वास्तविकता का आभास

सलोनी और नैना दो सहेलियां थी। वह दोनों एक मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखती थी। माता पिता ने उन्हें सभी सुविधाएं दी थी जो कि एक बच्चे को मिलनी चाहिए। वह दोनों दसवीं कक्षा में आ गई थी। उनके माता-पिता ने उन्हें आगे पढ़ने के लिए दूसरे स्कूल में दाखिल करवा दिया। उनके माता पिता चाहते थे कि वह पढ़ लिखकर अपने पांव पर खड़ी हो जाएं। सलोनी सांवले रंग की थी जबकि नैना दिखने में बहुत सुंदर थी और चुलबुली । उसकी बड़ी-बड़ी भूरी आंखें बहुत ही सुंदर लगती थी।
नैना की कक्षा में बहुत सारी सहेलियां थी मगर सलोनी से उसकी बहुत ही बनती थी। सलोनी उसको पढ़ाई में मदद कर दिया करती थी। सलोनी पढ़ने में काफी होशियार थी। जो कुछ नैना को नहीं आता था उसकी सहायता से वह अपना काम कर लिया करती थी। नैना की बाकी सहेलियां उस से कहती थी कि तू सलोनी का साथ छोड़ दे कहां तू इतनी सुंदर और कहां यह। उनकी सहेलियां हर रोज बन संवर कर स्कूल आती थी। वे हर रोज मेकअप लगाकर आती थी अपने आपको सबसे अच्छा दिखने का प्रयत्न करती थी। एक दिन नैना ने अपनी सहेलियों को सलोनी का पीठ पीछे मज़ाक उड़ाते हुए सुन लिया। कितनी बुरी दिखती है। ऐसी काली काले चेहरे वाली से कौन दोस्ती करता है? पता नहीं नैना उसमें क्या देखती है ,क्यों उसके साथ है? सलोनी पढ़ाई में अच्छी है शायद कोई मतलब हो नैना का ,वर्ना उससे कौन दोस्ती करेगा? नैना को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया। नैना ने अपनी सहेली को मिलकर यह बात बता दी।आजकल मॉडर्न बनने का जमाना है वैसे भी तुम देखने में सुंदर नहीं हो। तुम भी थोड़ा मेकअप इस्तेमाल क्यों नहीं करती हो? देखना तुम्हारा चेहरा कितना चमक उठेगा? मैं चाहती हूं कि मेरी सहेली सुंदर दिखे ।
सलोनी बोली मेरे माता पिता ने कभी मेरी किसी बात को मना नहीं किया,परंतु मैं इन उपकरणों को फिजूलखर्ची समझती हूं। उसकी सहेली बोली क्या तुम सुंदर दिखना नहीं चाहती ?उसकी बातों का सलोनी के मन पर गहरा असर कर गया।
घर में जब वह वापस आई तो सलोनी का उदास चेहरा देख उसके माता-पिता बोले बेटा तू उदास क्यों हो ? देखो तो कौन आया है? तुम्हारी उदासी एकदम दूर हो जाएगी। तुम्हारे मामा जी आए हैं । सलोनी यह सुनकर खुशी के मारे दौड़ कर अपने मामा जी के पास आकर कर उन के गले लग गई। उसके मामा जी ने कहा बेटा मुझे बता तो तू उदास क्यों है ? वह बोली मामा जी क्या मैं सुंदर नहीं हूं? उसके मामा बोले कि बेटा यह तुमसे किसने कह दिया? उसकी आंखें नम हो चुकी थी। वह बोली मामा जी मेरे साथ स्कूल जाने वाली लड़कियां कहती हैं तू खूबसूरत नहीं है । मैं मन ही मन दुःखी हो गई । भगवान ने एक इंसान को सुंदर बना दिया और एक को कुरूप । उसके मामा अपनी भांजी के इस प्रश्न को सुनकर अवाक रह गए ।वह बोले बेटा जरा हमारे लिए चाय बना कर लाओ। तब मैं तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर देता हूं । अपनी बहन से सलोनी के मामा जी ने कहा कि तुम्हारी बेटी के मन में ऐसे विचार नहीं आने चाहिए। अभी तो तुम इसको समझा पाओगी नहीं तो अनर्थ हो जाएगा ।
राजीव अपनी बहन से बोला चलो हम सब इस को मिल कर समझाएंगे।सलोनी चाय बना कर ले आई थी। वह बोली कि आज मेरी सखियां न जाने कौन सी क्रीम लेकर आई थी। उसकी भीनी भीनी सुगंध अभी भी मैं महसूस कर रही हूं। सभी के सभी सखियों नें आज कल क्रीम पाउडर और ना जाने कितने तरह के उपकरण प्रयोग करने शुरू कर दिए हैं। नैना नें औरों की बातों में आकर आज मुझसे कहा कि कल तू मेकअप नहीं लगाएगी तो मैं तेरे साथ स्कूल नहीं जाऊंगी।
उसके मामा जी ने प्यार से सलोनी को समझा कर कहा बेटा यह उम्र ही ऐसी होती है, इस उम्र में बच्चों में ना जाने कैसी कैसी आदतें विकसित होती है? उससे छुटकारा ना पाया गया तो आगे चलकर यह गंभीर समस्या बन जाएगी । इंसान का असली सौन्दर्य उसका मृदुल स्वभाव है।

हंसी मुस्कुराहट के भाव हमेशा-हमेशा के लिए होनें चाहिए। क्रोध का लेश मात्र भी चिन्ह नहीं होना चाहिए।

तुम्हारी सहेलियां जब तुम्हें चिढ़ाएं तो तुम भी उनका उत्तर मुस्कुरा कर दे दिया करो। एक दिन देखना तुम्हारी ना जाने कितने मित्र बन जाएंगे। मनुष्य की सुंदरता उसकी रूप से नहीं उसके गुणों से आंकी जाती है। सलोनी के मामा जी बोले कि आजकल चेहरे को सजाने के लिए तरह-तरह के प्रसाधन बाजारों में उपलब्ध हैं। उनमें इतने जहरीले तत्व होते हैं कि उनका इस्तेमाल करने से चेहरे की सुंदरता नष्ट हो जाती है। तुमने सुना ही होगा कि चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात बेटा ।मेरी बात गांठ बांध लो ,तुम चेहरे की सुंदरता के लिए अगर ताजे फलों का प्रयोग करोगी और योग को अपने दैनिक नित्यक्रम में शामिल करोगी तो तुम्हें बहुत ही ज्यादा उपयोगी परिणाम मिलेंगे।
सलोनी के मन में बहुत बड़ा बोझ था जो कि हल्का हो गया था । दूसरे दिन जब सलोनी स्कूल जानें लगी उसी वक्त रास्ते में उसकी सहेली नैना मिल गई नैना बोली तू मेरी सब से पक्की सहेली है। तेरे पास अगर यह क्रीम नहीं है तो तू मुझ से मांगनें में तुझे संकोच कैसा? मैं तुम्हें अपने वाली क्रीम दे देती हूं। तू तो मेरी अच्छी प्यारी सहेली है। सलोनी बोली मुझे किसी भी क्रीम का इस्तेमाल नहीं करना। मैं जैसी हूं वैसी ही रहना चाहती हूं। मैं इन बाह्य आडम्बरों से बचना चाहती हूं। मैं पढ़ लिखकर डॉक्टर बनना चाहती हूं अभी से मैं अपने लक्ष्य से भटक जाऊंगी तो मैं अपने लक्ष्य प्राप्त करने में सफल नहीं हो पाऊंगी।

नैना बोली अपना भाषण अपने पास रख ।बड़ी आई, तुझे कोई चीज देना बेकार ही है ।ठीक ही कहती है मेरी सखियां तू तो किसी के भी दोस्ती के काबिल नहीं है। नाराज होकर उसे अकेला छोड़ कर नैना वहां से चली गई वह अब हर रोज स्कूल अकेली जाने लगी । उसे रास्ते में बहुत सी लड़कियां मिल जाती थी, जो कि दूसरे स्कूल में जाती थी । वह उन सब से प्यार भरे शब्दों में बोली मेरा इंतजार भी कर लिया करो। उसके इस तरह कहने पर दूसरे स्कूल की लड़कियां उसका इंतजार करने लग जाती थी। उन सब के साथ स्कूल जाने लगी। स्कूल में मन लगाकर पढाई करती उसे अब अपना चेहरा बुरा नहीं लगता था। वह हमेंशा अपने होठों पर मुस्कान रखती थी। स्कूल में एक दिन वह कापी लाना भूल गई ।सभी सहेलियां बोली कि आज हम सब उसे कोई भी लड़की कॉपी नहीं देगी। स्कूल में जब उसे मार पड़ेगी तब पता चलेगा।

मैडम कक्षा में आई उसने सभी बच्चों को कहा कि बच्चों बैठ जाओ। सभी बच्चे बैठ गए। मैडम ने कहा कि अब जल्दी से अपनी कॉपी निकालो। तुम्हारी परीक्षा जांच होगी ।उसने अपनी सहेली नैना को कहा कि मुझे कॉपी दे दे मगर नैना ने उसे देख कर अपना मुंह दूसरी और फेर लिया। बबीता बड़े ही प्यार से मैडम से आकर बोली मैडम जी आज मैं कॉपी लाना भूल गई। मुस्कुराते हुए बोली मैडम पढ़ाई में मैं इतनी व्यस्त हो गई कि आज अपना लंच भी घर ही भूल गई। मैडम ने उसके होठों की मुस्कुराहट देखकर कहा बेटा तुम कक्षा में एक ऐसी लड़की हो जिसके चेहरे पर एक अजब सी चमक है।सभी लड़कियां आपस में फुसफुसा कर कहने लगी हमने सोचा था कि मैडम उसे डांट देगी मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
ऐसे ही दिन व्यतीत होने लगे। बच्चों की परीक्षा पास आ चुकीं थीं।सलोनी के साथ आने वाली लड़कियां तो पढ़ने के लिए समय नहीं निकाल पाती थी ।वह तो सारा समय सजने संवरने में लगाती थी। इस के कारण पढ़ाई के कर्तव्य से विमुख हो गई थी । वे आपस में कहती थी अभी तो परीक्षा की काफी दिन शेष हैं। पढ़ाई हो जाएगी। परीक्षा पास आ रही थी ।
आज स्कूल में मैडम ने बच्चों के कक्षा में आते ही परीक्षा पत्र थमा दिया। मैडम ने बच्चों को कहा था कि तुम अपनी उत्तर पुस्तिका खुद घर से लेकर आना। उसकी सहेलियां तो हर समय इसी ताक में रहती थी कि किस प्रकार सलोनी को नीचा दिखाया जाए? उस दिन भी जैसै ही प्रार्थना की घंटी बजी उसकी सहेलियों ने सलोनी के बस्ते से उत्तर पुस्तिका निकाल ली। कक्षा में आते ही मैडम ने प्रश्नपत्र सभी बच्चों को पकड़ाए और दूर बिठाकर कहा कि चलो तुम सब को तीन घंटे का समय दिया जाता है। जल्दी से इस प्रश्न पत्र को हल करो सलोनी ने जब उत्तर पुस्तिका निकालनें के लिए बैग खोला तो उसके होश उड़ गए सकी उत्तर पुस्तिका उस के बस्ते में नहीं थी उसने कल शाम ही तो अपनी माताजी से बाजार से मंगवाई थी। सुबह ही याद कर के बैग में डाल दिया था। उसकी आंखों में आंसू बह आए वह अब कैसे प्रश्न पत्र हल करेगी ? मैडम ने उसे रोते हुए देख लिया। मैडम ने कहा कि बेटा क्या हुआ ? वह थोड़ा घबराते हुए धीरे से बोली मैडम मेरे बैग से उत्तर पुस्तिका पता नहीं कहां गई ? मैडम ने कहा कि कौन ले जा सकता है? सलोनी से तुम्हें किस पर शक है ?वह बोली नहीं मैडम जी मुझे किसी पर भी शक नहीं है । मेरी सखियां बहुत ही अच्छी है ।उन्होंने नहीं ली ।लड़के बोले तो क्या हमने ली है? वह बोली नहीं। मेरा यह मतलब नहीं था। इतने में राजू अपनी सीट से खड़ा होकर बोला यह लो मेरे पास एक अतिरिक्त है। तुम इस पर लिख लो। सलोनी ने राजू से उत्तर पुस्तिका ले ली । सलोनी ने राजू को कहा धन्यवाद । राजू परीक्षा समाप्त होने के बाद सलोनी के पास जाकर बोला कि मैंने प्रार्थना सभा में जाते हुए सोनू को तुम्हारी उत्तर पुस्तिका को मेरे बस्ते में उतर पुस्तिका रखते हुए देख लिया था! मुझे सारी बात समझ में आ गई । वह तुम्हें ना जाने क्यों नीचा दिखाना चाहती है
सलोनी ने अपनी सहेलियों के साथ झगड़ा करना उचित नहीं समझा। वह उस बात कि ओर ध्यान न दें कर अपनी पढ़ाई करने लगी। परीक्षा भी पास आने वाली थी ।
कुछ दिनों से नैना स्कूल नहीं आ रही थी। एक दिन सलोनी से रहा नहीं गया । वह नैना के घर गई। नैना के चेहरे की हालत देखकर वह दंग रह गई उसके चेहरे पर ना जाने कितने दाग हो चुके थे ? जगह जगह चकते निशान पड़ गए थे ।अपनी सहेली सलोनी को अपने घर आया देखकर नैना फूट-फूट कर रोने लगी बोली तू ठीक कहती थी। मैं अपने मित्रों की बातों में आ गई थी ।आज अस्पताल दिखाने आई थी डॉक्टर ने इतनी लंबी चौड़ी दवाइयों की लिस्ट जमा कर कहा ये सभी खानी होंगी। छे महीने तक की दवाइयां जारी रखनी है। सलोनी बोली कि एक सलाह दूं अगर तू मेरा कहना मानेगी तो। मैं तो पहले भी तुझ से नाराज़ नहीं थी और ना ही आज नाराज़ हूं। तू डॉक्टर की दवाइयां मत खाना। नैना बोली कि उन्होंने बहुत सी ट्यूबस तो चेहरे पर लगाने के लिए दी हैं। और छ महीने की दवाइयां खाने के लिए दे दी है।

सलोनी बोली कि तू चेहरे पर कुछ भी मत लगाना। अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे। इंसान की उसकी असली सुंदरता उसका भीतरी सौंदर्य है। नकली प्रसाधनों का लेप लगाना बंद कर दे ।आज उसके मन में सलोनी की बात घर कर गई थी । घर में बने हल्दी पाउडर और तेल का इस्तेमाल करने लगी। अपने भोजन में फल और सब्जियों की मात्रा को बढ़ा दिया। हर रोज जूस पीने लगी । छ महीने तक सभी आते जाते लोग उस से पूछते इतनी सुंदर शक्ल का क्या हाल बना लिया? उसे बुरा तो लगता मगर धीरे-धीरे उसे समझ आ गया कि लोगों का क्या है जितने मुंह उतनी बातें । मैंने अपनी सहेली की बात मानी होती तो मुझे यह दिन देखना नहीं पड़ता इसलिए उस नें दवाइयों के लिस्ट को फाड़ कर फेंक दिया और खुश रहने लगी। अपनी पढ़ाई की तरफ ध्यान देने लगी। वह फिर से सलोनी की सहेली बन गई थी। धीरे-धीरे उसमें सुधार होता गया एक दिन उसके चेहरे के सारे निशान गायब हो गए ।इसके लिए उसने अपने भोजन में पौष्टिक भोजन खाना शुरू कर दिया था ।इस बार जब प्रवेश परीक्षा परिणाम निकला तो दोनों सहेलियां अच्छे अंक लेकर पास हो गई थी। उनकी सभी सहेलियां बड़ी मुश्किल से ही पास हुई थी, और कुछ असफल होकर पिछली कक्षा में ही रहकर पछता रही थीं। उसे अनुभव हो चुका था कि मानव कि असली सुंदरता तो उसके गुण हैं। मां नें आते ही दोनों को खुशखबरी सुनाई तुम डाक्टरी के परीक्षा में भी उत्तीर्ण हो गई हो।तुम लगाओगी अब क्रीम पाउडर । वह हंसते हुए बोली मां आप भी क्या?

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