(आओ हम कुछ देना सीखें) कविता

   आओ हम  कुछ  देना सीखें।

 जन जन की खातिर प्यार अपना लुटाना सीखें।।

आओ हम कुछ देना सीखें।

तरु की झुकी झुकी डालियों की तरह हम भी शीश झुकाना सीखें।।

अपने अहंकार को त्याग कर सभी को गले लगाना सीखें।।

आओ हम कुछ देना सीखें।

माला के मनकों की तरह एक पंक्ति में गुंथ कर एकता की मिसाल कायम करना सीखें।

औरों के  हित की खातिर स्वार्थ अपना भूलाना सीखें।।

आओ हम कुछ देना सीखें।

रूढ़िवादिता के गहन अंधकार से निकल कर  नई सोच को अपनाना सीखें।

पुरानी पीढी के साथ मिल कर उन की सोच को संवारना सीखें।।

हम भी तो कुछ देना सीखें।

मातृभूमि की रक्षा के खातिर जान अपनी लुटाना  सीखें।।

पुरुषार्थ के बल पर हर दम आगे बढ़ना सीखें।

आलस को त्याग कर  विवेक को जगाना सीखें।।

अनपढ़  को शिक्षा देकर  फर्ज अपना निभाना सीखें।

ज्ञान  की ज्योति जला कर उनमें नई उम्मीदों का चिराग जलाना सीखें।।

आओ हम  कुछ देना सीखें।

हंसी की मुस्कान बन कर  सभी के दिलों में जगह बनाना सीखें।

हम भी तो कुछ देना सीखें।

छोटे और बड़े के भेदभाव को भुलाकर हर एक को गले लगाना सीखें।

गुरुजनों की छत्र छाया में रह कर उन के   आदर्शों पर चलना सीखें।।

(आओ हम कुछ देना सीखें)

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