गोलू की फरियाद

गोलू मां से बोला मां मां मुझे कुछ ढेर सारे महंगे खिलौनें दिला दो ना।
मेरे मन की ईच्छा को पूर्ण कर मुझे खुशी दिला दो ना।
मां बोली बेटा हर जरूरत की चीज ही तुम्हें दिलवांऊंगी।
अपने घर का बजट देखकर ही तुम्हारा कहना पूरा कर पाऊंगी।
गोलू बोला मां तू है बड़ी ज्ञानी ।
तेरी अब कोई नहीं चलेगी मनमानी ।
ज्ञान की बात मेरे समझ में नहीं आती।
खिलौनौं के सिवा और कोई बात मुझे नहीं भाती।
गोलू मां से बोला मेरे दोस्तों के पास बहुत सारे खिलौने कहां से आते हैं ?
आप मुझे ढेर सारे खिलौने क्यों नहीं दिलवातें हैं? ।
मां गोलू से बोली पहले तुम्हारे पापा से अनुमति ले कर आऊंगी।
मैं तभी तुम्हारी इच्छा पूरी कर पाऊंगी ।।
रानी राघव से बोली तुम मेरी बात आज सुन ही लो।
गोलू की इच्छा पूरी कर ही दो।।
राघव बोला बच्चे को अच्छे और बुरे में फर्क करना सिखाओ ?।
उसकी इस आदत में जल्दी ही बदलाव करवाओ।।
बेटी की पढ़ाई का खर्चा कैसे चल पायेगा?
हमारा तो सारा बजट भी बिगड़ जायेगा।।
हमारे लिए तो बेटा और बेटी दोनों ही समान है।
आवश्यकता से ज्यादा दिलाना करता नुकसान है।।

बच्चे की हर इच्छा पूरी करना नहीं है फर्ज हमारा ।
जरूरत के मुताबिक ही वस्तु को दिलाना है कर्तव्य हमारा।।
दूसरों की वस्तु को देखकर वह भी लालच में आ जाएगा ।
सच्चाई को अनुभव कर ही समझ पाएगा।।
रानी से बोले हमारी कमजोरी को जानकर वह हमारा विरोध कर जाएगा हमारे हालात को समझकर वह अपनें कदम पीछे हटा पाएगा।।

मां गोलू से बोली तुम अपने आप को खास समझना छोड़ ही डालो। सच्चाई से परिचित हो कर ही अपना इरादा बदल डालो।।
मीनु बोली भैया, यह गुल्लक तुम्हें खिलौनें न दिलवा पाई तो यह मेरे किस काम आएगी?
तुम्हारें प्रति बहन का प्यार- कैसे दर्शा पाएगी?
छोटी बहन के इस प्रकार कहने पर गोलू की आंख भर आई।
बहन की पीठ थपथपा कर बोला हां अब कहीं जाकर यह बात मेरी समझ मेंआई।।

आज के बाद कभी भी मैं खिलौनों की जिद नहीं करूंगा ।
आप तीनों सलामत रहे यही दुआ करूंगा।।

Leave a Reply

Your email address will not be published.