बहू

बहू को बेटी की नजर से देखो अरे दुनिया वालो।

 

बहू में अपनी बेटी को तलाशों दुनिया वालों।। बेटी और बहू में फर्क मत करना।

जग में अपनी जग हंसाई मत करना।।

जितना प्यार अपनी बेटी को करते हो।

 

उससे भी वही प्यार करना दोस्तों।। उसको भी वही दुलार देने की कोशिश करना ।

वंहीं तुम्हें फर्क नजर आ जाएगा।

तुम्हारा यूं हाय हाय करना छूट जाएगा।।

 

दूसरों के घर में अपनी बहू की बुराई ना करना। तुम्हें भी तो अपना गुजरा जमाना याद आ जाएगा।।

तुम अपनी बहू को बेटी की नजर से देखोगे ।

संसार में तभी खुशी-खुशी इस जहां से बेदाग जाओगे।।

  

बेटी कह कर पुकारो तो।

तुम उसे उसी हक से पुकारो तो।।

तुम्हारी तरफ प्यार का वह हाथ बढ़ाएगी।

तुम भी उसको अपना के देखो तो।  

वह भी तुम्हारी तरफ एक कदम बढ़ाएगी।

इस संसार से कुछ लेकर कोई नहीं जाएगा।

जो सम्मान तुमने उसको दिया ही नहीं।

जो प्यार तुमने उसको किया ही नहीं।

वही प्यार और सम्मान देने की कोशिशों में। अपने घर की फुलवारी को महकाने की कोशिशों में।।

तुम्हारी सारी उम्र यूं ही गुजर जाएगी।।

भूल जाओ उसके सभी मलालों को।

यह कोशिश कर तुम सब जब देखोगे।

तुम अपनी बेटी की झलक ही अपनी बहू में देखोगे ।

तभी वह सम्मान और रुतबा तुम सबको दे पाएगी।

जिस को तरसती रही वह सारी जिंदगी।

 

एक कोशिश करके देखो तो।

तुम्हारी जिंदगी संवर जाएगी।।

मैं सभी को कहती हूं।

 

बेटी और बहू में फर्क ना करना।

बहू में ही अपनी बेटी को तलाशने की कोशिश करना।।

वह भी तुमसे बहुत जल्दी ही घुल मिल जाएगी।

तुम्हारी तो दोस्तों तकदीर ही बदल जाएगी।। तुम्हारा जीवन ही नहीं सब का जीवन खिल जाएगा।

 

दिल से सारा गुबार मिट जाएगा।।

वह भी तुम्हें प्यार से नवाजेगी।  तुम्हारी भी एक दिन किस्मत संवर जाएगी।

उठो धरा के अमर सपूतों

उठो धरा के अमर सपूतों।

जग में अपना नाम करो, नाम करो।।

 

तन मन धन से एकजुट होकर मिलजुल कर काम करो, काम करो।।

 

सच्चाई के पथ पर चलकर, अपना

और अपने जग का नाम करो,

नाम करो।।

हिम्मत और अपनें हौसलों को बुलन्द कर

पराजय को स्वीकार करो, स्वीकार करो।

हार कर   भी चुनौतियों को  गले लगाना सीखो,  गले लगाना सीखो।

गिरते हुए को संभलने का मौका दे कर,

उनके जीवन को कृतार्थ कृतार्थ करो, कृतार्थ करो।

उठो धरा के अमर सपूतों जग में उंचा नाम करो,   जग में ऊंचा नाम करो नाम करो।

परोपकार से अपने जीवन की नैया को,

तुम यूं खुशहाल करो, खुशहाल करो।।

बुलंदियों को छूने का साहस करो, साहस करो।

 

यू ना हताश  हो कर  दर दर झांकों, दर दर झांको।

अपनी किमत को  किसी से कम ना आपको, किसी से कम न आंको।

अपने सपनों को साकार करनें की प्रेरणा  का विश्वास अपनें मन में जगाओ, मन में जगाओ।

अपनें भविष्य को यूं न दाव पे लगाओ,

यूं न दाव पे लगाओ।

 

हिम्मत  से नाता जोड़ो सच्चाईयों से यूं न मुंह मोड़ो, सच्चाई से यूं न मूंह मोड़ों।

नया कुछ करनें का जज्बा  अपने मन में  जगाओ, मन में जगाओ।

अपनें पुन्य कर्मो से, जग मे अपनी छवि को महकाओ, अपनी छवि को महकाओ।

ऊंची उडान भरनें से, तुम न यूं हिचकचाओ, तुम यूं न हिचकिचाओ।

 

जिन्दगी की कसौटी पर खरा उतर कर दिखाओ, खरा उतर कर दिखाओ।

छू लो गगन के तारों को

सर्वत्र दिशाओं में अपने नाम का डंका बजाओ, अपने नाम का डंका बजाओ।

मिलजुल कर काम करने की प्रेरणा  का जज्बा सब में जगाओ,   सब में जगाओ।

जोश और होश में रहकर,

काम करो काम करो।।

अपना और अपने देश का ऊंचा नाम करो, नाम करो।।

उठो धरा के अमर सपूतो,

जग में अपना नाम करो, नाम करो।

अपनें सपनों को साकार करनें की प्रेरणा,

हर एक भारतीय मे जगाओ।

अपने खून का कतरा कतरा दे कर,

अपनें भारतीय होनें पर इतराओ।

उनकी कुर्बानियों का यूं न  उपहास उडाओ।

उनके पदचिन्हों पर चल  कर, अपनें भारतीय होनें का एहसास, उन सब को कराओ।