प्रथम पाठशाला परिवार

सबसे बड़ा विद्यालय है परिवार हमारा । परिवार के सदस्य शिक्षक बनकर संवारतें हैं भविष्य हमारा जिंदगी की पाठशाला में माता शिक्षक है बन जाती । प्यार दुलार व डांट फटकार लगाकर हर बात है समझाती ।। जिम्मेदारी का अहसास ,अनुशासन का पाठ, सम्मान का पाठ भी है सिखलाती। गुरु व माता बनकर अच्छे संस्कारों… Continue reading प्रथम पाठशाला परिवार

आशियाना

एक वन में विशाल और ऊंचा बरगद का पेड़ था। कितने सालों से वह पेड़ था यूं ही था वहां खड़ा । पेड़ ने एक दिन यूं आने जाने वालों से पूछा मैं यहां क्यों हूं रहता। मैं यहां क्यों हूं रहता। पेड़ हर रोज यही प्रश्न पूछा करता था। हर रोज चिंता में घुटता… Continue reading आशियाना

शिक्षा और अक्षर ज्ञान

एक दिन मिन्नी मां से बोली मैं भी स्कूल पढ़ने जाऊंगी। नई नई किताबे पढनें का अवसर पाऊंगी।। मां बोली बेटा तू तो है अभी बहुत ही छोटी । खा पीकर पहले हो जा मोटी ।। तू तब स्कूल पढ़ने जाना । पढ़कर बड़ा बन कर दिखलाना।। मिन्नी बोली मां देख ,मैं कितनी बड़ी दिखती… Continue reading शिक्षा और अक्षर ज्ञान

बच्चोंआओ, बच्चोंआओ मेरे साथ मिलकर गाओ

बच्चों आओ बच्चों आओ, मेरे साथ मिलकर गाओ। समय का सदुपयोग कर सफलता की सीढ़ी चढ़ते जाओ। हृदय में उत्साह धारण करके,अपनें कार्य में मन लगाओ। बच्चों आओ बच्चों आओ मेरे साथ मिलकर गाओ।। जो समय का सम्मान है करते । समय पर ही सभी काम है करते। वह अपना जीवन खुशी से है जीया… Continue reading बच्चोंआओ, बच्चोंआओ मेरे साथ मिलकर गाओ

नन्हा मुन्ना बच्चा हूं

नन्ना मुन्ना बच्चा हूं। लेकिन कान का कच्चा हूं।। सीधा साधा भोला भाला , लेकिन किसी की बातों में ना आने वाला ।। बड़ों का सम्मान करता हूं। उनका अपमान कभी नहीं करता हूं।। समय का पालन करता हूं। संयम से ही सारे काम करता जाता हूं।। नहीं करता हूं कक्षा में किसी से शत्रुता।… Continue reading नन्हा मुन्ना बच्चा हूं

पेड़ कटने से नहीं रहेगी खुशहाली

पेड़ कटने से नहीं रहेगी हरियाली। इनको काटने से कैसे आएगी खुशहाली? वक्त से पहले ही जिंदगी थम जाएगी। खिलने से पहले ही प्रकृति उजड़ जाएगी।। पेड़ों की काट छांट करता रहा तो इन्सान वहशी बन जायेगा। इंसान नहीं वह तो दरिंदा कहलाएगा।। पेड़ कट जाएंगे तो जीव जंतु भी हाहाकार मचाएंगे । कम हवा… Continue reading पेड़ कटने से नहीं रहेगी खुशहाली

कोरोना

विधाता ने कैसा खेल रचाया? चीन से निकले इस वायरस नें चारों तरफ गज़ब ढाया। दफ्तर जानें वालों पर भी गजब का कहर ढाया।। छोटा बच्चा, बड़ा, बूढ़ा, सभी घरों में ही व्याकुल होकर रह गए। घर कि चार दिवारी में बन्द हो कर सिमट गए।। कोरोना महामारी ने अपना कैसा तांडव रचाया? सभी मानव… Continue reading कोरोना

बेचारी मुर्गी

कितनी सुन्दर कितनी न्यारी। यह मुर्गी है बहुत ही प्यारी।। इसके पंख हैं बहुत ही कोमल। हो जैसे पतों की हरी हरी कोंपल। नीतु बोली अरे बुद्धु, पंख तो हैं प्यारे। ये उड़ नहीं पातीं हैं सारे।। गीतू बोली भला ये क्यों नहीं उड़ पाती हैं ? दीवार पर या छज्जे तक ही पंहुच पाती… Continue reading बेचारी मुर्गी

मजदूर

हाय रे मजदूर! तेरी यह कैसी कहानी । मुंह से मूक, आंखों से झर झर बहता पानी।। भाग्य भी कैसे-कैसे खेल खिलाए। विधि के विधान को कौन मिटा पाए।। घर से दूर गली, मोहल्ले सड़कों और हर जगह काम करने को आतुर हो जाता। हाय ये मजदूर!तेरी यह कैसी कहानी। तेरी यह व्यथा किसी ने… Continue reading मजदूर

माया जाल

हाथ का मैल है यह पैसा। हो लोभ के फल जैसा।। सब कुछ यहीं रह जाना है। साथ किसी के कुछ नहीं जाना है।। यह जीवन तो है बहुमूल्य। पुण्य कमा कर इसे बनाया जा सकता है जीने तुल्य।। चोरी फसाद के सभी धंधों को छोड़ कर, ॑ दूसरों की थाली में झांकना छोड़ दे,।… Continue reading माया जाल