, विधाता का रचा एक खिलौना।
तुझको पाकर मेरा जीवन हुआ सलोना।।
चंदा भी तू सूरज भी तू।
मेरे डूबते नैया की पतवार भी तू।।
उंगली पकड़कर चलना सिखाती हूं मैं।
लोरी गा गा के पलना झूलाती हूं मैं।।।
कान पकड़ के रास्ते पर चलना सिखाती हूं मैं।
कभी डांट से कभी फटकार से।
कभी गुस्से से कभी प्यार से।
हर जीवन में सफल होना सिखाती हूं मैं।।
सागर सी विशालता है तुझमें।
पर्वत सी अडिगता है तुझमें।
धरा की प्रखरता है तुझमें।।
मेरे कोमल मन की गहराइयों का ताज है तू।
धरा का श्रंगार है तू।
मेरे जीवन की अमिट छाप है तू।।
मेरे हृदय की विशालता का प्रतीक है तू।
हर मुसीबत की घड़ी में साथ निभाना सिखाती हूं मैं।
उंगली पकड़कर चलना सिखाती हूं मैं।।
मैं हूं मां तेरी तू है पूत मेरा।
तू है प्राण मेरा तू ही है जान मेरा।।
तुझी पर है यह जीवन कुर्बान मेरा।
तू ही जान मेरी तू ही आन मेरी।
तुझसे ही तो है शुरू होती है भोर मेरी।
यही है दुआ मेरी हर दम मुस्कुराता रहे। पवन के झोंके सा सबके दिलों को लुभाता रहे।
मरते दम तक साथ दूंगी तेरा।
न समझना भंवर में अकेला।
तुझको पाकर धन्य हुआ जीवन मेरा।।
हरदम चमकता रहे तू। हर ऊंचाइयों को छूता रहे
प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता रहे।
यही है अटल विश्वास मेरा।
यही है जीवन का सत्य मेरा।।
विधाता का रचा एक खिलौना।
तुझको पाकर मेरा जीवन हुआ सलोना।।
मुश्किल के वक्त संभालूंगी मैं।
डूबते नैया से निकालूंगी में।।
हर पल साए की तरह साथ चलूंगी मैं।
तू ही मेरे सपनों का हूर है।
तू ही मेरे दिल का नूर है।।
विधाता कर रचा इक खिलाना।
तुझको पाकर मेरा जीवन हुआ सलौना।
चंदा भी तू सूरज भी तू।
मेरे डूबते भंवर की पतवार भी तू।।
उंगली पकड़कर चलना सिखाती हूं मैं।
लोरी गा गा कर सुलाती हूं मैं।।
तेरीखुशी में ही है खुशी मेरी।।
जहां भी रहे खुश रहे यही है दिल से दुआ मेरी।।