ज्ञान हमारे अंदर प्रकाश की ज्योति है जगाता।
सभी का वर्तमान और भावी जीवन योग्य है बनता।।
ज्ञान से सुप्त इंद्रिया जागृत होती है।
उसकी कार्यक्षमता में दिन रात तरक्की होती जाती है।।
शिक्षा का क्षेत्र है विस्तृत।
जीवन से लेकर मृत्यु पर्यन्त तक चलने वाला शिक्षा का एक स्रोत।।
प्राचीन काल में शिक्षा गुरुकुल में थी दी जाती।
शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात ही बच्चे की वापसी होती जाती।।
आजकल तो सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में है शिक्षा दी जाती।
भिन्न-भिन्न विषयों में शिक्षा दिलाकर उसकी परीक्षा के स्तर की कसौटी जांची जाती।।
ज्ञान से बच्चे का मानसिक स्तर ऊपर उठता है।
उसके मस्तिष्क में तरह तरह के सवालों का घेरा लगा होता है।।
छोटा बच्चा अनेक तरह के प्रश्नों की बौछार है करता।
उनके सवालों के जवाब ना देने पर व्यक्ति का चेहरा है लटकता।।
विद्या है व्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ सम्मान।
चोर भी उसको चुरा कर इसका करता नहीं इसका अपमान।।
विद्या दूसरों को देने से निरंतर बढ़ती जाती है। दिन रात व्यक्ति के स्तर में उन्नति होती जाती है।।
विद्या से विनय, विनय से योग्यता है मिलती। योग्यता से धन, और धर्म से सभी सुखों की प्राप्ति है होती।।
ज्ञान से बुद्धि तेज है बनती।
व्यक्ति की उन्नति में चार चांद है लगाती।। विद्या और सुख व्यक्ति को एक साथ नहीं मिलते।
व्यक्ति को इसे प्राप्त करने के लिए संघर्ष करने ही पड़ते।।
विद्या चाहने वाले को सुख छोड़ देना चाहिए। सुख चाहने वाले को विद्या का त्याग कर देना चाहिए।।
विद्या के बिना व्यक्ति का जीवन पशु समान है होता।
बिना ज्ञान के उसका जीवन निष्फल होता।। हमें विद्या प्राप्त कर बड़प्पन नहीं दिखाना चाहिए।
ज्ञान का प्रसार सभी में कर हर किसी को व्यक्ति का हौंसला बढ़ाना चाहिए।।
शिक्षा व्यक्ति को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित है करती।
उसे भला और बुरे की पहचान करा कर उसमें आत्मविश्वास की प्रेरणा है भरती।।