सिसकती आहें

26/11/2018 (नई कहानी)

पारो के परिवार में उसकी दो बेटियां थी। शैलजा और शीतल। पारो बहुत ही कम पढ़ी लिखी थी। उसके मां-बाप ने उसे आगे शिक्षा नहीं दिलाई थी। वह पढ़ना तो चाहती थी मगर उसके मां-बाप ने उसकी एक नहीं सुनी। वह अपने ससुराल शादी करके आ गई। ससुराल में आकर इतना व्यस्त हो गई कि उसे कभी भी पढ़ाई का ख्याल ही नहीं आया। उसे ख्याल तब आया जब उसकी बेटियां हुईं  वह जब और बच्चों की माताओं को अपनी बेटियों को पढ़ाते दिखती तो उसके मन में यह सवाल उठता उसनें क्यों पढाई नहीं की। आज जब उसकी एक बेटी दसवीं की कक्षा की छात्रा और छोटी दूसरी कक्षा की छात्रा थी। उस की बड़ी बेटी को अपनी बहन को पढ़ाने का समय ही नहीं लगता था। उसने अपने मन में निश्चय किया कि वह अपनी बेटियों को तो अवश्य ही पढाई करवाएगी। वह  जब भी अपनी बेटियों के स्कूल जाती देखती उन के अध्यापक  उन्हें  घर को होमवर्क देते तो वह उन्हें करवा ही नहीं पाती। बड़ी बेटी को तो उसने कुछ नहीं सिखाया क्योंकि वह केवल पांचवी तक ही पढ़ी थी।

आज उसे पढ़ाई का मूल्य समझ आ रहा था कि बेटियों को पढ़ाना बहुत ही जरूरी होता है। हम बेटियों को नहीं पढ़ाएंगे तो बेटी का सारा जीवन नर्क बन जाता है। बेटी की शादी के बाद अच्छा जीवन साथी मिल गया तब तो ठीक है वर्ना उसको ना जाने अपने ससुराल में क्या क्या सहना पड़ता है। एक तो नए घर में जाकर लड़की  अपने आपको नए परिवेश में पाकर डरती रहती है। पारो एक दिन जब अपनी छोटी   बेटी को लेने स्कूल गई तो देखा कि उसकी सहेली की बेटी स्कूल नहीं आई थी। पारो की एक सहेली थी झुमरी । झुमरी भी उसी की तरह थी। उसे तो उसके मां-बाप ने बिल्कुल भी नहीं पढाया था।। वह तोअंगूठा छाप थी।  पारो ने अपनी सहेली झूमरी के घर का दरवाजा खटखटाया। वह अपनी सहेली से बोली क्या कारण है।? आज तुम स्कूल नहीं आई और ना ही अपनी बेटी को स्कूल में भेजा। झूमरी कहने लगी मेरा आदमी शराब पी कर कर मुझे माने लगता है। मेरा दिल ही जानता है कि मैं किस तरह से अपने घर का सारा खर्च उठा रही हूं। ऐसा ही चलता रहा तो मैं अपनी लड़की को भी नहीं पढा पाऊंगी। मैं अगर आज पढ़ी लिखी होती तो कहीं भी आसानी से छोटी मोटी नौकरी  कर लेती। आज मुझे पता चला कि नौकरी करना जरूरी होता है। अच्छा है मैंने अपनी बेटी को स्कूल में डाल दिया वर्ना यह भी मेरी तरह अनपढ़ ही रह जाती। मुझे  वह कभी कभी पढ़ाईकरवाती रहती है। शिक्षा की किमत क्या होती है आज मैंनें जाना जब मैं अपनी लड़की के साथ बाजार सामान लेने गई तो उस दुकानदार ने बातों-बातों में पता कर लिया कि मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं। उसने मुझे ₹20 की चीज ₹100 में दे दी। मैंने भी उसे ₹100 का नोट दे दिया। उस समय मेरी लड़की अपनी सहेली से मिलने गई थी। जब वह वापस आई तो बोली मां चलो आज कुछ खाया जाए। उस नें मां के हाथ में ₹200 के नोट देखे थे। वह बोली लाओ रुपये मुझे दे दो। उसकी मां बोली बेटा उसके पास तो केवल एक ही नोट बचा है। उसकी बेटी बोली मां बताओ तो सही ऎसा आपने क्या खरीदा है? उसकी मां बोली बेटी मैंनें यह छोटी सी बोरोप्लस की ट्यूब ही खरीदी। यह तो काफी महंगी है। दुकानदार ने उसे रुपए नहीं लौटाए। उसकी बेटी  बोली अभी मेरे साथ उस दुकानदार की दुकान पर चलो। आपको तो हर कोई  लूट कर चला जाएगा। उसकी बेटी जब दुकानदार के पास आकर बोली मेरी मां से आपने  ₹100 का नोट लिया और यह छोटी सी ट्यूब थमा दी। इस पर 20रुपये लिखा है। आप अनपढ़ लोगों का इस तरह मजाक उड़ाते हो। आप को शर्म आनी चाहिए। ऐसी घिनौनी हरकते करते हुए आपको तो उन पर तरस खाना चाहिए था। मेरी मां  अपनी पढाई जारी  नहीं रख सकी । हालात  ही कुछ ऐसे हो गए थे लेकिन आज से मैं कसम खाती हूं कि मैं अपनी मां को पढ़ना लिखना आवश्यक सिखाऊंगी। वहं जब तक अपनी मां को पढ़ाई करना न सिखा  दे तब तक उसे चैन नहीं आएगा। आज ना जाने  मां जैसी कितनी अभागी औरतें होगी जो कभी स्कूल नहीं गई होंगी तुम जैसे लालची लोगों ने उन को बेवकूफ बनाने में कभी कमी नहीं रखी होगी।

आजकल तो लड़कियां पढ लिख कर अपना भला बुरा सब समझ सकती हैं। हमारे में से कितनी सारी लडकियां स्कूल और कॉलेजों में लड़कियां पढ़ने जाती हैं अगर वह अपने घर के आसपास किसी ऐसी औरत को शिक्षा दे दे जो पढ़ी लिखी ना हो तो उन औरतों का भाग्य भी संवर जाएगा। वह किसी लालची व्यापारीलोगों का शिकार नहीं होगी जो अनजाने में ही उनसे लूटकर धन दौलत कमा कर अपनी तिजोरी में भर लेते हैं।   बहन  आज  अपनी बेटी को पढ़ा कर मैं कोई गलत काम नहीं कर रही हूं। मेरा पति तो घर बार कुछ नहीं देखता उसने मेरी बेटी की शादी तय कर दी है। वह कहता है कि तुम भी तो पढ़ी-लिखी नहीं थी क्या तुम्हारा निर्वाह नहीं हो रहा है? उसका भी घर चल पड़ेगा। पढ़ाई कराना जरूरी नहीं है। आजकल तो उसे लड़की  वाले देखने भी आ रहे हैं। मैं क्या करूं। अपनी बेटी का उन लोगों के साथ रिश्ता जोड़ कर मेरे पति अच्छा नहीं कर रहे हैं। मैंने सुना है कि उस लड़के के पिता शराबी हैं। एक शराबी दूसरे शराबी के घर ही रिश्ता जोड़ेगा।  जब अपने पति को रोका तो उन्होंने मुझे थप्पड़ मार कर दिया। मेरे बीच में टांग अड़ानें  की कोई कोशिश नहीं कर सकता है। मुझे तो यह भी नहीं पता कि वह क्या करता है? उसके परिवार में दो बेटे हैं। बड़े की शादी हो चुकी है।  छोटे लड़के से उसकी बेटी  भव्याके रिश्ते के लिए हां कर दी हैं। मैं क्या करूं? मैं बहुत उलझन में हूं। इसी कारण आज स्कूल नहीं आ सकी।

पारो जब घर पहुंची तो वह बहुत ही  उदास थी वह भी तो पढ़ी लिखी नहीं है। मेरे पति तो अच्छे हैं। अगर मेरे पति भी शराब पीते तो मेरी बेटी का भविष्य भी नर्क की आग में झुलस पड़ता। मैं समझ गई हूं कि पढ़ना बहुत ही जरूरी होता है।

पारो को उदास देख कर उसकी बेटी  शैलजा बोली मां क्या बात है? पारो ने अपनी सारी कहानी  अपनी बेटी को सुना दी। शैलजा बोली उस परिवार में तो कभी भी भूलकर आंटी को अपनी बेटी की शादी नहीं करनी चाहिए। उसकी मां बोली बेटा उसकी कहां चलेगी? उसका पति ना जाने   फन फैलाए मां बेटी के बीच में दीवार बनकर बैठा है। उसने तो अपनी बेटी की शादी करके उनसे शराब और अच्छी मोटी रकम ऐंठने की तैयारी कर डाली होगी। मुझे तो ऐसा ही लगता है। पारो बोली बेटा तुम तो बहुत ही समझदार हो। शैलजा बोली मुझे आंटी की बेटी से मिलवाने।

एक दिन पारो ने शैलजा को अपनी सहेली की बेटी भव्या से मिलाया। वह आठवीं कक्षा में पढ़ती थी। बहुत ही  होशियार गोल मटोल चेहरा चंचल और हंसमुख स्वभाव वाली। भव्या के साथ जल्दी ही घुल मिल गई। बातों ही बातों में भव्या से पूछ बैठी  कितनी कक्षा तक पढ़ना चाहती हो? वह बोली पढलिख करअपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हूं।  शैलजा बोली तेरे पापा तुझे पढाना ही नहीं चाहते। वह बोली वह अभी शादी नहीं करेगी  पर अपने सपनों को अवश्य पूरा करूंगी।  उसकी भोली सूरत देखकर अपने आप को रोक नहीं पाई।  उसके ससुराल के घर की जानकारी अवश्य लेकर ही रहूंगी ।

शैलजा ने किसी ना किसी तरह पता लगा लिया की आंटी की बेटी भव्या का रिश्ता कहां होने जा रहा है? सबसे पहले जाकर उस लडके से जा कर मिली।  उसे अपना परिचय दिया और कहा वह स्कूल की तरफ से चन्दा लेने आई है। स्कूल का नाम सुन कर अनिकेत  बोला बैठो। वह भी उसी स्कूल से पढा था जिस स्कूल से वह चन्दा मांगने आई थी। शैलजा नें उसे उसे बताया कि वह  स्कूल की तरफ से चन्दा लेने आई है। उस से बातों ही बातों में पूछ डाला तुम क्या करते हो?। मैं कुछ नहीं करता हूं। फल की  दुकान में काम करता हूं। अनिकेत शैलजा से बोला तुम कहां रहती हो? तुम क्या करती हो? वह बोली मैं स्कूल में पढ़ती हूं। वह लड़का बोला तुम तो बहुत ही सुंदर हो।  तुमसे शादी करना चाहता हूं।  उसके चेहरे की तरफ देख लगी यह कैसा लड़का है? शैलजा बोली अच्छा बताओ तुमनें मुझमें ऐसा क्या देखा कि तुम मुझसे शादी करना चाहते हो। तुम बहुत ही सुंदर हो। शैलजा बोली तुम सुंदरता को ही अपनी पसंद मानते हो। अनिकेत बोला हां। मैंने सुना है तुम्हारे मां-बाप ने तुम्हारे लिए एक एक अच्छी लड़की देखी है। हां मेरे बाबा ने मुझे एक लड़की देखी है। वह दिखने में सुंदर नहीं है लेकिन अपने मां-बाप की खुशी को भी ध्यान में रखना पड़ता है। मैं उससे शादी थोड़ी करूंगा उससे काम चला कर उस से तलाक लेकर छुटकारा पा लूंगा। उस लड़की के पिता और मेरे पिता एक दूसरे के पक्के दोस्त हैं। उन्होंने हमसे वादा किया है कि शादी में 5 लाख कैश जरूर देंगे। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता वह पढ़ी-लिखी है या नहीं। इतनी मोटी रकम मिलेगी तो शादी से  भला कौन बेवकूफ़ इंकार करेगा। उसके से तलाक लेकर तुमसे शादी करके खुश रहूंगा।

शैलजा बोली मैंने शादी के बारे में अभी सोचा नहीं है। तुमने अपने बारे में कुछ भी नहीं बताया। वह बोली एक दिन में ही सब कुछ पूछ डालोगे या मुझे  समय भी दोगे। किसी ना किसी तरह उससे सब कुछ सच उगलवा लिया। इस बेचारी लड़की का तो जीवन ही नर्क में बीत जाएगा। वह ऐसा जुल्म कभी नहीं होने देगी। उस  बचानें के लिए आवाज उठा कर ही रहेगी।

शैलजा घर आकर अपने आपको चिंता मुक्त महसूस कर रही थी। उसने आंटी के घर जाना शुरू कर दिया। उसने अपनी  सहेली भव्या को समझाया तुझे शादी नहीं करनी है। तुझे पढ़ाई अवश्य करनी है।  शैलजा फिर उस लड़के से मिली। उसने कहा कि मैं तुमसे शादी नहीं करूंगी। तुम जिस लड़की के साथ शादी करने जा रहा हूं वह आगे पढ़ना चाहती है। तुम  उस छोटी सी मासूम  की जिंदगी क्यों बर्बाद करने पर तुले हो। तुम्हारे बारे में सब कुछ पता कर लिया है। तुम्हारे पिता और मेरी आंटी के पति मिलकर इस योजना में हिस्सेदार हैं ताकि तुम तुम्हें मोटी रकम मिल सके। रकम पाकर तुम उस लड़की को सताना शुरू कर दोगे और उसका जीवन नर्क बन जाएगा। मैं कभी भी ऐसा नहीं होने दूंगी।

अनिकेत बोला तुम ऐसा कदापि नहीं कर सकती।  तुम कर लो जो  तुम्हे  करना है। उसे शादी तो मेरे साथ ही करनी पड़ेगी। शैलजा घर आकर बहुत ही उदास थी। वह भी कुछ नहीं कर सकती थी क्योंकि वह भी गरीब परिवार से थी। वह आवाज उठाती तो धन-दौलत के लालची भेड़िये उसे जीने नहीं देते।उसकी मां और बहन पर कीचड उछालते। अनिकेत ने शैलजा को धमकी दी कि तूने अगर अपनी जुबान खोली तो तेरा भी अंत निश्चित है। वह डर के मारे जुबान ही नहीं खोल  सकी।

पारो ने  घर आ करअपनी मां को सब कुछ बता दिया। उसकी मां बोली बेटा हम गरीब इंसानों को तो आवाज उठाने का भी अधिकार नहीं है।।

झुमरी की बेटी की शादी तय हो गई। झुमरी भी कुछ नहीं कर सकी। भव्या की अपनें पिता के सामने कुछ भी न चली। वह शादी कर अपने ससुराल आ गई। ससुराल में आकर अनिकेत ने उसे बात बात पर ताने देना शुरू किया। उसके पिता से मोटी रकम वसूल की और उसके से सदा सदा के लिए छुटकारा पाने का निर्णय कर लिया। वह लड़की बेचारी मासूम आठवीं कक्षा की छात्रा भोली भाली। उस लड़के ने एक साजिश रची। उसने अपने घर में तेजाब की बोतल ला कर रख दी। तेजाब दिखने में बिल्कुल साफ पानी की तरह था। अनिकेत ने वह तेजाब वाली शीशी भी चुपके से लाकर वहां रख दी  जहां रात को भव्या सोई हुई थी। उसने रात को पानी पीनें के लिए एक बोतल में रखा था। वह बोतल कांच की थी। उसके पति ने  वैसी ही एक कांच की दूसरी बोतल ला कर रख दी।  तेजाब उस पानी की बोतल में रख दिया। शाम को उसकी पत्नी  भव्या ने अपने पति के हाथ में बोतल देखी। उसने अपने पति से पूछा इसमें क्या है? वह बोला तुम्हारे लिए पानी की एक बोतल और लेकर आया हूं। वह खुश हो गई। मेरे पति कितने अच्छे हैं?

सुबह के समय अनिकेत ने उस बोतल में पानी की जगह तेजाब डाल दिया। सुबह सुबह अंधेरा था। अंधेरों में ही बिना प्रकाश किए ही भव्या न  उस बोतल को छुआ।  उसनें देखा कि पानी की बोतल पड़ी हुई है। उसने बिना सोचे समझे  उस बोतल  से पानी समझकर पी गई। वह जब  तडफने लगी तो उसकी ननद ने उस  कराहते देखा तो उसके डर के मारे चीख निकल गई।  उसकी  चीख की आवाज उस घर में दूध देने वाली एक गवालिन ने सुनी। ग्वालिन ने आकर देखा तो वहां पर घर की बहु तड़प रही थी। घर वाले कोई उसे वहां पर दिखाई नहीं दिए। सब के सब कहीं चले गए थे। अचानक ग्वालिन ने और उसकी ननद ने मिलकर उसको अस्पताल पहुंचाया। बड़ी मुश्किल से उसे बचाया।

भव्या की मां को जब खबर मिली तो वह अपनी बेटी को देखने अस्पताल पहुंची। पारो भी अपनी सहेली झुमकी की बेटी को देखने अपनी बेटी शैलजा के साथ गई। शैलजा के सब्र का बांध टूट चुका था।  पुलिस कार्यवाही की गई  तो शैलजा ने सारी घटना पुलिस को बता दी। वह तो उस लड़के की आदतों से पहले से ही परिचित थी। मेरी मां ने  मुझ से कहा कि मेरी सहेली की बेटी की शादी होने जा रही है। वह बेचारी अनपढ़ है। उसकी मां नें झूमकी की सारी कहानी सुनाई थी कि उस का पति एक आवारा और शराबी है तो मैंने सोचा क्यों न जा कर उस लड़के के घर जाकर कर उस लड़के की परीक्षा लेती हूं। वहां जाकर पता  चला कि उसका पिता सचमुच ही शराबी है। वह लड़का भी कोई काम धाम नहीं करता था। छोटी सी फल की दुकान में काम करता था। दहेज के लालच में उसके पिता ने अपने बेटे की शादी रचाई थी और दहेज ना देने पर उसने अपनी पत्नी को तलाक देने के बजाय उसे मौत के विनाशकारी कृत्य को अंजाम देने की योजना बना ली थी। मौत के विनाशकारी कृत्य को अंजाम देकर अपने मनसूबे को अंजाम देने की कोशिश की। वह अपने मंसूबे में कामयाब भी हो गया था मगर मारने वाले से बड़ा बचाने वाला होता है। मौके पर आकर उस ग्वालिन ने भव्या को मौत के मुंह से बचा लिया।

शैलजा के बयानों के अनुसार पुलिस ने पाया की असली गुनहगार अनिकेत के माता पिता और वह लड़का अनिकेत था। भव्या ने बताया कि एक दिन जब शैलजा नें उस लड़के को  कहा कि मैं सारी शिकायतें लड़की के मां से करूंगी तो उसने उसे भी धमकी देकर  कहा कि तुमने मेरे खिलाफ आवाज उठाई तो तुम्हारा भी अंजाम अच्छा नहीं होगा। गरीब होने की वजह से उसनें अपनी जुबान बंद रखी,गुनाहगार थे अनिकेत के माता पिता और वह लड़का स्वयं था। उनको कड़े से कड़ा दंड दिया गया। भव्या अपनी मां के घर सुरक्षित लौट आई।

  1. शैलजा की मां ने अपनी बेटी को पुचकारते हुए कहा कि बेटा तुम्हें अच्छी शिक्षा दिलाकर ही तुम्हारे हाथ पीले करूंगी। उसे पता चल गया है शिक्षा का क्या मूल्य होता है?  छोटी बेटी के साथ  साथ अपनी बड़ी बेटी से कुछ ना कुछ सीखने का प्रयास करेगी ताकि वह भी शिक्षा का भरपूर फायदा उठा सके।

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