प्रकृति का लाल

चीकू रास्ते में जल्दी-जल्दी अपने कदम बढ़ा रहा था। उसका मालिक जब वह समय पर काम पर नहीं पहुंचता था उसको कहता था तब तक तुम्हें खाना नहीं मिलेगा जब तक तुम काम नहीं करोगे। चीकू 12 वर्ष का था रास्ते में फुटपाथ पर उसके मालिक को पड़ा मिला था। मुश्किल में उस समय चीकू तीन वर्ष का था चीकू को धुंधला धुंधला याद है। उसकी मां उसे फुटपाथ पर छोड़ गई। जब से उसने होश संभाला अपने आपको फुटपाथ पर पाया जो कोई भी वहां से जाता उससे खाने को मांगता कोई ना कोई आदमी उस पर दया करके उसे खाने को दे दिया करता था। उसका मालिक उस से डटकर काम करवाता था। बदले में उसे खाने को देता था वह भी खुश था क्योंकि उसे खाने को मिल जाता था। रात को वह सड़क के किनारे पेड़ के नीचे चुपचाप आ कर सो जाता था। उसका वही घर था

एक दिन उसके मालिक ने उसे खाने को नहीं दिया उसे बड़ी जोर की भूख लगी थी। सामने से उसने कुछ बच्चों को स्कूल जाते देखा उसने बच्चों से पूछा तुम कहां जा रहे हो? वह बोले हम स्कूल जा रहे हैं तुम्हें इतना भी नहीं पता वह अपने दिमाग में सोचने लगा यह स्कूल क्या होता है? जब वह मालिक के पास पहुंचा तो बोला मलिक जी मुझे बताओ स्कूल क्या होता है? उसका मालिक बोला तू जान कर क्या करेगा तूने कौन सा पढ़ाई करनी है? वह बोला यह पढ़ना क्या होता है? उसने एक बार जोरदार चांटा चीकू के गाल पर मार दिया। आगे से कभी मत पूछना जिसका जो काम हो उसको वही शोभा देता है। जाओ अपना काम करो उसका मालिक उसे कभी बाहर नहीं जाने देता था। कहीं इस बच्चे ने किसी को बता दिया कि इतने छोटे से बच्चे से काम करवाया जाता है इसलिए उसे कहीं नहीं जाने देता था। चीकू ने भी कभी अपने मालिक को कभी पूछने का कष्ट नहीं किया। क्योंकि अगर वह उसे पूछता था उसका मालिक उसे खाने को भी नहीं पूछता था।

एक दिन जब उसका मालिक बाहर गया हुआ था वह एकदम बाहर निकला अच्छा मौका है बाहर घूमने का वह सड़क पर अपनी ही धुन में चला जा रहा था।
सभी बच्चे स्कूल जा रहे थे। वे आपस में बातें कर रहे थे आप आज अगर तुमने प्रश्नों के उत्तर ठीक दिए तो आज उन्हें स्कूल में बढ़िया-बढ़िया खाने को मिलेगा। सबसे बढ़िया उत्तर देने वाले को ₹500 और उन्हें एक दिन का होटल में खाने को मुफ्त दिया जाएगा। बच्चों की बातों को सुनकर चीकू को बहुत ही अच्छा लग रहा था। कोई बात नहीं शायद मैं भी उनके प्रश्नों के उत्तर सही दे पाऊं। इसी तरह चला जा रहा था बच्चे स्कूल के अंदर घुस गए सभी स्कूल के बच्चे और बाहर से 15 साल तक के बच्चे स्कूल में आए थे। चीकू भी अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था।।
पुलिस वालों ने अंदर आने के लिए उसे कहा बेटा क्या तुम भी इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले हो? बच्चों ने कहा सर यह हमारे स्कूल का बच्चा नहीं है। अधिकारी महोदय ने कहा तो क्या हम 15 साल तक के सभी बच्चों को यहां आमंत्रित कर रहे हैं? चाहे कोई भी बच्चा हो कहीं का भी हो हम 15 साल तक के सभी बच्चों को इस प्रतियोगिता में शामिल करने के लिए आमंत्रित करते हैं। वह अंदर आ कर खुश हो रहा था कब जैसे मैं इनके प्रश्नों के उत्तर दूं और कब मुझे ईनाम मिले और भरपेट खाने को तो मिलेगा। आज तो मेरा मालिक भी कुछ नहीं कह सकता। उस के आदमियों ने आज मुझे छूट दे दी है। आज तो मैं अपने मन की हर इच्छा को पूरी करूंगा। मेरा मालिक आ जाएगा तो मैं कहीं नहीं घूम सकता। सब लोग अतिथि महोदय के आने का इंतजार कर रहे थे। बड़ी सी गाड़ी में एक लंबे से आदमी ने उतरकर जैसे ही स्कूल के मैदान में कदम रखा चीकू ने देखा सब उसको सलाम कर रहे थे। कोई झंडे लेकर कोई माला पहनाकर उनका स्वागत कर रहे थे। चीकू तो आज यह सब देख कर मन ही मन खुश हो रहा था वाह वाह इस सेठ के खूब ठाठ ह उसको सब माला क्यों पहना रहे हैं ? इसकी तो बड़े ही ठाठ है कोई उसको मिठाई खिला रहा है ? कोई इसको टीका लगा रहा है? कोई उसको ना जाने क्या-क्या ढेर सारी वस्तुएं दे रहे हैं ? इसके बदले अगर इतनी सी इतनी सारी वस्तु किसी ने मुझे दी होती तो कितना अच्छा होता जरूर आज तो इस सेठ जी से ही दोस्ती करूंगा। यह तो मेरी मालिक से भी बहुत अच्छे हैं शायद यही मुझे ज्यादा खाने दे दिया करेगा। चीकू ने देखा लाउडस्पीकर की ध्वनि से सभी बच्चों को बैठने को कहा गया। और जो बच्चा हमारे तीन प्रश्नों के अच्छे ढंग से उत्तर देगा वही आज का विजेता घोषित किया जाएगा ।

अधिकारी महोदय ने कहा 15 साल से कम उम्र का बच्चा ही इस प्रतियोगिता में भाग ले सकता है। एक एक करके सभी बच्चों को बुलाया गया अधिकारी महोदय ने 10 बच्चों को सिलेक्ट किया अधिकारी महोदय ने कहा कि एक बच्चा हम बाहर का भी ले सकते हैं जो बच्चा सबसे पहले हाथ खड़े करेगा उस बच्चे को बुला लिया जाएगा। अधिकारी महोदय ने देखा इतनी बड़ी भीड़ में सबसे पीछे एक बच्चे का हाथ खड़ा दिखाई दिया। उन्होंने जोर से कहा जो सबसे पीछे बच्चा खड़ा है वही आगे आएगा। चीकू ने खुश हो कर कहा वह जल्दी-जल्दी उस भीड़ में से निकलने का पर्यत्न करने लगा। उन बच्चों की लिस्ट में शामिल हो गया। सभी बच्चों को अधिकारी महोदय ने कहा तुम कहां तक पढ़े हो? सभी बच्चों ने कहा हम इसी स्कूल में पढ़ते हैं चीकू से पूछा उसने कहा मुझे स्कूल का पता नहीं है स्कूल क्या होता है? अधिकारी महोदय हैरान होकर उसकी तरफ देखने लगे पहले बच्चे से अधिकारी महोदय ने प्रश्न किया तुम्हारे मां तुम्हारे परिवार और तुम्हारे परिवार म कौन-कौन सदस्य हैं। इन 3 प्रश्नों के उत्तर सबसे अच्छा जो उत्तर देगा वही हमारा आज का विजेता घोषित होगा ।।
सभी बच्चे कहने लगे हमारी असली गुरु हमारी मां है। स्कूल में अध्यापक महोदय हैं। हमारे रिश्तेदार और हमारे सगे संबंधी हमारा परिवार है। चीकू बोला महोदय मेरा असली गुरु मेरी धरती मां है। जिसकी गोद में मैं बड़ा हुआ हूं। यहां पर आकर मुझे पता चला कि यहीं पर सब कुछ है जब मां अपने बेटे को पुचकारती है दुलारती है तब मेरी मां ने मुझे रास्ते में चौराहे पर फेंक दिया। मैंने अपनी असली मां बाप को तो नहीं देखा। जब से मैंने होश संभाला तबसे मैं अपनें आप को चौराहे पर भीख मांगता फिरा करता था। जब थोड़ा बड़ा हुआ तो एक सेठ ने जी ने मुझे यहां पर काम पर रख लिया। मैं वहां उनके जूठे बर्तन साफ करने का काम करता हूं। वह मेरा मालिक क्या गुरु हो सकता है पर उसे मैं अपना गुरु नहीं मानता। क्योंकि गुरु तो वह होता है जो अपने शिष्य को सब कुछ बांट सके । मेरा मालिक तो मुझे जब मेरा काम करने का मन नहीं करता वह मुझे कहता है तुम्हें आज खाना नहीं दूंगा थक हार कर मैं वहां से हरी-भरी पहाड़ों के बीच में हरियाली खेतों के बीच में अपने आप को वहां पहुंचकर बहुत ही खुशी महसूस करता हूं । जब मैं शाम को थक हार कर घर आता हूं तो किसी पेड़ के नीचे या बगीचे में टहल कर सो जाता हूं। तितलियां पक्षी भंवरे फूल यह सब मेरा परिवार है । प्रकृति की मूल्यवान संपदा मेरा घर है । यही मेरी मां है । यही मेरा परिवार है।

अधिकारी महोदय जी आप जल्दी से मेरा इनाम दे दो। वर्ना अगर मैं आज देर से होटल पहुंचा तो मेरा मालिक आज मेरे साथ न जाने क्या-क्या कर डालेगा। अधिकारी महोदय इस बच्चे की बात सुनकर अवाक रह गए। वह बोले यही बच्चा इस ईनाम का असली हकदार है उन्होंने उस बच्चे को कहा यह लो ₹500 वह बोला साहब यह मुझे पता है एक नोट 500 का है दूसरा हजार का। चलो मुझे किसी अच्छे से होटल में मुझे ले चलो। मैं अपनी मनपसंद की वस्तु खाना चाहता हूं। अधिकारी महोदय उस बच्चे की कहानी सुनकर हैरान रह गए। उन्होंने शाम को जाकर उस होटल का पता किया होटल के मालिक को जेल में डाल दिया। तुमने इतने छोटे से बच्चे के साथ अन्याय किया है। छोटे बच्चों से काम करवाना जुर्म है। उन्होंने उस दुकानदार को जेल में डलवा दिया। चीकू ने कहा जब मैं बडा बन जाऊंगा तब मै अपने परिवार की देखभाल करूंगा मै कभी भी किसी को पेडो को काटने नंदी दूंगा। अपने जन्म दिन पर एक पेड़ अवश्य ही लगाऊंगा। सरकार नें चीकू की पढाई का खर्चा अपनें ऊपर ले लिया। पढ लिख कर चीकू एक बहुत ही बडा औफिसर बना।

चिन्टू का कमरा

किसी पहाड़ी की तलहटी पर एक छोटा सा गांव था। उसमें बिहारी बाबू अपनी पत्नी निर्मला और दो बच्चों के साथ रहते थे। बीनू बड़ी थी और चीनू छोटा था। चीनू छोटा होने के कारण घर में सबका लाडला था। मां बाप ने उसको इस कदर बिगाड़ दिया था कि वह हर काम को करने में देर लगाता था। जब तक उसके मम्मी-पापा बार बार आवाज लगाकर उसे बुलाते नहीं थे तब तक वह किसी की भी नहीं सुनता था। वह कभी भी खाना खाने की मेज पर नहीं आता। बीनू एकदम गंभीर शांत और चीनू नटखट स्वभाव वाला। उसकी मां उसे समझाती कि बेटा तुम अब आठ साल के हो चुके हो कब तक कहना नहीं माना करोगे मगर उसको लगता कि मां-बाप उसे बेवजह डांट रहे हैं। वह खाने को नीचे फैेंक देता और जल भून कर बाहर चला जाता। उसे जब तक मनाया नहीं जाता वह खाना भी नहीं खाता था। बीनू भी अपने मम्मी-पापा को कहती मां स्कूल जाते हुए भी यह मुझे बहुत ही तंग करता है। एक दिन तो चिन्टू नें घर आते समय इतनी तेज दौड़ लगाई बेचारी वीनू दौड़ दौड़ कर परेशान हो गई।

उसकी बहन नें घर आकर अपनी मां को कहा मां आप अपने लाड़ले को समझाते क्यों नहीं? वह तो मुझे भी बहुत तंग करता है। वह अब उसकी कोई भी बात नहीं मानेगी। आपको इसको समझाना होगा। मैं इसे स्कूल नहीं लेकर जाया करूंगी। उसकी मां बीनू को डांटते हुए बोली तुम्हारे एक ही तो भाई है। तुम इसके बारे में ऐसा क्यों सोचती हो? वह बोली मां यह मेरा भाई है इसका भला मैं भी चाहती हूं। मां बाबूजी आप दोनों को इसके साथ सख्ती से पेश आना होगा। उसके पापा बोले बीनू ठीक ही कहती है। उसकी मां बोली जब यह शरारत करे तो आपको इसको डांटना होगा नहीं तो बड़ा होकर इस को सुधारना मुश्किल हो जाएगा।
एक दिन उसकी मौसी उसके घर पर आई थी। उसकी मौसी उसे बुलाते बुलाते थक गई मगर वह नहीं आया। स्कूल से आते हीअपना बस्ता एक ओर फैंका और अपने कपड़े भी कुर्सी पर फेंके अपना खेल का बैट जोर से इस तरह पटका वह टूटते टूटते बचा। उसनें अपना बस्ता भी जोर से घुमा कर फैंका। बस्ते की जीप का मुंह खुला हुआ था। कुछ किताबें सोफे के नीचे गिरी, कोई कहीं, कोई कहीं। उस की मां ने उसे बुलाया तो उसनें आने में बहुत देर कर दी। उसनें अपनी मां को ऐसे देखा जैसे उसनें उसे बुलाकर कोई गुनाह किया हो। खाने की प्लेट को जल्दी से टेबल पर रखा। खाने का एक कौर मुंह में लेकर बोला यह क्या बनाया है? खाने की थाली को नीचे गिरा दिया। वह जोर से चिल्ला कर बोला हर रोज भिंडी बना देती हो। उसकी मां उसे प्यार करते हुए बोली बेटा आज खा ले, कल से तेरी मनपसंद की सब्जी बनाया करूंगी। बड़ी मुश्किल से उसे खाना खाने के लिए मनाया। बीनू यह सब देख रही थी। उसे गुस्सा आ रहा था मां मुझे तो ऐसे कभी नहीं मनाती। छोटा है तो क्या हुआ? इसको कहते कि नहीं खाना है तो मत खा, तुझे आज खाना नहीं मिलेगा। मेरे बस में होता तो मैं उसे खाना ही नहीं देती। कामकाज कुछ करता नहीं है। सब की नाक में दम कर रखा है। उसकी मौसी आभा सब कुछ देख रही थी। वह दौड़ी दौड़ी आई और निर्मला को बोली बीनू ठीक ही कहती है। उसको बिगाड़ने में आप लोगों का ही हाथ है। जब यह कोई चीज मांगता है तो तुरंत हाजिर कर देते हो। आपको इसे काम करना तो सिखाना ही चाहिए। ज्यादा लाड प्यार करना ठीक नहीं होता। जब कभी खाने की थाली गिराए तो किसी को भी इस को मनाना नहीं चाहिए। इसको हर काम को अपने आप करने की आदत डालनी चाहिए। जब भी यह चीजें इधर-उधर पटके इसके साथ बातें मत कीजिए। एक दिन गुस्सा करेगा। दो दिन गुस्सा करेगा कब तक करेगा? कोई भी उसके साथ घर में बात ना करें। और मनाओ भी मत। मनानें से और पिटाई करनें से तो वह ढीठ बन जाएगा। उसकी मां ने खाना मेज पर लगा दिया।
चींटू के स्कूल में जब उसकी मम्मी निर्मला गई तो उसकी कक्षा अध्यापिका बोली आपका बच्चा बहुत ही शरारती है। वहीं। कभी भी एक स्थान पर टिक कर नहीं बैठता है। हर दस मिनट बाद अपनी बहन से कभी कापी कभी पेंसिल कभी पैन लेने आ जाता है। उसे भी कक्षा में डिस्टर्ब करता है। कभी कोई कॉपी लाता है, कभी कोई कॉपी। कभी भी उसके पास किताबे नहीं होती कभी पेंसिल नहीं होती। आप कैसे अभिभावक हैं? आप अपने बच्चे के बैग को चैक करके दिया करो।

यह सब बातें सुनकर निर्मला को बहुत ही बुरा लगा। वह जैसे ही घर आई बहुत ही उदास थी उसकी बहन बोली की क्या बात है? तुम इतनी उदास क्यों हो? आज चिन्टू के स्कूल गई। स्कूल के अध्यापकों ने भी चिंटू की शिकायत की। स्कूल को कॉपी नहीं ले जाता। कल से उसके बस्ते को चेक कर दिया करुंगी। उसकी बहन आभा बोली न बहना ऐसा मत करना। उसे अपना काम स्वयं करने की आदत डालो। स्कूल में उसकी पिटाई होगी तो होने दो।। तुम उसे कुछ मत कहना।
एक दिन निर्मला की सहेलियां उसके घर पर आई थी। चिंटू ने एक पैर का जूता सोफे पर, एक नीचे, कॉपी इधर उधर फैंकी हुई थी। जब उसकी सहेलियाँ घर में आई तो अपने कमरे की हालत देखकर निर्मला को रोना आ रहा था उसकी सहेलियों ने तो उसे कुछ कहा नहीं परंतु वे आपस में एक दूसरे से बातें कर रही थी। चिन्टू की ममी उनसे कहने लगी हर रोज मैं कमरे की सेटिंग करती हूं। चिंटू कोई ना कोई चीज इधर उधर फैंक देता है। उसकी मौसी बोली एक छोटा सा कमरा चिंटू को दे दो। वह अपने कमरे को कैसे रखें यह उसकी मर्जी है। निर्मला नें एक दिन स्टोर रूम खाली कर दिया। स्टोर वाला कमरा चिंटू को दे दिया। चिंटू नया कमरा पाकर बहुत ही खुश हो गया। जल्दी से स्कूल से आया उसने जूते एक और फैंक डाले। उसकी अपने बिस्तर पर किताबे इधर उधर पड़ी थी। उनको वंहा से उसनें नहीं उठाया और दौड़ कर बाहर की भाग गया उसकी मां कमरे में आई तो कमरे की हालत देखकर उसे क्रोध भी आया। आभा बोली कि आप इसे कुछ नहीं कहेंगी। उसे करने दो जो वह करता है। जब उसकी कोई वस्तु नहीं मिलेगी तो आप उसे ढूंढ कर मत देना। उससे कोई बात भी नहीं करना। थाली फैंक कर जाता है तो देना आप उसे पटकने देना। जब तक वह खुद खाना नहीं मांगे तब तक उसे खाना देना मत। धीरे-धीरे वह खुद ही समझ जाएगा।
तीन दिन बाद उसकी परीक्षा थी। स्कूल से घर आया तो वह अपने बैग में अंग्रेजी की पुस्तक खोजनें लगा। उस की अंग्रेजी की कॉपी भी नहीं मिल रही थी और न ही किताब। उसने बीनू को बुलाया। मेरी कॉपी ढूंढ दो। बीनू बोली मैंने तुम्हारी अंग्रेजी की कापी ढूंढने का ठेका नहीं ले रखा है। खुद ढूंढ ले। वह चुपचाप अपनें कैमरे में आ गया और भूल गया कि उसका कल पेपर है। वह जल्दी जल्दी खेलने बाहर चला गया।

शाम को जब खेल करआया तो उसे अचानक याद आया कल तो उसकी अंग्रेजी की परीक्षा है। अंग्रेजी की कॉपी सारे ढूंढ निकाली मगर नहीं मिली। उसकी मां ने भी उसकी कॉपी ढूंढने में उसकी मदद नहीं की। वह तीन बार अपनी मां के पास आया। मां मैं इस बार फेल हो जाऊंगा। मेरी कॉपी ढूंढने में मेरी मदद करो। सारा घर छान मारा मगर उसकी अंग्रेजी की किताब और कॉपी नहीं मिली। बिना पढ़े ही वह स्कूल चला गया। किसी के साथ बात नहीं की। खाने को भी मेज पर गुस्से के कारण पटका और खाना भी नहीं खाया। उसकी मां को बहुत ही दुःख हुआ। उसने अपने दुःख को अंदर ही अंदर रखा। वह अपनें मन में सोचने लगी जो कुछ भी होगा उसे अब अपने ऊपर काबू रखना होगा। सब उसे ही कहते हैं कि उसनें चिंटू को बिगाड़ दिया है। कोई बात नहीं इस बार फेल हो जाएगा कोई बात नहीं। इस बार उसको सुधार कर ही दम लूंगी। इसके कमरे की हालत तो खस्ता है। मैं उसके कमरे को भी ठीक नहीं करूंगी।
चिंटू घर वापिस आया तो चुपचाप एकदम अपने कमरे में गया उसने अपना बैट इतनी जोर से फेंका कि वह जाकर सोफे के पीछे जा लगा। उसकी मां ने उसे खाना खाने भी नहीं बुलाया। वह चुपचाप था। उसने सुबह से कुछ नहीं खाया था। उसके पेट में चूहे भी कूद रहे थे। वह जल्दी ही उठ कर खाने की मेज पर चला गया बोला खाना लाओ। उसनें खाना खाया किसी से कुछ नहीं बोला और चुपचाप खेलने चला गया।
तीसरे दिन उसका स्कूल में क्रिकेट का मैच था वह अपना बैट ढूंढता रहा। सब जगह ढूंढ निकाला परंतु उसे बैट नहीं मिला। वह रोते-रोते अपनें पापा के पास गया बोला पापा ना जाने मेरा बैट कहां गिर गया। कल मेरा मैच है मुझे दूसरा बैट लाकर दे दो। उसके पिता बोले बेटा मैं तुझे ना जाने कितने बैट लेकर आया। मैं अब तुम्हारी चिकनी चुपड़ी बातों में नहीं आने वाला। मक्खन केवल अपने मां को ही लगाना। वही ही तुम्हें मनाएगी। वह मां के पास जाकर बोला मां मेरा बैट ढूंढने में मेरी मदद कर दो। आगे से मैं कभी भी चीजों को इधर-उधर नहीं फेंका करुंगा। उसकी मां बोली कि मैं बाजार जा रही हूं। मुझे बहुत ही जरूरी काम है। वह अपनी बहन के पास जाकर बोला मेरी प्यारी बहन मेरा बैट ढूंडवानें में मेरी मदद कर दे। वह बोली मैं तुम्हारी चिकनी चुपडी बातों में नहीं आने वाली। तुम्हें अपना काम खुद करना चाहिए। जो बच्चे आलसी होते हैं उनकी मदद तो भगवान भी नहीं करते। तुम अगर अच्छे बच्चे बनना चाहते हो तो एक बात गांठ बांध लो। अपना सामान एक जगह पर रखना सीखो। जो व्यक्ति अपना सामान ठीक ढंग से ठीक जगह पर नहीं रखता उसकी मदद तो कोई भी नहीं करता। तुम जिस दिन अपनी चीजें ठीक ढंग से रखना सीख जाओगे उस दिन से तुम एक अच्छे बच्चे बन जाओगे। वह चुपचाप अपने कमरे में आ गया। वह बिस्तर पर अपने जूतों के साथ ही चढ़ गया और सोचने लगा कि उसका बैट कहां गया होगा? वह कहीं बाहर तो नहीं भूल गया। अच्छा बिट्टू के घर जाकर उसका बैट ले कर आता हूं। वह जल्दी जल्दी बिट्टू के घर पर जाकर अपनें दोस्त से बोला। बिट्टू कल के लिए मुझे अपना बै दे दे। कल मेरा मैच है
बिट्टू बोला नहीं मैं तुझे अपना बैट नहीं दे सकता। तूने अगर मेरा बैट तोड़ दिया तो मुझे तो कोई भी दूसरा बैट लेकर नहीं आएगा। मेरे माता पिता तुम्हारे पिता माता पिता की तरह अमीर आदमी नहीं है। बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी गुल्लक के पैसों को जोड़ जोड़ कर यह बैट लिया है।
चिंटू को रोना आ रहा था। वह मन ही मन में बोला। अपने आप को क्या समझता है? नहीं देना है तो मत दे। निराश होकर चिंटू घर लौट आया। उसने खाना भी नहीं खाया। कमरे में आते ही बिस्तर पर लेट गया। उस जल्दी हीे नींद आ गई। स्वपन में उसे एक परी दिखाई दी। वह बोलीआज तुम्हें पता चला। अपने बैट के लिए तुमने सब के पास कितनी फरियाद की मगर किसी ने भी तुम्हारी मदद नहीं की। क्या तुमने कभी सोचा है कि जो बच्चा अपना सामान इधर-उधर फैंकता है वह कभी भी जिंदगी में सफल नहीं हो सकता। अभी भी समय है। जल्दी से सोचो तुमने अपना बैट कहां रखा होगा? ट्राफी भी हासिल नहीं कर पाओगे। तुम जिस तरह अपने जूते फेंकते हो और जूतों के साथ ही बिस्तर पर चढ़ जाते हो यह बुरी बात है। इस तरह तुम्हारा बैट कहीं भी गिर सकता है। शायद बिस्तर के नीचे सोफे के नीचे या कहीं और। शांत मन से जल्दी से सोचो। अचानक उसकी आंख खुल गई। ठीक ही तो है जब स्कूल से आया तो जोर से उसने अपना बस्ता बिस्तर पर पटका। वह कभी भी बस्ते की जीप बन्द नहीं करता है। बस्ते की जीप खुली थी। उसमें से कॉपी और किताबें बिस्तर के नीचे भी जा सकती हैं। उसने छड़ी लेकर बिस्तर के नीचे से किताब निकाली। उसकी अंग्रेजी की किताब बिस्तर के नीचे मिल गई थी। किताब पास कर बड़ा खुश हुआ। उसने अपनी किताब को उठाया और चूम लिया उसको जैसे कोई खजाना मिल गया हो। उसने तकिया उठाया। उसे अपनी एक जुराब तकिए के नीचे मिली। उस में से बदबू आ रही थी। एक ही जुराब थी। दूसरी कहां होगी? उसने सारा बिस्तर झाड़ डाला। दूसरी जुराब चादर के नीचे मिल गई। गल्ती से चादर के नीचे घुस गई थी। उसकी जुराबों से दुर्गंध आ रही थी। उसे ने साबुन लिया और अपनी जुराबे धोने लगा। मेरी मां को भी तो इसमें से दुर्गंध आती होगी। उसने जैसे तैसे करके नल के के नीचे अपनी जुराबें धो डाली।
उसकी मां और मौसी उसे देख रही थी।। उसकी मां की आंखों में खुशी के आंसू थे। आज थोड़ी ही सही उसे अक्ल तो आई। उसकी मां ने जब उसे बुलाया तो वह दौड़ा दौड़ा आया बोला मुझे बहुत भूख लगी है। उसकी मां बोली बेटा आज भिंडी की सब्जी बनी है। वह बोला मां कोई बात नहीं मैं वही खा लूंगा। उसे भिंडी की सब्जी खाते देख कर उसकी मां बोली कोई बात नहीं कल तुम्हारी पसंद की सब्जी बनेगी। वह अपने कमरे में आया।
जूते की रैक को खिसका कर बैट ढूंढने लगा। रैक के पीछे ही उसका बैट पड़ा था। वह बैट पा कर बड़ा हीखुश हुआ। वह सोचने लगा सभी ठीक ही तो कहते हैं मुझे अपनी चीजों का ध्यान रखना चाहिए। अच्छा हुआ मेरा बैट मिल गया। चलो कल ही मैच है। कल मैच के लिए तो उसका बैठ मिल गया है। उसने अपना बस्ता शाम को ही पैक कर लिया।
सुबह जब उसकी मां कमरे में आई तो अपने बेटे के कमरे की सफाई देख कर चौंक गई। सारी चीजें अपनी जगह पर ठीक जगह पर थी। उसकी मां भी अपनी चप्पल बाहर खोल कर अंदर आकर बोली। बेटा आज आज मैं बहुत ही खुश हूं। तुमको आज मैं तुम्हारी मनपसंद की चीजें लेकर आऊंगी। वह बोला मां मुझे कुछ नहीं चाहिए। वीनू बोली चल जल्दी से स्कूल चलते हैं। वह बोला आया दीदी। वीनू हैरान हो गई।। आज उसने उसे दीदी कहकर पुकारा था। वह बोली एक बार फिर बोल क्या तू मेरा ही भाई है? उसे गले लगा कर बोली भाई मैं तुझे सुधारना चाहती थी। तू सुधर गया। हम सब थोड़े दुःखी तो हुए मगर तुम्हें सुधार कर हम आज बहुत ही खुश हैं। कल तो मैं भी तुम्हे उपहार ला कर दूंगी। सब के मुख से अपनी प्रशंसा सुन कर चिन्टू बहुत ही खुश हुआ। परी ठीक ही कहती थी। मै अच्छा बच्चा बनकर ही रहूंगा। शाम को जब वह सोया तो वह बोला मेरी प्यारी प्यारी परी आपका धन्यवाद। आप मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो। परी बोली मैं तो तुम्हारा मार्गदर्शन करने आई थी। तुम अब अच्छे बच्चे बन गए हो। मैं यहां से जा रही हूं।
अपनें माता पिता का कहना मानना चाहिए। उनको दुःखी नहीँ करना चाहिए। आपकी मां आप के दुःख में बिमार पड़ गई तो उन्हें कौन देखने आएगा? परी बोली तुम अपनी बहन को भी बहुत तंग करते हो। उसको तुम दीदी कह कर पुकारा करो। यह सब बातें अच्छे शिष्टाचार में आतीं हैं। पापा भी तुम्हें प्यार से अपनी गोद में बिठाएंगे जब आप उनकी बात को ध्यान से सुनोगे और उन का भी कहना मानोगे। चिन्टू बोला धन्यवाद। आगे से वह कभी उन सब को कभी तंग नहीं करेगा।वह जल्दी ही अच्छा बच्चा बन जाएगा। परी वहां से चली गई थी मगर उसकी बातें उसके मन में घर कर गई थी। वह सचमुच ही सुधर गया था।

चंदा मामा चंदा मामा

25/9/2018
चंदा मामा चंदा मामा,
एक दिन तुम, मेरे घर पर आना।
ढेर सारी बातें करके तुम्हें दोस्त बनाएंगे।
फिर तुम्हें अपने सभी दोस्तों से मिलवाएंगे ।
चंदा मामा चंदा मामा, एक दिन तुम मेरे घर पर आना।

खेलेंगे गिल्ली डंडा,।
नहीं करेंगे किसी से दंगा।
खेलेंगे कूदेंगें, करेंगे मस्ती।
फिर हम मिलकर करेंगे कुश्ती।
मिलकर सारे खाएंगे, ढेर सारी मिठाई।
नहीं करेंगे, हम किसी की पिटाई।
तुम्हें खीर पूरी हलवा खिलाएंगे।
फिर तुम्हें हम अपने सभी दोस्तों से मिलवाएंगे।
चंदा मामा चंदा मामा,
एक दिन मेरे घर पर आना।

तुम्हारे संग क्रिकेट खेलेंगे।
सारे दोस्तों को भी क्रिकेट खिलाएंगे।
चौका लगाएंगे और छक्का।
सब लोग रह जाएंगे हक्का बक्का।
संग संग, हमारे पढ़ने चलना।
नहीं रास्ते में किसी से डरना।
मिलकर तुम्हे पढता देख गुरुजन सभी करेंगे तुम्हारी बढाई।
तुम्हारे मम्मी-पापा भी पढता देख, तुम्हें
देंगे बधाई।
पढ़ लिख कर कुछ बन पाओगे तुम भी अपने भाग्य पर इतराओगे।
चंदा मामा चंदा मामा,
एक दिन तुम, मेरे घर पर आना।

नटखट भोलू

एक किसान था। उसके एक बेटा था वह बहुत ही शरारती था। उसका नाम भोलू था। वह हमेशा शरारतें किया करता था। पढ़ने में उसका कभी दिल नहीं लगता था। वह स्कूल से भाग कर घर आ जाता था। गांव वालों को परेशान करना और पक्षियों को पत्थर मारना उसके फसलों को नष्ट कर देना यह उसका हर रोज का काम था। उसकी इन हरकतों से किसान और उसकी पत्नी बहुत ही परेशान रहते थे।।
एक दिन वह अपने पिता के साथ खेत में चला गया उसके पिता खेत में हल चला रहे थे वह खेत में आती-जाती औरतों पर पत्थर मारकर उनकी मटकी को तोड़ने में लगा रहता था। यह काम करने में उसे बहुत ही मजा आता था। जब उसे लगता कि कोई उसे देख रहा है तो वह चुपचाप पेड़ के पीछे छिप जाता। गांव वाले भी उस की इन हरकतों से तंग आ गए थे गांव की स्त्रियां उसके घर आकर जब शिकायत करने लगी, तब उनके पिता ने उसकी बहुत पिटाई की मगर फिर भी उसकी समझ में यह बात नहीं आई कि बेवजह हमें किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। एक दिन जब वह अपने दोस्त के साथ खेल रहा था तो उसने गद्दी वासियों को वहां से जाते देखा। वह अपने हिरणों के झुंड को ले जा रहे थे। उसने उन हिरणों के झुन्ड में से हिरण के एक महीने के बच्चे को चुपके से चुरा लिया और दो दिन तक उसे कुछ भी खाने को नहीं दिया। उसके दोस्त ने उसे यह करते देख लिया था। उसके दोस्त की माता ने उस हिरण के बच्चे को अपने घर में रख लिया था।
एक दिन वह अपने पिता के साथ मेला देख कर वापस घर आ रहा था। उसके पिता किसी जानने वाले व्यक्ति से बात करे थे। वह धीरे-धीरे आगे चलने लगा और पेड़ों पर चढ़कर गिलहरियों और पक्षियों को तंग करने लगा। उसके पिता ने सोचा कि उसका बेटा आगे ही गया होगा परंतु भोलू तो कहीं और ही पहुंच गया। वह रास्ता भटक चुका था। वह बहुत घने जंगल में फंस चुका था। वह जोर जोर से रोने लगा। उसके रोने की आवाज़ किसी को भी सुनाई नहीं दे रही थी। उसकी चीखने चिल्लाने की आवाज सुनने वाला वहां कोई नहीं था। एक बड़े से पत्थर के नीचे उसने सारी रात बिताई। भोलू सारी रात सो नहीं सका। ठंड से सारी रात कांपता रहा। दूसरे दिन फिर से उसे अपने घर का रास्ता मालूम नहीं पड़ा। भूखा प्यासा अपनी मां को पुकारता रहा। उसनें महसूस किया कि उसने कैसे हिरण के झुंड में से चुपके से उसके बच्चे को चुरा लिया था।
वह हिरण का बच्चा भी अपने मां बाप से मिलने के लिए आतुर होगा। मैंने तो उसे दो दिन तक खाने के लिए भी नहीं दिया। वह तो अच्छा हुआ कि मेरा दोस्त उसे ले गया। उसके दोस्त की मां ने उस हिरण के बच्चे को अपने पास रख लिया था। छोटे से बच्चे पर भी उसे तरस नहीं आया।
वह सोचने लगा कि कैसे मैं अपने माता-पिता से मिलूं? सबसे पहले मैं उनसे मिलने के बाद हिरण के बच्चे को उनके झुंड में छोड़ कर ही दम लूंगा।
आज उसे अपनी गल्ती का एहसास गया है। मैं अब बेवजह किसी प्राणी या जानवरों को तंग नहीं करूंगा। हे भगवान! मुझे मेरे माता पिता से मिला दे। उसनें तभी उसने वहां से जाते हुए एक राहगीर को देखा। उसको वहां से जाता देख कर वह उस राहगीर से लिपटकर जोर जोर से रोने लगा। उस राहगीर को उस पर दया आ गई। उसने भोलू को सुरक्षित उसके घर पहुंचा दिया।
घर पहुंचकर उसने सबसे पहले उस हिरणी के बच्चे को बहुत प्यार किया। उसको वापिस फिर से हिरणों के झुंड में वापस भेज दिया। वह हिरण का बच्चा अपने परिवार वालों से मिलकर खुश था। भोलू को समझ आ चुका था अगर शाम का भूला भटका हुआ वापस घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते। भोलू बहुत खुश था। वह पहले की तरह शरारती बालक नहीं रह गया था। वह सबके साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार करता था। वह कभी भी गांव की औरतों की मटकियां नही फोड़ता था।

बंदर आया बंदर आया

बंदर आया बंदर आया।

उछल कूद कर सारा घर सिर पर उठाया।

पेड़ पर चढ़कर इधर उधर इठलाया।

छज्जों पर हर जगह चढ़कर करता  शैतानी।

हर जगह धूम चौकड़ी मचा कर करता अपनी मनमानी।

खो खो करता बंदर आया।

हर आने जाने वाले राहगीरों को डराया।

नकल करता बंदर आया। बंदर आया।

मोटी शाखाओं पर इधर-उधर मंडराया।

लोगों की जेबों से माल चुराता बंदर आया।

नटखट और शातिर लोगों को डराता बंदर आया।,

लोगों की खुली खिड़की देख अंदर से रोटी चुराता बंदर आया।

घर के मालिक के आते ही रफूचक्कर होता बंदर आया।

 बंदर आया बंदर आया।

हर लोगों की नकल उतारता बंदर आया।

हर आने जानें वालों को डराता बंदर आया।

मेरी सहेलियां

देखो देखो यह मेरी सहेलियां।

मुझे लगती है यह पहेलियां।

मेरी सहेली अंजली हमेशा हंसती खिल खिलाती।

नीलाक्षी है हमेशा पक्की दोस्ती निभाती।

डिंपल रहती है चुप चुप।

नेहा बातें करती है गुपचुप।

तारुषि  को कहते हैं सब भोली

लेकिन वह है बंदूक की गोली।

अर्चना है हमेशा गाना गाती।

अंजना की लिखाई भी है सब को है भाती।,

रानी  रेस में  तेज तेज भागे। 

इसीलिए वह  पढाई में भी रहती है सबसे आगे।

रुही है प्यारी प्यारी सी गुड़िया।

सृष्टि को सब कहतें हैं जादू की पुडिया।  

होनहार टफी

रामप्रकाश एक छोटे से कस्बे में रहने के लिए आए थे क्योंकि कुछ दिन पहले ही उनका तबादला सोनपुर के एक छोटे से कस्बे में हुआ था ।उन्होंने वहां पर एक घर किराए पर लिया हुआ था। उस घर में वह अपनी पत्नी के साथ रहते थे अभी उनकी शादी को दो-तीन महीने ही हुए थे जिनसे उन्होंने घर किराए पर लिया था उनकी छोटी सी बेटी  भानू हर रोज उनके घर कहानी सुनने के लिए आती थी और अपने दोस्तों को भी इकट्ठा करके ले आती थी। हर रोज कार्यालय से आने पर हर शाम को बच्चों के साथ घर में बैठकर उनके साथ खेलते थे।उन बच्चों के साथ खुद भी बच्चा बन जाते थे। वह बच्चों से बहुत प्यार करते थे । वह अब तो और भी खुश रहने लगे थे क्योंकि उनकी पत्नी भी आप मां बनने वाली थी। वह जल्दी जल्दी  काम पूरा करते और अपनी पत्नी के साथ उसका घर के काम में हाथ बंटाते। भानू भीे प्यार प्यार में कहती की अंकल आपके घर में मुन्ना आएगा या मुन्नी ।वह उसे प्यार से कहते मुन्ना हो या मुन्नी  वह उसे प्यार से रखेंगे।  एक दिन उनकी पत्नी की तबीयत अचानक खराब हो गई ।डॉक्टर ने बताया कि बच्चे को बचाना बहुत कठिन है देखिए क्या होता है।अंदर से डॉक्टर ने आकर निराश होकर कहा तुम्हारी पत्नी को मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ था ।हम आपकी पत्नी को भी नहीं बचा सके ।यह सुनकर रामप्रकाश की आंखों के आगे अंधेरा छा गया ।वह बिल्कुल चुपचाप अपनी पत्नी की मुर्दा लाश को देखकर   बिलख बिलख कर रोने लगे रोने से क्या होता है। अब रोने से तो उसकी पत्नी वापस आने वाली नहीं थी ।उनके दोस्तों ने उस को सांत्वना दी  वह अब बहुत उदास रहने लग गए थे ।उनके दोस्तों ने उसे समझाया कि अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है ।तुम दूसरी शादी कर लो उन्होंने कसम खाई थी वह अब कभी शादी नहीं करेंगे ।वह अपनी पत्नी की यादों के सहारे अपना सारा जीवन व्यतीत कर देंगे ।इस तरह बहुत दिन व्यतीत हो गए ।एक दिन जब वह ऑफिस से वापस घर को आ रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक कुत्तिया ट्रक की चपेट में आने से मर चुकी थी। उसके पास ही उसका छोटा सा दो  महीने का बच्चा जोर जोर से अपनी मां से लिपट लिपट कर रो रहा था ।यह दृश्य उन से देखा नहीं गया उन्होंने उस कुत्तिया को खिलाकर देखना चाहा कि शायद वह जिंदा हो परंतु वह निष्प्राण थी। उसके प्राण ही बचे थे यह दृश्य देखकर रामप्रकाश से रहा नहीं गया। उसी वक्त उन्होंने उस कुत्तिया के छोटे से बच्चे को अपने रुमाल में छुपा कर उसे अपने घर ले आए उसको अपने बच्चे के समान प्यार करने लगे  उसे हर रोज खिलाना नहलाना व सैर करवाना जब वह बच्चा बीमार होता तो उसकी ऐसे ही देखभाल करते जैसे सब अपने बच्चे की परवरिश करते हैं।  धीरे-धीरे वह बच्चा भी बड़ा हो गया ।वह उसे टफी कहकर पुकारने लगे ।जब भानु और उसके दोस्त खेलने आते तो उनके साथ खेलते हुए कहता कि टफी मेरा बेटा है ।इस तरह टफी बहुत बड़ा हो गया।   रामप्रकाश  की उसके काम में मदद करने लगा जैसे अखबार लाना ,दूध लाना, छोटे छोटे काम करना। एक दिन रामप्रकाश अपने दोस्त की शादी में जाने के लिए बैंक से रुपए निकाल के लिये गये ।  उन्होंने ₹25000 बैंक से निकाले।  शाम का समय हो चुका था उनको बैंक से रुपए निकालते वक्त कुछ बदमाशों ने देख लिया ।उन्होंने राम प्रकाश जी  को कहा  बाबू साहब हम तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ देते हैं। हमं उसी रास्ते से जा रहे हैं ।रात के समय तुम पैदल कहां जाओगे रामप्रकाश को जरा भी ख्याल नहीं आया कि वह उसके रुपए भी छीन सकते हैं ।आप अपने घर पर फोन कीजिए ।वह जल्दी से उनके ट्रक में बैठ गया गुंडों ने उसे कुछ सुंघाकर बेहोश कर दिया और मार मार कर झाड़ियों में फेंक दिया। और अपने आप ट्रक भगा कर चले गए ।जब काफी रात होने तक रामप्रकाश घर नहीं लौटे तो उनके दोस्त को चिंता होने लगी कि आज उनके मालिक घर नहीं आए हैं ।वह चिंता के मारे इधर उधर भागने लगा उन्होंने रफी को प्यार से खाने के लिए दिया परंतु उसने खाना तो क्या सभी ने पानी की एक बूंद तक भी नहीं पी और घर के बाहर सीधा  जा कर अपने मालिक का इंतजार करने लगा ।जब आधी रात हो जाने पर भी उसका मालिक घर नहीं आया तो तभी सबसे पहले रामप्रकाश  के दोस्त के घर गया जहां रामप्रकाश हमेशा जाता था परंतु वहां पर जाने पर उसे निराशा हाथ लगी । वह अब दौड़ने लगा ,दौड़ते-दौड़ते वह उस बैंक के पास पहुंच गया जहां पर उसका मालिक  रुपया  निकालने गया था। वह सुंघते सुंघतेे उस स्थान तक पहुंच गया जहां उसका मालिक झाड़ियों में मौत की सांसे ले रहा था।  उसके मालिक के अभी  प्राण शेष थे । वहां पहुंचकर टफी जोर जोर से भौंकने लगा ।उसकी  भौंकने  की आवाज सुनकर रामप्रकाश के मुख से निकला हाय।  यह कहकर वह बेहोश हो गया। टफी दौड़ता हुआ रामप्रकाश के दोस्त के घर गया और उसकी कमीज खींचकर उनको उस जगह पर ले गया जहां उनका मालिक झाड़ियों में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा था। रामप्रकाश की दोस्त को समझते देर नहीं लगी कि उसका दोस्त टफी  उससे कुछ  कहना चाहता है ।वह टफी को कार में बिठाकर ले गए। जहां  टफी ले जाना चाहता था। उन्होंने झाड़ियों से अपने दोस्त को बाहर निकाला और अस्पताल लेकर गए और उसकी जान बच गई। टफी ने अपने मालिक की जान बचाकर अपने पुत्र  होने का एहसास दिला दिया था।  रामप्रकाश के दोस्त को घसीटता हुआ वहां पर ले गया जहां पर वह ट्रक खड़ा था। जल्दी में उस गुंडे की छड़ी उसमें ही गिर गई थी। उसके पास पहुंचकर बार बार घड़ी को सुंघनेे लगा। रामप्रताप ने उस घड़ी को उठा लिया पुलिस वालों ने ट्रक के मालिक को ढूंढ निकाला। मालिक ने बताया कि तीन व्यापारियों ने उनसे यह ट्रक किराए पर लिया था ।वह व्यापारी कल यहां रुपए लेने आएंगे। इस तरह इन तीनों चोरों को टफी

ने पकड़ा दिया और उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। उसने अपने मालिक  के रुपए चोरों से  बरामद कर लिए । उसने अपने पुत्र  बनने के दायित्व कोे  बखूबी निभा कर  अपना कर्तव्य निभा दिया था।

चिन्टू और गडरिया

किसी गांव में एक गडरिया रहता था। वह  भेड़ और बकरियों को चराने जंगल में ले जाया करता था। उसका एक बेटा था वह दो साल का था। कभी कभी वह  उसको भी अपनें साथ भेड़ बकरियां चराने साथ ले जाता था। गडरिया हमेशा बीमार ही रहा करता था। वह सोचने लगा कि मेरे बाद मेरे बेटे का क्या होगा? इसे भी मैं भेड़ बकरियां चराना सिखा दूंगा। मैं इसे पढ़ा तो नहीं सका मगर अपने लिए कुछ ना कुछ तो  वह कमा ही सकेगा इसी तरह सोचते सोचते वह अपने घर वापस आ गया।

शाम को गडरिये की पत्नी ने पूछा कि आज तुम उदास क्यों हो तो वह बोला मेरे बाद मेरे बेटे का क्या होगा। कुछ पता नहीं है, इसी तरह समय गुजरता गया। उसका बेटा अब दस साल का हो चुका था। वह उसे भी जंगल में भेड़ बकरियां चराने ले जाता। धीरे धीरे उसके बेटे को जंगल में अपनें पिता के साथ जाने की आदत पड़ गई थी। गडरिये की पत्नी भी हमेशा ही बीमार रहा करती थी। एक दिन गडरिया भी चल बसा। घर में गडरिये की पत्नी और बेटा ही रह गए थे। वो किसी ना किसी तरह से अपने बेटे का पालन पोषण कर रही थी

गडरिए का बेटा भी जंगल में जाकर भेड़ बकरियों को चराने ले जाता था, जो कुछ मिलता उसी से वह और उसकी मां  घर का खर्च चलाते थे। उसकी मां और घरों में भी काम करती थी जिससे उनका गुजारा चल पड़ता था। वह हर रोज जंगल में बकरियों को लेकर चला जाता और शाम को घर आता इसी तरह दिन बीतते गए। उसकी मां बकरियों को जंगल में छोड़ आती और बाद में अपने बेटे को कहती कि तुम इन्हें  लेकर आना।

उसका बेटा हर रोज भेड़ बकरियों को लेने जाता तो वह हर बार ट्रेन से जाता क्योंकि उसके गांव के आसपास ट्रेन चला करती थी। जब ट्रेन रुकती थी तो वह गाड़ी में बैठ जाता था और शाम को भी इसी तरह  वापिस घर को आया करता था। उसकी मां जंगल में बकरियों को छोड़ आती। उसकी बकरियां एक जगह ही चुगती रहती थी। वह बहुत ही समझदार थी।  वह  उन्हें  लेने जंगल में ट्रेन से चला जाता।  हर रोज ट्रेन नियत समय पर  आती थी। वह हर रोज ट्रेन से स्कूल जाते हुए बच्चों को देखता तो उसका मन भी करता कि वह भी पढ़ाई करता मगर वह कुछ भी नहीं कर सकता था। वह बहुत ही होशियार था। गाड़ी में उसके बहुत सारे दोस्त बन गए थे। वह उनके साथ घुल मिल गया था। कई बच्चे तो उसका नाम भी जान चुके थे। वह सब उसके दोस्त बन गए थे।

उस गाड़ी में हर रोज एक  सज्जन व्यक्ति  अपनें आफिस जाते थे। और वह सरकारी ऑफिस में काम करते थे। उनके साथ चिंटू की बहुत ही बनती थी। वह चिंटू को बहुत ही प्यार करते थे। वह कहते थे कि बेटा हमें पढ़ाई करना बहुत ही जरूरी होता है। वह उनसे हमेशा कहता  मेरे पापा एक गडरिया  थे।  मेरे पिता बिमारी के कारण चल बसे

केवल एक मां है वह बेचारी क्या क्या करें। मैं उसे इस प्रकार दर्द में नहीं देख सकता। जब तक मैं जिंदा हूं अपनी मां की सेवा करूंगा। मैं पढ़ लिख कर क्या करूंगा? मैं पढ़ाई कर भी नहीं सकता मुझे कौन  पढा पाएगा। इस तरह से वह उनके साथ खुल करके अपनी सारी बातें उनको बता दिया करता था। एक दिन जब वह गाड़ी में बैठे तो चिंटू को बहुत ही उदास पाया क्योंकि वह बहुत दिनों से ऑफिस नहीं आ रहे थे। चिंटू उन्हें हर रोज दूध लाकर दिया करता था। चिंटू को उदास देखकर वह सज्जन कहने लगे बेटा क्या बात है? जब से मैं घर से आया हूं तुमको मैंने उदास ही पाया तुम क्यों इतनी उदास रहते हो?

वह बोला कुछ दिन पहले ही मेरे पिता भी इस दुनिया से जा बस चल बसे थे।  मेरी मां भी अब उनके गम में बिमार  हो चुकी है। । मां के सिवा मेरा कोई भी इस दुनिया में नहीं है। छोटे से बच्चे की करुणा- भरी पुकार को सुनकर उनके आंखों से आंसू आ गए। वे बोले बेटा  होनी को कौन टाल सकता है? तुम्हें अपनी मां को संभालना होगा। कोई बात नहीं जब मैं यहां से अपने गांव जाऊंगा तुम्हें भी साथ लेकर जाऊंगा। तुम अपनी मां को भी अपने साथ लेकर चलना। जब मेरा तबादला हो जाएगा तब मैं  तुम दोनों को अपने घर में ही अपने साथ रखूंगा। उस बाबू साहब की बात सुनकर चिंटू बहुत ही खुश हुआ। चलो कोई तो है जो हम गरीब को इस तरह से पूछता है। धन्यवाद, बाबूजी आप जैसा महान व्यक्ति मैंनें कभी नहीं देखा। मेरी मां आपके  साथ गांव जाने को तैयार होगी तो मैं खुशी-खुशी आपके गांव जाने के लिए तैयार हो जाऊंगा।

मैं भी पढ़ लिख कर कुछ बनना चाहता हूं अच्छा अब मैं अपनी भेड़ बकरियों को लेने जा रहा हूं ना जाने मेरी भेड़ बकरियां कहां चली जाए। वह गाड़ी से उतर गया,, चिन्टू जब भी जंगल से जाता तो रास्ते में उसके बहुत सारे दोस्त बन गए थे। वह सभी से बहुत ही प्यार से पेश आता था। वह बहुत ही नटखट और शरारती बच्चा था। सोचता था कि कोई ना कोई तो मेरे साथ जंगल में चले। मेरे साथ बातें करें, मेरे साथ दोस्ती करें, मगर इतनी बड़ी दुनिया में उस बेचारे छोटे से बच्चे की बात सुनने वाला कौन था? उसने सोचा क्यों ना मैं इन अजनबी दोस्तों को परखता हूं। मेरे साथ चलते हैं या नहीं।

एक दिन एक किसान रास्ते से जा रहा था उसने किसान को कहा चाचा चाचा आप मेरे साथ जंगल में चलें वहां पर  एक भेड़िया है वह मुझे खा जाएगा। मैंने कितनी बार उसे भगाने की कोशिश की मगर वह वहीं आकर खड़ा हो जाता है। चिंटू के साथ किसान चल पड़ा। जब किसान जंगल में पहुंचा तो उसने चिंटू को कहा, भेड़िया कहां है? उस किसान को भटका भटका कर वह बहुत ही आगे ले गया चिंटू ने अपनी भेड़ बकरियां समेटी और बोला शायद वह भाग गया होगा। मुझे उससे बहुत ही डर लगता है। किसान बोला आज तो मैंने तुम्हारी बात मान ली मगर इस तरह किसी को बेवकूफ नहीं बनाना चाहिए। वह मुस्कुराते हुए बोला  नहीं-नहीं कल तो यहीं पर था। इसी तरह करते करते वह हर रोज हर आने जाने वाले मुसाफिरों को बेवकूफ बनाता था। एक  दिन एक ग्वाला दूध देकर जा रहा था उसको भी उसनें इसी प्रकार कहा। भैया भैया मेरे साथ जंगल में चलो। मुझे रास्ते में शेर मिला। वह वहीं पर है। वह मुझे खा जाएगा। छोटे से बच्चे की बात सुन   कर ग्वाले  को दया आ गई। वह दूध बेच कर वापस घर आ रहा था। उस बच्चे के साथ जंगल में चल पड़ा। उसे भी इसी प्रकार चिंटू ने,  कर उसे भी अपने जाल में फंसा लिया और जल्दी जल्दी अपने पशुओं को समेटने लगा। इसी तरह से बहुत दिन व्यतीत हो गए। वह हर रोज किसी न किसी व्यक्ति को अपने साथ जंगल में ले जाता और इसी प्रकार उनको बेवकूफ बनाता।  सभी लोगों को अब पता चल चुका था कि यह बच्चा सभी को मूर्ख बनाता है।

एक दिन उन सभी लोगों ने कहा कि हम अब इस बच्चे की कभी भी सहायता नहीं करेंगे। वह हमसे हर रोज झूठ कहता है।

 

वह अकेला ही  एक दिन जंगल में भेड़ बकरियां चराने चला गया जब वह भेड़ बकरियां चरा रहा था तो सचमुच में ही  एक खूंखार भेड़िया सामने आ गया। उस की अपनी भेड़ बकरियां काफी आगे निकल गई थी। वह भेड़िए को अपनी ओर  आते देखकर घबरा गया।  किसान और ग्वाला घर की ओर वापस आ रहे थे। वह भी ट्रेन में ही बैठे थे। ट्रेन में आने जाने वाले सभी यात्री सभी की नजरें उस बच्चे की तलाश कर रही थी।। आज वह बच्चा उन्हें नजर नहीं आया था। किसान और ग्वाले ने सोचा आज हम उसके साथ जंगल में नहीं गए कहीं वह बच्चा मुसीबत में तो नहीं फंस गया।  उसकी भेड़ बकरियां अकेली ही आ रही थी। वह बच्चा हमें हर रोज बेवकूफ बनाता है। क्यों न  जंगल में चल कर हम भी उसे आज बेवकूफ बनाएं? उसे कोई ना कोई  मजाक करके फंसा लेते हैं। वह  जंगल की ओर चल पड़े। जंगल की तरफ जा ही रहे थे तो उन्हें जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। मुझे बचाओ मुझे बचाओ।

वह दोनों एक दूसरे से कहने लगे यह बच्चा हर रोज हमें झूठ बोलकर फंसाता है। हम आज उसकी कोई बात नहीं सुनेंगे। चुपके चुपके आईस्ता आईस्ता चलते हैं। वह आईस्ता  आईस्ता चलकर जैसे ही जंगल में पहुंचे तो वहां पर उस बच्चे को भेड़िए से लड़ते हुए देखा। वह चौक  कर पीछ गए। यह बच्चा तो ठीक ही कहता था। इतना प्यारा बच्चा वह भी बिल्कुल अकेला। हमें इसकी मदद अवश्य करनी  चाहिए। ग्वाले ने चिंटू को पुकारा। ग्वाला  बोला डरने की कोई बात नहीं। हम तुम्हारे साथ हैं। इतने में किसान भी बोला बेटा हम अभी तुम्हें बचाते हैं। चिन्टू बोला अंकल मुझे आप लोगों का सहारा ही बहुत है।  मैं  अब इस  भेड़िए से अकेला ही  निपट लूंगा। बच्चे की बात सुनकर वह दोनों बहुत हैरान हुए। उन दोनों को देख कर  चिंटू बोला अंकल यहां पास में ही मेरा थैला पड़ा है। आप मेरा थैला मेरे पास फेंक दो फिर देखो मेरा करिश्मा। उन दोनों ने उसका थैला चिंटू के पास फेंक दिया।

चिंटू ने थैले में से मिर्ची का पैकेट निकाला और भेड़िए की आंखों में डाल दिया। थोड़ी देर के लिए तो भेडिया  छटपटाता रहा। उसकी आंखों से कुछ नहीं दिखाई दे रहा था। इतने में चिंटू   किसान और ग्वाले नें मिल कर डंडे से भेड़िए को मार गिराया।। वे तीनों दौड़ लगाकर सरपट भाग गये। ग्वाला  किसान  और चिन्टू जल्दी जल्दी घर की ओर भागने लगे। तीनों भागते भागते बहुत ही दूर निकल आए। वह बोले बेटा तुम तो बहुत ही बहादुर हो।

काफी दिनों से भवानी प्रसाद ट्रेन में आ नहीं रहे थे क्योंकि उनका तबादला अपने गांव में हो गया था। वे कुछ दिनों के लिए अपने गांव अपनी पत्नी से मिलने गए थे। क्योंकि उनकी पत्नी बीमार थी। चिंटू उन्हें बहुत ही याद कर रहा था। वह हर रोज जब ट्रेन आती तो देखता रहता कि बाबू इस गाड़ी में आज  तो अवश्य ही होगें परंतु हर बार निराश हो जाता। वह अपने मन में सोचने लगा बाबूजी ने तो मुझसे वादा किया था कि वह हमें  लेने जरूर आएंगे। मुझे और मेरी मां को अपने गांव लेकर जाएंगे। मगर वह बाबूजी भी औरों की तरह ही झूठे निकले। मैंने क्या क्या सपने देखे थे कि मैं पढ़ लिख कर कुछ बन जाऊंगा। अब तो वह भी नहीं कर पाऊंगा। इस तरह सोचता सोचता वह  अपने घर पहुंच गया। उसकी मां उसको उदास देखकर पूछने की बेटा क्या बात है? तुम क्यों उदास दिखाई दे रहे हो?  वह बोला  ट्रेन में एक अंकल मेरे दोस्त बन गए थे उन्होंने मुझे कहा था कि  मैं तुम्हें और तुम्हारी मां को गांव अपने गांव ले जाऊंगा। वहां तुम्हें मैं पढ़ा लिखा कर एक बड़ा आदमी बनाऊंगा। तुम भी औरों की तरह एक बड़े आदमी बनोगे   मगर आज तीन महीने हो चुके हैं वह हमें लेनें नहीं आए ।  

 

चिन्टू हर रोज ट्रेन में जा कर बैठता  अपने दोस्तों से बातें करता  मगर उसकी नजरें तो हमेशा उन सज्जन अंकल को ही ढूंढने में लगी रहती थी। ट्रेन में एक दिन  सिक्योरिटी गार्ड ने उससे पूछ  ही लिया इस ट्रेन में किसे खोजते फिरते हो? वह बोला  इस ट्रेन में हर रोज  एक अंकल जाते थे। वह फौरैस्ट विभाग में सरकारी कर्मचारी  हैं। सिक्योरिटीज गार्ड बोला कहीं वह भवानी प्रसाद तो नहीं । वह बोला हां हां। अंकल ठीक पहचाना  सिक्योरिटी गार्ड बोला बेटा कुछ दिन पहले उनकी पत्नी  बिमार थी ।  वह अब ठीक है। इस वजह से वह  नहीं आ सके। वह अपना सामान लेने तो अवश्य ही आएंगे । मैं उनसे तुम्हारे बारे में जरूर कहूंगा।

चिंटू की आंखें डबडबा आई वह बोला, धन्यवाद अंकल । कुछ दिनों के पश्चात एक दिन  भवानी प्रसाद  अपना सामान  लेकर अपने ऑफिस जा रहे थे  स्क्योरिटी गार्ड ने उसे बताया  एक गडरिए का बच्चा आपकी हर रोज राह देखा करता है । उसका नाम चिंटू है। वह भेड़ बकरियां चराने जंगल में जाता था।

दो-तीन दिन से दिखाई नहीं दे रहा है। वह आपको बहुत ही याद कर रहा था। कह रहा था कि  बाबू साहब मुझे अपने गांव ले जाकर  खूब  पढाएंगे लिखाएंगे।  मैं  भी बड़ा अफसर बनूंगा। सिक्योरिटीज गार्ड की बात सुनकर भवानी प्रसाद बहुत ही शर्मिंदा हुए।  छोटे से बच्चे का इसमें क्या कसूर। वह  तो उन्हें हर रोज ढूंढनें आता है। मुझे पता नहीं क्या हो गया था?  मैं सब कुछ भूल चुका था। उस बच्चे का पता लगाकर ही रहूंगा।  उस बच्चे को अवश्य पढ़ा लिखा कर बड़ा अफसर बनाऊंगा। वह अचानक गाड़ी से उतर गए। इसी प्रकार ढूंढते ढूंढते जब वह  चिंटू के घर पहुंचे तो देखा कि उसके घर पर बहुत से लोगों की भीड़ इकट्ठी थी।   चिंटू  उनके बीच में बैठा जोर जोर से रो रहा था।  यहां क्या हुआ है? गांव वाले बोले चिंटू की मां  हमेशा ही बीमार ही रहती थी। उसकी सांसे तो अपने बेटे में अटकी हुई थी। मेरे बाद मेरे बेटे का क्या होगा? आज वह भी  इस संसार को छोड़कर सदा सदा के लिए भगवान को प्यारी हो गई। बेचारा छोटा सा चिंटू अकेला रह गया।

भवानी प्रसाद की आंखों से आंसू छलछला आए।  वह भीड़ को चीरते हुए गये और उस बच्चे को गले लगाते हुए बोले बेटा मुझे माफ कर देना। तुम से किया हुआ वादा  तोड़ कर जा रहा था।  मैं भी अपनी जिंदगी से दुःखी हो चुका था।  कुछ दिन पहले  मेरी पत्नी भी बिमार हो गई थी। हमारे कोई सन्तान नहीं है। वह तुम्हें पा कर बहुत ही खुश हो  जाएगी। यहां पर आकर सिक्योरिटी गार्ड द्वारा तुम्हारे बारे में पता चला। मैं बहुत शर्मिंदा हूं । चलो बेटा, मेरे साथ चलो। तुम्हें मैं अपने बच्चे की तरह रखूंगा।  आज से तुम ही मेरे बेटे हो। तुम्हेंंपढ़ा लिखा कर एक बहुत ही बड़ा औफिसर बनाऊंगा। तुम  अब भवानी प्रसाद के बेटे कहलाओगे।

चिन्टू नें गांव में साथ में रहने वाली मौसी को कहा मैं आप को यह भेड़ बकरियां सौंप कर जा रहा हूं। इनकी देखभाल का जिम्मा आप पर है। यह भेड़ बकरियां मेरी मां की जान थीं। कभी कभी गांव में आ कर इनको  देख जाया करुंगा। आप सब की मुझे बहुत ही याद आएगी। पढ लिख कर जब मैं बडा आफिसर बनूंगा तब मैं अपनें गांव के लिए भी कुछ करुंगा।

चिंटू सदा सदा के लिए अपने गांव को छोड़कर उनके साथ उनके गांव  रहने चला गया। भवानीप्रसाद की पत्नी नें चिन्टू को गले से लगा कर कहा बेटा तुम्हारे आते ही घर में रौनक आ गई है। चिंटू को  उन्होंनें बहुत  पढ़ाया लिखाया  और एक दिन चिंटू  बहुत ही बड़ा ऑफिसर बना।  वह बड़ा औफिसर बन कर जब गांव वापिस आया तो गांव वाले उसे देख कर बहुत ही खुश हुए। चिन्टू नें अपनें गांव आकर गांव की काया ही पलट दी। लोग उसे अभी भी मजाक में कहते भेड़िया आया।

मेरा टॉमी

मेरा टॉमी बड़ा ही प्यारा।

मेरी आंखों का है यह तारा।

पूंछ  हिला कर दौड़ा आता।

भौं भौं करके मुझे बुलाता

दूर इससे मैं रह न पाता।

यह पास आकर मुझे सताता।

मेरा टॉमी बड़ा ही प्यारा।

मेरा आंखों का यह तारा

सबके मन को भाने वाला।

घर में है यह सब को हर्षानें वाला।

इसका रंग है काला  काला।

जैसे हो काजल काला काला।

बिल्ली को  यह खूब सताता।

मस्ती में उसको खूब दौडा़ता।

चोरों को यह घुसने नही देता

बड़ों बड़ों की खबर है यह लेता।

यह तो है घर का मतवाला।

घर में है यह सब का  रखवाला।

मेरा टॉमी बड़ा ही प्यारा।

मेरी आंखों का यह तारा।

कोई इसके आगे नहीं टिक पाता।

मेरा टॉमी बड़ा ही प्यारा।

सुन्दर सुन्दर कजरारी आंखों वाला।

लग्न से करो पढ़ाई

चुन्नू  मुन्नू, आज तुम खड़े क्यों हो उदास?

मत हिचकिचाओ  कह दो खुलकर बिंदास। पुस्तक हाथ में लेकर करो पढ़ाई।

मत करो आपस में हाथापाई।

मन में विश्वास और उमंग जगाकर लग्न से करो पढ़ाई।

तभी तो माता-पिता और गुरु जन सभी करेंगे तुम्हारी बढ़ाई।

तुम कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते जाओगे।

जो अभी तक ना कर पाए वह भी तुम कर पाओगे।

सारे विश्व में अपना नाम कमाओ गे।

चारों ओर से वाह!वाह! हासिल करते जाओगे दृढ निश्चय का संकल्प लेकर अपनी उड़ान भरोगे ।

तभी तो तुम हंसते-हंसते अपनी मंजिल पाओगे।