गिलहरी

मैं हूं गिलहरी मैं हूं गिलहरी।
कितनी सुनहरी कितनी रुपहली।
छोटे से मन वाली।
छोटे से तन वाली।।
क्षण में ऊपर।
क्षण में नीचे।।
फुदक फुदक कर मंडराने वाली।
मैं हूं गिलहरी मैं हूं गिलहरी।
कुतर कुतर कर फल खाने वाली।।
फलमटर और मूंगफली के दानों को खाने वाली।
फुदक फुदक कर एक कोने से उस कोने तक यू मटकने वाली।
मैं हूं लंबी पूंछ वाली।।
अपने नुकीले दांतों वाली।।
पेड़ों पर पाए जाने वाले कीड़े मकोड़ों को खाने वाली।

मैं हूं गिलहरी मैं हूं गिलहरी।
मैं हूं कितनी सुनहरी कितनी रुपहली।।
क्षण में ऊपर क्षण में नीचे।
फुदक फुदक कर इधर उधर मंडरानें वाली।।
नहीं किसी की पकड़ में आने वाली।

मैं हूं गिलहरी में हूं मैं हूं गिलहरी।
कितनी सुंदर कितनी प्यारी।।
अपनी अद्भूत छवि से सबको लुभाने वाली।

बडी बडी आंखों वाली

किसी के झांसें में न आने वाली।

स्वेत रंग सात रंगो का है मिश्रण

स्वेत रंग सात रंगो का है मिश्रण।

सर आइजक ने  खोज कर किया इसका निरीक्षण

गति के नियमों का भी खोज कर  दर्शाया। गुरुत्वाकर्षण के  सिद्धान्तों को भी  निरुपित कर दिखाया।

इन्द्रधनुष है कितना प्यारा।

कितना सुन्दर कितना न्यारा।

वर्षा के बाद   सुनहरा दिखता

 इसी लिए   मनमोहक लगता।

जामुनी, नीला पीला हरा नारंगीऔर और अंत में लाल है आता।

यह सब के मन को खूब लुभाता।

ये सारे के सारे रंग क्रम से हैं आते।

अंग्रेजी में ये विबगयोर हैं  कहलाते

(VIBGYOR) v=violet(जामनी) i( इंडिगो) ( नील जैसा नीला) (blue) नीला(green) हरा(yellow) पीला(orange) नारंगी (red) लाल। (जब सूर्य की रोशनी हवा में लटकती हुई पानी की बूंदों में से गुजरती है तो यह सात रंगों में बंट जाती है। इन रंगो को विबगयोर कहा जाता है)