जाको राखे साइयां मार सके न कोई

किसी गांव में एक बुढ़िया रहती थी। वह बहुत ही दयालु थी। वह अकेली रहती थी। उसके परिवार में कोई नहीं था। उसके पास  दो कमरों का मकान था। जिसमें वह रहती थी। वह बुढिया बहुत ही समझदार थी। वह किसी भी व्यक्ति को अपना मकान किराए पर नहीं देती थी। वह समझती थी कि… Continue reading जाको राखे साइयां मार सके न कोई

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