“दूध का दूध पानी का पानी”

राम प्रसाद नें अपनी तीनों बेटियों की शादी की एक ही शहर में की थी ताकि तीनों वक्त पड़ने पर एक दूसरे के काम आ सके ।उनके पिता नें मरते वक्त अपनी बेटीयों को शिक्षा दी थी कि हर हाल में एक दूसरे की सहायता करनी है। वह अपनी बच्चीयों को खुश देख कर बहुत ही खुश होते थे। मेरी बेटीयां अपने अपने घरों में खुश हैं।रमा उमा और सीमा। तीनों बहनें एक दूसरे से स्नेह किया करती थी।उनका  एक भाईभी था।वह भी उसी शहर में रहता था।पिता को इस बात कि कोई चिन्ता नहीं थी,उन्हें पूरा विश्वास था मेरे दिए हुए संस्कार कभी ग़लत नहीं हो सकते। कि उसकी बेटियां  खुश  हैं।  उन्हें पूरा विश्वास था कि उनके मर जानें के उपरांत उनका भाई उन्हें जरूर देखेगा।उसने अपने परिवार को अच्छे संस्कार दिए थे।वे तीनों बहनें भी आपस में स्नेह पूर्वक रहती थी।

रमा का विवाह उच्च घरानें में  हुआ था,उमा को भी अच्छा परिवार मिला था।सीमा का विवाह निम्नवर्गीय परिवार में हुआ था।उन तीनों के एक एक बेटा था।वह अपनें परिवारों में खुश थी।कभी कभार एक दूसरे से मिलने  आ जाता करती थी।

उन तीनों नें अपनें बच्चों को एक ही स्कूल में डाला था।जिससे उन को अपनी बहनों कि खबर हो जाती थी।तीनों बच्चे पढ़ाई में अच्छे थे।उनके मामा  जी का घर कुछ दूरी पर था।उनके पास वह हर रोज नहीं जा पाते थे।

एक छोटा सा कस्बा था जिस में उसका भाई रहता था।वह एक मन्दिर का पुजारी था।तीनों भाई हर रोज स्कूल में इकट्ठे बैठ कर काफी देर तक बातें करते  और पढ़ाई किया करते।एक दिन तीनों भाइयों नें योजना बनाई कि कक्षा से छुट्टी  मारेंगे 

एक दिन अच्छा मौका देख कर स्कूल से भाग कर काफी दूर आ गए।वे रास्ते में चलते जा रहे थे और आपस में कहनें लगे चलो कहीं सैर करनें चला जाए।उनके माता पिता उन्हें बाहर नहीं जानें देते थे।इसी कारण उन्होनें किसी को भी बताना उचित नहीं समझा।घर में देरी से पहुचनें पर कोई न कोई बहाना कर देंगें।उन्हें कूछ सूझ ही नहीं रहा था कि  क्या बातें करें। 

राघव  एक दम बात को घुमा कर बोला कल मेरे साथ एक विचित्र घटना घटी।मैं हमेशा सोचा करता था कि कहीं से मुझे कुछ रुपया मिले।मेरे दोस्त मुझे हर रोज बतातें हैं आज मुझे रास्ते में बहुत सारे रुपए मिले।किसी को कुछ किसी को कुछ मिलता ही रहता है मगर आज तक मुझे कुछ नहीं मिला।मैं सोचा करता था कि मैं भी इतना अभागा क्यों हूं जो आज तक मुझे कभी कुछ नहीं मिला।कल जब मैं घर के पास अपनी वाटिका में खुदाई कर रहा था तो मुझे एक सोनें कि अंगूठी मिली।माधव और गौरव आश्चर्य से उसकी तरफ देख कर बोले क्या सचमुच सोनें कि अंगूठी मिली या तुम कोई कोरी गप मार रहे हो।मैनें सोचा कि यह अंगूठी नकली होगी पहले जौहरी कि दुकान पर पता कर लेता हूं यह नकली है या असली।मैं मां को बोला मां आज दूध लेनें मैं जाता हूं।उसकी मां रमा बोली आज कहां से तुझ में इतनी अक्ल आ गई।आज से पहले तो तू कभी दूध लेनें नहीं गया।आज मां पर इतना मेहरबान कैसे हो गया? कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही।वह बोला मां मैं सच कह रहा हूं।भाग कर दूध लेनें के बहाने जौहरी से मिला।जौहरी हंस कर बोला  यह तो सोनें कि है।मैं बहुत खुश हुआ।वह बोला इसे मुझे बेच दो।राघव बोला नहीं मैं भला इसे क्यों बेचनें लगा।राघव बोला मैनें वह अंगूठी दुकान दार से वापिस  ले ली।गौरव बोला तुम नें उस अंगूठी का क्या किया। मैनें वह अंगूठी मां को पहना दी।मां नें मुझे कहा कि तुम नें किसी कि चुराई तो नहीं।मैनें मां को सच बता दिया।मां ने मुझे कुछ नहीं कहा।गौरव और माधव बोले कल इतवार है।कल तुम्हारे घर अंगूठी देखनें आना ही पड़ेगा।राघव घबरा गया।यह तो उसने  कभी सोचा भी नहीं था कि उसका झूठ पकड़ा जाएगा वह बोला हां जरुर आना।तुम अगले हफ्ते तक आना ।मां अभी मामा के पास गई हुई है।वे दोनों मान गए।राघव चिन्ता में पड़ गया मैनें इन को झूठ बोल तो दिया कि मुझे सोनें कि अंगूठी मिली है मैं अब क्या करूं।नाना जी कहा करते थे कि हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।एक झूठ के पीछे सौ झूठ बोलनें पड़ते हैं।मां जब मामा के घर से लौटेगी तब उन्हें अंगूठी के लिए मना लूंगा।राघव अपनें पिता से बोला मैं मामू के घर जा रहा हूं।वह दूसरे दिन स्कूल से आ कर मामू के घर मां से मिलने चल पड़ा।अपनी मां से मिल कर राघव नें अपनी मां के गले लग कर आंखों में आंसु भर कर कहा मां मुझ से एक गल्ती हो गई।मां आप ही मुझे इस विपती से बचा सकती हो।उसकी मां  बोली क्या किसी से लड़ाई झगड़ा कर के आया है?राघव बोला नहीं ।उसने  अपनी मां के हाथ में सोनें कि अंगूठी देखी तो खुश हो कर बोला मां क्या आप मेरी खातिर क्या एक झूठ बोल सकतीं हैं? मां बोली बेटा झूठ तो झूठ होता है मैं कभी झूठ नहीं बोलूंगी।बेटा बोला तो ठीक है मैं भी आज से कभी भी बात नहीं करूंगा।सिर्फ एक बार ही झूठ बोलना है मां उस के बाद मैं कभी भी किसी से झूठ नहीं बोलूंगा।

मां बोली बात तो बता क्या हुआ है बाद में सोचूंगी।राघव बोला मैनें अपनें भाईयों से झूठ मूठ में कह दिया कि एक दिन मुझे बगीचे में सोनें कि अंगूठी मिली।मैनें  अपनी गली में जो सुनार हैं उन को उसे  बेचना चाहा तो उन्होनें मुझे बताया कि यह सोनें की है। मैनें उन्हें यह भी बता दिया कि मैनें वह अंगूठी मां को पहना दी।पहले तो मां नहीं मानी बाद में उन्होनें वह अंगूठी अपनें हाथ में पहन ली।मां बोली चलो तुम्हारी खातिर मैं उन से झूठ बोल दूंगी लेकिन वायदा कर फिर कभी झूठ नहीं बोलेगा।मैं उन को कह दूंगी यह अंगूठी राघव नें मुझे दी है।उसके मन से चिन्ता मिट गई थी।उसकी मां भी अपनें बेटे के साथ घर आ गई थी।

वायदे के मुताबिक उसके दोनों भाई इतवार को गौरव और माधव अपनी मौसी से मिलने  पहुंच गए थे।उन्होनें जब मौसी से पूछा कि मौसी जी आप के हाथ में अंगूठी तो बहुत ही सुन्दर है।वह बोली वर्मा जी कि दुकान फिर अचानक बात बदल कर बोली यह अंगूठी तो राघव नें उन्हें दी है।मैं तो सामने वाली गली में  वर्मा  जी कि दुकान पर कितनी अंगूठियां देखी लेकिन कोई पसन्द ही नहीं आई।अचानक राघव को न जानें कहां से मिली उस नें मुझे पहना दी।गौरव और माधव को हैरानी तो बहुत हुई।वे दोनों शाम को अपने अपने घर आ गए।

माधव घर आ कर सोचनें लगा मुझे भी खुदाई से कभी कुछ नहीं मिला राघव कितना लक्की है अंगूठी भी मिली तो सोनें कि वह जरूर झूठ बोल रहा है लेकिन मौसी तो झूठ नहीं बोल सकती।मैं भी झूठ-मूठ अपनें भाईयों से कहूंगा कि मुझे चान्दी कि चेन मिली है।राघव भैया तुम्हें तो केवल एक अंगूठी ही मिली मुझे तो सोने कि चेन मिली है।झूठ बोलनें के लिए पहले प्रैक्टिस करनी पड़ेगी मैं क्यों पीछे रहूं।वह भी कोरी गप्प मार रहा है लेकिन मौसी नहीं नहीं क्या पता मां को उसनें पटा लिया हो।

दूसरे दिन जब छुट्टी के समय दोनों भाई मिले तो वह मुस्करा कर बोला आज तो मैं बहुत ही खुश हूं।तुम्हारी तरह मैं भी किस्मत का धनी हूं।मुझे भी खुदाई करते वक्त सोनें कि चेन मिली।राघव और गौरव माधव से कहनें लगे तुम को तो झूठ बोलना भी नहीं आता वे दोनों जोर जोर से उस पर व्यंग्य कहते हुए बोले तुम्हारी चेन देखने तुम्हारे घर आना ही पड़ेगा।वह तो शत-प्रतिशत झूठ बोल रहा है।झूठ बोलते वक्त इसकी ज़बान भी नहीं लड़खड़ा रही।राघव सोचनें लगा उसने भी  तो कितनी सफाई से झूठ बोला था उसका भी झूठ पकड़ा नहीं गया।मेरी मां नं मुझे बचाया नहीं होता तो मेरा झूठ भी पकड़ा जाता।माधव और राघव बोले तुम्हारे घर सोनें कि चेन देखने  आना ही पड़ेगा। वह अपनें भाईयों को बोला मैनें वह चेन मामू के मन्दिर में भगवान की मूर्ति  पर डाल दी।तुम चल कर देख लेना।उसने झूठ कह तो दिया मगर वह झूठ बोल कर बहुत परेशान हो गया।उसनें  आज से पहले कभी झूठ नहीं बोला था।पर अपने भाईयों में  हेकड़ी ज़मानें के लिए उसने  झूठ कह दिया।वह सारी रात नींद में भी चेन चेन बड़बड़ा रहा था।

उसकी मां उसकी हालत देख कर डर गई।उसके माथे 

पर प्यार से हाथ फेरते बोली क्या बात है। मैनें तुम्हें जगाना उचित नहीं समझा।अब तो नौ बज चुके हैं।कल तुम सपनें में चेन चेन  क्या बड़बड़ा रहे थे। वह बोला मां मुझ से बड़ी भारी गल्ती हो गई मां मुझे आप ही बचा सकती हों।उसकी मां बोली बता तो सही क्या बात है?मेरे दोस्त और मेरे दोनों भाई बड़ी बड़ी डींगें मारतें रहें हैं।दोस्त तो किस्से सुनाते ही रहें हैं आज मुझे यह मिला,न जानें क्या क्या।कल जैसे राघव नें मुझे कहा कि मुझे सोनें कि अंगूठी मिली है।पहले तो मैनें विश्वास नहीं किया शायद वह झूठ बोल रहा था लेकिन जब छुट्टी वाले दिन मैं और माधव उसके घर गए तो जैसे उसने  कहा था अंगूठी उसने वह अंगूठी अपनी मां के हाथ में पहना दी थी।हम नें जब मौसी जी  से पूछा तो उन्होनें कहा राघव सही कह रहा है उस नें ही यह अंगूठी उसे दी है।  मां मुझे तो आज तक कुछ भी नहीं मिला।मैं भी पीछे नहीं रहना चाहता था। इसलिए झूठ-मूठ का सहारा लिया।मुझे क्या पता था कि वे चेन देखने मामू  के घर आ जाएंगें।ऐसे ही परसों छुट्टी वाले  दिन मामू ने किर्तन पे सभी को बुलाया है उस दिन वे चेन वंही पर देख देंगें।।  मैनें उन्हें कहा कि मां नें देख कर बताया यह चांदी कि है।मां नें ही मुझे कहा इसे तेरे मामू के मन्दिर में चढ़ा देंगें।ऐसे भी दूसरे कि वस्तुओं पर हमारा अधिकार नहीं होता।मां बोली तुम तो बहुत ही उपद्रवी हो।मैं चांदी कि चेन कहां से ले कर आऊं।वह एक दिन पहले ही अपनें भाई के घर पहुंच गई थी।उसने सारी बात अपनें भाई को बताई।भाई क्या तुम मेरी खातिर झूठ बोल दोगे?यह कहना कि राधा जी की मूर्ति पर जो माला है वह असली चांदी की है।उसका भाई बोला यह तो नकली  चेन है बहना।वह बोली भाई तुम मेरी खातिर झूठ बोल देना।मेरे बेटे के स्वाभिमान को ठेस पहुंचेगी।वह ऐसे ही कल सारी रात सो नहीं सका है ।मैं घर से ला कर तुम्हें चांदी की चेन दे दूंगी।जब दोनों  गौरव और राघव मामू के मन्दिर गए तो उन्होनें राधा रानी कि मूर्ति पर चांदी की चेन देखी।वह बोले भाई तुम ठीक कह रहे थे मगर हम भी तुम्हारा यकीन नहीं कर पा रहे थे कि तुम झूठ बोल रहे हो।गौरव बोला तुम दोनों कितने लक्की हो।मुझे तो खुदाई कर के कुछ भी नहीं मिलता।

घर आ कर गौरव नें सारी  बात अपनी मां को बताई।

मां बोली बेटा मैं नहीं मानती शायद माधव नें कोरी गप्प मारी हो कि मुझे सोनें कि अंगूठी मिली है।अंगूठी सड़क पर क्यों कोई फैंकनें लगा?मैं इस बात का पक्का प्रमाण दे कर ही किसी सभी नतीजे पर पहुंचुंगी। वह गौरव को बोली बेटा हमें अगर स्कूल या कहीं भी कोई वस्तु गिरी मिलती है तो हमें लौटा देना चाहिए।स्कूल में मिले तो मुख्याध्यापक जी के पास जमा करवा देना चाहिए या किसी मन्दिर में कीसी को  दान दें देना चाहिए।मैं नहीं मानती कि रमा नें वह अंगूठी अपनें हाथ में पहनी होगी।वह ऐसा नहीं कर सकती।गौरव बोला माधव को चांदी की चेन मिली उसने  वह चेन  मामू के मन्दिर में राधा जी कि मूर्ती पर चढ़ा दी।

एक दिन तीनों बहनें मन्दिर में भंडारे वह कीर्तन के लिए अपनें भाई लाखन के घर पहुंची।बात बात में उमा नें रमा को कहा कि बहना यह सोनें की अंगूठी तुमनें कहां से बनवाई।रमा बोली यह तो राघव नें उसे दी।रमा बोली मुझे कुछ काम याद आ गया थोड़ी देर पश्चात तुम से आ कर मिलती हूं।वह बात को काट कर चले गई।रमा नें गौरव को पूछा कि तुम नें उसे सुनार का क्या नाम बताया था जिसके पास राघव अंगूठी बेचनें गया था।वह बोला मां एक ही तो सुनार कि दुकान है मौसी जी के घर के सामने   शायद वर्मा।

सीमा दुकान के पास दीवाकर वर्मा  का बोर्ड देख कर भांप गई कि यहीं राघव अंगूठी बेचनें गया था।उसके बेटे नें उसे वर्मा कहा था।बातों ही बातों में बहुत सी ज्वैलरी देखनें के बाद  सीमा बोली शायद दस पन्द्रह दिन पहले राघव आप के यहां अंगूठी बेचनें आया था।आप नें उसेअंगूठी के कितने रुपये लिए।वह हंस कर बोला वह तो नकली अंगूठी ला कर कह रहा था कि इसको जांच कर बताओ यह कितने  की है?मैनें उसे भगा दिया।यह बात माधव और गौरव भी सुन रहे थे।राघव भी पास ही खड़ा खड़ा  पानी पानी हो रहा था उसकी चोरी पकड़ी गई थी।

रमा अपनें भाई के पास जा कर बोली भाई आज मैं आप से एक बात पूछना चाहती हूं आप नें राधा रानी के गले में नकली चेन क्यों डाली।असली चेन कहां गई जो माधव को मिली थी।लाखन बोला यह चेन तो  चांदी की है चाहे आप देख लो।उमा नें जब रमा का पर्दाफाश होते देखा तो उसने  जो उसके पास अपनी चांदी कि चेन थी उसने  वह चेन   भगवान की मूर्ती पर चुपके से डाल कर आ गई ।उसनें वह चांदी की चेन पहना दी और उस पर पड़ी नकली चेन खुद पहन ली।अपनें भाई को बचानें के लिए उसने  वह सब कर दिया।

सीमा को सच्चाई पता चल गई थी।सीमा नें  कोई चिपचिपा पैदार्थ नीचे गिरा दिया था जब भी कोई राधा कि मूर्ती को हाथ लगाएगा तो वह चिपचिपा पैदार्थ उसके जुराबों वह कहीं न कहीं चिपक जाएगा।उमा जैसे ही राधा की मूर्ती पर चेन डाल कर आ गई खुश हो रही थी कि उसे किसी नें भी उसे   मूर्ति  पर से चेंन उठाते नहीं देखा।उस चेन के पीछे उमा नें अपना नाम खुदवाया था।सीमा अपनी बहन के पास आ कर बोली कि बहना अपनी चेन दिखाओ।उमा नें जो चेन पहनी थी उस पर तो किरण लिखा था। वह तो चांदी कि थी ही नहीं।सीमा बोली बहन मुझे सच्चाई पता चल चुकी है।आप नें भाई  को बचानें के लिए चोरी पकड़े जानें के डर से उनके गले में असली चांदी कि चेन पहना दी क्यों कि माधव को बचानें के लिए झूठ बोला।और इस कारण झूठ पर झूठ डालना पड़ा।आप की चेन पर तो आप का नाम भी छपा हुआ है।आप के हाथ में जो हल्दी के निशान हैं वह मैनें तेल में हल्दी लगाई थी ताकि मैं चोर को रंगे हाथों पकड़ सकूं।उसने सब को एक साथ हाल में बुला कर कहा हम सब मिल कर कितनें भी तर्क क्यों न दें एक झूठ के पीछे सैंकडों झूठ बोलते गए।एक न एक दिन झूठ तो सबके सामने  आ ही जाता है।सारी सच्चाई सब के सामने  बताओ।

उमा बोली मैनैं अपनें बेटे को सपनें में बड़बड़ाते सुना।चेन चेंन चेन।उसने अपनें भाईयों को कहा कि उसे चांदी की चेन मिली है।जब कि उसे नकली चेन मिली थी।उसे जब पता चला कि उसके दोनों भाई चेन देखनें आ रहें हैं तो उसने  एक और झूठ बोला कि उसने राधा वह चेन मामू के मन्दिर में राधा जी कि मूर्ति पर चढ़ा दी।उस चेन के पीछे किरण लिखा था।माधव नें  मुझे बताया था कि उस चेन के पीछे किरण लिखा था।बहना तुम्हारे गले में जो चेन है उस पर तो किरण लिखा है।दूध का दूध पानी का पानी हो चुका है।लाखन बोला हम सब झूठ बोल रहे थे। सीमा बोली राघव तुम बताओ अंगूठी का माजरा क्या है।राघव बोला बताता हूं।हमारे दोस्त हर रोज कोई न कोई गप्प तो हर रोज मारते रहतें हैं ।आज मुझे ये मिला।एक दिन जब मैं अपनें भाईयों के साथ टहलनें जा रहा था तो मैनें भी उन्हें झूठ मूठ ही कह दिया कि मुझे सोनें कि अंगूठी खुदाई में मिली।अंगूठी तो मुझे मिली थी लेकिन नकली।मैनें सोचा वह असली होगी यह पज्ञचानने के लिए मैं अपने घर के पास ही ज्वैलर के पास गया।उन्होनें मुझे हंसते हुए कहा कि यह नकली अंगूठी तुम क्यों बेचनें आए।मुझे एक विचार सूझा मैं भी अपनें भाईयों में हेकड़ी ज़मानें के लिए झूठ बोल देता हूं वे कौन से मेरे घर अंगूठी देखनें आएंगे हुआ बिल्कुल उसके विपरित। उन्होंने सचमुच ही आनें का वायदा किया।मैनें किसी न किसी तरह मां को मनवा लिया।वह भी झूठ बोलनें के लिए तैयार हो गई।मौसी ने सुनार कि दुकान पर जा कर पता कर लिया। हमारे पिता हम सब को शिक्षा दे कर गए थे कि चाहे कितना भी बड़ा संघर्ष आ जाए हम सब मिल कर उस समस्या का समाधान खोज लेंगे।हम नें अपनें पिता जी की आत्मा को ठेस पहुंचाई है।झूठ के पांव नहीं होते।झूठ तो कभी न कभी पकड़ा ही जाता है।दिमाग ठीक प्रकार से काम नहीं करता।आज से हम कसम खातें हैं कि हम कभी भी झूठ नहीं बोलेंगे। बच्चों को सीख  देनें वाले अपना आपा नहीं खोते।

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