी।इतनी खुश मत हो।मुन्नी बहुत ही परेशान रहने लगी ।मेरे बापू भी अब मुझे प्यार नंही करेंगे।वह अपनी मां को याद करके रोने लगी।उसके पिता ने उसे समझाया कि बेटा तेरे रोने से क्या तेरी मां वापिस आ जाएगी?।

पारो अच्छे घर की लड़की थी ।पारो कि जब विदाई हो रही थी तभी पारो की चाची ने उसे अपने पास बुला कर कहा बेटा तू दूसरे घर में ब्याह के जा रही है जहां पर तुम्हारे पति के एक छोटा सी बेटी है। तुम्हें उसको भी प्यार देना पड़ेगा। तू अगर उसको ही प्यार करती रही तो तेरी गृहस्थी कैसे चलेगी।

पारो बोली कि आप मेरी फिक्र मत करो ।चाची जी मैं आपकी बात समझ गई ।आप ठीक ही कहती हो। मैं सब कुछ संभाल लूंगी।

पारो ब्याह कर अपने ससुराल आ गई। काफी दिन तो मुन्नी अपनी मां के लिए शोक करती रही। फिर उसे पता चल गया कि इस संसार में जो इंसान आया है उसे एक ना एक दिन तो भगवान के घर जाना ही है ।उस नें रोना धोना छोड़ कर अपनी नई मां को अपनाने का निर्णय कर लिया ।वह खुश होकर अपनी नई मां के घर आने की तैयारी कर रही थी। उसने अपनें मन को पक्का कर लिया था।
मां ने आते ही मुन्नी से मुलाकात की ।मुन्नी भी नई मां से बार-बार सवाल पर सवाल करती गई। पारो बोली बेटा और सारी बातें कल करेंगें।तुम अब सो जाओ ।वह बोली मां क्या मैं आपके पास सो सकती हूं?पारो बोली नहीं तुम्हें अपने कमरे में सोने की आदत डालनी होगी ।पारो के पापा बोले कि इसे लोरी सुना दो ।इसे लोरी सुनकर ही नींद आती है ।पारो मुन्नी को लोरी सुना कर अपने कमरे में सोने चली गई ।वह तो सोच रही थी कि मेरी मां मेरे साथ सोया करेगी लेकिन उन्होनें तो मुझ से कहा कि तुम अलग कमरे में सोया करो।उसने अपनी नई मां को लेकर जो सपने संजोए थे वे सारे धूमिल हो गए थे ।दूसरे दिन जल्दी ही उठकर अपनी मां से बोली कि मां मां मुझे पानी पिला दो। उसकी मां बोली की बेटा अपने आप घड़े से ले लो। पारो ने कुछ नहीं कहा। उसने चुपचाप पानी पिया और अपने कमरे में पढ़ने चली गई। उसने तो नई मां के बारे में कितने सपने संजोए थे। उससे सहेलियों नें कहा था कि जब तुम्हारी नई मां आएगी तब तुम्हें सब काम अपने आप करना पड़ेगा। स्कूल में भी आज उसका मन नहीं लगा ।

मैडम सभी बच्चों को कहानी सुना रही थी कि चाहे इंसान कितना भी गुस्से वाला हो तुम उसके साथ प्यार से पेश आओ तो वह भी गुस्सा छोड़ कर तुमसे प्यार करने लगेगा इसके लिए सब्र रखना पड़ता है। सब्र का फल मीठा होता है ।यह नहीं कि तुमने भी गुस्सा करना शुरू कर दिया उसे तो बनने वाला काम भी बिगड़ जाता है ।बेटा इंसान की सबसे बड़ी शक्ति उसका धैर्य होता है। मां-बाप अगर तुम्हें कितना भी डांट डपट दे उनके प्यार में फिर भी कहीं ना कहीं हित ही छुपा होता है। बच्चे अपनें माता पिता के गुस्सा करनें पर उन कि उपेक्षा करने लगते हैं ।और उन्हें भला बुरा कह जातें हैं।उस से उन के मान सम्मान को ठेस पहुंचती है। बे वजह झगड़े को और भी बढ़ा देते हैं ।झगड़े को प्यार से सुलझाना चाहिए।
मुन्नी मैडम की कहानी को गौर से सुन रही थी ।
सहेलियों के साथ बैठकर थोड़ी देर में ही घर वापिस आई तो उसका मन पढ़ाई में भी नहीं लगा। पारो की मां उस से सब काम करवाती। मुन्नी कभी गुस्सा नहीं करती थी ।पारो ने देखा यह कैसी लड़की है?वह उसकी किसी भी बात का बुरा नहीं मानती है ।मुन्नी को एक दिन पारो ने कहा कि जा बर्तन साफ कर आ। मुन्नी ने बर्तन साफ करने में देर लगा दी ।वह मुन्नी पर गुस्सा कर बोली इतनी देर कहां हो गई? मुन्नी नें कुछ नहीं कहा बोली मां आगे से देर नहीं होगी। एक दिन पारो नें उससे पूछ लिया कि तुम किसी बात पर भी गुस्से नहीं होती हो। वह बोली कि मां अगर शादी के बाद मेरी सास मुझे डांटेगी तो मुझे बुरा लगेगा।आप कि डांट में भी प्यार छिपा है। क्योंकि डांट से मुझे काम आ जाएगा। तब आगे चलकर मुझे डांट फटकार का सामना नहीं करना पड़ेगा।

पारो के पिता अपनी बेटी के साथ किए बर्ताव को सहन नहीं कर पाते थे। वह चुपके चुपके पारो पर नजर रखने लगे ताकि मुन्नी को किसी विषय को लेकर चोट ना पहुंचे ।एक दिन जब पारों से रहा नहीं गया तो पारो ने मुन्नी को मारने का प्रयास किया ।वह अपने पति को बोली कि मुन्नी कुछ काम धाम नहीं करती है। बैठे-बैठे अपनी सहेलियों के साथ खेलती रहती है। मुन्नी के पापा मुन्नी को बोलो कि क्या यह सच है? या झूठ ।वह बोली हां बापू मां ठीक ही कहती है। ताकि मां को बुरा ना लगे। अपनी बेटी की आंखों में दिखे आंसओं को छिपा गए। वह समझ गए कि मुन्नी झूठ बोल रही है।वह पारो से लड़ाई झगड़ा करने लगे प्रतिदिन लड़ाई झगड़ा करते।
एक दिन पारो ने मुन्नी को मारने का प्रयत्न किया। मुन्नी के कमरे में बड़ी सी लाठी लेकर पहुंची। वह लाठी का प्रहार करने ही जा रही थी पर्दे के पीछे से मुन्नी के बापू ने देख लिया ।उन्होंने पारो को कहा कि तुम मेरी बेटी की मां कहलाने लायक नहीं हो। मुन्नी नें अनजान बन कर कहा क्या हुआ ?उसने चुपचाप सब कुछ देख लिया था ।आज आपने मुझे मार दिया होता तो अच्छा था। मुन्नी चुपचाप दूसरे कमरे में चली गई ।इस बात को मुन्नी नें गंभीरता से लिया।वह चुपचाप खेलने चली जाती। नई मां के साथ उसी तरह काम करवाती जैसे वह अपनी मां के साथ करती थी ।उनके पिता ने पारो से बोलना छोड़ दिया था।वह अपनी बेटी के लिए परेशान थे।

पारो को जल्दी ही अपनी गल्ती का एहसास हो गया।एक दिन पारो बिमार हो गई। उसको पानी पिलानें वाला भी कोई नहीं था।मुन्नी ने सारा दिन अपने नन्हें नन्हें हाथों से मां कि देखभाल कि।वह स्कूल भी नहीं गई और अपनी सहेलियों के संग खेलने भी नहीं गई।वह घर के पास से ही डाक्टर का हाथ पकड़ कर अपनें घर ले आई बोली इस बार मेरी मां को भगवान के घर मत ले जाना।आप उन्हें जल्दी ठीक कर दो।मेरी गुल्लक में थोड़े से रूपये हैं।मुझे मेरी मां नें दिए थे।आप इन को ले लो।जल्दी मेरे घर चलो।मुन्नी कि प्यार भरी बातों को सुनकर डाक्टर उसके घर पहुंच गए थे।पारों बेहोश हो चुकी थी।उसने जब मुन्नी को अपनी गुल्लक डाक्टर के हाथों में देते देखा तो उन्होनें उसे प्यार से सहलाया कहा मैनें तुम्हारी मां को इन्जैक्शन लगा दिया है। आज उसने उस नन्ही सी बच्ची का प्यार देखा।उसे अपनी गल्ती का एहसास हो गया।उसने मुन्नी के बापू से क्षमा मांग कर कहा कि मैंनें छोटी सी बच्ची के दिल को बहुत ही चोट पहुंचाई। मैं उसे उसकी मां से भी ज्यादा प्यार दूंगी।
पारो ने मुन्नी को बुलाया और कहा बेटा मैंने तुझे बहुत भला बुरा कहा। तूने कभी भी मुझसे बैर नहीं रखा। इतनी छोटी सी बच्ची ने मेरी काया ही पलट दी ।आज मुझे समझ में आया कि बच्चे भी अपने माता-पिता को बहुत कुछ सिखा जातें हैं । वह अपनें मन में सोचनें लगी मुन्नी अपने पिता को नहीं मनाती तो वह मुझे मुझसे कभी का रिश्ता तोड़ देते।
पारो मुन्नी को बोली मैं कुछ दिनों के लिए अपने मायके जा रही हूं अपने बापू का ध्यान रखना ।प्रशांत ने पारो को कहा कि एक हफ्ते बाद मैं तुम्हें लेने आ जाऊंगा। पारो मायके में पहुंच गई थी। घर में सब उसके आने पर खुश थे ।उसके माता-पिता, चाचा चाची उस कि ओर देख कर बोले बेटा सुनाओ तुम्हारे क्या हाल है? तुमनें अपनी बेटी को जल्दी से बाहर का रास्ता दिखा दिया होगा। तुम जल्दी से अपने पति को अपने वश में कर लो बाद में तुझे कुछ भी प्राप्त नहीं होगा। हम तेरी मदद नहीं करेंगे। तुम अपने पति को कहना कि अगर तुम मुन्नी को बाहर नहीं भेजोगे तो मैं इस घर से सदा के लिए चली जाऊंगी।पारो बोली आप लोगों को तो मुझे समझाना चाहिए था कि शादी के बाद ससुराल ही बेटी का घर होता है। और बड़े बुजुर्गो के साथ प्यार से रहना चाहिए। तन मन से उनकी सेवा करनी चाहिए । मेरी बहन, या चाची जी, आज मैं आप से पूछना चाहती हूं आपकी बेटी, मेरी बहन को कोई ऐसा लड़का मिला जो उसके साथ भी वही बर्ताव करे तो आप क्या जवाब देंगे बेटी का असली घर तो उसका ससुराल होता है।आपको तो उनका सत्कार करना सिखाना चाहिए। घर को जोड़ना सिखाना चाहिए न कि तोड़ना। मां मुझे तो छोटी सी लड़की ने आज सिखा दिया कि प्यार की परिभाषा क्या है। दिलों को गुस्से से नहीं विश्वास से जोड़ा जाता है। मेरा ससुराल ही मेरा घर है ।आप मुझे घर तोड़ने के लिए कहोगी तो मैं आज के बाद कभी भी यहां कदम नहीं रखूंगी और चाची को तब कहीं जाकर वह बात समझ आई। वे बोली बेटी हमें माफ कर दे । हमारी सोच गल्त थी।दूसरे दिन प्रशांत और मुन्नी पारो को लेने के लिए उसके मायके आए ।
मुन्नी आते ही बोली मां ,मां घर चलो ।मुझे आपके बिना अच्छा नहीं लगता ।पारो बोली बेटा मुझे भी तेरे बिना अच्छा नहीं लग रहा था। पारो बोली मैंने तेरे मनपसंद की खीर और पूरी बनाई है ।मुन्नी आज बहुत खुश थी। असली मायने में आज ही तो वह अपनी नई मां से मिली थी। इतने दिनों के बाद मुन्नी के बापु नें मुन्नी को खिलखिलाते देखा था।

आज़ादी का जय घोष

आओ आज़ादी दिवस का जयघोष मिल कर मनाएं ।

अपनी अपनी दुनिया में न खो कर ,सब एक रस हो  जाएं।

छोटे और बड़े का भेदभाव भूल कर खुशी से जगमगाएं।।

तेरे मेरे कि सोच बाहर फैंक आपस में मैत्री पूर्ण भाव  अपनाएं।।

भाई बहन,साथी,दोस्त,युवा और वृद्ध जन।

कोरोना जैसी बिमारी से छुटकारा पानें का करें प्रयत्न।।

नकाब  में रह कर भी आज़ादी का देखें स्वप्न।

इस बिमारी से मुक्त हो कर हम सभी आज़ाद हो कर मुस्कुराएंगे।

अपनों को खोने के एहसास को न कभी भूल पाएंगे।

आनें वाले कल कि सुन्दर तस्वीर होगी।

कोरोना के भय से मुक्ति पा कर  सभी के चेहरों पर खुशी होगी।

मस्ती में ढोल नगाड़े बजा कर आज़ादी का गीत गुनगुनाएं।

कोरोना जैसी बिमारी से निजात पानें का एहसास सभी में जगाएं।

अस्पतालों में कोरोना से जूझ रहे व्यक्तियों का मनोबल बढ़ाएं।

उन की सहायता कर उन का मनोरंजन कर उन के बुझे चेहरों पर रौनक जगाएं।

सेवाएं दे रहे डाक्टर  और सारे कार्य कर्ताओं के प्रति सम्मान का हाथ बढ़ाएं।

उन को सम्मानित कर कोराना से आज़ादी  पानें का जश्न मनाएं।।

अंहकार को छोड़,हंसी किलकारी का मौहोल बनाएं

 उल्लास पूर्ण वातावरण के भाव जगा कर बेहद सकून से

अव्यवस्थित जीवन शैली से बाहर निकल,कोरोना के डर को दूर भगाएं।।

नई उम्मीदों का दीया जला कर,बुद्धि,चेतना, को जगाए।

संकुचित विचारों को छोड़ छाड़ कर सकारात्मक सोच अपनाएं।

आओ संसार को एकता के बंधन में जोड़ों।

सब जग के लोगों को साथ में जोड़ो। 

आपस में बैर भाव रख कर  मुंह न  मोड़ों।।

नई दिशा कि ओर अग्रसर हो कर अपनें देश का गौरव बढ़ा कर नाता जोड़ों।।

 सरदार भक्तसिंह, राजगुरु,सुखदेव, चन्द्र शेखर नेताओं कि शहादत को भुलाया नहीं जा सकता।

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस  कि आज़ाद हिन्द फोज कि सेना और उनके संघर्षों का परिणाम आजादी,

ऐसी महान हस्तियों कि याद को मिटाया नहीं जा  सकता।

आओ इस पावन दिवस पर सब सौहार्द्रपूर्ण मित्रता का हाथ बढ़ा,

इस दिन को और भी खूबसूरत बनाएं।

तिरंगे के जश्न में अपने शहीद भाईयों को नमन कर,

उनका मनोबल बढ़ाएं।।

सबका साथ,सबका विश्वास।

हो सब का भरपूर विकास।।

कर्त्तव्य पालन और परमार्थ  कि आक्षांओं को,

जागृत करने का स्वप्न हो हमारा।।

देश कि सुरक्षा और उत्कर्ष में प्रयत्न शील रहे युवा जन हमारा।।  

राष्ट्र कि नींव  तभी मजबूत बन पाएगी।।

हमारे दिलों में जब  समर्पण कि भावना, 

आत्मबलिदान कि प्रेरणा जग जाएगी।

निर्भय बन कर गुलामी, अत्याचार,

और शोषण के विरुद्ध आवाज उठा पाएगी।।

जन जन फूले फले,हो सब में आत्म विश्वास का भाव।

हो न कभी किसी को  रोटी, कपड़े और मकान का अभाव।

समृद्धि सम्पन्न ,धन धान्य से फले-फूले।

देश विकास कर खुशी से  झूमें,झूले।।

पर हित के यन्त्र को कभी न भूलें।

एकता कि मिसाल कायम कर,

बुलन्दी के शिखर को छू ले।

तिरंगे के जश्न में अपनत्व के एहसास को संजो लें।।

जय हिन्द के नारों से झूमे यह धरती माता।

हम सब को आशीर्वाद का उपहार दे यह विश्वविधाता।

नतमस्तक हो कर गाएं विश्व विजयी तिरंगा प्यारा।।

झंडा ऊंचा रहे हमारा।

झंडा ऊंचा। रहे हमारा।।

जीवन का सच्चा ध्येय

जीवन का सच्चा ध्येय यही
सोच विचार कर काम करें सभी।।
थमना नहीं,रुकना नहीं,
जीवन में तुम कभी थकना नहीं।।
“आराम हराम है,
काम ही महान है।
काम ही महान है”।।

जीवन में समय और अनुशासन पालन कर,
जीवनका हर क्षण आनन्द ऊठाना।
धैर्य,साहस और हिम्मत जुटा ,आगे ही आगे बढ़ते जाना।
समस्या, चुनौतियों,और बुरा समय आनें पर भी कभी न तुम डगमगाना।।
निराशा छोड़ आशा का दीपक लिए , आगे बढ़ते जाना।
आगे बढ़ते जाना।।

जीवन का सच्चा ध्येय यही।
सोच-विचार कर काम करें सभी।।
“मजबूत इरादा, दृढ़ संकल्प,नेकविचार
,इस को ग्रहण कर तुम करो स्वीकार”।।

सतत प्रयास, बुद्धि से हिम्मत जुटाना,
क्षमता और योग्यता के बल पर आगे बढ़ते जाना।।
आगे बढ़ते जाना।।
श्रम से ही सब कुछ अपनाना।
श्रम से कभी जी मत चुराना।।
श्रम को ही अपने जीवन का ध्येय बनाना।।
इस संकल्प को मन में ग्रहण कर,
आगे बढ़ते आगे बढ़ते जाना।
थमना नहीं रूकना नहीं
पुनः प्रयास कर आगे बढ़ते रहना।
मन और मुख एक कर,
काम करते चलना।
काम करते चलना।।

निर्भय हो कर, संसार के रण क्षेत्र में विचरना।।
सकारात्मक सोच को अपना कर,अपनी मंजिल पाना।।
आगे बढ़ते जाना, आगे बढ़ते जाना।
जीवन का सच्चा ध्येय यही।
सोच समझ कर काम करें सभी।।
यही तो है जीवन का सुखद परिणाम।
इससे भविष्य बनेगा महान।।

स्वप्न से सुन्दर भारत

स्वप्न से सुन्दर भारत

एक नए भारत का निर्माण कर सपनों से भी सुंदर बनाना है।
उसकी छवि को महका कर और भी कामयाब बनाना है ।।
आज जरूरत है ऐसी सकारात्मक सोच की
जो हर व्यक्ति के मन को ऊर्जा से भर दे।
नकारात्मकता को छोड़कर सकारात्मकता की ओर मोड़ दे ।।
धैर्य साहस और विवेक को मन में बसाना है ।
प्रखर तेज ओजस्वी वाणी के भाव ,मन में बसाना है।
सुप्त चेतना को ललकार कर, व्यक्ति कि सोई हुई प्रतिभा को जगाना है।
सच्चे आदर्शों कि मिसाल कायम कर दिखाना है।।

नए भारत का निर्माण कर सपनों से भी सुंदर बनाना है।।
समस्याओं के जाल से छुटकारा दिलवा कर व्यक्ति में परिवर्तन का शंखनाद करवाना है।।
सुखद भविष्य का निर्माण कर उन में नए संस्कार जगाना है।
पवित्रता पूर्ण आचरण से इस देश को महकाना है।।
अपनी मरु भूमि कि रज को माथे से लगा यह संकल्प दोहराना है।
नव भारत के निर्माण का उदघोष कर सपनों से भी सुंदर बनाना है।।

गुजरे कल की बातें छोड़कर नए कल को अपनाना है ।
जगजन के हृदयों में समा कर ,देश के लिए जीना सीखाना है।
मुंह छिपा के जीनें का स्वाभिमान लानें से कतराना है।।
एक नव निर्माण भारत का संकल्प सभी में जगाना है।

सुखद संसार की सुखद छवि को मन में बसाना है।।
शुद्ध विचार, शक्ति,दिशा और दृढ़ मनोबल से जग को महकाना है।।

हमें बाधाओं,तूफानों झंझा वातो से नहीं घबराना है ।
हानि लाभ को सम समझ कर आदर्श पूर्ण निभाना है।।

संस्कार युक्त ,अहंकार मुक्त सात्विक कार्यकर्ता का किरदार निभाना है।
एक नए भारत का निर्माण कर सपनों से भी सुंदर बनाना है।
श्रद्धा कि जीवन्त मूर्ति बन कर,
असीम समृद्धि और अपरिमित क्षमता से स्वस्थ सुखी और संस्कार युक्त भारत बनाना है।।
उद्यम साहस बुद्धि शक्ति और पराक्रम का जलवा बढ़ाना है।
अशिक्षा और गरीबी से मुक्त समाज का साकार स्वरुप सब को दिखाना है।
तन,मन, धन, समय शक्ति और जीवन की आहुतियांअर्पित कर,
राष्ट्र यज्ञ में उत्सर्जन कर जाना है।।

अदम्य साहस और वीरता की मिसाल कायम कर सिद्धांतों के प्रति दृढ़ता को अपनाना है।
भारत को बिमारियों और बुराईयों से बचाना है।।
एक नए भारत का निर्माण पर सपनों से भी सुंदर बनाना है।।
देश कि पावन भूमि को युगों-युगों तक महका कर जाना है।
देश कि छवि को महका कर चार चांद लगा कर दिखलाना है।।

पावन हो उत्कर्ष हमारा प्रार्थना

हाथ जोड़ कर हम खड़े,प्रभु स्वीकार करो प्रार्थना।
आए हैं हम तेरे द्वारे करनें सच्ची अराधना।।


नेक राह पर चल कर सदा मुस्कुराएं हम।
निंदा,बुराई,छल को त्याग कर सत्य की राह अपनाएं हम।।


शांति और पवित्रता का ध्यान मन में जगाएं हम।
कुविचारों को त्याग कर संन्मार्ग पर खुशी से चल पाएं हम।।


हाथ जोड़ कर हम खड़े प्रभु स्वीकार करो प्रार्थना।
आए हैं हम तेरे द्वारे करनें सच्ची अराधना।।


जग का कल्याण हो, ऐसी सोच मन में जगाएं हम।
परहित का ध्यान सब से पहले मन में लाएं हम।।


हाथ जोड़ कर हम खड़े , प्रभु स्वीकार करो प्रार्थना।
आए हैं तेरे द्वारे करनें सच्ची अराधना।।


वैर भाव को छोड़ कर ,पढ़ाई में ध्यान अपना लगाएं हम।
अपनें गुरुजनों और बड़ों का सम्मान कर अपना जीवन सफल बनाएं हम।।


हाथ जोड़ कर हम खड़े प्रभु स्वीकार करो प्रार्थना।
आएं हैं हम तेरे द्वारे करनें सच्ची अराधना।।


कर्तव्य पथ खड़े रह कर भी कभी न डगमगाए हम।
मुश्किलों से हार कर भी कदम कभी पिछे न हटाएं हम।।


शत्रु भी आए सामने तो ,उस से भी लड़ जाएं हम।
दे कर अपनी जान भी अपने देश का मान बढ़ाएं हम।।


हाथ जोड़ कर हम खड़े प्रभु स्वीकार करो प्रार्थना।
आए हैं हम तेरे द्वारे पे करनें सच्ची अराधना।।

राजा बेटा

अमन आते ही मां पर चिल्लाया मां खाना लाओ, खाना नहीं बना है मां अमन से बोली। तुम कोई काम में मेरी मदद क्यों नहीं करते हो? तुम तो बस बैठे बैठे खाना खाना ही जानते हो। हम जब तुम्हारी उम्र के थे तो सारा काम किया करते थे। अमन बोला मां रहने दो अपना लैक्चर। खाना देना हो तो दो वरना मैं भूखा ही रह जाऊंगा।मां बोली ना पढ़ाई ना लिखाई तुम्हारी आदतों से मैं तंग आ गई हूं। आज तुम्हारे पिता होते तो वे कितना दुखी होते।
अमन नाराज होकर अपने कमरे में चला गया मां चिल्लाती रही मां हमेशा डांट फटकार कर अपने बेटे को चुप करा देती थी अमन को कभी इतना गुस्सा आता था वह घर का सामान भी इधर-उधर फेंकनें लगता था। वह पांचवीं कक्षा में पढ़ता था। वह अभी केवल 9 वर्ष का ही था। फिर भी उसकी मां उसे डांटती रहती थी।

वह जब और घरों में बच्चों को काम करते देखती या पढाई करते देखती तो उसका कलेजा मुंह को आने लगता था। पड़ोस के कितने बच्चे हैं । वे अपने माता-पिता के साथ कितना काम करते हैं? एक मेरा बेटा है जो 24 घंटे इधर-उधर भटकता रहता है। ना जाने घर में कितना कबाड़ इकट्ठा कर लाता है। घंटो दरवाजा बंद करके इस कबाड़ से ना जाने क्या करता रहता है? इसके कमरे में ना जाने कितने प्लेटों के टुकड़े ,गत्त्ते बैटरी तारें और ना जाने क्या इकट्ठा करता है ? अपने कमरे को कबाड़ खाना बना रखता है।
मेरे बेटे को न जानें कब अक्ल आएगी ।बड़ा होकर लगता है यह कबाड़ी ही बनेगा। मेरी तो किस्मत ही फूटी है। पढ़ाई में भी इसका मन ही नहीं लगता । मैं हर रोज अपने बेटे को समझाती हूं,डांटती हूं फिर भी इस के कानों में जूं नहीं रेंगती।
पड़ोस की औरतें एक दिन उनके घर पर आई तो अमन कि मां के सामने अपनें अपने बेटों के बारे में बड़ाई करने लगी। यह सब सुनते ही अमन की मां तो जल भून कर राख हो गई। वह अपनें मन में सोचनें लगी मैनें न जानें कैसे कपूत को पैदा किया। मेरे पिछले जन्म के कर्मों का फल भोग रही हूं। एक मेरा बेटा है जो कमरा बंद करके कबाड़ लेकर बैठा रहता है पता नहीं इस कबाड़ का क्या करेगा? किसी दिन इसे जाकर कबाड़ी को दे दूंगी। पड़ोस की औरतें रूपा से बोली आपका बेटा तो ना जाने कितनी पढ़ाई करता है? बाहर ही नहीं निकलता। वह बोली अगर मेरा बेटा पढ़ाई करता तो ठीक था ।वह तो शायद कबाड़ी ही बने। उस के इस प्रकार कहने पर वे आपस में हंसने लगी। उनको हंसता देख और अपना मज़ाक बनाते देख चुपचाप रूंआसी हो गई। वे जब सभी अपने घर वापस चली गई। अमन पर्दे के पीछे से उन कि सारी बातें सुन रहा था। वह मां को आकर बोला अगर आप मुझे घर में नहीं रखना चाहती तो ना सही मैं घर छोड़ कर चला जाऊंगा। आपसे तो मेरा बंद रहना भी बर्दाश्त नहीं होता । खेलने जाता हूं तो कहने लगती हो सारा दिन खेलते रहता है । उनकी बात पर आप ज्यादा विश्वास कर लेती हो। जाओ कितनी बार कह दिया कि मैं पढ़ाई नहीं करूंगा। आज तो आप अपनी सहेलियों के सामने मुझे निकम्मा नाकारा, और न जाने क्या क्या कह रही थी।
उसकी मां बोली तो क्या करूं? एक कक्षा में 2 साल लगा दिए। ना काम का ना काज का दुश्मन अनाज का ।
अमन हर रोज अपनी मां से गालियां खाता। स्कूल में जाता था । स्कूल में उसका कोई भी दोस्त नहीं था। वह किसी से बात नहीं करता था। वह बहुत ही शरारती था। स्कूल की पढ़ाई में उसका ज़रा भी मन नहीं लगता था। वह जानबूझकर सब को परेशान करता था उसकी इन हरकतों से परेशान होकर अध्यापक उसे क्लास से बाहर निकाल देते थे मैं यही तो चाहता था उसका पढ़ाई में कहां मन लगता था।
सभी अध्यापक उससे परेशान आ चुके थे। उन्होंने उसे चेतावनी दी थी कि अगर वह अपनी आदतों से बाज नहीं आया तो उसका स्कूल से नाम काट दिया जाएगा । जब पानी सिर पर से गुजर गया तो स्कूल की एक अध्यापिका ने प्रिंसिपल के पास जाकर शिकायत कर दी। हर दम नाक में दम करता है, और पढ़ाई तो जरा भी नहीं करता।
स्कूल में प्रिंसिपल नई नई आई थी। वह तो सभी बच्चों से परिचित भी नहीं थी। उन के पास जब सभी अध्यापिकाओं कि शिकायत पहुंची तो उसे सजा सुनानें से पहले उसनें सोचा उसे परखा जाए, वास्तव में वह अनुशासन हीन बालक है या नहीं। वह बिना जांच पड़ताल के कोई भी फैंसला नहीं करती थी।
अमन को प्रिंसिपल नें अपनें औफिस में बुलाया और कहा कि तुम 10 दिन तक यही मेरे ऑफिस में एक बेंच पर बैठे रहोगे। देखती हूं, तुम्हारा आचरण कैसा है? प्रिंसिपल ने उस बच्चे को गौर से देखा, उस बच्चे को देखना चाहती थी कि वह कितना शरारती बच्चा है ? पहले दिन तो अमन ने मैडम को कह दिया कि मैडम इतनी देर तक यहां मैं बैठा नहीं रह सकता। मैडम बोली क्यों? वह बोला मेरी मर्जी है। मैडम ने कुछ नहीं कहा । उस पर चुपके चुपके नज़र रखती रही। वह क्या करता है? ऑफिस की चीजों को निरंतर देखता रहता। दो-तीन दिन तक वह चुपचाप सारे ऑफिस की एक एक वस्तु पर नज़र गड़ाए था। उसे प्रिंसिपल महोदया नें कुछ नहीं कहा।
एक दिन प्रिंसिपल नें चपरासी को कहा कि सारी चीज़ो को साफ कर एक जगह मेज पर रख दो। चपरासी आया उसने सारे कमरे को साफ किया और सामान रखकर चला गया। अमन प्रिंसिपल से बोला एक बात कहूं।वह बोला आपका पिंक वाला रजिस्टर आपके सामने नहीं रखा है ।वह तो अलमारी में रख कर चला गया। लाइट भी ऑन ही रख कर चला गया। आपकी टेबल के नीचे तीन दिन से पैन गिरा पड़ा है वह भी उसने उठाकर नहीं रखा। मैडम मुस्कुराते बोली तुम ध्यान से सारी वस्तुओं को देखते हो। इस रजिस्टर कि तो मुझे बहुत ज्यादा जरूरत थी। प्रिंसिपल ना जाने कितनी देर से अपने पर्स में कुछ खोज रही थी। अमन बोला मैम आप क्या ढूंढ रही हो? वह बोली ,तुम अपना काम करो। बड़ों कि बातों में ध्यान नहीं देना चाहिए। जैसे मैं कहती हूं वैसे खड़े रहो। मैं खड़ा नहीं रह सकता। मैं बैठ जाता हूं।
वहां पर बहुत सारी वस्तुएं थी जो बेकार थी । प्रिंसिपल मैम ने चपरासी को बुलाया इस कबाड़ को लेकर जाओ और कचरे में फेंक दो। अमन बोला मैम इस कचरे में आप ना जाने कितने आवश्यक सामान फेंक रहे हो? इस के इस्तेमाल से बहुत अच्छी-अच्छी चीजें बनती है। प्रिंसिपल बोली क्या तुम्हें चाहिए? हां जी मैम ने कहा कि एक शर्त पर तुम्हें वह सब दूंगी अगर तुम शरारत नहीं करोगे ।वह बोला मैडम मैं कभी शरारत नहीं करूंगा। मेरी मां मुझ पर हर वक्त चिल्लाती रहती है। वह कभी शांत नहीं रहती। मुझे भी गुस्सा आ जाता है। मैं भी पढ़ता हूं । मैम मेरी मां मुझे निकम्मा,नाकारा और कबाड़ी कहती हैं। मेरे दोस्त मुझ पर हंसते हैं। वह भी मुझे इन्हीं नामों से करते हैं तो मैं आपसे आपे से बाहर हो जाता हूं। मेरा पढ़ाई में भी मन नहीं लगता।मेरे मन में पढ़ाई कि जगह निकम्मा, नाकारापन घुस गया है।
प्रिंसिपल चपरासी को बुला कर बोली मुझसे एक टेलीफोन नंबर गुम हो गया है ।परसों तिवारी जी आए थे उन्होंने मुझे वह नंबर लिखवाया था। प्रिंसिपल के कुछ बोलनें से पहले अमन बोला मैम मुझे वह सब याद है । उसने वह नंबर प्रिंसिपल को लिखवा दिया। मैम ने जब नम्बर मिलाया तो वह हैरान रह गई । उसे तो नंबर याद ही नहीं था। वह नम्बर बिल्कुल सही था। वहीं खड़ा होकर उनको देख रहा था। मैम सोचने लगी कि यह लड़का तो बहुत होशियार है। मैंने टेबल के नीचे जानबूझकर पैन गिराया था यह देखने के लिए कि वह उठाता है या नहीं। उस नें तो उसे छुआ तक भी नहीं नहीं। यह नालायक नहीं हो सकता। अच्छा बच्चा है कि नहीं बस यह देखना बाकि है।
मैम अमन से बोली कि तुम इस कबाड़ का क्या करोगे? वह बोला कि मैं इन सब को इकट्ठा करके छोटी-छोटी चीजें बनाता हूं। मैंने घर में कूड़ा कर्कट से इकट्ठा कर के कई चीजें बनाई है ।मेरे पास ज्यादा सामान नहीं होता । मां से मंगवाता हूं तो मां मना कर देती है। वह लाकर नहीं देती। मैम बोली कि अगर तुम पढ़ाई किया करोगे तो मैं तुम्हें बहुत सारी चीजें दिलवाने में मदद करूंगी। वह खुश होकर आश्चर्य से बोला “अच्छा” सचमुच। आज उसके चेहरे पर गुस्सा नहीं था।
एक दिन मैडम अनुराधा अमन के घर पहुंच गई। घर के अन्दर जाने के लिए दरवाजा खटखटाने लगी । उसकी मां की आवाजें मैडम को साफ सुनाई दे रही थी निकम्मा,नाकारा, कबाड़ी, बुधिया बोला मां मैं आपका कहना कभी नहीं मानूंगा। वह लड़ाई झगड़ा करके जोर-जोर से बोल रहा था। मैम ने दरवाजा खटखटाया। अमन की मां बाहर आई ।
अध्यापिका को अपने घर में आते देख कर हैरान होकर बोली, क्या बात है ?आज फिर इस नालायक ने कुछ कांड कर दिया।
मैडम अमन की मां को बाहर ले जाकर बोली कि आप अपने बेटे से प्यार से बात किया करो। आप अगर अपने बेटे को हर दम डांट-डपट करती रहोगी तो वह सुधरने के बजाय और भी ज्यादा बिगड़ जाएगा। आप अपने बच्चों को इन नामों से पुकारना छोड़ दो। इस नन्हे से बच्चे पर इसका गहरा असर पड़ता है ।वही तभी तो वह आपकी बात नहीं मानता ।आप इसे एक दिन निकम्मा,आवारा, की बजाए मेरा राजा बेटा कह कर तो बुलाओ।
अमन ने मैम का हाथ पकड़ा और बोला चलो मैडम आपको मैं अपनी चीजे दिखाता हूं।
अमन ने पलंग के नीचे छुपाया हुआ अपना सारा सामान मैडम को दिखाया। उसने उन चीजों से ना जाने कितनी सुंदर सुंदर, साइंस के मौडल बनाए थे। उनको बनाने में उसने जाने कितनी मेहनत की थी। प्रिंसिपल उसकी कलाकृति देखकर बहुत ही प्रसन्न हुई। हमारे स्कूल में जिस दिन साइंस फेट होगा उस दिन तुम अपनी चीजों का स्टॉल लगाना।
अमन खुश होकर बोला मैडम आप मां को समझा दो वह मेरे सामान को बाहर मत फेंका करें। बुधिया की मां को मैडम ने समझाया और कहा कि आप अपने बेटे को नालायक समझती हो । आपका बेटा तो अमन का लाल है। इसमें तो वह रचनात्मक प्रतिभा है जो बहुत ही कम बच्चों में होती है। वह तो इन चीजों को बनाने में बहुत ही शौक रखता है।
एक दिन देखना आपका बच्चा बड़ा होकर एक बहुत ही बड़ा वैज्ञानिक बनेगा ।यह तभी हो पाएगा अगर आप अपने बेटे की भावनाओं को समझेंगे। अमन की खूब प्रशंसा की और कहा कि हमें बच्चों में छिपी हुई प्रतिभा को जगाना है न कि उस में नकारात्मकता को बढ़ावा देना। आप ने इस बच्चे के विश्वास को मजबूत बनाना है न कि उस के हौसलें को मिटाना। घर का मौहाल सकारात्मक न होनें से इस तरह के विचार जन्म लेतें हैं। माता पिता का कर्तव्य है कि बच्चों कि सारी बातें जाने । आज अमन अपनी प्रसंशा होते देख बहुत खुश हो गया। आज उसके चेहरे पर किसी बच्चे के प्रति नाराजगी नहीं थी। वह सभी से प्यार से बातें कर रहा था।
उसकी मां ने भी उसे डांटना छोड़ दिया था । एक दिन जब वह घर आया तो उसकी मां बोली कि मेरा राजा बेटा तू कब आया? मुझे तेरे आने का आभास ही नहीं हुआ इधर आ क्या तुझे भूख लगी है? वह अपनी मां को देखकर बोला कि आप मेरी ही मां हो या किसी और की ।अपनी मां के प्यार को समझ ही नहीं सका।
बहुत दिनों बाद उसके दोस्तों के सामने उसकी मां ने उसे राजा बेटा कहकर पुकारा था तो इसकी आंखें डबडबा आई, मगर जल्दी ही अपना मुंह फेर अपनें आंसू छिपा कर जाते बोला अभी आया। अपने कमरे में जाकर काफी देर अपने आंसुओं को छुपाए हुए वह बाहर आकर बोला मां मुझे भूख लगी है। खाना दो।
अपने कमरे में जाकर फालतू चीजों से वस्तुएं बनाने लगा। मां ने आकर उसे कहा मैंने बहुत सारी चीजें रखी है अब मैं इन्हें नहीं फैंका करूंगी। एक डिब्बे में भरकर सारी फालतू चीजें रखती हूं।आज से मैं भी कुछ बनानें में तुम्हारी मदद करुंगी। बेटा आगे से मुझसे भूल नहीं होगी। वह पढ़ाई भी करने लग गया और बाद में चलकर एक बहुत बड़ा वैज्ञानिक बना।।