एक घना जंगल था। उस जंगल में बीचो-बीच चट्टानों को तोड़ कर एक गुफा बनी हुई थी। यह गुफा इतनी लंबी चौड़ी थी कि उस गुफा मे अंदर जाने का रास्ता पैदल चल कर तय करना पड़ता था। इस गुफा में एक राक्षस अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहता था।
एक दिन राक्षस कहीं गया हुआ था। घर पर राक्षस की पत्नी और उसका बेटा अकेले थे। वहां से कुछ आदिवासी गुजरे उन्होंने तीर कमान चलाया। वह सीधा राक्षस की पत्नी को लगा। उसका बेटा चिल्लाया आदिवासियों ने नहीं देखा। राक्षस की पत्नी मर गई थी उन्होंने सोचा अगर राक्षस जिंदा होगा तो वह हमें मार डालेगा। यह बच्चा बड़ा होकर राक्षस ही बनेगा हमें उसे नहीं बचाएंगे। उन्होंने उस बच्चे पर भी तीर चला दिया , उसकी पत्नी को मारना नहीं चाहते थे। गलती से तीर राक्षस की पत्नी को लग गया था।
राक्षस जब घर वापस आया तो उसने पत्नी और बच्चे को मरा हुआ पाया। अब राक्षस जो कोई भी वहां से गुजरता उसको मार डालता था। वह अपनी पत्नी और बच्चे की मौत का बदला लेना चाहता था। उसने ना जाने कितने लोगों को मार गिराया था। अब तो राक्षस भी बूढ़ा हो चुका था उसे अपनी बेटे की बहुत याद आती थी। वह उसके साथ खूब मस्ती करता था ।
एकदिन वहां से कुछ साधु जा रहे थे। उसने एक साधू को पकड़ लिया वह साधु बोला तुम मुझ क्यो मारना चाहते हो ।तुम जा करअपने शत्रुओं को मारो। मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है। तुम राह चलते राहगीरों को मारते फिरते हो। यहां से लोगों ने आना – जाना भी कम कर दिया है। तुम्हारे डर से सब लोगों ने अपना रास्ता ही बदल दिया है मैंने तुम्हारी पत्नी को मारते देख लिया था हम यहां से गुजर रहे थे। तुम्हारे शत्रुता आदिवासियों से होनी चाहिए। उनके कबीलों ने तुम्हारी पत्नी और तुम्हारे बेटे को मारा है। तुम जाकर उन्हें मारो। तुम सब को मारोगे तो कोई भी इस रास्ते से नहीं आएगा। तुम अकेले ही रह जाओगे।
वह सोचने लगा अब जिंदगी के कितने दिन बचे होंगे मुझे अपनी जिंदगी को अच्छे ढंग से खुशी-खुशी जीना चाहिए। वह राक्षस अब बिल्कुल बदल चुका था मगर लोगों में तो उस राक्षस की दहशत थी । एकदिन की बात है कि बच्चों के स्कूल का एक ग्रुप वहां से गुजरा। बड़ी तेज वर्षा हो रही थी। सब के सब बच्चे गुफा में जाने लगे थे। सब बच्चों के अध्यापकों ने आवाज लगाई जल्दी आओ हमारी गाड़ी छूट जाएगी। सभी बच्चे गाड़ी की और भागने मगर चंपू वही गुफा में अंदर घुस गया। चंपू ने देखा एक बड़ी बड़ी सिंह वाला’ बड़ी बड़ी मूछ वाला’ बड़े मोटे पेट वाला बड़ा सा भीमकाय शरीर वाला आदमी खर्राटे ले रहा था। चुपचाप उसके घर के पास खड़ा हो गया उससे उसे उसे जरा भी डर नहीं लगा। उसने कहानियों में सुना था कि राक्षस खतरनाक होते हैं उनके साथ प्यार से पेश आना चाहिए। उसने दानव के कान में पेंसिल से कुरेदना शुरू कर दिया। बह चिल्लाने लगा कौन है। उसको इस प्रकार बोलते देखकर चंपू जोर-जोर से हंसने लगा। उसको हंसता देख कर डेनियल की नींद खुल गई। डेनियल ने देखा एक छोटा सा बच्चा उसके कान कुरेद रहा था। वह बोला नमस्कार आपका क्या नाम है। आप मुझसे दोस्ती करोगे चंपू ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया चंपू बोला आहिस्ता बोलो, बच्चे मुझे ढूंढने आ जाएंगे। अपने घर में इतने दिनों बाद किसी बच्चे को देखकर दिल खुश हो गया। डेनियल ने अपने बच्चे के बड़े-बड़े कपड़े उस बच्चे को दिए और कहा बदल लो। तुम तो वर्षा से भीग गए हो। डेनियल के बेटे के कपड़े चंपू ने पहन लिए थे। चंपू ने डैनियल को कहा दोस्त आहिस्ता बोलो, मेरे अध्यापकों को पता चला तो वह मुझे यहां से ले जाएंगे। घर में मेरे पिता माता मुझे मारते रहते हैं। हर वक्त कहते हैं कि पढ़ाई करो पढ़ाई करो रोज रोज की पढ़ाई से मैं तंग आ गया हूं। मां तो हर वक़्त मेरे पीछे पड़ी रहती है तुमने होमवर्क किया या नहीं तुम हर वक्त खेलते रहते हो। अध्यापक तो और भी आगे है। बेंच पर खड़ा कर देते हैं। और पिटाई भी करते हैं अच्छा है इन सब से छुटकारा मिलेगा । चंपू बोला दोस्त चलो खेलते हैं तुम्हारे पास खेलने के लिए गैंद है। डेनियल बोला नहीं है। वह बोला यह गैंद क्या होवे है । चंपू बोला अरे वह तुम्हें बोलकर भी नहीं पता चला। कपड़े की बनती है। सुई धागा लाओ। मैं बनाता हूं। चलो मैं बनाता हूं। चंपू ने बहुत सारे कपड़ों की गोल गोल गोल बना दी। अब डैनियल के साथ वह खेलने लग गया था। डैनियल को इतने दिनों बाद चंपू के साथ खेलते खेलते बहुत ही खुशी हुई। चंपू को भूख लगने लग गई थी। चंपू बोला खाना लाओ। वह तो जानवरों को मार-मार कर खाता था। चंपू बोला मैं जानवरों का मांस नहीं खाता। मुझे खाना लाओ। डेनियल ने कहा तुम थोड़ी देर अकेले खेलो। मैं तुम्हारे लिए खाने का प्रबंध करता हूं। वहां से कुछ राहगीर चल रहे थे। उन्होंने नदी का किनारा देखकर अपने खाने का डिब्बा वहां रख दिया था । उसने उनका खाने का डिब्बा चुरा लिया था। और दूध की बोतल भी वह दौड़ा दौड़ा चम्पू के पास आकर बोला खाओ। चंपू बोला मैं ठंडा खाना नहीं खाता गर्म करके लाओ। डेनियल बोला यह गर्म क्या होता है। चंपू बोला गर्म करने के लिए आग जलाने पड़ती है। माचिस लाओ। वह बोला माचिस क्या होती है? वह बोला आग राक्षस बोला आग क्या होती है? आग जैसे सूर्य होता है। उससे गर्मी निकलती है। आग से भी गर्मी पैदा होती है। और माचिस से जल जाएगी । चंपू ने दो पत्थरों को आपस में रगड़ा। उसके रगड़ने से उनमें आग उत्पन्न हो गई थी। उसने कागज से आग जलाई। वह चोरी करके खाने के बर्तन भी ले आया था। उसे खाना बड़ा स्वाद लगा तो चंपू ने बताया की पत्तों को काटकर भी सब्जी बनाई जाती है। उसने दूध से चाय बनाने भी डेनियल को सिखाई उसने डैनियल को लिखना पढना भी सिखाया। चंपू उसका गुरु बन गया था और डैनियल विद्यार्थी। उसने डेनियल को उसका नाम लिखना भी सिखा दिया था। चंपू को डेनियल के साथ रहते हुए 10 दिन हो चुके थे चंपू के माता पिता अपने बेटे को ढूंढ कर थक गए थे। उन्होंने तो सोच लिया था कि हमारा बच्चा मर गया है। क्योंकि उस राक्षस की गुफा में जाने का कोई भी साहस नहीं करता था। एकदिन सभी बच्चे अपने दोस्त को ढूंढते-ढूंढते थक गए थे। उन्होंने गुफा को देखा था उन्होंने सोचा क्यों ना अपने दोस्त को उसी गुफा में ढूंढा जाए। गुफा में पहुंचने पर उन्होंने अपने दोस्त को आवाज लगाई। उन्हें अंदर से अपने दोस्त की आवाज सुनाई दे रही थी। वह अंदर जाने का साहस नहीं कर रहे थे। उस राक्षस को दूसरे दूर से भी देख कर सारे के सारे बच्चे वापस घर चले गए थे। उन्होंने चंपू के माता पिता को बताया कि चंपू जिंदा है। उसे अंदर से चंपू की आवाज सुनाई दे रही थी। अंदर एक भयानक राक्षस को देखकर हमारी तो जान ही निकल गई। हम बाहर से ही वापिस आ गए चंपू के माता-पिता ने पुलिस का सहारा लिया पुलिस चंपू को ढूंढते-ढूंढते उस गुफा तक पहुंच गई थी। उन्होंने जोर से चंपू को पुकारा चंपू चंपू क्या हम तुम ही सुन सकते हैं। चंपू डरकर डेनियल से बोला मुझे लेने पुलिस वाले आ गए हैं। तुम बाहर गए तो वह तुम्हें मार डालेंगे मैं अपने दोस्त को खोना नहीं चाहता इतने दिनों तक वह राक्षस उसे अपने ही पलंग पर सुलाता था जैसे एक बेटे को उसका पिता सुलाताथा। चंपू डेनियल से बोला तू बाहर मत आना। डैनियल बोला मैं किसी से नहीं डरता। वह बाहर आकर गुस्से में चिल्लाया कौन है पुलिस वालों ने कहा यह दुष्ट राक्षस चंपू को छोड़ दे नहीं तो हम बंदूक चला देंगे। उसने एक पुलिस वाले को अपने एक हाथ से ऊपर उठा दिया था। चंपू ने कहा दोस्त डेनियल तुम इस पुलिसवाले को मत मारना। पुलिस वाले तुम पर गोली चला देंगे। डैनियल चंपू की हर एक बात मानता था। डोनिलोन नें उस पुलिस इंस्पेक्टर को एक और फेंक दिया। पुलिस वालों ने कहा चंपू को हमारे हवाले कर दो नहीं तो हम तुझे मार देंगे वह बोला चंपू को मैं तुम्हें किसी भी हालत में नहीं दूंगा अब उन्होंने सचमुच ही डेनियल पर गोली चला दी थी। अपने दोस्त को बचाने के लिए चंपू आगे आ गया था। चंपू के बाजू में गोली लगी थी खून का फव्वारा जैसे ही निकला डेनियल चिल्लाया, तुमने मेरे दोस्त को मारा मैं तुम सबको मार दूंगा, तभी अपने हाथ के इशारे से चंपू ने आहिस्ता से कहा अगर तुम सचमुच ही मुझे अपना दोस्त मानते हो तो तुम इन पुलिस वालों को गोली नहीं चलाओगे। मुझे अपना दोस्त मानते हो राक्षस ने कहा तुमने मेरे बेटे को मारा है। डैनियल नेंउसकी बाजू में गोली निकाल दी थी। उस पर पट्टी बांध दी थी। राक्षस को रोता देखकर सारे पुलिस वाले हैरान थे। इस इस छोटे से बच्चे की दोस्ती ने उस राक्षस को बदल दिया था। चंपू ने पुलिसवालों को कहा कि मैं तुम्हारे साथ चलने के लिए तैयार हूं। तुम अगर मेरे दोस्त को नहीं मारोगे पुलिस वालों ने कहा हमें तुम्हारी बात मंजूर है। उन्होंने डेनियल को छोड़ दिया। चंपू नें रोते-रोते डेनियल को कहा मेरे दोस्त अभी तो मैं जाता हूं परंतु बहुत जल्दी मैं तुमसे मिलने आया करुंगा। साथ में अपने दोस्तों को भी लाया करूंगा। डेनियल को चंपू ने कहा अलविदा उसका मन अपने दोस्त डेनियल को छोड़कर जाना नहीं चाहता था। चंपू घर वापिस आ चुका था तो चंपू ने अपने माता पिता को डेनियल की सारी बातें बताई कि किस तरह उसके साथ खेलता था। अपने दोस्तों के साथ डेनियल के साथ खेलने आता था। एक दिन जब वह अपने दोस्त से मिलने आया तो उसने डेनियल को जगाने के लिए उसके कान में कुरेदना शुरू कर दिया मगर उसका दोस्त डेनियल नहीं जागा। उसके हाथ में एक कागज का पर्चा था। उस पर लिखा था मेरे दोस्त अलविदा डेनियल खूब पढ़ाई करना मेरे जाने के बाद यहां पर कभी कभी आकर अपने साथी दोस्त कि यादों को तराताजा करना। तुम सब दोस्त मेरे बगीचे में आ कर खेलोगे तो मैं अपने जीवन को धन्य समझूंगा। तुम्हारा प्यारा साथी।