विधाता ने कैसा खेल रचाया?
चीन से निकले इस वायरस नें चारों तरफ गज़ब ढाया।
दफ्तर जानें वालों पर भी गजब का कहर ढाया।।
छोटा बच्चा, बड़ा, बूढ़ा, सभी घरों में ही व्याकुल होकर रह गए।
घर कि चार दिवारी में बन्द हो कर सिमट गए।।
कोरोना महामारी ने अपना कैसा तांडव रचाया?
सभी मानव मन में उथल-पुथल मचाया ।
बच्चे जो स्कूल में जाने से करते थे मनाही ।
वे स्कूल खुलनें की मांगे दुहाई।
माता-पिता बच्चे सब सह परिवार इकट्ठे नज़र आए ।
बच्चों के साथ काम कर खुशी से मुस्कुराए ।
लौक डाउन के बाद माता-पिता और बड़ों को यह बात समझ में आई।
करोना से निजात पाने के लिए घर में सुरक्षित रहनें में ही है सब की भलाई।
आज अपनी मां को काम पर न जाता देख मन ही मन बच्चे मुस्कुराए।
अपनें पापा को भी मां का हाथ बंटाता देख वे भी आगे आए।।
जीवन के सुनहरे पलों को बच्चों के साथ बिता कर और भी मधुर बनाइए।
चेहरे पर खुशी झलका कर उन का भी साहस बढ़ाइए।।
संकट की इस घड़ी में जो फरिशता बन कर आए,
देश के प्रति अपना फर्ज़ निभा कर परिवार को पीछे छोड़
सहायता के लिए आगे आए।।
उन कार्य कर्ताओं का हम सभी हार्दिक अभिनन्दन करते हैं।
उन को सैंकड़ों दुआएं दे कर उनके प्रति आभार व्यक्त करतें हैं।।
अपनें जीवन को यूं दांव पर न लगाइए।
घर पर ही सुरक्षित रह कर अपनें काम में मन लगाइए।
रिश्तों की गहराइयों को सूझबूझ से निभाइए।
अपनें बच्चों के साथ किसी न किसी क्रियाकलाप में जुड़ जाइए।।
कोरोना को हरानें के लिए घर पर ही रहना जरुरी है।
मास्क लगा कर और तीन गज दूरी को अपना कर,
इस संदेश को अमल में लाना जरुरी है।।
जीत जाएंगें हम,कोरोना को हराएंगे हम।
सारा देश अगर संग है।
एक दिन जीत का जशन मनाएंगे हम।