मां बोली तुम्हें आज मौसम के बारे में बतलाती हूं।
तुम्हारा ज्ञान बढ़ाकर मनोरंजन करवाती हूं ।।
एक वर्ष में मौसम है चार।
आओ इन के बारे में चिन्तन मनन कर के करें विचार।।
गर्मी सर्दी पतझड़ और बरसात।
इनके सामने इन्सान कि क्या है बिसात।।
यह मौसम बारी-बारी से हैं आते।
फरवरी मार्च-अप्रैल और मई वातावरण में गरम हवा हैं लाते।।
दिन के समय शुष्क और गर्म लू है चलाते।
इन्द्र के कोप से हमें है झुलसाते।
ग्रीष्म ऋतु के महीनें ये हैं कहलाते।
प्यास से हमें कुम्हलाते, और सताते।।
वातावरण में कीडे मकौड़े, और फंगस के कारण मक्खी , मच्छर, पैदा कर मलेरिया,हैजा,ढिगू, चिकनगुनिया है फैलाते।।
भीष्म गर्मी से हर तरफ त्राहीमाम है मचाते।
भारत में सौर किरणें समानांतर है होती ।
हमें गर्मी के भयंकर प्रकोप से है डराती ।
ज्यादा मात्रा में पानी को पीएंगे।
शरीर में विषैले तत्व नहीं पनप पाएंगे ।
गन्ने का रस और नींबू का रस अधिक मात्रा में पिएंगे ।
सेहत में सुधार पा कर खुशी से मुस्कुराएंगे।
घर से बाहर जाते समय लस्सी छाछ को पी कर जाएंगे ।
सारा दिन चुस्ती और मस्ती से हर काम पूर्ण कर पाएंगे।।
आम कटहल तरबूज आदि फलों को खाएंगे तो सारे दिन तरोताजा हो जाएंगे।।
जून जुलाई-अगस्त सितंबर यह बारिश के महीने है कहलाते ।
वर्षा ऋतु के नाम से है पहचानें जाते ।
दक्षिणी गोलार्ध में भारत की ओर हवाएं तुफान हैं मचाती ।
यह दक्षिणी पश्चिमी हवाएं है कहलाती ।
मानसून का मौसम भी है कहलाती।।
अक्टूबर,नंवबर ,दिसंबर जनवरी सर्दियों का मौसम है कहलाते।
शीत लहर ठंडी और खुश्की ला कर हमें है डराते।।
हमारी त्वचा को नुक्सान है पहुंचाते।।
शरीर को गर्मी और ऊर्जा देने वाले पैदार्थ हमारे शरीर को ऊर्जा हैं देतें ।
निश्चित मात्रा में सेवन करनें से हमें रोग से हैं बचाते।।
तिल, गुड़,मूंगफली,
बाजरे कि रोटी और साग।
उन सभी पैदार्थो को खा कर मनुष्य का दिल हो जाता है बाग बाग।
इस मौसम में स्वास्थ्य सम्बन्धी बिमारियों का है बोलबाला।
कोताही न बरतने पर यह तो दिखाता है अपना जलवा।।
आहार में शहद आंवला और बाजरा सेहत के हैं आधार।
प्रतिरोधक क्षमता के हैं मजबूत भंडार।।