बहुत समय पहले की बात है बेलापुर गांव में एक बहुत ही मेहनती और ईमानदार महिला रहती थी ।वह इतनी मेहनत करती कि उसकी गांव गांव में दूर-दूर तक चर्चा की जाती थी वह सुबह जल्दी उठती सुबह के कामों से निवृत होकर सुबह-सुबह ही अपने खेतों में पानी देती। उसने अपने घर के पास… Continue reading ईमानदारी का तोहफा
(मन का दर्पण है सुन्दर कल्पनाएँ) कविता
मन का दर्पण है सुन्दर कल्पनाएँ। अतीत में झांकने का अवसर देती है कल्पनाएं।। व्यक्ति के चेहरे पर रंगत का दौर लाती हैं कल्पनाएँ। जीवन को नई उम्मीद का चेहरा दिखाती हैं सुन्दर कल्पनाएं।। हमारे अंदर छिपी हुई रचनात्मक प्रवृति को उभारती हैं कल्पनाएँ। नकारात्मकता और सकारात्मकता का अनुभव कराती हैं कल्पनाएं।। मधुर सपने दिखाती… Continue reading (मन का दर्पण है सुन्दर कल्पनाएँ) कविता
रमिया
रमिया अपनी जुडवां बेटियों के साथ रेल की पटरी पर बैठे बैठे गाड़ी के आने का इंतजार कर रही थी। वह अपने मन में विचार कर रही थी गाड़ी न जानें कब जैसे आएगी। वह अपनी बेटियों को साथ लेकर काम करनें के लिए जाती थी। उसे और उसकी बेटियों को भूख भी बड़े जोर… Continue reading रमिया
(मस्ती की पाठशाला) कविता
लुक्का छिपी लुकाछिपी खेल खेल कर साथ मिल कर खेलो खेल। हम सब बच्चे मिलकर बनाएं अपनी रेल।। छुक छुक छुक छुक करती आई रेल। सीटी बजाती आई रेल।। एक दो तीन चार, पांच छः सात, आठ नौ दस ग्यारह। आज मौसम बहुत ही प्यारा।। मेरे साथ मिलकर तुम गांओ यह गाना। डम डम डिगा… Continue reading (मस्ती की पाठशाला) कविता
अनमोल हीरा
गिरिजा के पिता रवि बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे अौर मम्मी ऑफिस में काम करती थी। गिरजा अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी ।उन्होंने उसे बहुत ही लाड़-प्यार से पाला था ।वह बहुत ही होनहार थी। उसका एक छोटा भाई भी था वह बहुत ही छोटा था गिरिजा बहुत ही होशियार थी… Continue reading अनमोल हीरा
नदी की कलकल धारा
नदी की बहती कलकल धारा। प्रकृति की छटा का अद्भूत नज़ारा वो तृषित धरा की प्यास बुझाती नदियाँ। मन के उथल पुथल भावों को निर्मल करती नदियाँ।। शान्त और तेज रफ्तार से बहती नदियाँ । दूर दूर से हर आने जानें राहगीरों की प्यास और थकान को शान्त करती नदियाँ।। अलग अलग धारा में बहनें… Continue reading नदी की कलकल धारा
एहसास
स्कूल की घंटी जैसे ही बजी सभी बच्चे अपनी अपनी कक्षाओं में भागे। मैडम अंजली बच्चों को कक्षा में समय पर ना आने के लिए हमेशा डांट दिया करती थी। उन अध्यापिका से सभी बच्चे डरते थे। जब भी वह कक्षा में आती शांत सा वातावरण कक्षा में छा जाता। उन का खौफनाक चेहरा बच्चों… Continue reading एहसास
राजा और रंक
बहुत पुरानी बात है एक भिखारी रास्ते से चला जा रहा था।वह रोज घने जंगल को पार करके किसी ना किसी घर से भिक्षा मांग कर अपना गुजारा करता था। थोड़ा बहुत हेरफेर करके जो कुछ कमाता उससे अपना पेट भरता था। आज भी जब वह भीख मांग कर घर को वापस आ रहा था… Continue reading राजा और रंक
नव वर्ष की नई चेतना
नए वर्ष की नई चेतना यह संदेशा लाई है। नए सपनों को नई सोच को उजागर करने का न्योता लेकर आई है।। नई वर्ष की नई उमंगे नई खुशियां लेकर आई है। अपने वतन की खातिर अपना कर्तव्य निभाने को उजागर हो आई है।। नई भोर की नई बेला हमें यह सिखाने आई है। छोड़ो… Continue reading नव वर्ष की नई चेतना
बंदर आया (कविता)
बंदर आया बंदर आया। पेड़ो पर उछल कूद कर सारा घर सिर पर उठाया। पेड़ पर चढ़कर इधर उधर इठलाया।। छज्जों पर हर जगह चढ़कर करता शैतानी। हर जगह धूम चौकड़ी मचा कर करता अपनी मनमानी।। खो खो करता बंदर आया। हर आने जाने वाले राहगीरों को डराया।। नकल करता बंदर आया, बंदर आया। पेड़ों… Continue reading बंदर आया (कविता)