गौरव और गरिमा के परिवार में उनका बेटा अतुल। वे एक छोटे से मकान में रहते थे। उन्होंने अपने मकान की निचली मंजिल किराए पर दी थी। उनके मकान में जिन्होंने मकान किराए पर लिया था वह भी गौरव के साथ ही ऑफिस में काम करता था। गौरव एक बैंक में मैनेजर के पद पर नियुक्त था। उनका किराएदार एक क्लर्क के पद पर आसींन था उनके ऑफिस साथ साथ ही थे। उनके भी एक लड़का था। उसका नाम अखिल। अखिल और अतुल दोनों कम उम्र के थे। दोनों एक ही स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। वह दोनों दोस्त इकट्ठे स्कूल जाते। उनके माता-पिता की भी आपस में खूब बनती थी। छुट्टी वाले दिन सभी मिल जुलकर सैर करने का लुफ्त उठाते थे। अतुल को अपने मम्मी पापा से इस बात को लेकर चिढ थी कि वह सदा अपने बेटे को कहते थे पढ़ाई कर पढ़ाई कर। तुम्हारे अखिल से ज्यादा अंक आने चाहिए। इस ज्यादा अंक लेने के चक्कर में बेचारा कुछ नहीं कर पाता था। वह बहुत पढ़ाई करने की कोशिश करता अपने दोस्त जितने अंक नहीं ला पाता। उसे अपने माता-पिता दुश्मन नजर आने लगे। जब भी उसके पापा मम्मी कहते पढ़ाई करो उनके सामने किताब याद करने के लिए पकड़ लेता मगर अच्छे ढंग से पढ़ नहीं पाता।
अर्धवार्षिक परीक्षा में भी अखिल के 20 अंक ज्यादा आए थे। उनके माता-पिता ने कहा वह भी तो तुम्हारी तरह ही बच्चा है। उसके कैसे ज्यादा अंक आए? तुम्हारे क्यों नहीं? अतुल का मन हुआ कि अभी उठकर कहीं चला जाए मगर अंदर ही अंदर घुटन महसूस कर रहा था। तुम्हारेअंक ज्यादा नहीं आए। हम अपने रिश्तेदारों को क्या मुंह दिखाएंगे?अतुल अपने दोस्त से भी खफा खफा रहने लगा। उसका दोस्त आखिर वह तो उसे बहुत ही ज्यादा प्यार करता था। वह उसे कहता रहा क्या कारण है? मुझे बताओ कुछ दिनों से तुम बहुत परेशान लगते हो। अखिल बोला ठीक है अगर तुम मुझे नहीं बताओगे तो आज के बाद मैं तुम्हारे घर कभी-भी खेलने नहीं आऊंगा। तुमसे कभी बात नहीं करूंगा। अतुल रोने लग पड़ा आखिर अपने दोस्त अतुल को रोता देखकर वह भी रो पड़ा बोला मुझे बताओ मैं तुम्हारा सच्चा दोस्त हूं। अतुल बोला मैं तुम्हें बताता हूं मेरे मम्मी पापा मुझे हर वक्त पढ़ाई करने के लिए कहते रहते हैं। वह मेरी तुलना तुमसे करते हैं। वह कहते हैं देखो अखिल के कितने अच्छे अंक आते हैं? तुम्हारे क्यों नहीं।? तुम्हारी तरह वह भी तो बच्चा है। तुम मुझसे ज्यादा नंबर लाया करो। मैं तो उतना ही कर पाऊंगा जितना मैं कर सकता हूं। उसका दोस्त बोला मैं तुम्हारी समस्या सुलझा सकता हूं। यह तुम मुझ पर छोड़ दो। अब तो तुम मेरे साथ खेलोगे। अतुल खुश हो गया।
अतुल को तो मानों खुशी का खजाना मिल गया। उसने अपना दर्द कुछ हल्का किया। अखिल बोला मेरे मम्मी पापा तो मुझे कहते हैं कि जितनी तूने पढ़ाई करनी है उतनी ही पढ़ो। पढ़ाई करो पढ़ाई करने के साथ-साथ तुम्हारे खेलने के दिन है। यह बचपन का समय कभी लौट कर नहीं आता। हम तुम पर पढ़ाई का दबाव नहीं डालेंगे। अखिल बिल्कुल निर्भय होकर पढ़ाई करता था। उसके माता पिता कभी परवाह भी नहीं करते थे कि उनके बेटे को कितने अंक आए हैं? एक बार उनके बेटे के गणित में सातअंक आए थे अखिल के पिता ने अखिल को बुलाया और हंस पड़े मेरे शेर बच्चे गणित में सातअंक। अचानक बोले डरो मत। जब मैं तुम्हारी उम्र का था मेरे तो जीरो अंक आते थे। धीरे-धीरे मेहनत करने से सब कुछ हासिल हो जाता है। डरो मत अखिल की मम्मी ने कहा आज खीर बनाओ। अखिल नें सात अंक आने की वजह से अपनी मूल्यांकन पुस्तिका छिपा दी थी। उसके मम्मी पापा की नजर न पड़े। उसके मम्मी पापा ने तो उसके बस्ते में से उसकी मुल्यांकन पुस्तिका को देख कर कहा बेटा तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं। माता-पिता से कुछ भी छुपाने की जरूरत नहीं होती है। फेल भी तो हो जाते हैं। चाहे फेल हो या पास कोई फर्क नहीं पड़ता। मेहनत करते चलो डरो मत। यह वाक्य उसके पापा कहते अखिल बोला। अतुल, आकाश मेरे पापा ममी में भी ये समझ होती।
परीक्षा में अखिल नें जानबूझकर दो प्रश्न आते हुए भी छोड़ दिए थे।ताकि उसके दोस्त के उससे ज्यादा अंक आए। जब अतुल को पता चला कि अखिल ने जानबूझकर दो प्रश्न हल नहीं किए तो वह अपने दोस्त को गले लगाता हुआ बोला ऐसा दोस्त सबको दे। इस तरह दिन बीतते चले गए।
अखिल और अतुल भी दसवीं में पहुंच गए अखिल के पिता का स्थानांतरण दूसरे ऑफिस में हो चुका था। उन्होंने वहां से मकान भी बदल लिया। वह दूसरे शहर में चले गए। आज अतुल बहुत ही खुश था। क्योंकि उसकी दसवीं की परीक्षा का वार्षिक परिणाम आने वाला था। उसने खूब मेहनत की थी। अखबार सामनें मेज पर पड़ा था। उसका कलेजा धक धक कर रहा था। मेज के सामनें कोई कोई नहीं था। उसने अपना रोल नंबर देखा वह 80% अंको में पास हो चुका था। दूसरे पेज पर उसके दोस्त की फोटो छपी थी। वह सारे जिले में प्रथम स्थान लाया था। उसके 98% अंक आए थे। उसे अपने दोस्त के लिए खुशी भी हुई। उसके मम्मी पापा कमरे में आए और बोले बेटा। तुम्हारा परिणाम निकल गया है। तुम्हारे 80% अंक है। तुम्हारे दोस्त अखिल ने तो 98% अंक लेकर सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। वह फिर तुमसे बाजी मार गया। तुम कभी भी किसी विषय को गंभीरता से नहीं लेते हो। हम तुम्हें डॉक्टर बनाना चाहते हैं। वह बोला पापा मैं डॉक्टर नहीं बनना चाहता। मैं तो पायलट औफिसर बनना चाहता हूं। उसके पिता नाराज होते हुए बोले तुम्हें डॉक्टरी की पढ़ाई करनी पड़ेगी। भले ही तुम एक बार उसमे रह जाओ। हम तो तुम्हें डॉक्टर बनते हुए ही देखना चाहते हैं। मेरे सारे ऑफिस में मेरी सभी लोग इतनी प्रशंसा करते हैं। तुम्हारी क्या हमारी नाक कटाने का इरादा है? अतुल की मम्मी बोली मेरी सहेलियों में मेरा क्या रुतबा रह जाएगा। डाक्टरी तो तुम को करनी ही पड़ेगी।
अतुल का मन हुआ वहां वहां से कहीं दूर भाग जायेगा। अंदर ही अंदर घुटता जा रहा था। शाम को खाने के लिए भी नहीं आया। उसके मम्मी पापा ने सोचा कि अपने दोस्तों से मिलने गया होगा। परंतु रात के 11:00 बज चुके थे अतुल घर नहीं आया। उसके मम्मी पापा भी परेशान हो रहे थे। वह निराश होकर एक सुनसान सड़क पर पहुंच गया। वह आगे ही आगे चला जा रहा था। उसे भी कुछ भी नहीं मालूम था वह कहां जा रहा है। काफी दूर निकल आया तो उसे वहां पर एक नदी दिखाई दी। उसने सोचा क्यों ना मैं नदी में छलांग लगा लूं।? मैं डाक्टरी कभी नहीं कर सकता। मैं पढ़ाई नहीं करूंगा। अगर कुदनें पर भी नहीं मरा तो क्या होगा। उसने देखा सामने उसी तरह के चेहरे वाला बच्चा गिरा पड़ा था। उसने उसकी नब्ज टटोली वह शायद मर चुका था। उसका चेहरा बुरी तरह झुलस गया था। पहचान में नहीं आ रहा था। उसने जल्दी से अपने कपड़े उस बच्चे को पहना दिए और उसके कपड़े स्वयं पहन लिए और एक पर्ची पर लिख दिया मम्मी पापा मैं सदा के लिए जा रहा हूं। मुझसे डॉक्टरी की पढ़ाई नहीं होती। मुझे तो पायलट बनना था। मेरा सपना अधूरा ही रह गया। मेरे मरने के उपरांत मेरे मम्मी पापा को मत पकड़ना। मैंने मरने का फैसला खुद लिया है। मैं एक योग्य बेटा नहीं बन पाया। अलविदा अतुल।
अतुल के पापा मम्मी पापा अपने बच्चे को ढूंढते-ढूंढते थक गए। नदी के पास से एक बच्चे की लाश सुबह के समय पुलिस वालों ने उसके पापा को दी। कपड़ों से तो वह लग रहा था कि वह उनका ही बेटा है। क्योंकि कपड़े तो अतुल के ही थे। और एक सोसाईड नोट वह लिखाई भी अतुल की थी। अतुल के माता-पिता रोते-रोते घर वापिस आ गए। सारे जगह खबर फैल गई इतनी होशियार बच्चे ने आत्महत्या क्यों की? अतुल के माता-पिता अंदर ही अंदर घुट रहे थे। उनको पता था कि उन्होंने जबरदस्ती अपनी इच्छा अपने बच्चे पर थोपने का प्रयत्न किया था। उनके हाथ में पछताने के सिवा कुछ नहीं लगा था। उनका बेटा तो उनके हाथ से निकल गया था। अतुल ने नदी में छलांग लगा दी थी।
अतुल बहता बहता एक ऐसी जगह पहुंच गया था जहां पर उसे कोई जानता तक नहीं था। वहां पर एक दंपत्ति परिवार नैनीताल घूमने के लिए आए थे। उन्होंने बहते हुए बच्चे को देखा। उन्होंने उस बच्चे को बचा लिया। उनका कोई बच्चा नहीं था। उन्होंने उस बच्चे को बचा लिया। वे दंपत्ति घूमने के लिए आए थे। उन्होंने उस बच्चे को अपने साथ ले जाने का निश्चय कर लिया। बच्चा होश में आया तो उन्होंने उससे पूछा तुम कौन हो? उसने कुछ नहीं कहा उस दंपति परिवार ने सोचा उसे कुछ भी याद नहीं है। उन्होंने उसे कहा बेटा तुम्हें हम अपना बेटा समझ कर पाल लेंगे। तुम हमें बताओ कहां के हो? उसने अपने बारे में कुछ नहीं बताया। अतुल नें उस परिवार की चुपके से बातें सुन ली थी। वह आंटी कह रही थी हमें तो लगा हमारा बेटा जिंदा होकर वापस आ गया है। हम इसे इतना प्यार देंगे जितना इसनें पढ़ाई करनी होगी हम उसे पढ़ाएंगे। उसे किसी चीज की कमी होने नहीं देंगे। उस परिवार की बातें सुनकर अतुल ने सोचा अच्छा मौका है मैं इन्हें अपने बारे में कुछ नहीं बताऊंगा। मैं खूब पढ़ाई करूंगा। वहीं पर उनका बेटा होकर रहने लगा। धीरे-धीरे वह उनके परिवार में घुल मिल गया। आंटी को मां और अंकलको पापा कहनें लगा उसे कभी भी अपने मम्मी पापा की याद नहीं आई। कभी कभी अकेले में उन्हें याद कर लिया करता था। उन्होंने उसे पढ़ाई के लिए कभी भी तंग नहीं किया। उसने कहा पापा मैं पायलट बनना चाहता हूं। वह बोले बेटा चिंता की कोई बात नहीं जो तुम बनना चाहते हो वह बनो। तुमसे कोई जबरदस्ती नहीं करेगा। उसके पापा ने उसका नाम अमर रख दिया था। उसका नाम था अतुल। उसका कार्ड उन्होंने सम्भाल कर रख दिया था उसमें उसकी फोटो थी। मगर उसका नाम मिट गया था। नाम का पहला अक्षर ही फोटो में साफ दिखाई दे रहा था बाकि अक्षर मिट गए थे। उन्होंने अ से ही उसका नाम अमर रख दिया। अमर बड़ा हो चुका था। वह पायलट औफिसर चुका था।
एक दिन उसके पिता ने कहा बेटा आज मैं अपने दोस्त की बेटी आरती के साथ तुम्हारी शादी की बात पक्की कर रहा हूंह अमर ने कहा पापा पहले मुझे लड़की तो दिखाओ। उसके पिता ने कहा आज उसे हम अपने घर खाने पर बुलाएंगे। आरती 5:00 बजे वादे के मुताबिक अमर के घर पहुंच गई।। पहली ही मुलाकात में अमर और आरती दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे। आरती ने कहा मैं एक दिन आपको अपने भाई और माता-पिता से अवश्य मिलवाऊंगी। अमर नें कहा तुम्हारे भाई का क्या नाम है।? आरती ने कहा मेरे भाई का नाम अखिल है। आरती ने कहा अच्छा अलविदा कल मिलेंगे। आरती तो चली गई उसे अपना गुजरा जमाना याद आ गया। उसका दोस्त आखिर वह भी तो एक बड़ा डॉक्टर बन चुका होगा।
उसके दोस्त का नाम भी तो अखिल था। उसकी आंखों के सामने सारा माजरा घूमने लगा किस तरह उसने इतना भयानक कदम उठाया था। वह मरा तो नहीं था परंतु अपने माता-पिता से बिछड़ गया था। वह एक ऐसे परिवार में उनका बेटा बनकर रह रहाथा जिसे वह जानता तक नहीं था। उस परिवार ने उसे इतना प्यार दिया वह अपने असली मां बाप को भूल ही गया। आज उसनेंअपने सपने को साकार कर दिखाया था। दूसरे दिन आरती उसे बाजार में मिली। आरती ने कहा तुम मुझसे कुछ कहना चाहते हो। शादी से पहले मैं तुम्हें एक सच्चाई से अवगत कराना चाहता हूं। तुम मुझे स्वीकार करो या ना करो। परंतु अगर मैंने तुम्हें सच नहीं बताया तो मेरी अंन्तर्आत्मा मुझे कचोटती रहेगी।
वह बोला तुम्हारे माता पिता हमारी शादी को मान गए हैं। वह बोली परंतु पहले मेरे माता-पिता ने शादी करने से मना कर दिया क्योंकि तुम पंडित परिवार के नहीं हो। परंतु बाद में मेरी इच्छा के सामने उन्होंने घुटने टेक दिए। वे तुमसे मेरी शादी करने के लिए मान गए। वह बोला मैं तुम्हें बताना चाहता हूं कि मैं अग्रवाल परिवार का बेटा नहीं हूं। मैं तो नदी में बहता हुआ उन्हें मिला था। मैंने आत्महत्या करने का प्रत्यन किया था। मेरे माता-पिता मुझे हरदम पढ़ाई करो पढ़ाई करो करनें को कहते रहते थे। तुम्हारे इतने अंक कम क्यों आए? तुम्हारे दोस्त के तुमसे ज्यादा अंक कैसे। हर वक्त टोकाटाकी। अखिल मेरा दोस्त था वह डॉक्टर बनना चाहता था। मैं पायलट बनना चाहता था। मेरा दोस्त हमारे ही घर पर किराए के मकान में रहता था। उसके मम्मी पापा इतने अच्छे थे कि उन्होंने अपने बेटे पर पढ़ाई का कभी जबरदस्ती दखल नहीं दिया। एक दिन मेरे दोस्त के माता-पिता का तबादला दूसरे शहर को हो गया। वह दूसरे शहर में चला ग्ए।हम अपने तरीके से जिंदगी जी रहे थे।
एक दिन दसवीं की परीक्षा परिणाम निकला। मैं जैसे ही अखबार लेकर अपने पापा के पास गया तो मैंने सोचा वह मुझे गले से लगा कर कहेंगे तेरे 80% अंक अच्छे आए हैं। उन्होंने एक बार फिर मुझ पर प्रहार किया। दूसरे पेज पर देखो तुम्हारे दोस्त ने सारे जिले में टॉप किया है। मैं अंदर ही अंदर घुटता जा रहा था। कहां तो तसल्ली देने के बजाय वह मुझे कह रहे थे तुम किसी भी विषय को गंभीरता से नहीं लेते हो। परिवार के लोगों के सामने और मेरे ऑफिस में सहेलियों के सामने हमारी क्या इज्जत रह जाएगी। हमारे बेटे के इतने कम अंक पाए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने मुझे कहा तुम्हें डॉक्टरी की पढ़ाई करनी पड़ेगी। मुझे डॉक्टर की पढ़ाई में जरा भी दिलचस्पी नहीं थी। मैंने कहा मैं डॉक्टर नहीं करूंगा। मेरे मम्मी पापा आकर बोले कोई बात नहीं। अगर तुम एक बार डॉक्टर की पढ़ाई में नहीं निकलोगे तो भी कोई बात नहीं दूसरी बार कोशिश करना।
मेरा मन डॉक्टरी की पढ़ाई में जरा भी नहीं था मैंने आव देखा ना ताव वहां से चलकर एक सुनसान सड़क पर आ गया। और पहाड़ी पर से कूदने ही वाला था नीचे नदी बहती दिखाई दी सभी मेरे पैरों के पास से कुछ टकराया वहां पर एक बच्चा मेरी ही तरह का गिरा हुआ था उसका मुंह तो जंगली जानवरों ने खा दिया था मैंने चुपचाप अपने कपड़े उस बच्चे को पहना दिएऔर उसके कपड़े पहनकर पानी में छलांग लगा दी। एक पर्ची उसकी जेब में डाल दी मम्मी पापा अलविदा मैं आपको छोड़कर सदा के लिए जा रहा हूं। आप मुझे डॉक्टर करवाना चाहते थे। मेरा डॉक्टर का पढ़ाई में जरा भी मन नहीं लगता था मैं आपका अच्छा बेटा साबित नहीं हो सका मेरे मरने के बाद मेरे मम्मी पापा को सजा मत देना। मेरा मरने का फैसला मेरा खुद का था क्योंकि मैं खुद आत्महत्या कर रहा हूं। इसके लिए मेरे मम्मी पापा का कोई कसूर नहीं है।
आरती उसकी दर्दभरी कथा सुनकर कहने लगी तुम्हारी कहानी तो बहुत ही दर्दनाक है। तुम्हारे फैसले ने तो मुझे भी रुला दिया। वह बोला अपने मम्मी पापा को कर ले कर आना आरती नें सारी कहानी अपने मम्मी पापा को सुना दी। उसके मम्मी पापा भी उस बच्चे की कहानी सुनकर चौक ग्ए। अखिल सोचने लगा कहीं वह मेरा दोस्त अतुल तो नहीं है। उसने अपनी बहन को बताया मेरा भी एक दोस्त था। उसका घर नैनीताल में था। आरती कहने लगी कि अतुल का घर भी नैनीताल में था। जैसे ही अतुल से मिलने आया वह अतुल को देखकर चौका। वह तो उसका बिछड़ा दोस्त था।
अखिल डॉक्टर बन चुका था। अतुल भी पायलट बन चुका था। दोनों दोस्त एक दूसरे के गले मिले। दोनों की आंखों से अश्रुधारा बह निकली। अतुल ने अपनी सारी कहानी आरती के माता पिता को सुना दी। अतुल के माता-पिता ने कहा बेटा तुम्हारे ही घर पर तो हम रहते थे। तुम्हारे माता-पिता तो अच्छे थे। उन्होंने तुम पर यह दबाब क्यों डाला? अतुल ने अपने माता-पिता से माफी मांग डाली और कहा कि मैंने आपकी बातें सुन ली थी। आपके कोई बेटा नहीं था। मैंने सोचा मेरे पापा तो मुझे डॉक्टर पढ़ने के लिए मजबूर किया करते थे। मैं तो पायलट बनना चाहता था। आप ने मुझे पायलट बनने का सुनहरा अवसर प्रदान किया आप ही मेरे सच्चे मम्मी पापा हो। मैंने आपको बता कर नहीं किया था। कहीं ना कहीं मेरे मम्मी पापा ने मेरे साथ अच्छा नहीं किया। इसलिए मैं उनके पास वापस नहीं जाना चाहता था।
अग्रवाल परिवार ने उसे इतना प्यार दिया वह उसको अपने परिवार का सदस्य मानने लगे थे जब अखिल के पापा ने कहा कि हम इस बच्चे के माता-पिता को जानते हैं इसके पिता बैंक में काम करते थे। मैं उन्हें जानता हूं। यह नैनीताल के है। केशव अग्रवाल रोते बोले बेटा हमें छोड़कर मत जाना। अतुल बोलामैं आपको छोड़कर नहीं जाऊंगा। आपने मेरे जीवन में उजाले की किरण जलाकर मुझे उज्जवल भविष्य बनाने का मौका दिया। मैं अपने मम्मी पापा के पास जाऊंगा तो अवश्य पर उन्हें एहसास करवा दूंगा कि मैं जो बनना चाहता था वह मैं बन ही गया।
अग्रवाल परिवार ने उसकी शादी आरती से कर दी। आरती के पिता ने अपने दोस्त को शादी का कार्ड भेजा। अतुल के माता-पिता आरती की शादी में आए क्योंकि वह अखिल से भी मिलना चाहते थे। उन्हें अपने बेटे की याद आ रही थी। आरती के घर में शादी की चहल-पहल थी। अचानक गौरव और गरिमा भी उनके घर पहुंच चुके थे। आरती के पिता अपनी बेटी को विदा कर रहे थे तो उनकी नजर दूल्हे पर पड़ी उनको उसको देखकर अपना बेटा याद आ गया। आंखें छलक आई वे बोले बेटा क्या मैं तुम्हें अतुल बुला सकता हूं? तुमसे हमारे बेटे की शक्ल काफी मिलती है। वह चौका बोला पापा-मम्मी मैं ही आपका अतुल। वह उनके कंधे लगकर रोया बोला मैं आपका ही बेटा अतुल हूं। मैं मरने जा ही रहा था कि मैं अपने सामने एक बच्चे को देखा जो मर चुका था। मैंने उसके कपड़े पहने और अपने कपड़े उसे पहना दिए आपको मेरा सुसाइड नोट मिला होगा क्योंकि आप मुझे डॉक्टर बनाना चाहते थे। मैं पायलट बनना चाहता था इसलिए मैंने मरने का फैसला कर लिया था मैंने पहाड़ी पर से छलांग लगा दी थी मैं तो बच गया मुझे अग्रवाल परिवार ने अपना बेटा बना कर पाला मैंने जानते हुए भी अनजान बन कर उन्हें कुछ नहीं बताया। मैं पायलट बन चुका हूं उसके मम्मी पापा अपने सामने अपने बेटे को पाकर खुश हो गए वह बोले बेटा हमें माफ कर दो हमारी सोच बहुत ही गलत थी। हमं अपनी सोच तुम पर थोपना चाहते थे। बेटा हमें अपने किए की सजा मिल चुकी है। बेटा घर चलो। वह बोला मैं आप से मिलनें आया करुंगा। अपनी बहु को आशीर्वाद दो। उसनें अपनें ममी पापा को माफ कर दिया।